राजस्थान सेवा नियम (RSR)

अवकाश देने में प्राथमिकता

(राजस्थान सेवा नियम (RSR) (नियम 87 से 126)

राजस्थान सेवा नियम (RSR) 87:– इस नियम के तहत अवकाश केवल स्थायी कर्मचारियों को ही देय होते है। नोट:-अस्थायी कर्मचारियों को अवकाश सरकार की अधिसूचना के आधार पर दिये जाते है । अस्थायी कर्मचारियों के समस्त अवकाश सरकारी नियमों व मानकों के अनुरूप ही देय होते है ।

नियम 87(अ):- अवकाश लेखा:- राज्य कर्मचारी का अवकाश लेखा परिशिष्ट 2 क में दिये गये प्रपत्र संख्या 1 में संधारित किया जायेगा।

नियम 87(ब):- इस नियम के तहत राजपत्रित अधिकारियों के अवकाश लेखे नियम 160 (2) के तहत आने वाले अधिकारी रखते है। अराजपत्रित अधिकारियों के अवकाश लेखे उस विभाग के कार्यालयाध्यक्ष या विभागाध्यक्ष द्वारा रखे जाते है।

नियम 88:- अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:-इस नियम के तहत कर्मचारी अपने अवकाशों की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का समायोजन उचित प्रमाण पत्र देकर कर सकता है।

नियम 89:- सेवानिवृति के पश्चात् किसी भी प्रकार के अवकाश देय नहीं होगें।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)नियम 90:- विलोपित

नियम 91:- उपार्जित अवकाश (पी.एल):- (दिनांक 22.02.1983 से)

> >पी.एल. की देयता सदैव कलैण्डर वर्ष में ही होती है।

>> पी.एल. सदैव एक कलैण्डर वर्ष में 02 बार ही दी जाती है । एक जनवरी को 15 व 01 जुलाई को 15 कुल 30 पी.एल देय होती है। 

>> दिनांक 01.01.1998 के पश्चात् एक कर्मचारी अपने खाते में अधिकतम 300 पी. एल. जमा रख सकता है।

>> आरएसी बटालियन के कर्मचारियों को एक कैलेण्डर वर्ष में 42 पी. एल. देय होती है।

>> किसी कर्मचारी की माह के बीच में नियुक्ति होने पर 2½ पी. एल. प्रतिमाह व आर. ए.सी के कर्मचारियों को 32 पी.एल. प्रतिमाह के हिसाब से देय होती है।

>> एक कर्मचारी एक बार में अधिकतम 120 पीएल ले सकते है।

>> विशेष परिस्थितियों (टी.बी., असाध्य रोग) में कर्मचारी अपनी समस्त पी.एल. का उपयोग एक साथ कर सकता है।

नियम 91(अ):- सेवा में रहते हुए पी.एल. के बदले नकद भुगतान (दिनांक 01.01.1983 से) इस नियम के तहत सेवा में रहते हुए कर्मचारी एक वर्ष में अधिकतम 15 पीएल का नकद भुगतान प्राप्त कर सकता है तथा शेष पी.एल. अपने खाते में जोड़ सकता है। दिनांक 18.06.2010 के बाद एक अस्थायी कर्मचारी को अपने विभाग में न्युनतम एक वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर ही इस नियम का लाभ दिया जावेगा।

नियम 91(ब):- सेवानिवृत होने पर पी. एल. का भुगतान:- इस नियम के तहत कर्मचारी के सेवानिवृत होने पर उसको अपने अवकाश खाते की समस्त एल. का भुगतान तुरन्त प्रभाव से एक मुश्त कर दिया जाता है। पी.एल. का भुगतान करते समय मकान भत्ते को छोड़कर समस्त प्रकार के भक्ते देय होते है।

नियम 91(स):- कर्मचारी की मृत्यु होने पर पी. एल. का भुगतानः- (दिनांक 01.10.1996) इस नियम के तहत सेवा में रहते हुए यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाये तो उसके खाते में शेष पी.एल. का भुगतान उसके परिवारजनों को कर दिया जाता है। नोट:-दिनांक 20.08.2001 के बाद यदि किसी कर्मचारी पर सीसीए नियम 1958 के तहत कार्यवाही प्रस्तावित है तथा वह कर्मचारी सेवानिवृत हो जाता है तो तुरन्त प्रभाव से भुगतान रोका जायेगा।

नियम 92:- विश्रामकालीन विभागों के लिए पी. एल. की देयताः- ( दिनांक 01.10.1994 से) विश्रामकालीन न्यायिक कर्मचारियों को एक कैलेण्डर वर्ष में 12 पीएल देय है यदि पी. एल. का उपभोग न करे तो 18 पीएल देय होती है विश्रामकालीन शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को 15 पी.एल. देय है।

नियम 93:- अर्द्धवेतन अवकाश/रूपान्तरित अवकाश की देयता:

1. चिकित्सा कारणों के आधार पर एक वित्तीय वर्ष में किसी कर्मचारी के खाते में 20 HPL देय होती है।

2. कर्मचारी अपनी सुविधा अनुरूप इन HPL को पूर्ण अवकाश में परिवर्तित कर सकता है।

3. एक कर्मचारी अपने सेवाकाल में अधिकतम 480 HPL को रूपान्तरित अवकाश में परिवर्तित कर सकता है।

4. विशेष मामलों में यदि कर्मचारी के खाते में किसी भी प्रकार की HPL बकाया नही है तो कर्मचारी को अदेय अवकाश का लाभ दिया जा सकता है। अदेय अवकाशः- ऐसा अवकाश सक्षम अधिकारी द्वारा तभी स्वीकृत किया जाता है जब कर्मचारी की स्थिति चिकित्सा दृष्टिकोण से सही नही है। अदेय अवकाश अधिकतम 360 एचपीएल तक स्वीकृत होता है ।

नियम 93(ए):- टी.बी. के मामलों में पुलिस सेवा) यदि कर्मचारी के खाते में किसी भी प्रकार का अवकाश शेष नहीं है तो 360 एचपीएल को उसके खाते में अग्रिम रूप से जमा कर दिया जाता है।

नोट:- यदि कर्मचारी कोई सार्वजनिक हित में पाठ्यकम करे तो उसके अवकाश खाते में एचपीएल की बकाया स्थिति को ध्यान में रखते हुए 180 दिन की एचपीएल स्वीकृत होगी ।

नियम 94:- सेवा समाप्ति अवकाश:- ऐसे अवकाश सामान्य तौर पर अस्थाई कर्मचारियों को ही स्वीकृत किये जाते है। सक्षम अधिकारी ऐसे अवकाशों को अपने विवेक के आधार पर स्वीकृत कर सकता है। इस नियम के तहत शिक्षार्थी को यह लाभ देय नही होता है ।

नियम 95:- अवकाश अवधि सेवा व्यवधान नही है:- सामान्य तौर पर यदि कोई अस्थायी कर्मचारी अपने पद के समान संवर्ग में ही स्थायी रूप से नियुक्त है तो उसकी पिछली सेवा अवकाश अवधि के तहत माना जायेगा।

नियम 96:- असाधारण अवकाशः- साधारण तौर पर कर्मचारी असाधारण अवकाश तभी स्वीकृत कराता है, जब उसके अवकाश खाते में किसी भी तरह के अवकाश शेष न हो । दिनांक 26.02.2002 के बाद अस्थायी कर्मचारी को असाधारण अवकाश तभी मिलता है, जब उसने 03 वर्ष की सेवा की है।

अस्थायी कर्मचारियों को अधिकतम 18 माह का असाधारण अवकाश देय है। दिनांक 01.01.2007 के बाद परिवीक्षाधीन अवधि में अधिकतम 03 माह का असाधारण अवकाश देय है।

विपरीत परिस्थितियों में असाधारण अवकाश परिवीक्षाधीन कर्मचारियों को 03 माह से अधिक भी स्वीकृत है। 03 माह से अधिक यदि कोई कर्मचारी असाधारण अवकाश ले तो अधिक ली गई अवधि उसके परिवीक्षाधीन काल को प्रभावित करती है।

नियम 97:- अवकाश वेतन की राशि: – सामान्य तौर पर अवकाश वेतन की राशि अवकाश की प्रवृति के तहत ही निर्धारित होती है।

नियम 98:– विलोपित

नियम 99:- विशेष असमर्थता अवकाशः- (दिनांक 14.12.12 के बाद) घर से कार्यालय व कार्यालय से घर ड्यूटी नही माना गया है।

दिनांक 18.05.2010 के बाद चुनाव में ड्यूटी घर से निकलते ही मानी जाती है। इस नियम के तहत सरकारी कर्मचारी को कार्यस्थल पर यदि कोई क्षति हो जाती है तो क्षति होने के तीन माह तक आवेदन पत्र देकर विशेष असमर्थता अवकाश का लाभ उठा सकता है। सामान्य तौर पर विशेष असमर्थता अवकाश अधिकतम 24 माह तक देय होता है। यदि 24 माह उपरांत भी कर्मचारी की स्थिति में कोई सूधार न हो तो चिकित्सा रिपोर्टो के आधार पर अवधि को आगे बढ़ाया जा सकता है।

 विशेष असमर्थता अवकाश के दौरान वेतन:

उच्च सेवा में 120 दिन अवकाश पूर्ण वेतन
उच्च सेवा में 120 दिन से अधिक अवकाशअर्द्ध वेतन
चतुर्थ श्रेणी सेवा में 60 दिन अवकाश पूर्ण वेतन
चतुर्थ श्रेणी सेवा में 60 दिन से अधिक अवकाशअर्द्ध वेतन

नियम 100: असमर्थता अवकाश के दौरान सरकार द्वारा कोई क्षतिपूर्ति भत्ता स्वीकृत होने पर वेतन में कटौतीः- इस नियम के तहत यदि असमर्थता अवकाश के दौरान क्षतिपूर्ति भत्ता मिले तो भत्ते के बराबर की राशि कर्मचारी के वेतन में से काट ली जाती है। कर्मचारी के व्यक्तिगत बीमा दावों पर इस नियम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

नियम 101:- सैनिक/भूतपूर्व सैनिक कर्मचारियों को विशेष असमर्थता अवकाश का लाभ:

नियम 102: – नियम 101 के अनुसार ही परन्तु दूघर्टना सैन्य सेवा के अतिरिक्त हुई होः

नियम 103:- प्रसुति अवकाशः- (दिनांक 06.12.2004 से प्रभावी) महिला कर्मचारियों को सम्पूर्ण सेवाकाल में 02 बार अधिकतम 180 दिन का प्रसुति अवकाश मिलता है। 02 बार के बाद भी कोई संतान जीवित न हो तो एक बार और मिल सकता है।

> दिनांक 11.10.2008 के बाद प्रसुति अवकाश अवधि 135 दिन से बढ़कर 180 दिन की गई है।

 > दिनांक 06.12.2004 के बाद ये अवकाश अस्थायी महिला कर्मचारी को भी देय है। किसी भी कर्मचारी को पूर्ण वेतन व भत्ते देय है।

> सामान्य तौर पर गर्भपात पर यह अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता है।

> चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर विपरीत परिस्थितियों में 06 सप्ताह तक का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। (दिनांक 14.07.2006 के बाद से)

राजस्थान सेवा नियम (RSR) 103(अ):- पितृत्व अवकाशः- ( दिनांक 06.12.2004 से) किसी पुरूष के प्रथम दो संतानों पर उसे बच्चे के जन्म के 15 दिन पूर्व व 03 माह के भीतर 15 दिन का अवकाश मिलता है।

नियम 103 (ब):- दत्तक अवकाशः- (दिनांक 07.12.2011 से) किसी महिला कर्मचारी को 180 दिन का अवकाश सेवाकाल में दो बार ही। 01 साल से कम आयु के बच्चे को गोद लेने पर मिलता है।

नियम 104:- प्रस्तावित अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:

नियम 105:- पृथक श्रेणी का अवकाश /चिकित्सालय अवकाश की सीमा – सामान्य तौर पर यह अवकाश उन्हीं कर्मचारियों को स्वीकृत होता है, जो राज. सरकार के लिए किसी हानिकारक संयत्रों या हानिकारक प्रयोगशाला में नियुक्त हो। ये अवकाश चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ही लागु होता है ।

नियम 106:- नियम 105 के अवकाश उन्हीं कर्मचारियों को स्वीकृत होते है जिनका वेतनमान 12000 रू तक देय हो। (दिनांक 01.01.2007 से लागु) दिनांक 12.09.2008 के आधार पर सभी वेतन वृद्धियां मान्य।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)नियम 107:- विलोपित

नियम 108:- अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:

नियम 109:- अध्ययन अवकाश:- आरएसआर में नियम 109 से 121(ए) तक है।

नियम 110:- अध्ययन अवकाश की देयता:- किसी भी कर्मचारी को अपने सम्पूर्ण सेवा काल में अधिकतम 02 वर्ष का अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। एक बार में अधिकतम 12 माह का अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।

राजस्थान सेवा नियम (RSR)नियम 111:-विलोपित:

नियम 112:- अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने की शर्ते:

>> अध्ययन अवकाश राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को देय है।

>> अस्थायी कर्मचारी जो विभाग में न्यूनतम 03 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हो तथा ऐसी अस्थायी नियुक्तियां आरपीएससी की अभिशंषा के आधार पर होनी अनिवार्य है ।

» 20 वर्ष से ज्यादा सेवा पूर्ण कर चुके कर्मचारियों को अध्ययन अवकाश देय नहीं होता है ।

>> अध्ययन अवकाश के दौरान विभाग से अनुपस्थिति:

24 माह + 04 माह (खाते के अवकाश) :28 माह

24 माह + 06 माह (असाधारण अवकाश) 30 माह

अध्ययन अवकाश के दौरान सदैव अर्द्ध वेतन मिलता है।

नियम 113:- अध्ययन अवकाशों की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का समायोजन:

नियम 114:- अध्ययन अवधि के अध्ययन अवकाश से ज्यादा होने पर प्रक्रियाः – कर्मचारी अपने खाते के अवकाश या असाधारण अवकाश ले सकता है।

नियम 115:- अध्ययन अवकाश के लिए आवेदन पत्र:- अध्ययन अवकाश के लिए आवेदन पत्र लेखाधिकारियों या सहायक लेखाधिकारियों को दिये जाते है आगे की स्वीकृति के लिए लेखाधिकारी जांच के बाद आवेदन पत्र विभागाध्यक्ष को भेजता है।

नियम 116:- अध्ययन अवकाशों के साथ अन्य अवकाशों का समायोजन:

नियम 117:- अध्ययन भत्ताः- यदि कर्मचारी के द्वारा किया जा रहा अध्ययन सरकारी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो तो सरकार कर्मचारी को अध्ययन अवधि के दौरान अलग से अध्ययन भत्ता स्वीकृत कर सकती है।

नियम 118:- अध्ययन अवकाश के दौरान विश्रामकाल:- इस नियम के तहत कर्मचारी को अध्ययन अवधि के दौरान सरकार द्वारा 14 दिन का विश्रामकाल देय होता है।

नियम 119:- अध्ययन शुल्क:- जिस अध्ययन के लिए कर्मचारी अवकाश पर जाता है, उस अध्ययन की किश्त कर्मचारी द्वारा ही देय होती है। यदि सक्षम अधिकारी अध्ययन की प्रवृति को अपने विभाग के लिए लाभदायक माने तो वह वित्त विभाग की मंजूरी लेकर उसे अध्ययन पाठ्यक्रम की किश्त का भुगतान कर सकता है।

नियम 120:- पाठ्यक्रम पूर्ण होने का प्रमाण पत्र:- कर्मचारी जिस अध्ययन के लिए अवकाश पर है, वह पूर्ण होने पर पाठ्यक्रम पूर्ण होने का प्रमाण पत्र विभाग को जमा कराना नैतिक दायित्व है ।

नियम 121:- अध्ययन अवकाश की गणना पदोन्नति एवं पेंशन योग्य सेवा के तहत की जाती है।

नियम 121(अ):- अवकाश अध्ययन के बदले सेवा का बन्ध पत्र:- इस नियम के तहत परिशिष्ट 18 में एक बन्ध पत्र भरवाया जाता है (दिनांक 31.05.2012 से लागु) परिशिष्ट 18 के तहत शर्त पूरी नहीं होने पर दूगनी राशि- ब्याज सम्बन्धित विभाग को जमा करवाना होता है।

नियम 122:- परिवीक्षाधीन को अवकाशः- वर्तमान में दिनांक 20.01.2006 के बाद ऐसा कोई पद राज्य सरकार में नहीं है।

नियम 123:- शिक्षार्थी को अध्ययन अवकाश:- इस नियम के तहत शिक्षार्थियों को अवकाश उसी अनुरूप देय होते है। जैसे विभाग में अस्थायी कर्मचारियों को देय होते है। नियम 103 की सीरीज के अन्तर्गत आने वाले अवकाश शिक्षार्थियों को देय नहीं होते है।

नियम 124:- अंशकालीन विधि अधिकारियों/ प्राध्यापकों को अवकाशः

>> सामान्य तौर पर अंशकालीन रूप से नियुक्त प्राध्यापकों व विधि अधिकारियों को 02 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर 03 माह का अर्द्ध वेतन अवकाश देय होता है

>> एक साथ 03 माह का अधिकतम अवकाश देय होता है।

>> विपरीत परिस्थितियों में 06 वर्ष की सेवा पूर्ण हो तो 02 माह का अवकाश असाधारण अवकाश के रूप में स्वीकृत होगा

नियम 125:- अवकाश की निरन्तरता में अन्य अवकाशों का संयोजन:

राजस्थान सेवा नियम (RSR)नियम 126:- दैनिक मानदेय व पारिश्रमिक के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को अवकाश:

सामान्य तौर पर विभाग में 03 माह की सेवा पूर्ण करने पर ।

 03 माह पश्चात् 01 पूर्ण छूट्टी। यह अवकाश तभी स्वीकृत होता है जब श्रमिक अपनी जगह किसी अन्य श्रमिकों को काम के लिए नियुक्त करें।