राजस्थान सेवा नियम (RSR) सामान्य परिचय

नियम 1:- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत प्रत्येक राज्य को अपने राज्य में सरकारी सेवा के संचालन के लिए कुछ नियम व उपबन्ध बनाने का अधिकार है।

> >23 मार्च 1951 की अधिसूचना के आधार पर राजस्थान सेवा नियम ( आर.एस.आर.) राजस्थान में 01.04.1951 से प्रभावी हुई।

>> आरएसआर के नियम राज्यपाल के कार्यकारी आदेश है तथा राजस्थान के समस्त कर्मचारियों पर लागु होते है।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)अपवाद जिन पर राजस्थान सेवा नियम लागु नही होते है:

1. राजस्थान में नियुक्त केन्द्र सरकार के कर्मचारी।

2. यदि कोई कर्मचारी, जो अन्य सेवा का हो लेकिन प्रतिनियुक्ति के आधार पर राज. में नियुक्त है।

3. राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्य।

4. राजस्थान उच्च न्यायालय में नियुक्त न्यायाधीश।

5. वह कर्मचारी जिनका विपरीत परिस्थितियों में भुगतान आकस्मिक निधि से हो। आकस्मिक निधि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 267(2) के तहत संधारित होते है।

6. संचित निधि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 (1 ) के तहत संधारित होती है।

नियम 7:- परिभाषाऐं:

नियम 7(1):- आयुः- आयु से तात्पर्य उस दिन से है, जिस दिन से कर्मचारी अपने पद से पदोन्नत या पदावनत या सेवा निवृत होता है तथा यह दिन उसका अकार्य दिवस माना जायेगा।

नियम 7(2):- शिक्षार्थी:- इससे तात्पर्य आरएसआर में उस कर्मचारी से है, जो स्थायी पद के विरूद्ध कुछ सीमा तक मासिक वेतन के आधार पर निरोपित किया जावें।

नियम 7(3):- संविधान:- भारतीय संसद द्वारा 26.11.1949 को अंगीकृत किया गया कानून संविधान कहलाता है।

नियम 7(4):- संवर्ग:- स्थायी पद का प्रतिनिधित्व करने वाला वर्ग संवर्ग कहलाता है।

नियम 7(4) (ए):- चतुर्थ श्रेणी सेवाः- आरएसआर में ग्रेड पे 1700 – 1800 को निरोपित करने वाला कर्मचारी।

नियम 7(5):- क्षतिपूरक भत्तेः- ऐसे भत्ते जिनका प्रारम्भिक भुगतान स्वयं कर्मचारी द्वारा किया जाता है तथा फिर इनकी पूर्ति सरकार द्वारा कर्मचारी को कर दी जाती है।

नियम 7(6):- सक्षम अधिकारी:- परिशिष्ट 9 भाग 2 के तहत आने वाले सभी कर्मचारी, जो वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर सकते है।

नियम 7(7):- संचित निधिः- भारतीय संविधान के अनु 266(1) के तहत निर्धारित निधि ।

नियम 7(7) (ए):- रूपान्तरित अवकाश:- नियम 93 के तहत आने वाले अर्द्धवेतन अवकाशों को रूपान्तरित अवकाश में परिवर्तित किया जा सकता है।

नियम 7(8):- कर्तव्यः- इससे तात्पर्य किसी कर्मचारी के सरकारी सेवा करने से है। परिवीक्षाधीन अवधि, अवकाशों की अवधि सदैव कर्तव्य में आती है।

नियम 7(6) (ब):- भारत में ही कर्मचारी को प्रशिक्षण पर भेजा जाता है तो उसे ड्यूटी माना जाता है।

नियम 7(8) (स):- एपीओ की अवधि ड्यूटी के तहत मानी जाती है। नियम 7(8) (द):- सक्षम प्राधिकारी की अनुमति से किसी ऐसी विभागीय परीक्षा में उपस्थित होता है, जिसके उतीर्ण होने से कार्य कुशलता में वृद्धि हो तो, ऐसी अवधि कर्तव्य की अवधि है।

नियम 7(9):- शुल्क:- संचित निधि के अलावा अन्य निधि से प्राप्त होने वाली आय शुल्क कहलाती है। नोट:- नियम 64 के तहत प्राप्त भुगतान शुल्क है।

नियम 7(10):- वैदेशिक सेवाः- ऐसी सेवा जिसमें कर्मचारी को भुगतान संचित निधि के स्थान पर स्थानीय निधि से प्राप्त हो, वैदेशिक सेवा कहलाती है।

नियम 7(10) (ए):- राजपत्रित अधिकारी:- वर्गीकरण नियंत्रण अपील नियम 1958 की धारा 1 में आने वाले समस्त अधिकारी राजपत्रित अधिकारी होते है

नियम 7(10)(ब):-अर्द्ध-वेतनः- अर्द्ध-वेतन से तात्पर्य नियम 93 के तहत दिये जाने वाले अवकाश से है।

नियम 7(11):- विभागाध्यक्षः- परिशिष्ट 14 भाग 2 के तहत आने वाले समस्त अधिकारी विभागाध्यक्ष होते है।

नियम 7(12):- सार्वजनिक अवकाश:- ऐसे अवकाश जो सरकार देती है अर्थात ऐसे अवकाश जो सरकार द्वारा किसी अधिसूचना के आधार पर घोषित हो।

नियम 7(13):- मानदेयः- मानदेय सदैव सरकारी कर्मचारी को कोई सामयिक कार्य करने पर देय होता है।

नियम 7(14):- पदभार ग्रहण कालः- 1981 नियमों के तहत कर्मचारी का एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण होने पर दिया जाने कला समय पदभार ग्रहणकाल कहलाता है।

नियम 7(15):- अवकाशः- कर्मचारी द्वारा अपने खाते से लिये गये अवकाश।

नियम 7(16):- अवकाश वेतन:- कर्मचारी द्वारा जिस प्रवृति का अवकाश लिया जाता है, उसी के अनुरूप उसे वेतन देय है। (नियम 97 )

नियम 7(17):- पदाधिकार:- स्थायी पद पर स्थायी रूप से नियुक्त होने पर कर्मचारी का उस पद पर पदाधिकार होता है।

नियम 7(18):- स्थानीय निधिः- भारतीय संविधान के अनु 268(2) के तहत निर्धारित होने वाली निधि स्थानीय निधि कहलाती है।

नियम 7(19):- मंत्रालयिक कर्मचारी:- परिशिष्ट 12 के तहत आने वाले कर्मचारी, मंत्रालयिक कर्मचारी है। (लिपिक श्रेणी) नियम 7(20):-माहः- माह से तात्पर्य कैलेण्डर वर्ष की एक ईकाई से है।

नियम 7(21):- दिनांक 01.01.1995 को विलोपित।

नियम 7(22):- स्थायी कर्मचारी:- इससे तात्पर्य आरएसआर में अपने पद पर स्थायी अधिकार रखने वाला कर्मचारी है।

नियम 7(23):- स्थानापन्न:- इससे तात्पर्य उन कर्मचारियों से है, जिन्हें अपने पद के साथ- साथ अतिरिक्त पद की जिम्मेदारी दी जाती है।

नियम 7(24):- वेतनः- वेतन से तात्पर्य आरएसआर में किसी सरकारी कर्मचारी को मिलने वाली मासिक राशि से है।

नियम 7(25):- पेंशन:- कर्मचारियों को सेवानिवृति पश्चात् मिलने वाली मासिक राशि जो सरकार भुगतान करें।

नियम 7(26):- स्थायी पदः- ऐसे पद जिनकी कोई समय सीमा आरएसआर में निर्धारित नहीं होती है।

नियम 7(27):- व्यक्तिगत वेतन:- किसी कारणवश यदि सरकारी कर्मचारी के वेतन श्रृंखंला में कोई कटौती होती है तथा एक निश्चित समय सीमा तक उस कटौती का लाभ पुनः दिया जाये, उसे व्यक्तिगत वेतन कहते है।

नियम 7(28):- उपार्जित अवकाशः– सेवा में व्यतीत किये गये समय के आधार पर अर्जित किये गये अवकाश उपार्जित अवकाश की श्रेणी में आते है । (नियम 91 के तहत)

नियम 7(29):- पद का परिकल्पित वेतन:- ऐसा वेतन सदैव उसी अवस्था में देय होता है, जब कर्मचारी को अपने पद के अलावा किसी अतिरिक्त पद का अधिकार सौंपा जायें । ऐसा वेतन देने या ना देने का अधिकार सदैव वित्त विभाग की अनुशंषा के आधार पर होता है।

नियम 7(30):- परिवीक्षाधीन:- दिनांक 20.01.20006 के बाद राजस्थान सरकार द्वारा ऐसे किसी भी पद पर नियुक्ति नही होती है। ऐसे कर्मचारी को नियत वेतन देय होता है।

नियम 7(30)(ए):- परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी:- दिनांक 20.01.2006 के बाद स्थायी पद पर दो वर्ष के लिए अस्थायी रूप से नियुक्ति होती है।

नियम 7(31):- विशेष वेतन:- यदि कोई सरकारी कर्मचारी सेवा में रहते हुए कोई विशेष उपलब्धि अर्जित करे, उसे वित्त विभाग की सलाह पर विशेष वेतन देय होता है।

नियम 7(32):- उच्च सेवाः- आरएसआर में चतुर्थ श्रेणी सेवा को छोड़कर समस्त सेवा उच्च सेवा है।

नियम 7(33):- निर्वाह अनुदान:- कर्मचारी के निलम्बित होने पर सरकार द्वारा कर्मचारी को देय मासिक अनुदान निर्वाह अनुदान कहलाता है।

नियम 7(34):- मूल वेतन:- कर्मचारी की वेतन श्रृंखला में ग्रेड पे के जुड़ने के बाद उसके मूल वेतन का निर्धारण होता है।

नियम 7(35):- स्थायी नियुक्तिः- ऐसी नियुक्ति जिस पर कार्य करने वाले कर्मचारी का एक निश्चित पदाधिकार होता है।

नियम 7(36):- सावधि पदः- सामान्य तौर पर ऐसे पद एक निश्चित अवधि तक सृजित किये जाते है तथा इन पर कार्य करने वाले कर्मचारी का उस पद पर पदाधिकार जुड़ा रहता है ।

नियम 7(37):- समय वेतनमानः- कर्मचारी की वेतन श्रृंखला समय वेतनमान सदैव निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर जाता है।

नियम 7(38):- स्थानान्तरण:- इससे तात्पर्य कर्मचारी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर नियुक्ति देने से है।

नियम 7(39):- विश्रामकालीन विभागः- ऐसे विभाग जिनमें एक निश्चित समय सीमा तक मुख्यालय बंद रहते है। जैसे न्यायिक विभाग, शिक्षा विभाग, कृषि विभाग।

नियम 7(40):- पेंशन के अयोग्य संस्थापन्नः- ऐसे कर्मचारियों को वेतन व भक्ते का निर्धारण सरकारी बजट के अलावा सरकार के किसी अन्य स्रोतों से किया जाता है।