सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम (GF&AR) अध्याय-17
सहायता-अनुदान आदि।
(नियम 279 से 293 तक)

नियम 279ः- क्षेत्र- यह नियम स्थानीय निकायों, निगमों, बोर्ड, शैक्षणिक संस्थाओं, सार्वजनिक क्लबों आदि से सम्बन्धित है।

नियम 280ः- अनुदान देने के सामान्य सिद्धान्तः-

  1. अनुदान सरकार द्वारा विधिवत् अनुमोदित स्कीमों के आधार पर दिया जाएगा।
  2. अनुदान स्वीकृति में उसका उद्देश्य, अनुदान की शर्तें उल्लेखित होगी।
  3. अनुदान यदि प्राईवेट संस्था को दिया जाए तो यह जांच अवश्य की जानी चाहिए की उसके पास अनुभव प्रबंधकीय योग्यता तथा नियंत्रण के साधन उपलब्ध होने चाहिए।
  4. किसी वित्तीय वर्ष में अनुदान की उतनी ही राशि स्वीकृत की जाएगी, जितनी उस वर्ष के सम्भावित खर्चों के रूप में हो।
  5. अनुदान देने से पूर्व बाण्ड भरवाना आवश्यक है।

नियम 281ः- विशिष्ट प्रयोजन के लिए अनुदानः- इसके लिए निम्न शर्तें हैः-

  1. अनुदान निर्धारित समय में खर्च किया जाएगा।
  2. यदि कोई खर्च विधिवत् रूप से न किया गया हो तो सरकार को वापस लौटाया जाएगा।
  3. अनुदान से प्राप्त की गई कोई भी सम्पति उद्देश्य के अलावा अन्य उपयोग में नही ली जाएगी।
  4. अनुदान लेेने वाले से अण्डरटेकिंग ली जाएगी कि वे संस्थाऐं अनुदान की शर्तों को पुरा
    करेगी।
  5. 1000 रू. से अधिक प्रत्येक सम्पति का लेखा रखा जाएगा।

नियम 282ः- उचित समय का अर्थः- अनुदान के सम्बन्ध में उचित समय एक वर्ष होगा।

नियम 283ः- भवन हेतु अनुदान स्वीकृत करने के सिद्धान्तः-

  1. भवन आवश्यक न्यूनतम क्षेत्र के लिए ही स्वीकार किया जाएगा।
  2. ऐसी समस्त शर्तें अनुदान देते समय लागू की जायेगी, जिससे कि भवन के किराए में सरकार का हिस्सा सुनिश्चित किया जा सके।

नियम 284ः- उपयोगिता प्रमाण पत्रः- अनुदान जिस उद्देश्य के लिए दिया गया हो, उसके सम्बन्ध में उपयोगिता प्रमाण पत्र देना आवश्यक होगा।

नियम 285ः- निम्न स्थिति में अनुदान प्रमाण पत्र आवश्यक नहीं हैः-

  1. पंचायत समिति/जिला परिषद् के प्रयोग हेतु अनुदान।
  2. राजस्थान संगीत नाट्य अकादमी, राजस्थान ललित कला अकादमी, राजस्थान खेलकूद परिषद् आदि संस्थाओं हेतु अनुदान।
    नियम 286ः- उपयोगिता प्रमाण पत्र उस अधिकारी को भेजा जाएगा जिसने अनुदान की स्वीकृति
    प्रदान की थी।

नियम 287ः- अनुदान का बिल जीए-118 में तैयार करेगें तथा अनुदान का एक रजिस्टर तैयार किया जाएगा और यह रजिस्टर माह में एक बार विभागाध्यक्ष को प्रस्तुत किया जाएगा। परिशिष्ट 12- अनुदान से सम्बन्धित।

नियम 288ः- अनुदान स्वीकृत अधिकारी के कर्तव्य एवं दायित्वः-

  1. यह जांच करना कि अनुदान जिस उद्देश्य के लिए दिया गया है, उसी उद्देश्य पर व्यय
    हो रहा है।
  2. अनुदान स्वीकृति आदेश जारी किया जाएगा तथा जीए-118 पर हस्ताक्षर करवाये जाएगे।
  3. अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर करने पर वह पूर्ण रूप से अनुदान की शर्तों एवं दायित्वों के सम्बन्ध में जिम्मेदार होगा।
  4. अनुदान अधिकारी के सम्बन्ध में लेखा परीक्षा सुनिश्चित करेगा।
  5. समस्त रिपोर्ट स्वीकृति अधिकारी को पहुचाएगाँ।

नियम 289ः- पंचायत समितियों/जिला परिषदों को अनुदान की प्रक्रिया के सम्बन्ध में।

नियम 290ः- सहायता अनुदान का भुगतान पी.डी. एकाउंट के माध्यम से होगा।

नियम 291ः- छात्रवृतियाँ/स्टाइफण्डः- इनका भुगतान बिल जीए-119 के आधार पर किया जाएगा।

नियम 292ः-विचाराधीन अनुदानः- वे अनुदान जो किसी विशेष अधिकारी के पास विचाराधीन हो।

नियम 293ः- अन्य अनुदानः- कोई भी अन्य अनुदान सरकार के विशेष आदेश के अन्तर्गत ही दिए जाएगें।

सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम (GF&AR) के महत्त्वपूर्ण परिशिष्ट

परिशिष्ट 1ः-कार्यालयाध्यक्ष के महत्वपूर्ण कर्तव्यों एवं दायित्वों का सारांश।
परिशिष्ट 2ः-अधीनस्थ प्राधिकारी, जो राजस्थान के राज्यपाल की ओर से संविदाओं एवं समाश्वासनों का निष्पादन कर सकेगें।
परिशिष्ट 3ः-दुर्विनियोग, कपट एवं हानियों आदि के प्रवर्तन को विनियमित करने के लिए निर्देश।
परिशिष्ट 4ः-विभागों में पदस्थापित लेखाधिकारियों की पदीय स्थिति, कर्तव्य,उत्तरदायित्व एवं शक्तियां।
परिशिष्ट 5ः-विभागों/कार्यालयों में पदस्थापित राजस्थान अधीनस्थ सेवा के अधिकारियों/कर्मचारियों के कर्तव्यों, उत्तरदायित्व एवं पदीय स्थिति।
परिशिष्ट 6ः-महालेखाकार को लेखे प्रस्तुत करने वाले कार्यालयों में लेखा अभिलेखों को नष्ट करने के सम्बन्ध में नियम।
परिशिष्ट 7ः-प्रारूपों की सूची।
परिशिष्ट 8ः-विभागाध्यक्षों की सूची।
परिशिष्ट 9ः-सहायता अनुदान हेतु बन्ध पत्र।
परिशिष्ट 10ः-ऋणों एवं अग्रिमों की मंजूरी हेतु बन्ध पत्र।
परिशिष्ट 11ः-कार्यालय जिला परिषद्/पंचायत समितियों के लिए उपयोजन प्रमाण पत्र।
परिशिष्ट 12ः-सहायता अनुदान का रजिस्टर।