43 सेवा में न रह जाने के पश्चात् पाॅलिसियों का चालू रखा जानाः-

जहाॅं कोई ऐसा बीमाकृत व्यक्ति, जो सरकारी सेवा में या पंचायत समितियों, जिला परिषद्ों की या ऐसे संगठनों की, जो सरकार के आदेश द्वारा इन नियमों के अन्तर्गत लाये गये है, सेवा में नहीं रह जाता है, नियम 42 के अधीन बीमों के परिपक्व होने तक प्रीमियम का संदाय करना जारी रखना चुनता है, वहाॅं निम्न लिखित नियम लागू होंगे:-
(क) प्रीमियमों का मासिक संदाय किया जाना बीमा प्रारम्भ होने के आगामी अधिवार्षिकी वर्ष दिवस तक जारी रहेगा।
(ख) आगामी बीमा वर्ष दिवस के ठीक पूर्ववर्ती मास के दौरान बीमाकृत व्यक्ति विभाग को लिखित सूचना देकर अपने बीमे के प्रीमियम का संदाय बीमों से संबंधित वर्ष दिवस पर वार्षिक किस्तों में या अर्द्ध वार्षिक या त्रैमासिक किस्तों में कर सकेगा। ऐसी सूचना प्राप्त नही होने पर यह समझा जायेगा कि प्रीमियमों का मासिक किस्तों में संदाय जारी रहेगा।
(ग) मासिक प्रीमियम की दशा में 15 दिन की और किसी अन्य दशा में एक कलेण्डर मास की अनुगृहात्मक अवधि अनुज्ञात की जायेगी।

(घ) यदि प्रथम असदत्त प्रीमियम की नियत तारीख से छः मास के भीतर-भीतर प्रीमियम और उस पर ब्याज का संदाय नहीं किया जाता है तो पाॅलिसी, प्रीमियमों के बंद होने की ऐसी छः मास की तारीख से नियम 42(3) के उपबंध के अनुसार अभ्यर्पित की हुई समझी जायेगी और नियम 42(3) के उपबंध के अनुसार उस पर कार्यवाही की जाये।

44 ऋण मंजूर करनाः-

(1) बीमाकृत व्यक्ति, प्रारूप जी.ए. 203 में आवेदन प्रस्तुत करने पर, उसके द्वारा कराये गये बीमों की प्रत्याभूति पर, ऐसे बीमों के कुल अध्यर्पण मूल्य के 90 प्रतिशत की सीमा तक ऋण प्राप्त करने का अधिकार होगा।
(2) ऋण, छत्तीस समान मासिक किस्तों में या ऐसी कम अवधि में, जिसका बीमाकृत व्यक्ति द्वारा अनुरोध किया जाये, प्रतिसंदत्त किया जायेगा, ये किस्तें ऋण मंजूर किये जाने के पश्चात् प्रथम वेतन के आहरण से प्रारम्भ होगी।
(3) 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर साधारण ब्याज प्रभावित किया जावेगा जो ऋण की मूल रकम के पूर्ण प्रतिसंदाय के पश्चात् सवितरक अधिकारी द्वारा दस समान किस्तों में वूसल किया जायेगा। यदि ब्याज पूर्णतः या अंशतः इस प्रकार वसूल नहीं किया जाता है तो वसूल नहीं किया गया ब्याज, उसके बकाया रहने की अवधि के लिए 12 प्रतिशत साधारण ब्याज सहित दावे की रकम से या अगले ऋण की रकम से वसूल किया जायेगा।
(4) ऋण, ऐसी पाॅलिसियों के सम्बन्ध में, जो नियम 41 के उप-नियम (1) के अधीन बीमाकृत व्यक्ति द्वारा पहले ही समनुदेशित की जा चुकी है, ऐसे समनुदेशन के चालू रहने के दौरान, अनुज्ञेय नहीं होगा।
(5) पाॅलिसी पर अगला ऋण तब तक मंजूर नहीं किया जावेगा, जब तक कि पिछले ऋण की मंजूरी और आवेदित ऋण के बीच दोे वर्ष की अवधि व्यतीत न हो गयी हो और ब्याज सहित ऋण पूर्णतः संदत्त न कर दिया गया हो।
(6) कोई बीमाकृत व्यक्ति, जिसने नियम 39 (2) में यथा उपबंधित विकल्प दिया है, विस्तारित अवधि के दौरान् ऋण प्राप्त करने का हकदार नहीं होगा।