राजकीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के संचालन हेतु समेकित मार्ग-निर्देशिका

भूमिका-

मजबूत प्राथमिक शिक्षा प्रत्येक राज्य व देश के विकास और समृद्धि का आधार होती है। प्रारम्भिक शिक्षा बच्चों के भविष्य निर्माण और भावी जीवन के लिए विकास की प्रथम सीढी है। हमारा लक्ष्य कक्षा 1 से 8 तक बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के साथ साथ शत प्रतिशत नामांकन एवं ठहराव सुनिश्चित करना है। समस्त बच्चों को प्रारम्भिक शिक्षा मिले इस हेतु केन्द्र व राज्य सरकार कटिबद्ध है। प्रदेश में शिक्षा को सुदृढ व गुणवत्तायुक्त बनाने हेतु राज्य सरकार द्वारा आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। प्रारम्भिक शिक्षा को प्रत्येक बच्चे तक सुलभ और सार्वभौमिक बनाये जाने तथा बच्चे का समुचित विकास करने के लिये जमीनी स्तर पर अर्थात् स्कूल स्तर पर आवश्यक कदम उठाये जाने आवश्यक हैं। प्रत्येक बच्चे को पढ़ने लिखने व गणित का बुनियादी ज्ञान संबंधित कक्षा के पाठ्यक्रम के साथ-साथ होना आज की सर्वोपरि आवश्यकता है।

प्रत्येक राजकीय प्राथमिक या उच्च प्राथमिक विद्यालयों के समुचित संचालन हेतु निम्नांकित दिशा-निर्देश प्रसारित किये जाते हैं:-

1. विद्यार्थियों का नामांकन एवं प्रवेश :

1.1 विद्यालय में चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम सर्वे के आधार पर या स्थानीय सूचना / जानकारी के अनुसार शिक्षा से वंचित बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया जावे। निर्धारित कार्यक्रमानुसार प्रवेशोत्सव में जनप्रतिनिधियों / गणमान्य नागरिकों / स्वयंसेवी संस्थाओं/ भामाशाहों आदि की भागीदारी सुनिश्चित की जाये । प्रत्येक विद्यालय में पदस्थापित प्रत्येक अध्यापक कम से कम बीस बच्चे प्रतिवर्ष नये नामांकित करायेगा।

1.2 संस्था प्रधान का यह दायित्व होगा कि स्कूल क्षेत्र के गांव / ढाणी / मजरा के प्रत्येक घर-घर जाकर घरेलू सर्वेक्षण करते हुए निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2011 के नियम 9 “स्थानीय प्राधिकारी द्वारा बालकों के अभिलेखों को रखा जाना” के तहत स्कूल में निर्धारित प्रपत्र में अभिलेख संधारित करेगा।

1.3 जिस अध्यापक द्वारा बच्चे को नामांकित कराया गया है उसका यह दायित्व होगा कि जिस कक्षा तक स्कूल का स्तर है, उस कक्षा तक उस बच्चे का ठहराव सुनिश्चित किया जाये ।

1.4 भौतिक रूप से नामांकन सही नहीं पाये जाने पर संबंधित अध्यापक के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी ।

1.5 यदि किसी विद्यालय में बच्चे कम हैं तो संबंधित अध्यापक को विद्यालय के कार्यक्षेत्र / कैचमेंट एरिया में कोई बच्चा अनामांकित नहीं है या ऐसा कोई बच्चा नहीं है, जो स्कूल नहीं जाता है, के सम्बन्ध में प्रमाण पत्र संबंधित ग्राम पंचायत के ग्राम सचिव व सरपंच के संयुक्त हस्ताक्षरों से प्राप्त कर ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी को प्रेषित करना होगा। ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा विद्यालयवार संकलित कर सूचना जिला शिक्षा अधिकारी (प्राशि) को भेजनी होगी एवं जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जिले के सभी विद्यालयों की समेकित सूचना संबंधित उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय को भेजनी होगी।

1.6 समस्त प्रयासों के उपरान्त विद्यालय क्षेत्र में बच्चे उपलब्ध नहीं होने तथा शून्य नामांकन की स्थिति में संबंधित अध्यापक को तत्काल रिपोर्ट ब्लॉक प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी के मार्फत जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा) को प्रेषित करनी होगी तथा जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा) द्वारा ऐसे शून्य नामांकन वाले विद्यालयों के अध्यापकों को शैक्षिक व्यवस्था के तहत तत्काल अन्य विद्यालयों में भेजा जायेगा ।

1.7 विद्यालय की विकास योजना तथा गुणवत्ता शिक्षा से संबंधित सभी गतिविधियों की समीक्षा हेतु विद्यालय के अध्यापकों / जनप्रतिनिधियों / एसएमसी के सदस्यों के साथ मासिक बैठक तथा विद्यालय की प्रबन्धन समिति की साधारण सभा की प्रत्येक तीन माह में एक बार बैठक किया जाना भी संस्था प्रधान / प्राथमिक विद्यालय के वरिष्ठतम शिक्षक का दायित्व होगा । स्कूल प्रबन्धन समिति के सदस्यों से व्यक्तिशः समन्वय कर बैठक में बुलाया जावे ।

1.8 प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत विधार्थियों को देय सरकारी सुविधाओं / योजनाओं का बोर्ड / चार्ट तैयार कर उसे विद्यालय भवन में उचित स्थान पर दर्शाया जाये जिससे कि योजनाओं का लाभ एवं जानकारी आमजन को हो सके ।

1.9 संस्था प्रधान का यह भी दायित्व होगा कि विद्यालय परिसर एवं भवन को साफ सुथरा एवं स्वच्छ रखें। प्रतिवर्ष विद्यालय भवन की रंगाई-पुताई कर प्रेरणादायी सूक्तियाँ व स्लोगन लिखावें तथा शौचालय व मूत्रालय की नियमित रूप से साफ-सफाई करावें। शौचालयों की कार्यशीलता रखने में देय सरकारी राशि के कम पड़ने की स्थिति में भामाशाहो का सहयोग लेकर उन्हे कार्यशील रखना सुनिश्चित किया जावे |