(3) उत्तीर्णता नियम –

>>विद्यार्थियों को उनकी तीन सामयिक परखों अर्द्ध वार्षिक एवं वार्षिक परीक्षाओं के प्राप्ताकों के योग को मिलाकर नियमानुसार उत्तीर्ण किया जायेगा। कक्षा 9 एवं 11 में वही विद्यार्थी कक्षोन्नति/ उत्तीर्ण का अधिकारी माना जायेगा, जिसने प्रत्येक विषय में पूर्णांक के न्यूनतम 36 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हों, परन्तु वार्षिक परीक्षा में विद्यार्थी को प्रत्येक विषय में न्यूनतम 20 प्रतिशत अंक प्राप्त करने अनिवार्य होंगे।

>>जिन विषयां में सैद्धान्तिक व प्रायोगिक परीक्षाएं होती है उनमें अलग-अलग उत्तीर्ण होना आवश्यक है । प्रायोगिक परीक्षा में कोई कृपांक अंक देय नहीं है ।

>>तीनों परखों का योग अर्द्ध वार्षिक तथा वार्षिक परीक्षा के प्राप्तांको का योग यदि भिन्न में हो तो उन्हे अगले पूर्णांक में परिवर्तित कर दिया जावे।

>>यदि कोई विद्यार्थी सत्र के बीच में किसी ऐसे विद्यालय से आकर प्रवेश लेता है जहां सामयिक परख नहीं होती है, तो ऐसे विद्यार्थी के लिए विद्यालय स्तर पर एक लिखित सामयिक परख आयोजित कर एक परख, अर्द्ध वार्षिक एवं वार्षिक परीक्षा के आधार पर परिणाम घोषित किया जायेगा।

>>राज्य सरकार द्वारा नवक्रमोन्नत विद्यालयों एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान द्वारा आयोजित माध्यमिक परीक्षा की मूल परीक्षा/पूरक परीक्षा का परिणाम विलंब से घोषित होने के कारण विद्यार्थी को नियमानुसार प्रवेश लेने से पूर्व जो परख व परीक्षा हो चुकी हो उन विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम शेष रही परीक्षाओं के पूर्णांको के योग के आधार पर घोषित किया जायेगा। राजस्थान स्टेट आपन स्कूल, जयपुर अथवा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान, भारत सरकार से कक्षा 10 उत्तीर्ण कर विलम्ब से प्रवेश लेने वाले अर्द्ध वार्षिक परीक्षा से पूर्व का परीक्षा परिणाम अर्द्ध वार्षिक परीक्षा, तृतीय परख एवं वार्षिक परीक्षा के आधार पर घोषित होगा।

4 रूग्णता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना-

>>यदि कोई विद्यार्थी (कक्षा 9 से 11) अपनी रूग्णावस्था के कारण किसी सामयिक परख अथवा अर्द्ध वार्षि क परीक्षा में सम्मिलित होने की स्थिति में नहीं रहा है तो इसे उक्त परीक्षा प्रारम्भ होने की तिथि से 1 सप्ताह की समयावधि मे रूग्णता प्रमाण पत्र प्र स्तुत करना होगा।

>>अंतिम परीक्षा परिणाम उन्हीं विद्यार्थियों का घोषित होगा जिन्होंने कम से कम दो सामयिक परखें तथा वार्षिक परीक्षा अथवा एक सामयिक परख अर्द्ध वार्षिक तथा वार्षिक परीक्षा दी हो।

कृपांक –

>>कृपांक के लिए विद्यार्थी का आचरण एवं व्यवहार उस सत्र में उत्तम होना आवश्यक है । अधिकतम दो विषयों में कृपांक दिये जा सकते है ।

>>कक्षा 9 से 11 में यदि विद्यार्थी एक ही विषय में असफल है तो उस विषय के पूर्णांक के अधिकतम 5 प्रतिशत कृपांक दिये जा सकते हैं और यदि विद्यार्थी दो विषयों में असफल रहता है तो प्रत्येक सम्बंधित विषय में उसके पूर्णाेक के अधिकतम दो प्रतिशत कृपांक दिये जा सकते है ।

>> रूग्णतावस्था की छूट का लाभ प्राप्त करने वाले विषय में कृपांक देय नहीं होंगे व उस विषय में उत्तीर्ण होने पर ही विद्यार्थी अन्य विषयों के कृपांक प्राप्त करने का अधिकारी होगा।