राजस्थान सेवा नियम (RSR)– वैदेशिक सेवा (नियम 141 से 157)
राजस्थान सेवा नियम (RSR)–नियम 141:- वैदेशिक सेवा के लिए कर्मचारी की सहमतिः- (दिनांक 12.08.1960 से)
>> किसी भी कर्मचारी का वैदेशिक सेवा में स्थानान्तरण बिना उसकी अनुमति के नहीं किया जायेगा।
>> यदि किसी कर्मचारी का वैदेशिक सेवा में (पंचायती राज व नगर निगम) स्थानान्तरण होता है, तो उस कर्मचारी की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है । (दिनांक 02.10.1959 से)
नियम 142:- वैदेशिक सेवा में स्थानान्तरण करने की शर्त या मानकः- 1 सदैव सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए। 2. उन्हीं कर्मचारियों का जो पहले भुगतान संचित निधि से प्राप्त कर रहे हो।
नियम 143:- अवकाश काल में वैदेशिक सेवा में स्थानान्तरण के नियम:
1. कर्मचारी स्थानान्तरण होते ही अपने वेतन व भत्ते वैदेशिक नियोजक से प्राप्त करेगा।
2. यदि वैदेशिक सेवा में जिस कर्मचारी का स्थानान्तरण हुआ है, उसके मूल संवर्ग में यदि कोई साथी कर्मचारी पदोन्नति पाता है तो वैदेशिक सेवा से लौटने के बाद वह भी पदोन्नति का अधिकार रखेगा।
नियम 144:- वैदेशिक सेवा में वेतन व भत्ते प्राप्त करने की शर्त:- स्थानान्तरण पश्चात् जिस दिन कार्यग्रहण करेगा, उसी दिन से वैदेशिक नियोजक से वेतन, भत्ते प्राप्त करेगा
नियम 144 (अ):- वैदेशिक सेवा में प्रतिनियुक्ति की शर्ते:- सामान्य तौर पर वैदेशिक सेवा में किसी कर्मचारी को 04 वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकता है । (3-1 प्रशासनिक विभाग) किसी भी विभाग में वैदेशिक सेवा में अधिकतम प्रतिनियुक्ति 05 वर्ष तक होती है । (4+1 वित विभाग)
सीबीआई व रॉ के मामलों में सामान्य प्रतिनियुक्ति 05 वर्ष होती है। वित्त विभाग की आज्ञा से 02 वर्ष बढ़ा सकते है। वैदेशिक सेवा से लौटने के बाद कर्मचारी को अपने मूल विभाग में न्यूनतम 01 वर्ष की सेवा करना अनिवार्य है।
वैदेशिक सेवा में किसी कर्मचारी का स्थानान्तरण होता है तो यह उसका व्यक्तिगत दायित्व है कि वह 15 दिन के भीतर अपने सर्विस रिकॉर्ड एजी कार्यालय में सत्यापन हेतु भेजे । वैदेशिक सेवा से लौटने से 30 दिन पूर्व वैदेशिक नियोजक का यह दायित्व है कि वह कर्मचारी की अवधि पूर्ण होने की सूचना दे। वैदेशिक सेवा में स्थानान्तरण होने पर कर्मचारी को मूल+ग्रेड पे वेतन का 2.5 प्रतिशत या अधिकतम 600 रू. प्रतिमाह भत्ता देय होता है । प्रतिनियुक्ति भत्ता अधिकतम 04 वर्ष तक देय होता है।
नियम 145:- वैदेशिक सेवा में पेंशन एवं अवकाश अंशदान:- इस नियम के तहत वैदेशिक सेवा से यदि किसी कर्मचारी का स्थानान्तरण होता है तो कुछ शुल्क जमा कराकर अपने अवकाश खाते व पेंशन खाते को संधारित करेगा।
>> परिशिष्ट 13 के तहत अवकाश एवं पेंशन अंशदान खाते निर्धारित किये जाते है।
>> यदि किसी कर्मचारी का पंचायती राज में स्थानान्तरण होता है तो कर्मचारी से अवकाश एवं पेंशन अंशदान नहीं लिया जायेगा। (दिनांक 02.10.1959 से)
>> 1956 से पूर्व बी श्रेणी के राज्यों में यदि वैदेशिक सेवा में स्थानान्तरण होता था तो वैदेशिक सेवा में कर्मचारी द्वारा व्यतीत किया गया समय पेंशन योग्य सेवा में माना जाता था।
नियम 146:- वैदेशिक सेवा में पेंशन अंशदान की दर:- सदैव 10 प्रतिशत मासिक के हिसाब से देय। कटौती/बढ़ोतरी वित्त विभाग के आदेशों से।
नियम 147:- वैदेशिक सेवा में पेंशन व अवकाश अंशदान की गणनाः- वैदेशिक सेवा में कर्मचारी जितना समय व्यतीत करता है, उतने समय के लिए ही वह वैदेशिक सेवा नियोजक से पेंशन अंशदान प्राप्त करेगा।
नियम 148:- वैदेशिक सेवा में अवकाश अंशदान से छूट:- सामान्य तौर पर वैदेशिक सेवा में कोई विशेष उपलब्धि अर्जित करने पर कर्मचारी से अवकाश व अंशदान लिये नहीं बल्कि दिये जाते है ।
नियम 149:- वैदेशिक सेवा में पेंशन व अन्य अंशदान पर व्याजः- वैदेशिक नियोजक द्वारा कर्मचारी के खाते में पेंशन व अन्य अंशदान जमा नहीं कराने पर उसके द्वारा 1 प्रतिशत ब्याज मासिक दर से दिया जायेगा।
नियम 150:- वैदेशिक सेवा में पेंशन व अन्य अंशदान रोका नहीं जा सकता:
नियम 151:- वैदेशिक सेवा में कर्मचारी अवकाश व पेंशन अंशदान सम्बन्धित अधिकारी की अनुशंषा पर ही ग्रहण करेगा व देगा।
नियम 152:- वैदेशिक सेवा में अवकाशः- मूल सेवा के अनुरूप ही देय है।
नियम 153:- वैदेशिक सेवा में अवकाश से पहले अधिकारी की सहमतिः- अवकाश अधिकारी की अनुमति पर ही।
नियम 154:- वैदेशिक सेवा में कर्मचारी का अपने मूल विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आनाः- वैदेशिक सेवा के दौरान स्थानान्तरण पर अपने मूल पद के अनुरूप ही उस पद पर कार्य करेगा। वैदेशिक सेवा से लौटते ही अवकाश पर जाये तो सरकारी निर्देश के बाद कार्यग्रहण करेगा ।
नियम 155:- वैदेशिक सेवा से लौटने की तिथि:- जिस तिथि को अपना कार्यभार किसी अन्य को हस्तांतरण कर दे।
नियम 156:- वैदेशिक सेवा में पेंशन व अंशदान बंद करने की तिथिः- जिस तिथि को अपना कार्यभार किसी अन्य को हस्तांतरण कर दे ।
राजस्थान सेवा नियम (RSR)–नियम 157:– नियमित संस्थापन्न कर्मचारियों को अपनी पुस्तिका एजी कार्यालय को प्रेषित करेगाः- ऐसे कर्मचारियों को भुगतान व अन्य राशियां सरकारी बजट के अलावा किसी अन्य स्रोत से देय।
विपरीत प्रतिनियुक्तिः- दिनांक 17 फरवरी 2007 के बाद इस पद का सर्जन किया गया। विपरीत प्रतिनियुक्ति के तहत सरकारी कर्मचारी को किसी प्राईवेट सेक्टर की कम्पनियों या विभागों में सेवा के लिये भेजा जाता है।
>> सामान्य तौर पर विपरीत प्रतिनियुक्ति 01 वर्ष तथा बढ़ाकर 03 वर्ष तक।
>> वित्त विभाग की सलाह से ही प्रतिनियुक्ति में बढ़ोतरी।
>> कर्मचारी का सर्विस रिकॉर्ड मूल विभाग में ही रखा जायेगा।