32 वे व्यक्ति, जिनको नामनिर्देशिती नियुक्त किया जा सकता है:-


(1) बीमाकृत व्यक्ति अपने पति/पत्नी,संतान/संतोनों, भ्राता (भा्रताओं), बहिन बहिनों), पिता या माता को नाम निर्देशिती के रूप में नियुक्त करने का हकदार होगा।


(2) बीमाकृत व्यक्ति, यदि नाम निर्देशन करते समय उपर(1) में उल्लेखित कोई भी संबंधी जीवित नहीं है तो, अन्य व्यक्ति को अपने नाम निर्देशिती के रूप में नियुक्ति करने का हकदार होगा।
टिप्पणीः- (I) उपर 32 (1) में सोतेली-माता,पिता,भ्राता, बहिन या संतान सम्मिलित है।
(II) यदि नियम 32(1) में यथा-उल्लिखित कोई भी संबंधी जीवित हो तो किसी भी अन्य व्यक्ति का नाम निर्देशन अकृत और शून्य समझा जावेगा। तथापि, यदि पति/पत्नी के सवाय ऐसा कोई भी सबंध नाम निर्देशन फाईल करने के पश्चात् अर्जित किया गया है तो नाम निर्देशन अविधिमान्य नहीं होगा।


33 नाम निर्देशन का परिवर्तनः-


एक बार नाम निर्देशन फाईल करने के उपरान्त बीमाकृत व्यक्ति उसे, प्रथम बार फाईल किये गये नाम निर्देशन का प्रतिस्थापन करते हुए दूसरा नाम निर्देशन फाईल करने के सिवाय, रद्द करने का हकदार नहीं होगा। बीमाकृत व्यक्ति को नाम निर्देशनों में परिर्वतान करते समय नियम-32 में अधिकथित शर्त का पालना करना होगा।

34 नाम निर्देशन की विधि मान्यताः-

पाॅलिसीधारक द्वारा अपने जीवन काल में किये गये किसी भी नये नाम निर्देशन या किसी भी अन्य व्यक्ति के पक्ष में पूर्व के नाम निर्देशन के परिवर्तन को बीमा विभाग द्वारा स्वीकार किया जायेगा, चाहे ऐसा नामनिर्देशन राज्य बीमा द्वारा पाॅलिसीधारक की मृत्यु के पश्चात प्राप्त किया जावे। ऐसे मामलों में, उस कार्यालयाध्यक्ष से, जिसके अधीन पाॅलिसीधारक उसकी मृत्यु से ठीक पहले सेवा कर रहा था, एक प्रमाण-पत्र अभिप्राप्त किया जायेगा, जिसमें यह कथन किया गया हो कि विभाग में नामनिर्देशन प्रारूप पाॅलिसीधारक की मृत्यु से पूर्व प्राप्त हो गया था और वह असली है।

35 नामनिर्देशन की किसी भी अन्य दावेदार से प्राथमिकताः-

यदि बीमाकृत व्यक्ति द्वारा कोई नाम निर्देशन नियम 32 से 34 तक के उपबंधों के अनुसार किया गया है तो दावे का संदाय, किसी न्यायालय में उठाये गये किसी भी विवाद पर विचार किये बिना, नाम निर्देशिती को किया जायेगा न कि किसी अन्य को।

36 कतिपय परिस्थितियों में नाम निर्देशन का स्वयमेव ही शून्य होगाः-

यदि कोई नाम निर्देशिति बीमाकृत से पूर्व मर जाता है तो नाम निर्देशन स्वयमेव ही शून्य हो जाता है और नामनिर्देशितो के वारिसों का कोई दावा नहीं रहेगा।

37 बीमाकृत राशि का नाम निर्देशिती या नाम निर्देशितों को संदाय:-

यदि बीमाकृत व्यक्ति की मृत्यु के कारण बीमाकृत राशि संदेय हो जाती है तो बीमाकृत राशि नामनिर्देशिती को संदत्त की जायेगी।

यदि एक से अधिक नामनिर्देशिती हो तो बीमाकृत राशि उनकी बीमाकृत व्यक्ति द्वारा विनिर्दिष्ट अनुपात में पृथक पृथक और यदि ऐसा कोई अनुपात विनिर्दिष्ट न हो तो समान अनुपात में सदत्त की जायेगी।
38 नाम निर्देशन के अभाव में दावे का संदायः-
नाम निर्देशन के अभाव में, दावे की रकम बीमाकृत व्यक्ति पर लागू उत्तराधिकारी/वैयक्तिक विधि के अनुसार बीमाकृत व्यक्ति के विधिक वारिसों को संदत्त की जायेगी। तथापि, यदि कोई विवाद हो और विभाग वारिसों के बारेे में विनिश्चय करने की स्थिति में नहीं हो तो दावे का संदाय उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को किया जायेगा।