राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद्
क्रमांक रास्कृशिप /जय / वैशि/पुस्त- निर्देश /2021-22/746 दिनांक : 15.6.2021

लाईब्रेरी की पुस्तकों के सवंर्धन, उपयोग व रख-रखाव के संबंध में दिशा-निर्देश 2021-22

विद्यालयों में बच्चों के लिये की जाने वाली रचनात्मक गतिविधियों के क्रम में शिक्षण कार्य के अतिरिक्त लाईब्रेरी पुस्तकों से भी लाभान्वित किया जाना है। समग्र शिक्षान्तर्गत समस्त राजकीय विद्यालयों को लाईब्रेरी पुस्तकें उपलब्ध कराने का प्रावधान रखा गया है क्योंकि पढ़ने से विद्यार्थियों को पाठ को समझने और व्याख्या करने जैसे मूलभूत कौशल विकसित करने में मदद मिलती है। यह भाषा और लेखन कौशल मय दक्षता विकसित करने की दिशा में एक कदम है। पुस्तकें पढ़ने से छात्रों में रचनात्मकता, चिन्तन एवं तर्क शक्ति सकारात्मक सोच, लेखन कला, शब्दावली सवंर्धन साथ स्वयं मौखिक एवं लिखित रूप व्यक्त करने की क्षमता विकसित होती है। इस हेतु आवश्यक है कि सभी विद्यालयों में लाईब्रेरी कक्ष अथवा रीडिंग कॉर्नर की स्थापना की जाये।

लाईब्रेरी के प्रभावी संचालन एवं इसको जीवन्त बनाये रखने हेतु आवश्यक है की पुस्तकों का रख-रखाव एवं लाईब्रेरी कक्ष को अधिक सुविधाजनक एवं उपयोगी बनाने हेतु निम्नानुसार कार्यवाही की जानी है –

● पुस्तकालय बच्चों के अनुकूल आकर्षक रंगीन एवं जीवन्त होना चाहिये, जिसमें पढ़ने के क्षेत्र प्रदर्शित आलमारियां, पिन-अप बोर्ड, स्टॉक रूम, बच्चों के अनुकूल घटक, जैसे पठन और गतिविधि कॉर्नर, कविता कॉर्नर, डिसप्ले बोर्ड, लोक कहानियां इत्यादि को पुस्तकालय के लिए किताबें और अन्य पढ़ने योग्य सामग्री आदि होनी चाहिये।
● पुस्तकालय में पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पहुंच सुनिश्चित हो। किताबें बच्चों की पहुंच के भीतर अलमारी में बुलबुल, कोयल, मैना श्रृंखला में व्यवस्थित रूप से प्रदर्शित होनी चाहिये।
● बुक शेल्फ / डिसप्ले बोर्ड / डिसप्ले स्टेण्ड उपलब्ध होना ।
● उपयोग लिया जाने वाला फर्नीचर यथा मेज, कुर्सी, चटाई, टेबल, व्यक्तिगत सामान रखने का कॉउन्टर आदि होने चाहिये।
● पुस्तकालय को अधिगम केन्द्र के रूप में विकसित किया जाये।
●बच्चों में पुस्तकों के प्रति रूचि एवं पठन संस्कृति विकसित करने हेतु विद्यालय के पूर्व छात्रों, अभिभावकों, सेवानिवृत्त कार्मिकों, कॉलेज के छात्रों आदि की सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित की जाये।
●विभागीय निर्देशानुसार विद्यालयों में प्रति सप्ताह प्रति कक्षा निर्धारित पुस्तकालय कालांश में विद्यार्थियों को उनकी रूचि के अनुसार पढ़ने के लिये पुस्तकें दी जाये।

●पुस्तकों की विषय सामग्री पर प्रार्थना सभा एवं शनिवारीय ‘नो बैग डे’ / बाल सभा / यूथ एवं ईको क्लब में विद्यार्थियों को बोलने के पर्याप्त अवसर दिये जाये। इस सम्बन्ध में वाद-विवाद प्रतियोगिता, नाटक मंचन, कविता पाठ प्रश्नोत्तरी कहानी सुनाना, चित्रकला आदि गतिविधियां आयोजित की जाये।
● पुस्तकों को बच्चों की आयु अनुरूप पठन के लिये वर्गीकृत किया जाये, जिसमें कक्षा 1 से 5 की पुस्तकों को ‘बुलबुल’ श्रृंखला, कक्षा 6 से 8 को ‘कोयल श्रृंखला, कक्षा 9 से 12 की पुस्तकों को ‘मैना’ श्रृंखला में रखा जाये।

1. पुस्तकालय प्रबन्ध समिति एवं छात्र पुस्तकालय परिषद –

पुस्तकालयों के प्रभावी प्रबन्धन के लिये विद्यालय में पुस्तकालय प्रबन्ध समिति एवं छात्र पुस्तकालय परिषद (SLC) का गठन किया जाये।
● विद्यालय स्तर पर पुस्तकालय प्रबन्ध समिति के सुचारू रूप से संचालन हेतु निम्नानुसार समिति का गठन किया जाये-
√ संस्था प्रधान ।
√ अध्यापक।
√ लाईबेरी कैप्टन बनाने हेतु विभिन्न कक्षाओं के तीन पांच छात्र ।
√प्रभारी पुस्तकालयाध्यक्ष / शिक्षक।
√ एसएमसी / एसडीएमसी से एक सदस्य ।
● पुस्तकालय संचालन में सहायता के लिये छात्र पुस्तकालय परिषद (SLC) का गठन किया जाये। एस. एल. सी. में सदन आधारित यूथ एवं ईको क्लब के प्रत्येक सदन में से कक्षा 1 से 8 व कक्षा 9 से 12 के लिये पृथक-पृथक रूप से दो-दो विद्यार्थियों को शामिल कर गठन किया जाये।
●एस. एल. सी. के गठन में बालक-बालिका की समान भागीदारी सुनिश्चित
● छात्र पुस्तकालय परिषद की बैठक प्रतिमाह आयोजित की जाये।
● एस.एल.एसी. सदस्यों को पढ़ने-लिखने में सक्षम होना आवश्यक है ताकि वो पुस्तकों को चैक-इन, चैक-आउट में मदद कर सकें।

2. पुस्तकालय प्रभारी शिक्षक की नियुक्ति एवं पुस्तकालय संचालन:

1- पुस्तकालय के नियमित व प्रभावी संचालन के लिए संस्था प्रधान द्वारा लाईब्रेरीयन नहीं होने की स्थिति में शिक्षकों में से प्रभारी शिक्षक की नियुक्ति की जायेगी।
2- प्रभारी शिक्षक को पुस्तकालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जाये।
3- निदेशालय प्रारम्भिक शिक्षा, बीकानेर, द्वारा पुस्तकालय हेतु निर्धारित कालांश में विद्यार्थियों द्वारा पुस्तकालय का उपयोग किया जायेगा।
4- विद्यालय में शिक्षक व्यवस्था सम्बन्धी कालांशों में भी विद्यार्थियों को रूचिकर पुस्तकें उपलब्ध करवायी जाये।
5- सम्बन्धित शिक्षक द्वारा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से पुस्तकों से सम्बन्ध जोड़ने का प्रयास किया जाये।
6- सीएलसी का गठन कर विद्यालयों में छात्रों का पुस्तकालय संचालन में सहयोग लिया जाये।
7- पुस्तकें बच्चों के उपयोग से कट-फट सकती हैं, अतः पुस्तकों की सुरक्षा के नाम पर विद्यार्थियों को पुस्तकों के उपयोग से वंचित नहीं किया जाये।
8- बुकशेल्फ एवं पुस्तकों को पुस्तकालय भण्डार पंजिका एवं पुस्तक परिग्रहण पंजिका (Accession Register) में संधारित किया जाये।
9- लाईब्रेरी कक्ष में पुस्तकों / पत्र-पत्रिकाओं का स्टॉक रजिस्टर एवं इश्यू रजिस्टर होना।
10- पुस्तकों के लेन-देन का विवरण पुस्तक निर्गम पंजिका (Issue Register) में संधारित किया जाये।

3. रीडिंग कॉर्नर की स्थापना –

1- रीडिंग कॉर्नर एक पुस्तकालय से अलग कक्षा का ही एक हिस्सा है, जहां किताबें बच्चों को आसानी से उपलब्ध हो रीडिंग कॉर्नर बच्चों को स्वतंत्र रूप से पढ़ने के साथ-साथ समूह में पढ़ने की गतिविधियों में संलग्न होने के अवसर प्रदान करते हैं। वे आकर्षक ढंग से प्रदर्शित पुस्तकों की एक श्रृंखला से पुस्तकों की पसंद के साथ-साथ कक्षा में बच्चों को गतिशीलता की स्वतंत्रता की अनुमति देते हैं।
2- रीडिंग कॉर्नर को विकसित करने में निम्नलिखित बातों का ध्यान में रखा जाना है –
● कक्षा में रीडिंग कॉर्नर बनाने के लिए पुस्तकों को रखने और प्रदर्शित करने के लिए जगह को चिन्हित करना।
● कक्षा में उपयुक्त प्रकाश व्यवस्था के साथ पढ़ने और लिखने के लिए अनुकूल स्थान का चयन करना ।
● पुस्तकों को विभिन्न तरीकों से प्रदर्शित करना ।
● यदि किसी शेल्फ का उपयोग किया जाता है तो शिक्षक को यह सुनिश्चित करें कि वह बच्चों की पहुंच में हो।
● गतिविधियों और सीखने के कार्यों में भागीदारी होनी चाहिए। कक्षा के मॉनीटर को रीडिंग कॉर्नर में पुस्तकों को बनाए रखने की जिम्मेदारी दी जाये।
● यथा संभव पुस्तकों के रोटेशन की व्यवस्था की जाये, जिससे विद्यार्थी अधिक रूचिकर पुस्तकों से लाभान्वित हो सकें।

3. पुस्तक भण्डार पंजिका का संधारणः

1- पुस्तकों की प्राप्ति भण्डार पंजिका में संधारित की जाये। इसके अतिरिक्त एक वितरण पंजिका बनायी जायेगी, जिसमें तिथिवार पुस्तकों का विद्यार्थियों को हस्तान्तरण एवं विद्यार्थीवार खातों में पुस्तकों का हस्तान्तरण अंकित किया जायेगा।
2- पुस्तकालय प्रभारी प्रत्येक विद्यार्थी को माह में दो बार पुस्तक जारी करना सुनिश्चित करें एवं इसका रिकॉर्ड संधारित करें।
3- पुस्तकों का केटेलॉग विषयवार बनाया जाये एवं इसकी जानकारी विद्यार्थियों को दी जाये, जिससे अपनी पसन्द के विषय की पुस्तक प्राप्त कर सकें।

4. मॉनिटरिंग:

1- यू – डाइस पर सूचना अपलोड करने हेतु विद्यालय पुस्तकालयों की पुस्तकों का सम्पूर्ण रिकॉर्ड नियमित रूप से संधारित करना सुनिश्चित करें।
2- संकुल केन्द्र प्रभारी (सीआरसी) मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, अति० जिला परियोजना समन्वयक, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी डाइट प्राचार्य के साथ-साथ ब्लॉक व जिला स्तरीय समस्त शिक्षा अधिकारी मॉनीटरिंग करना सुनिश्चित करेंगे।
3- विद्यालय अवलोकन के समय पुस्तकालय की भौतिक एवं संचालन स्थिति की समीक्षा की जाये।
4- कोविंड 19 की वैश्विक महामारी को ध्यान में रखते हुये शिक्षा की वैकल्पिक व्यवस्थाओं “आओ घर से सीखें”, SMILE-2 आदि के साथ-साथ पुस्तकालयों की पुस्तकों को विद्यार्थी को चैक-इन चैक-आउट करते हुये रिकार्ड को संधारित किया जाये।

आयुक्त एवं राज्य परियोजना निदेशक