सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम (GF&AR) अध्याय-6
भुगतान
(नियम 74 से 124 तक)

सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम (GF&AR) नियम 74ः- दावों का प्रस्तुत किया जानाः-
(क) भुगतान के दावेंः- सरकार के विरूद्ध दावे, सरकारी कर्मचारियों के व्यक्तिगत दावें, आकस्मिक दावें, विविध व्यय पुनर्भुगतान, अनुदान के दावे, स्टोर के दावे, निर्माण के दावे, औजार एवं उपकरण तथा ऋणों एवं अग्रिमों के भुगतान के संबंध में दावंे हो सकते है।
(ख) कोषागार में बिलों को पास करनाः- आहरण एवं वितरण अधिकारी से बिल प्राप्त होने के पश्चात् कोषागार कम्प्यूटर प्रणाली के आधार पर बिल को टोकन नम्बर प्रदान करता है। उसके बाद लेखाकार द्वारा बिल को नियम 60 (2) के अनुसार जांच करने के बाद भुगतान करने के लिए पे्रषित किया जाता है।
चैक जारी करनाः- बिल पास करने के पश्चात् कोषागार चैक जारी करता है तथा वह चैक डीडीओ को भेज देता है। कोषागार द्वारा जारी चैक दिनांक 06.04.15 के अनुसार 03 माह तक वैध होगा।

नियम 75ः- बिल की परिभाषाः- बिल सरकार के विरूद्ध दावों का एक विवरण है, जिसे निर्धारित प्रारूप के रूप में भरा जाता है। डीडीओ प्रत्येक माह की 20 तारीख तक कोषागार को बिल जमा कराएगा।

नियम 76ः- बिलो पर हस्ताक्षर एवं प्रतिहस्ताक्षरः- बिल पर डीडीओ के हस्ताक्षर आवश्यक है तथा
यदि जहां आवश्यक हो, वहां प्रतिहस्ताक्षर भी आवश्यक है।
किसी स्टाम्प या मुहर से किए गए हस्ताक्षर स्वीकृत नहीं होते है।

नियम 77ः- नमूने के हस्ताक्षरः- कार्यालयाध्यक्ष या डीडीओ जो बिलो पर हस्ताक्षर करता है, वह कोषागार को निर्धारित प्रारूप में अपने उच्च अधिकारी से प्रमाणित कराकर अपने हस्ताक्षर का नमूना कोषागार में देता है। प्रमाणित वह व्यक्ति ही करेगा, जिसके हस्ताक्षर पहले से कोषागार मे हो।

नियम 78ः- नया कार्यालय सृजित करने की आवश्यकता की पूर्तिः- इसके अनुसार विभागाध्यक्ष
यह सुनिश्चित करेगा कि निम्नांकित आवश्यक दस्तावेज जो एक नये कार्यालय से सम्बन्धित है, कोषागार एवं बैंक को भिजवाएगाः- (1) सरकार की स्वीकृति की एक प्रति। (2) नियम 03 के अधीन कार्यालयाध्यक्ष के सम्बन्धित आदेश की प्रति (3) नमूने के हस्ताक्षर।

नियम 79ः- बिल तैयार करना एवं उसका प्रारूपः- बिल में निम्न सूचनायें होनी चाहिएः-

  1. दावों का स्वरूप 2. राशि अंको व शब्दों में आदि।
  2. अवधि 4. स्वीकृति का आदेश।
  3. बिल में की गई कटौती 6. पूर्णलेखा वर्गीकरण एवं शीर्षक
  4. विभाग का नाम
    नियम 80ः- संदेशवाहक के मार्फत भुगतानः-
  5. जिसके माध्यम से भुगतान मंगवाया जा रहा है, उसे एक अधिकार पत्र देना चाहिए।
  6. भुगतान करते समय प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर करवाया जाए।
  7. डीडीओ यह सुनिश्चित करेगा कि बिल पर स्पष्ट रूप से यह अंकित करेगा कि भुगतान संदेशवाहक को किया जाए।
  8. यदि कोषागार अधूरी सूचना पाती है तो भुगतान नहीं किया जाएगा।
  9. भुगतान चैक व डीडी से मांगा गया हो तो यह भी सूचना रसीद पर लिखी जाएगी।
  10. नकद हाथ में न देने के लिए डाकघर का उपयोग भी किया जा सकता है।

नियम 81ः- पहचान पत्र पर भुगतानः- बैंक नियम से संलग्न प्रपत्र में ही परिचय पत्र प्रस्तुत करने पर भुगतान करेगा। यह पहचान पत्र कोषाधिकारी द्वारा जारी एवं हस्ताक्षरित होगा तथा कर्मचारी के हस्ताक्षर भी होगें।

नियम 82ः- सरकारी लेनदेन को पूर्ण रूपयें में परिवर्तित करनाः- 50 पैसे से अधिक होने पर एक
रूपयें मे बदला जाएगा तथा 50 पैसे से कम होने पर हटा दिया जायेगा।

नियम 83ः- बिल पंजिकाः- सभी बिलों को कोषागार में भेजने से पूर्व बिल पंजिका (जीए-59) में दर्ज करने के पश्चात् भेजा जायेगा।

नियम 84ः- दावों को प्रस्तुत करनाः- कोषागार में बिल जीए-24 प्रविष्टि के बाद भेजा जाएगा तथा बैंक से भुगतान जीए-25 में प्रविष्टि के बाद किया जावेगा।

नियम 85ः- रसीदों के लिए टिकटः- 05 हजार से अधिक रूपयें की समस्त रसीदों पर टिकट
अवश्य लगाना चाहिए। यदि ट्रांजेक्शन सरकार की तरफ से हो तो एक रू. का रेवन्यू टिकट लगेगा।

नियम 86ः- उपकोषागार में भुगतानः- जब तक अन्यथा प्रावधान न हो तो पहले बिल का भुगतान कोषागार ही करेगा, उसके बाद उपकोषागार करेगा।

नियम 87ः- बिल की प्रतियां या डुप्लीकेटः- बिल की डुप्लीकेट प्रति देना निषेध है, लेकिन यदि आवश्यकता हो तो प्रमाण पत्र लेने के बाद ही दी जा सकती है।

नियम 88ः- बिल का खोना और डुप्लीकेट बिल प्रस्तुत करनाः- यदि कोई बिल भुगतान से पहले खो गया है तो डीडीओ भुगतान नहीं किये जाने का प्रमाण पत्र प्राप्त करेगा तथा उसके बाद कोषागार को भेजेगा।

नियम 89ः- वाउचर के बदले प्रमाण पत्र या प्राप्तकत्र्ता की रसीदः- यदि बिल खो जाए तो
भुगतान की पुष्टि के लिए भुगतान प्राप्तकर्ता से भुगतान प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है।

नियम 90ः- समय बीतने के बाद क्लेमः- पेंशन, सरकारी प्रतिभूतियों पर ब्याज या किसी अन्य वर्ग के भुगतान सरकार के विशेष नियमों द्वारा शासित होते है। इनके अलावा समस्त दावे देय होने की तारीख के दो वर्ष के भीतर प्रस्तुत किये जा सकते है, जैसे वेतन व भते आदि।
2000 रू. से कम के दावे 03 वर्ष तक प्रस्तुत किये जा सकते है।
100 रू. तक के दावे 03 वर्ष से अधिक पुराने होने पर अस्वीकार किये जा सकते है।

नियम 91ः- पूर्व जांचः- वे सभी बिल जिनका समय बीत चुका है, कार्यालयाध्यक्ष या विभागाध्यक्ष द्वारा जांच करने के पश्चात् ही भुगतान किया जाएगा।

नियम 92ः- पूर्व जांच के सम्बन्ध में निम्न दस्तावेज लगाये जाएगेः-

  1. नोन पेमेन्ट सर्टिफिकेट (न भुगतान प्रमाण पत्र कार्यालयाध्यक्ष द्वारा)
  2. कर्मचारी द्वारा नोन पेमेन्ट र्सिर्टफिकेट।
  3. 10 रू. के नोन ज्यूडिसियल स्टाॅम्प पर प्रमाण पत्र।

नियम 93ः- पूर्व जांच के लिए समय सीमा की गणनाः- स्वीकृति की तारीख से 02 वर्ष तक। यदि कोई बिल कोषागार द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया हो या उस पर आपत्ति लगा दी गई हो तो वह बिल (ज्पउम ठंततमक) नहीं होगा।

नियम 94ः- परिसीमन के दावेः- (लिमिटेशन एक्ट 1963) परिसीमा अधिनियम 1963 के अनुसार यदि कोई दावा हो तो अधिकारी की अनुमति के बिना भुगतान नहीं होगा।

नियम 95ः- चैक लिखने के लिए अधिकारीः- केवल वही होगा, जिसे सरकार या महालेखाकार ने आदेशित किया हो।

नियम 96ः- कोषागार द्वारा चैकबुक उपलब्ध करवानाः- चैक डीडीओ को दी जावेगी।

नियम 97ः- प्रत्येक बैंक या कोषागार के लिए पृथक चैकबुक होगी।

नियम 98ः- चैक के बारे में डीडीओ समय-समय पर कोषागार को या बैंक को सूचित करेगा।

नियम 99ः- चैक बुक की जांचः- प्रत्येक डीडीओ चैकबुक प्राप्त होने पर उसकी जांच करेगा तथा चैक बुक के पृष्ठ गिनकर उसके ऊपरी पृष्ठ पर संख्या अंकित करेगा।

नियम 100ः- चैक बुक की रक्षाः- डीडीओ द्वारा ताले में चैकबुक रखी जावेगी तथा जो भी कार्यभार सम्भालेगा, उसे गिनकर रसीद लेकर चैकबुक देगा।

नियम 101ः- चैकों को लिखने में सावधानीः- चैक के दाएं कोने में दो लाईनों के बीच जितनी राशि के लिए चैक काटा जाता है उससे कुछ ज्यादा राशि लिखी जाएगी। जैसे यदि 1 हजार रूपयें का चैक काटना है तो एक हजार एक रूपयें से कम लिखा जाएगा।

नियम 102ः- भुगतान के लिए रेखांकित चैक का उपयोग करना चाहिए।

नियम 103ः- चैकों की सूचनाः- 1000 रूपयें से अधिक चैकों के लिए कोषागार या बैंकों को पहले से ही सूचना देनी चाहिए।

नियम 104ः- 100 रू. से कम की राशि के लिए चैक नहीं काटा जाएगा।

नियम 105ः- आयकर व बिक्रीकर की कटौती करने के पश्चात् ठेकेदारों के बिलों का भुगतान किया जाएगा।

नियम 106ः- चैक की वैधता अवधिः- चैकों का भुगतान 03 माह की अवधि तक किया जा सकता है। (दिनांक 06.04.2015 से) (01 वर्ष तक पुनः वैलिड करवाया जा सकता है)

नियम 107ः- विलोपित

नियम 108ः-चैक को रद्द करनाः- यदि कोई चैक रद्द किया जाता है तो उसकी सूचना बैंक या कोषागार को अवश्य करनी चाहिए तथा लेखों में अवश्य अंकित करनी चाहिए।

नियम 109ः- अनुपयोगी चैकों को लौटानाः- उपयोग में न लिये गये चैकों को कोषागार को वापिस लौटा देना चाहिए तथा इस पर हस्ताक्षर नहीं होना चाहिए तथा इन पर ‘‘निरस्त’’ शब्द लिख दिया जाना चाहिए।

नियम 110ः- चैकों का खो जानाः- यदि कोई चैक खो जाता है तो कोषागार या बैंक को तुरन्त सूचना देनी चाहिए।

नियम 111ः- चैक द्वारा भुगतान किया हुआ समझा जानाः- जिस दिन किसी भुगतान के सम्बन्ध में चैक काटा जाता है, उसी दिन वो भुगतान मान लिया जाता है।

नियम 112ः- बाद की तारीख के चैकः- वे चैक जो भविष्य की तारीख के लिए काटे जाते है, उसका लेखा उसी तारीख के लिए किया जाएगा, जिस दिन भुगतान के लिए काटा गया।

नियम 113ः-चैकों बिलों आदि पर पृष्ठांकनः- चैको का पृष्ठांकन 03 बार संग्रह से पहले होता है।

नियम 114ः- साख पत्रः- साख पत्र का भुगतान डीडीओ के एकाउंट से होता है।

नियम 115ः- साख पत्र का लैप्स होनाः- वित्तीय वर्ष के अन्तर्गत स्वीकृत होता है, उसके बाद लैप्स हो जाता है।

नियम 116ः- प्राईवेट पक्षकारों को सहायता अनुदान देनाः- राजस्थान के बाहर किसी भी तरह के अनुदान का भुगतान डीडीओ द्वारा किया जायेगा।

नियम 117ः- भुगतान के लिए वाउचरः- जब कोई बिल या चैक जिस पर ‘‘ भुगतान किया एवं निरस्त किया’’ की मोहर लगने के बाद वह वाउचर बन जाती है।

नियम 118ः- भुगतान आदेशः- प्रत्येक वाउचर पर एक भुगतान आदेश लाल स्याही से लिखा जाएगा, जिसमें राशि को अंको व शब्दों में लिखकर डीडीओ के हस्ताक्षर किए जाएगें।

नियम 119ः- भुगतान किये गये वाउचरः- इन पर च्ंपक और ब्ंदबमससमक की स्टाॅम्प लगाकर रखा जाता है।

नियम 120ः- वाउचरों को सुरक्षित रखनाः- जिन वाउचरों को महालेखाकार को नहीं भेजना हो, उसे आॅडिट होने के बाद सुरक्षित रखा जाएगा।

नियम 121ः- महालेखाकार को वाउचर प्रस्तुत करनाः- 1000 रूपयें से अधिक के वाउचर महालेखाकार को प्रस्तुत किये जाएगे।

नियम 122ः- उपवाउचरों को रद्द करनाः– बिलों के सभी उपवाउचरों को इस प्रकार रद्द करना चाहिए कि उसका उपयोग दुबारा न हो सके।

नियम 123ः- उपवाउचरों को रद्द या निरस्त करनाः- बिलों के सभी उपवाउचरों को लाल स्याही से इस प्रकार रद्द करना चाहिए कि वापिस उनका उपयोग न हो सके ( 03 वर्ष तक नष्ट नहीं किये जावें।)

नियम 124ः- अधिक भुगतान की वसूलीः- ऐसे विशेष आदेशों, जिनके द्वारा सरकार अधिभुगतान को वसूल करती है, इसकी जिम्मेदारी प्रथम बिल लिखने वाले की होगी।