सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम (GF&AR) सामान्य परिचय

नियम 1- अनु. 150 के तहत संचालित है।
>>राजस्थान में सामान्य एवं वित्तीय एवं लेखा नियम 25.10.1993 से लागु हुआ।
>>ये राज्यपाल के कार्यकारी आदेश होते है तथा इन नियमों में संशोधन राज्यपाल की अनुमति के आधार पर तथा ए.जी. की अभिशंसा पर ही किया जा सकता है।
>>ये नियम कोषागार नियमों के पूरक होते है।
>>भारतीय संविधान के अनुच्छेद 283(2) के तहत कोषागार नियमों का संचालन किया जाता है।

सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम (GF&AR) नियम 2- परिभाषाऐंः-

नियम 2 (1) –

>>A.G. (महालेखाकार)- राज्य के लेखों को नियंत्रित करने वाला सर्वोच्च अधिकारी होता है।
>>ए.जी. की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
>>राज्य के बजट निर्धारण में सदैव ए.जी. की सहायता ली जाती है।
>>ए.जी. को यह अधिकार है कि वह राज्य में किसी भी विभाग में किसी भी संस्था के लेखों की जांच कर सकता है।

नियम 2 (2) – विनियोग (बजट की प्राथमिक ईकाई)

नियम 2 (3) – बैंक- आरबीआई के एक्ट 1934 में आने वाले समस्त बैंक सरकारी लेन देनों को करने के लिए अधिकृत है।

नियम 2 (4) – सक्षम अधिकारी- GF&AR के भाग तीन में नियम 26 के तहत वित्तीय शक्तियों का उपयोग करने वाले अधिकारी।

नियम 2 (5) – CAG (नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक)- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत आने वाले लेखों का शीर्ष अधिकारी।

नियम 2 (6) – सचित निधि- अनु. 266(1) के तहत निर्धारित निधि।

नियम 2 (7) – संविधान- संसद द्वारा 26.11.1949 को अंगीकृत किया गया कानून।

नियम 2 (8) – आकस्मिक निधि- अनु. 267(2) के तहत निर्धारित निधि। राज्यपाल राज्य की आकस्मिक निधि में अनु. 205, 206 के तहत जमा करवाता है।

नियम 2 (9) – नियंत्रण अधिकारी- जो किसी विभाग में राजस्व एवं प्राप्तियों के लिए जिम्मेदार है।

नियम 2 (10) – विस्तृत शीर्ष (जीए) इनसे आशय उन लेखों से है जिसके तहत विभाग के बजट निर्धारण का कार्य किया जाता है।

नियम 2 (11) – डीडीओ (आहरण एवं वितरण अधिकारी) विभाग के राजस्व से सम्बन्धित समस्त कार्यों को करने वाला तथा विभाग में सरकारी बिलों पर हस्ताक्षर व प्रतिहस्ताक्षर करने वाला।

नियम 2 (12) – वित्त विभाग- वह विभाग जो वित्तीय लेन देनों को राज्यपाल की अनुमति के आधार पर निर्धारित करता है।

नियम 2 (13) – वित्तीय वर्ष- 1 अप्रेल से 31 मार्च तक।

नियम 2 (14) – राजपत्रित अधिकारी- वर्गीकरण नियंत्रण अपील नियम 1958 की धारा (1) में आने वाले अधिकारी।

नियम 2 (15) – सरकार- सरकार से आशय ऐसे संगठन से है, जिसे राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा केन्द्र या राज्य में शासन चलाने के लिए अधिकृत किया गया हो।

नियम 2 (16) -राज्यपाल-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 152 के तहत राज्य के लिए नियुक्त
व्यक्ति।

नियम 2 (17) – विभागाध्यक्ष- GF&AR के परिशिष्ट (8) के तहत आने वाले समस्त अधिकारी।

नियम 2 (18) – कार्यालयाध्यक्ष- नियम (3) के तहत विभागाध्यक्ष द्वारा नियुक्त अधिकारी। कार्यालयाध्यक्ष के कर्तव्य परिशिष्ट (1) में दिये गये है।

नियम 2 (19) – स्थानीय निकाय- वे संस्थायें जिनका गठन संसद विधानमण्डल में किसी अधिनियम को पारित कर किया जाता है।

नियम 2 (20) – स्थानीय निधि- भारतीय संविधान के अनु. 268(2) के तहत निर्धारित निधि।

नियम 2 (21) – विविध व्यय- ऐसे व्यय जो सरकार द्वारा नियमित अंतराल पर कर्मचारी के लिए खर्च किये जाते है। जैसे- कर्मचारी के लिए लाभांश की घोषणा, भत्तों में बढोतरी आदि।

नियम 2 (22) – अनावत्र्तक व्यय- ऐसे व्यय जो आवर्तक की श्रेणी के अतिरिक्त है।

नियम 2 (23) – लोक लेखा- भारतीय संविधान के अनु. 266(2) के तहत निर्धारित होने वाले लेखे।

नियम 2 (24) – लोक निर्माण कार्य- ऐसे कार्य जो सरकार द्वारा नियमित अंतराल पर आम जनता की सुविधा के लिए करवाये जाते है। जैसे- सामुदायिक भवन, सड़क निर्माण आदि।

नियम 2 (25) – पुनर्विनियोग- विनियोग की ईकाई में से किसी अन्य मद को धन का आवंटन।

नियम 2 (26) – आवर्तक व्यय- सरकार द्वारा ऐसे व्यय जो नियमित अंतराल पर खर्च किये जाते है। जैसे- अनुदान, वेतन, लोक निर्माण कार्य की राशि आदि।

नियम 2 (27) -प्रादेशिक अधिकारी-कार्यालयाध्यक्ष से ऊपर परन्तु विभागाध्यक्ष से नीचे का अधिकारी।

नियम 2 (28) – अधीनस्थ अधिकारी- वे समस्त अधिकारी जो सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम में वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर सकते है।

नियम 2 (29) – कोषागार- जिला स्तर पर वित्तीय लेन देनों को सरकारी मानकों के तहत निर्धारित करने वाली सर्वोच्च संस्था। वर्तमान में राजस्थान राज्य में 41 कोषागार है।
01 नई दिल्ली, 02 जोधपुर, 02 अजमेर, 06 जयपुर व इसके अतिरिक्त प्रत्येक जिले में 01 कोषागार है। वर्तमान में राजस्थान में 225 उप कोषागार है।

नियम 2 (29 ए) – ई-कोषागार- 01.10.2012 को जयपुर में राजस्थान का पहला ई-कोषागार स्थापित किया गया है। (दिनांक 11.09.2013 से संचालित )

नियम 2 (30) – कोषागार नियम- जिला कलेक्टर को जिले में कोषागार संचालन के लिये नियम बनाने का अधिकार देय है। कोषागार नियमों का संचालन 283 (2) के तहत कर सकता है।

नियम 2 (31) – ई-भुगतान- ऐसा भुगतान जिसको करने से भुगतान कत्र्ता के खाते में से तुरन्त प्रभाव से कटौती कर ली जाती है। (दिनांक 29.11.2007 से प्रभावी)

नियम 2 (32) – इलेक्ट्रानिक भुगतान- दिनांक 11.09.2013 द्वारा कोषागारों व उपकोषागारों के माध्यम से सरकारी लेन-देनों का सरकारी कर्मचारियों या हिताधिकारियों के बैंक खाते में इलेक्ट्रानिक तरीके से सीधे ही भुगतान करते है।

नियम 2 (33) – ई-ग्रास- दिनांक 29.11.2007 से राज्य सरकार की (गैरकर व कर ) प्राप्तियां आनलाईन जमा की जायेगी।

नियम 3- विभागाध्यक्ष द्वारा किसी राजपत्रित अधिकारी को कार्यालयाध्यक्ष घोषित करना-
जिस राजपत्रित अधिकारी को कार्यालयाध्यक्ष मनोनीत किया गया है उसका यह व्यक्तिगत दायित्व होता है कि वह अपने मनोनयन की सूचना सम्बन्धित विभाग व कोषागार को दे।

नियम 3 (अ)- कार्यालयाध्यक्ष के मनोनयन की सूचना विभागाध्यक्ष तुरन्त प्रभाव से वित्त विभाग को देता है-
विभागाध्यक्ष जब भी कार्यालयाध्यक्ष का मनोनयन करता है तो उसका यह व्यक्तिगत दायित्व होता है कि वह इस बात का ध्यान रखे कि उस विभाग में पहले से ही कार्यालयाध्यक्ष नियुक्त नही हो।

नियम 3 (ब)- कार्यालयाध्यक्ष द्वारा राजपत्रित अधिकारी को डीडीओ नियुक्त करना- (दिनांक 25.10.1994)
डीडीओ कार्यालयाध्यक्ष द्वारा नियुक्त ऐसा अधिकारी होता है जो विभाग से सम्बन्धित बिलों व लेखों पर हस्ताक्षर व प्रतिहस्ताक्षर करता है।
राजपत्रित अधिकारियों के वेतन व भत्तों के बिल अनिवार्य रूप से कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षरों से आहरित किये जायेगें।

नियम 4- संदेहों का निराकरण- GF&AR नियमों में यदि कोई संदेह हो तो मामला अंतिम निर्णय के लिए वित्त विभाग को भिजवाया जायेगा।