राजस्थान शिक्षा (राज्य एवं अधीनस्थ) सेवा नियम, 2021

भाग- 6
नियुक्ति, परिवीक्षा और स्थायीकरण

34. सेवा में नियुक्ति– सेवा में के पद पर सीधी भर्ती या, यथास्थिति, पदोन्नति द्वारा नियुक्ति, अधिष्ठायी रिक्तियां होने पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा इन नियमों के नियम 28 के अधीन चयनित अभ्यर्थियों में से योग्यताक्रम में और नियम 32 के अधीन चयनित व्यक्तियों में से पदोन्नति द्वारा की जायेगी।

35. अर्जेण्ट अस्थायी नियुक्ति (1) सेवा में की ऐसी रिक्ति को, जिसे इन नियमों के अधीन सीधी भर्ती या पदोन्नति द्वारा तुरन्त नहीं भरा जा सकता हो, उसे सरकार या, यथास्थिति नियुक्तियां करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा उस पद पर किसी ऐसे व्यक्ति की, जो उस पद पर पदोन्नति द्वारा नियुक्ति का पात्र हो, स्थानापन्न की हैसियत में नियुक्ति करके या ऐसे किसी व्यक्ति को, जो सेवा में सीधी भर्ती के लिए पात्र हो, जब ऐसी सीधी भर्ती इन नियमों के उपबन्धों के अधीन उपबंधित हो, अस्थायी रूप से नियुक्त करके, भरा जा सकेगाः

परन्तु

(i) ऐसी कोई नियुक्ति आयोग को उसकी सहमति के लिए, जहां ऐसी सहमति आवश्यक हो, निर्दिष्ट किये बिना एक वर्ष से अधिक की कालावधि के लिए चालू नहीं रखी जायेगी और आयोग द्वारा सहमति देने से इनकार करने पर तुरन्त समाप्त कर दी जायेगी;

(ii) सेवा या सेवा में के ऐसे किसी पद के संबंध में, जिसके लिए भर्ती की दोनों रीतियां विहित हों, सरकार या, यथास्थिति, नियुक्ति करने के लिए सक्षम नियुक्ति प्राधिकारी, राज्य सेवा के मामले में सरकार के कार्मिक विभाग और अन्य सेवाओं के संबंध में संबंधित प्रशासनिक विभाग की विनिर्दिष्ट अनुमति के बिना, सीधी भर्ती के कोटे की किसी अस्थायी रिक्ति को पूर्णकालिक नियुक्ति द्वारा, उस स्थिति के सिवाय जबकि ऐसी अस्थायी रिक्ति अल्पकालिक विज्ञापन के पश्चात् तथा सीधी भर्ती के लिए पात्र व्यक्तियों में से भरी जाये, तीन मास से अधिक की कालावधि के लिए नहीं भरेगा।

( 2 ) पदोन्नति के लिए पात्रता की अपेक्षाएं पूरी करने वाले उपयुक्त व्यक्तियों के उपलब्ध न होने की दशा में, सरकार उपर्युक्त उप-नियम (1) के अधीन पदोन्नति के लिए अपेक्षित पात्रता की शर्तें होने पर भी, वेतन और अन्य भत्तों के बारे में ऐसी शर्तों तथा निर्बन्धनों के अध्यधीन रहते हुए, जो वह निदिष्ट करे, अर्जेण्ट अस्थायी आधार पर रिक्तियां भरने की अनुज्ञा प्रदान करने के लिए सामान्य अनुदेश अधिकथित कर सकेगी। तथापि, ऐसी नियुक्तियां उक्त उप नियम के अधीन यथा अपेक्षित आयोग की सहमति के अध्यधीन होंगी।

36. वरिष्ठता. सेवा में के संवर्ग में सम्मिलित पद पर नियुक्त व्यक्तियों की वरिष्ठता, इन नियमों के उपबंधों के अनुसार नियमित चयन के पश्चात् पद पर नियुक्ति की तारीख से अवधारित की जायेगी। तदर्थ या अर्जेण्ट अस्थायी आधार पर नियुक्ति, नियमित चयन के पश्चात् की नियुक्ति नहीं समझी जायेगी :

परन्तु-

(1) किसी प्रवर्ग विशेष में किसी पद पर सीधी भर्ती द्वारा एक ही चयन के आधार पर नियुक्त व्यक्तियों की पारस्परिक वरिष्ठता, ऐसे व्यक्तियों को छोड़कर जिनसे पद पर नियुक्ति का प्रस्ताव किया गया हो किन्तु जिन्होंने आदेश जारी होने की तारीख से छह सप्ताह की कालावधि के भीतर या दीर्घतर कालावधि, यदि नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा बढ़ायी जाये, सेवाग्रहण न की हो, उसी क्रम में रहेगी, जिस क्रम में उनके नाम इन नियमों के नियम 28 के अधीन तैयार की गयी सूची में रखे गये हैं।

(2) यदि दो या अधिक व्यक्ति उसी वर्ष के दौरान सेवा में नियुक्त किये जाते हैं तो पदोन्नति द्वारा नियुक्त व्यक्ति सीधी भर्ती द्वारा नियुक्त व्यक्ति से रैंक में वरिष्ठ होगा;

(3) ऐसे चयन, जो पुनर्विलोकन और पुनरीक्षण के अध्यधीन न हो, के परिणामस्वरूप चयनित और नियुक्त व्यक्ति, उन व्यक्तियों से रैंक में वरिष्ठ होंगे जो पश्चात्वर्ती चयन के परिणामस्वरूप चयनित और नियुक्त किये गये

(4) एक ही चयन में वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर और योग्यता के आधार पर चयनित व्यक्तियों की पारस्परिक वरिष्ठता वही होगी जो उनसे अगली निम्नतर ग्रेड में की है।

(5) नियम 6 के उप-नियम (3) के अधीन उपयुक्त न्यायनिर्णित किये गये व्यक्तियों की पारस्परिक वरिष्ठता उनकी निरंतर सेवावधि के अनुसार अवधारित की जायेगी और वे इन नियमों के प्रारंभ की तारीख तक सीधी भर्ती द्वारा या पदोन्नति द्वारा नियमित रूप से नियुक्त किये गये समस्त व्यक्तियों से सामूहिक रूप में रैंक में कनिष्ठ होंगे।

(6) पदोन्नति की नियमित पंक्ति में अगले उच्चतम पद पर पदोन्नति के प्रयोजन के लिए, पद पर विभिन्न रेंजों / प्रभागों / नियुक्ति प्राधिकारियों द्वारा अनुरक्षित वरिष्ठताओं का अंतर्गथन संबंधित रेंज / प्रभाग / नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा रखी गयी वरिष्ठता सूची में उनके क्रम स्थान पर विचार किये बिना, पद पर अभ्यर्थियों द्वारा पद ग्रहण की तारीख के आधार पर किया जायेगा।

(7) ऐसे व्यक्ति, जिसका स्थानान्तरण अपनी पूर्व रेंज / प्रभाग / नियुक्ति प्राधिकारी से अन्य रेंज / प्रभाग / नियुक्ति प्राधिकारी को हो गया है, का नाम उत्तरकालीन रेंज / प्रभाग / नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा इस पद पर नियुक्त किये गये कनिष्ठम व्यक्ति से नीचे रखा जायेगा।

(8) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कर्मचारियों के लिए पारिणामिक वरिष्ठता के साथ आरक्षण, रोस्टर बिन्दुओं के निःशेष होने और पदोन्नति की पर्याप्तता प्राप्त होने तक जारी रहेगा। एक बार रोस्टर बिन्दु पूर्ण हो जाते हैं तत्पश्चात् प्रतिस्थापन के सिद्धान्त का प्रयोग पदोन्नति में किया जायेगा जब कभी भी अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों के कर्मचारियों के लिए चिह्नित रिक्तियां आयें हों।

स्पष्टीकरण: “पर्याप्त प्रतिनिधित्व” से रोस्टर बिन्दु के अनुसार अनुसूचित जातियों का 16 प्रतिशत प्रतिनिधित्व और अनुसूचित जनजातियों का 12 प्रतिशत प्रतिनिधित्व अभिप्रेत है।

37. परिवीक्षा की कालावधि.- (1) किसी स्पष्ट रिक्ति के प्रति सीधी भर्ती द्वारा सेवा में प्रवेश करने वाले व्यक्ति को दो वर्ष की कालावधि के लिए परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में रखा जायेगा :

परन्तु-

(i) कोई व्यक्ति जो राज्य सेवा में के प्रारंभिक पद से किसी उच्चतर पद, जिसके लिए शैक्षणिक / वृत्तिक अर्हताओं के अतिरिक्त कुछ अनुभव विहित किया गया है, पर सीधे रूप से भर्ती किया गया है, एक वर्ष की परिवीक्षा पर रखा जायेगा,

(ii) ऐसी नियुक्ति के पश्चात् की वह कालावधि, जिसके दौरान किसी व्यक्ति को किसी तत्समान या उच्चतर पद पर प्रतिनियुक्ति पर रखा गया है, परिवीक्षाकाल में गिनी जायेगी।

(2) उप-नियम (1) में विनिर्दिष्ट परिवीक्षाकाल के दौरान प्रत्येक परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी से ऐसी विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करने और ऐसा प्रशिक्षण प्राप्त करने की जो सरकार समय समय पर विनिर्दिष्ट करे, अपेक्षा की जा सकेगी।

38. कतिपय मामलों में स्थायीकरण. (1) पूर्ववर्ती नियम में अन्तर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, सेवा में किसी पद पर अस्थायी तौर पर या स्थानापन्न आधार पर नियुक्त हुए किसी व्यक्ति को, जिसे इन नियमों के अधीन विहित भर्ती की रीतियों में से किसी एक रीति द्वारा हुई नियमित भर्ती के पश्चात् उसके सीधी भर्ती द्वारा परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में नियुक्त होने की दशा में दो वर्ष की सेवा के परिवीक्षाकाल के संतोषप्रद रूप से पूर्ण होने पर छह मास की कालावधि के भीतर या पदोन्नति द्वारा नियुक्त होने की दशा में एक वर्ष की सेवा की कालावधि के भीतर स्थायी नहीं किया गया हो तो वह अपनी वरिष्ठता के अनुसार स्थायी माने जाने का हकदार होगा / होगी यदि-

(i) उसने एक ही नियुक्ति प्राधिकारी के अधीन उस पद या उच्चतर पद पर कार्य किया हो या इस प्रकार कार्य करता / करती यदि वह प्रतिनियुक्ति या प्रशिक्षण पर नहीं होता / होती;

(ii) वह इन नियमों के अधीन विहित कोटा के अध्यधीन रहते हुए, स्थायीकरण से संबंधित नियम के अधीन विहित शर्तें पूरी करता / करती हो ; और

(iii) विभाग में स्थायी रिक्ति उपलब्ध हो ।

( 2 ) उपर्युक्त उप-नियम (1) में निर्दिष्ट कोई कर्मचारी यदि उक्त उप-नियम में उल्लिखित शर्तों को पूरा करने में असफल रहता है तो उक्त उप-नियम में उल्लिखित कालावधि को राजस्थान सिविल सेवा (विभागीय परीक्षा) नियम, 1959 और अन्य किन्हीं नियमों के अधीन परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के लिए यथाविहित कालावधि तक या एक वर्ष तक, जो भी अधिक हो, बढ़ाया जा सकेगा। यदि वह कर्मचारी फिर भी उपर्युक्त उप-नियम (1) में उल्लिखित शर्तों को पूरा करने में असफल रहता है तो वह ऐसे पद से उसी रीति से सेवोन्मुक्त किये या हटाये जाने दायी होगा जिस रीति से किसी परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी को सेवोन्मुक्त किया या हटाया जाता है या वह उस अधिष्ठायी या निम्नतर पद पर, यदि कोई हो, जिसके लिए वह हकदार हो, पदावनत किये जाने का दायी होगा।

(3) उपर्युक्त उप-नियम (1) में निर्दिष्ट कर्मचारी को उक्त सेवाकाल के पश्चात् स्थायीकरण से विवर्जित नहीं किया जायेगा यदि उसके द्वारा समाधानप्रद रूप से कार्य करने के प्रतिकूल कोई कारण उसे उक्त सेवा अवधि के दौरान संसूचित न किया गया हो।

(4) उपर्युक्त उप-नियम (1) में निर्दिष्ट किसी कर्मचारी को स्थायी न करने के कारणों को नियुक्ति प्राधिकारी उसकी सेवा पुस्तिका और वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन में अभिलिखित करेगा ।

स्पष्टीकरण: (i) इस नियम के प्रयोजन के लिए नियमित भर्ती से अभिप्रेत है –

(क) भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक के अधीन बनाये गये नियमों के अनुसार भर्ती की किसी भी रीति द्वारा या सेवा के प्रारम्भिक गठन के समय की गयी नियुक्ति :

(ख) उस पद पर नियुक्ति, जिसके लिए कोई सेवा नियम विद्यमान न हो, यदि पद आयोग के कार्य क्षेत्र के भीतर हो तो आयोग के परामर्श से भर्ती;

(ग) नियमित भर्ती के पश्चात् स्थानान्तरण द्वारा नियुक्ति, जहां सेवा नियम इसके लिए विनिर्दिष्ट रूप से अनुज्ञात करते हों;

(घ) ऐसे व्यक्ति, जिन्हें इन नियमों के अधीन किसी पद पर अधिष्ठायी नियुक्ति के लिए पात्र बनाया गया हो, नियमित रूप से भर्ती किये हुए समझे जायेंगे :

परन्तु इसमें ऐसी अर्जेण्ट अस्थायी नियुक्ति या स्थानापन्न पदोन्नति सम्मिलित नहीं होगी जो पुनर्विलोकन तथा पुनरीक्षण के अध्यधीन हो ।

(ii) किसी अन्य संवर्ग में धारणाधिकार रखने वाले व्यक्ति इस नियम के अधीन स्थायीकरण किये जाने के पात्र होंगे और वे इस विकल्प का प्रयोग करने के भी पात्र होंगे कि वे अपनी अस्थायी नियुक्ति के दो वर्ष समाप्त होने पर इस नियम के अधीन स्थायीकरण नहीं चाहते। इसके प्रतिकूल कोई भी विकल्प प्राप्त न होने पर यह समझा जायेगा कि उन्होंने इस नियम के अधीन स्थायीकरण के पक्ष में अपना विकल्प दे दिया है और पूर्व पद पर उनका धारणाधिकार समाप्त हो जायेगा ।

39. परिवीक्षाकाल के दौरान असंतोषप्रद प्रगति यदि नियुक्ति प्राधिकारी को परिवीक्षाकाल के दौरान या उसकी समाप्ति पर किसी भी समय यह प्रतीत हो कि किसी परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी की सेवाएं संतोषप्रद नहीं पायी गयी हैं तो नियुक्ति प्राधिकारी उसे, उस पद पर पदावनत कर सकेगा जिस पर उसका परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप से उसकी नियुक्ति के ठीक पूर्व, नियमित रूप से चयन किया गया हो या अन्य मामलों में उसे सेवोन्मुक्त कर सकेगा या उसकी सेवा समाप्त कर सकेगा। नियुक्ति प्राधिकारी इस संबंध में अंतिम आदेश पारित करने से पूर्व परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी को समुचित अवसर प्रदान करेगा:

परन्तु नियुक्ति प्राधिकारी, किसी भी मामले में या मामलों के किसी वर्ग में, यदि उचित समझे तो किसी परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के परिवीक्षाकाल को एक वर्ष से अनधिक की विनिर्दिष्ट कालावधि के लिए बढ़ा सकेगा।

40. स्थायीकरण. एक परिवीक्षाधीन, परिवीक्षाकाल की समाप्ति पर नियुक्ति में स्थायी कर दिया जायेगा, यदि, –

(क) उसने विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो और ऐसा प्रशिक्षण, जैसा कि सरकार समय-समय पर विनिर्दिष्ट करे, सफलतापूर्वक पूरा कर लिया हो ;

(ख) उसने हिन्दी में प्रवीणता संबंधी विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण कर ली हो; और

(ग) सरकार / नियुक्ति प्राधिकारी का यह समाधान हो जाये कि उसकी सत्यनिष्ठा शंकास्पद नहीं है और यह कि वह स्थायीकरण के लिए अन्यथा उपयुक्त है।