(9)अखिल भारतीय सेवा के सदस्यों का बीमा करना:-
राजस्थान संवर्ग में का अखिल भारतीय सेवा का कोई सदस्य विभाग की बीमा स्कीम के अधीन बीमा कराने का विकल्प दे सकता है। एक बार विकल्प देने पर उसका बीमा नियम 8 के अधीन बीमाकृत व्यक्ति पर लागू सभी निबंधनों और शर्ताें के अध्यधीन होगा।
(11)प्रीमियम की दर और उसकी वसूलीः-
1 (i) बीमा स्कीम के अधीन बीमाकृत व्यक्ति द्वारा संदेय मासिक प्रीमियम नीचे यथा-विनिर्दिष्ट या सरकारी आदेश द्वारा समय-समय पर यथा पुनरीक्षित होगाः-
क्र0सं0 | वेतन स्लेब में वेतन | प्रीमियम की दर 01.04.1998 |
1 | 2,550 से 3,700 तक | 150/- |
2 | 3,701 से 5,000 तक | 200/- |
3 | 5,001 से 8,000 तक | 300/- |
4 | 8,001 से 12,000 तक | 450/- |
5 | 12,000 से अधिक | 600/- |
(ii) अतिरिक्त बीमाः-
(1)जब कभी भी, वेतन स्लेबों में परिवर्तन के परिणाम स्वरूप, किसी बीमाकृत व्यक्ति द्वारा पहले ही संदेय प्रीमियम, उसके द्वारा संदेय दिये जाने वाले प्रीमियम से कम रह जाता है तो वृद्धिशील वसूलियाॅं उसी वित्तीय वर्ष के मार्च माह से उसके वेतन से की जावेगी।
(2) कोई बीमाकृत व्यक्ति अपने विकल्प से, नियम-11 के उप नियम (1)(प)के अधीन उन पर लागू प्रीमियम दर से अधिक की अगली दो स्टेजों में विनिर्दिष्ट किसी भी दर के प्रीमियम का अभिदाय कर सकेगा, परन्तु 450/- रू. प्रतिमास या 600/- रू. प्रतिमास की दर से सामान्य प्रीमियम का संदाय करने वाला बीमाकृत व्यक्ति या तो 600/- रू. प्रतिमास या 800/- रू. प्रतिमास का अभिदान कर सकेगा।
(3) बीमाकृत व्यक्ति के 50 वर्ष की आयु पूरी कर लेने के पश्चात् नियम-11(1) और (2) के अधीन कोई अतिरिक्त संविदा नहीं की जायेगी।
(4) नियम-11 (प)(पप) में यथा-विनिर्दिष्ट वृद्धिशील प्रीमियमों पर और नियम 11(2) में यथा विनिर्दिष्ट दर पर अतिरिक्त प्रीमियम के संदाय पर अतिरिक्त जौखिम बीमा स्वास्थ्य परीक्षा के बिना किया जायेगा। नियम-11 (2) के अधीन प्रत्येक अतिरिक्त बीमा प्रारूप सं.1 में यह अतिरिक्त घोषणा करने के अध्यधीन होगा कि पाॅलिसी धारक नियम 8(3) में उल्लेखित किन्हीं भी रोगों से ग्रसित नहीं था।
टिप्पणीः- प्रारूप 1 का प्राप्त न होना या अपूर्ण होनाः- सम्बन्धित कार्यालय का प्रभारी उप/सहायक निदेशक प्रारूप संख्या 1 की पड़ताल करवायेगा और यदि प्रीमियम कटोती के साथ प्रारूप सं. 1 प्राप्त न हुआ है या सम्बन्धित उप निदेशक/सहायक निदेशक के समाधानप्रद रूप से परिशोधित नहीं किया गया है तो वह सम्बन्धित कर्मचारी के वेतन का संदाय रोकने का आदेश देने का हकदार होगा।