2. शैक्षिक सुधार :

2.1 विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों के शैक्षिक एवं सह शैक्षिक विकास के लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय के लिए प्रधानाध्यापक या प्रभारी अध्यापक एवं प्राथमिक विद्यालय के लिए उस विद्यालय में पदस्थापित वरिष्ठतम अध्यापक उत्तरदायी होगा।

2.2 विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक एवं सह शैक्षिक गतिविधियों के संचालन एवं शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए विद्यालय योजना निर्माण की जाकर उसका प्रभावी रूप से क्रियान्वयन किया जाये। विद्यालय में शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ खेलकूद, योग, ध्यान एवं नैतिक शिक्षा पर विशेष बल दिया जाये। संबंधित कक्षाध्यापक व अध्यापक द्वारा विद्यार्थियों की प्रगति का लिखित प्रतिवेदन संस्था प्रधान को प्रतिमाह प्रस्तुत किया जाये।

2.3 विद्यार्थियों को नियमित रूप से कक्षाकार्य एवं गृहकार्य दिया जाकर उसकी जांच कर तद्नुसार अपेक्षित सुधार कराया जाये तथा साप्ताहिक मूल्यांकन व्यवस्था द्वारा कमजोर एवं प्रतिभावान विद्यार्थियों की पहचान कर उनके नाम दैनिक डायरी में उल्लेखित करें। कमजोर एवं प्रतिभावान विद्यार्थियों की विशेष शिक्षण व्यवस्था की जाये । संस्था प्रधान द्वारा अध्यापकों के कक्षाकार्य व गृहकार्य का नियमित रूप से अवलोकन कर सुधार करवाया जाये तथा इसका अभिलेख संधारित किया जाये।

2.4 विभाग द्वारा प्रसारित दिशा निर्देशों एवं शिविरा पंचांग के अनुसार विद्यालय में प्रार्थना सभा, बाल सभा नियमित रूप से आयोजित की जावे तथा विशेष उत्सव एवं जयन्ती के आयोजन से पूर्व विद्यार्थियों को तैयारी कराने तथा प्रत्येक विद्यार्थी को उक्त कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु प्रेरित किया जावे।

2.5 विद्यालय में खेलकूद प्रतियोगिताओं के साथ-साथ सांस्कृतिक, शैक्षिक प्रतियोगिताएं आयोजित की जायें तथा प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया जाये ।

2.6 प्रत्येक कक्षा में अध्ययनरत छात्र को कक्षा की पाठ्यपुस्तक के पाठ को बांचने (रीडिंग) में सक्षम बनाने हेतु संबंधित अध्यापक द्वारा वर्ष पर्यन्त वाचन कराया जावे। गणित की चार बुनियादी गणना यथा जोड़, बाकी, गुणा व भाग को प्रत्येक छात्र को संबंधित अध्यापक द्वारा अच्छी तरह समझाकर छात्र को बुनियादी गणित को हल करने में दक्ष बनाया जाये तथा विज्ञान विषय में विषयवस्तु को समझने व अभिव्यक्त करने की क्षमता विकसित की जावे ।

2.7 बिंदु संख्या 2.6 की पूर्णता के लिये एवं अन्य विषयों में कमजोर विद्यार्थी के संबंधित विषय के लिए निदानात्मक एवं उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था स्कूल में की जावे।

2.8 निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा-29 के प्रावधानों के अनुसार शिक्षक अध्ययनरत बच्चों के शैक्षणिक स्तर का आंकलन करेंगे एवं बच्चों की प्रगति और स्थिति के अनुसार समीक्षा करते हुए शिक्षण योजना निर्माण कर उनके अध्यापन की समुचित व्यवस्था कर समय- समय पर अभिभावकों को बच्चों की प्रगति की जानकारी देंगे ।

2.9 प्रत्येक कक्षा हेतु विद्यार्थियों को कक्षावार पृथक पृथक बैठाकर अध्यापन की व्यवस्था की जावे जिससे प्रत्येक विद्यार्थी पर ध्यान केन्द्रित किया जाकर उनकी शैक्षिक गुणवत्ता बढाई जा सके ।

2.10 जहाँ तक संभव हो एक ही शिक्षक द्वारा आवंटित समय विभाग चक्र के अनुसार समस्त कक्षाओं में एक ही विषय का अध्यापन कराया जावे जिससे कि उस शिक्षक को बच्चों के एक विषय में शैक्षिक स्तर की पूर्ण जानकारी रहे तथा उस कक्षा के लिए अध्यापक उत्तरदायी होगा।

2.11 विद्यालय में बच्चों को कम से कम 5वीं कक्षा तक पेन्सिल से लेखन कार्य हेतु प्रेरित किया जावे ताकि उनका सुलेख अच्छा रहे ।

2.12 उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक या प्रभारी अध्यापक एवं प्राथमिक विद्यालय के लिए उस विद्यालय में पदस्थापित वरिष्ठतम अध्यापक का यह दायित्व होगा कि वह प्रति सप्ताह कम से कम एक बार अनिवार्य रूप से शिक्षकों के साथ बैठकर विद्यालय के अच्छे कार्य / समस्याओं पर चर्चा कर समस्याओं के समाधान का प्रयास करें। इन बैठकों का आयोजन शिक्षण कालांश के पश्चात किया जाकर इसका कार्यवाही विवरण संधारित किया जावे।

2.13 इन बैठकों में संस्था प्रधान द्वारा किये गये कक्षा अवलोकन, समुदाय से जुड़ाव, विद्यालय विकास पर चर्चा करने के साथ-साथ कक्षावार / विषयवार बच्चों के सीखने की प्रगति पर समीक्षा की जावे।

2.14 उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक या प्रभारी अध्यापक एवं प्राथमिक विद्यालय के लिए उस विद्यालय में पदस्थापित वरिष्ठतम अध्यापक का यह दायित्व होगा कि किसी शिक्षक को सौंपे गये कार्यों में यदि अपेक्षित लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो रही हो तो उसमें सुधार करने के लिए लिखित में निर्देशित करेगा जिसकी प्रति ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी को प्रेषित की जायेगी। सुधार नहीं होने पर कारण बताओ नोटिस जारी कर प्रकरण सक्षम अनुशासनात्मक प्राधिकारी को प्रेषित किया जायेगा ।

2.15 उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक या प्रभारी अध्यापक एवं प्राथमिक विद्यालय के लिए उस विद्यालय में पदस्थापित वरिष्ठतम अध्यापक का यह दायित्व होगा कि वह सप्ताह में कम से कम एक बार प्रत्येक शिक्षक के शिक्षण कार्य का अवलोकन करेगा, अवलोकन में विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति, शिक्षक की शिक्षण कार्य योजना कार्य योजना के अनुसार अध्यापन कार्य, गृह कार्य एवं उसकी जाँच, शैक्षिक रुप से पिछड़े हुए बच्चों पर विशेष शिक्षण के साथ- साथ सतत् एवं व्यापक मूल्याकंन पर विशेष ध्यान देकर आवश्यक निर्देश प्रदान करेगा।

2.16 प्रार्थना सभा के निर्धारित समय में प्रार्थना, राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान, प्रतिज्ञा, समूहगान, सूर्य नमस्कार, योगाभ्यास, ध्यान, समाचार पत्रों का वाचन आदि का समावेश किया जाये ।

2.17 विद्यालय में खेलकूद, व्यायाम, योग, अनुशासन, विद्यार्थियों की स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के सम्बन्ध में संस्था प्रधान के नेतृत्व में योजनानुसार कार्य करने के लिए शिक्षक उत्तरदायी होंगे।

2.18 विद्यालयों में समय विभाग चक्र में प्रति सप्ताह प्रत्येक कक्षा हेतु पुस्तकालय के लिए एक कालांश निर्धारित किया जाकर विद्यार्थियों को प्रेरणादायी या नैतिक शिक्षा की पुस्तकें पढ़ने हेतु दी जावें ।

2.19 जिन विद्यालयों में कल्प योजनान्तर्गत कम्प्यूटर उपलब्ध कराये गये हैं उनके उच्च प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक या प्रभारी अध्यापक एवं प्राथमिक विद्यालय के लिए उस विद्यालय में पदस्थापित वरिष्ठतम अध्यापक का यह दायित्व होगा की इन संसाधनों का समुचित रख-रखाव एवं शिक्षण कार्य में उपयोग सुनिश्चित करें जिससे कि विद्यार्थियों में आधुनिक तकनीकी ज्ञान विकसित हो सके।

2.20 निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 24 की उपधारा-1 में शिक्षक के निम्नांकित कर्त्तव्य उल्लिखित हैं जिनकी पालना सुनिश्चित की जाये: (क) विद्यालय में उपस्थित होने में नियमितता और समय पालन,
(ख) धारा 29 की उपधारा (2) के उपबंधों के अनुसार पाठ्यक्रम संचालित करना और उसे पूरा करना ।
(ग) विनिर्दिष्ट समय के भीतर संपूर्ण पाठ्यक्रम पूरा करना,
(घ) प्रत्येक बालक की शिक्षा ग्रहण करने की सामर्थ्य का निर्धारण करना और तद्नुसार यथा अपेक्षित अतिरिक्त शिक्षण, यदि कोई हो, को जोड़ना,
(ड़) माता पिता और संरक्षकों के साथ नियमित बैठकें करना और बालक के बारे में उपस्थिति में नियमितता, शिक्षा ग्रहण करने की सामर्थ्य, शिक्षण में की गई प्रगति और किसी अन्य सुसंगत जानकारी के बारे में उन्हें अवगत कराना,
(च) ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना, जो विहित किए जायें। इसके संबंध में राज्य सरकार द्वारा जारी “राजस्थान निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम, 2011 के नियम 20″ अध्यापकों द्वारा अनुपालन किये जाने वाले कर्त्तव्य”-
(1) धारा 24 की उप-धारा (1) में विनिर्दिष्ट कृत्यों के अनुपालन में और धारा 29 की उप-धारा (2) के खण्ड (ज) की अपेक्षाओं की पूर्ति करने के क्रम में अध्यापक एक फाइल रखेगा, जिसमें प्रत्येक बालक के लिए शिष्य संचयी अभिलेख होगा, जो धारा 30 की उप-धारा (2) के विनिर्दिष्ट शिक्षा पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र देने का आधार होगा।
(2) अध्यापक, धारा 24 की उप- धारा (1) के खण्ड (क) से (ड़) में विनिर्दिष्ट कृत्यों के अतिरिक्त, निम्नलिखित कर्तव्यों का अनुपालन करेगा, अर्थातः-
(क) प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना ।
(ख) पाठ्यचर्या निर्माण और पाठ्यक्रम विकास प्रशिक्षण मॉड्यूल तथा •पाठ्य पुस्तक विकास में भाग लेना ।

उपधारा ( 2 ) – उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट कर्तव्यों के पालन में व्यतिक्रम करने वाला / वाली कोई शिक्षक / शिक्षिका, लागू सेवा नियमों के अधीन अनुशासनिक कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होगा / होगी, परन्तु ऐसी अनुशासनिक कार्यवाही करने से पूर्व ऐसे शिक्षक को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दिया जायेगा ।

2.21 विद्यार्थियों में न्यूनतम अधिगम स्तर / पाठ्यपुस्तक का पाठ पढ़ना / गणित की चार बुनियादी गणना, जोड़, बाकी, गुणा व भाग को प्रत्येक विद्यार्थी हल कर सके, यह क्षमता प्रत्येक विद्यार्थी में उसकी कक्षा स्तर के अनुरूप विकसित करने के लिए संबंधित अध्यापक उत्तरदायी होगा ।

2.22 विधार्थियों के सर्वांगीण विकास में शारीरिक शिक्षा / खेलकूद के महत्व को ध्यान में रखते हुए विद्यालय स्तर पर अन्तर कक्षा प्रतियोगिताओं का अनिवार्यतः आयोजन किया जावे।

2.23 जिन विद्यालयों में खेल मैदान उपलब्ध हैं उनको पूर्ण विकसित किया जाकर उनकी चार दीवारी करते हुऐ वृक्षारोपण किया जावे। इस कार्य में मनरेगा, स्थानीय भामाशाह एवं जिला कलेक्टर से सहयोग लिया जावे। 2.24 विद्यालय में खेल मैदान यदि उपलब्ध ना हो तो जिला कलेक्टर से सम्पर्क कर आवंटित करावें तथा सरकारी योजनाओं के माध्यम से / भामाशाहों के सहयोग से खेल मैदान को विकसित किया जावे। 2.25 राज्य सरकार के पत्रांकः प.1 (4) प्राशि / 2012 दिनांक: 08.10.12 के अनुसरण में प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय से परीक्षा एवं कक्षोन्नति नियम (सत्र 2012 – 13 ) आदेश क्रमांक शिविरा / प्राशि / शैक्षिक / एबी / 3511/ 2011-12 दिनांक 26.10.2012 के अनुसार बच्चों की शैक्षिक प्रगति का मूल्याकंन कर प्रगति से अभिभावकों को अवगत कराया जावे।

2.26 परीक्षा एवं कक्षोन्नति नियम में राज्य सरकार के आदेश क्रमांक: प.1 (4) प्राशि / 2012 दिनांक: 20.03.15 एवं निदेशालय के आदेश क्रमांक: शिविरा / प्रारं / शैक्षिक / एबी / वै. आठवीं बोर्ड / 2014-15 दिनांक 20. 03.15 के संशोधन अनुसार कक्षा 8 के लिए विद्याथियों को वार्षिक परीक्षा या आठवीं वैकल्पिक बोर्ड परीक्षा देनी है। शिक्षक इस हेतु विद्याथियों को प्रेरित करें ।

2.27 जिन शिक्षकों का परीक्षा परिणाम (कक्षा में अध्ययनरत कुल विद्यार्थियों की संख्या में से यदि आधे विद्यार्थियों का ग्रेड डी से नीचे का स्तर रहता है तो) कम होने पर उन शिक्षकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही संबंधित सक्षम प्राधिकारी के द्वारा की जायेगी।

2.28 सर्व शिक्षा अभियान द्वारा टीचर परफार्मेन्स अप्रेजल के आधार पर जिन अध्यापकों की परफार्मेन्स कमजोर या असंतोषप्रद पायी जाती है तो संबंधित ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा टीचर परफार्मेन्स अप्रेजल अपलोड करने के साथ-साथ संबंधित अध्यापक के विरुद्ध राजस्थान असैनिक सेवाऐं (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु सक्षम प्राधिकारी को प्रस्ताव प्रेषित किये जावें ।

2.29 प्रत्येक माह के अंतिम कार्यदिवस को अध्यापक अभिभावक बैठक का आयोजन करते हुए कमजोर बच्चों के अभिभावकों को शाला में बुलाकर विद्यार्थियों की प्रगति से अवगत कराते हुए उन्हें घर पर भी ध्यान देने हेतु निवेदन किया जावे।