समग्र शिक्षा (samagra shiksha abhiyan) के अन्तर्गत संचालित कार्यक्रम

(i) ज्ञान संकल्प पोर्टल (Gyan Sankalp portal) (मुख्यमंत्री विद्यादान कोष)

विद्यालयों के चहुँमुखी विकास के लिए व्यक्तिगत अथवा व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा सीधे राज्य/ प्रोजेक्ट /विद्यालयों को ऑनलाईन पोर्टल के माध्यम से दान दिया जा सकता है। दिये गये दान की राशि में आयकर छूट हेतु तुरन्त 80G के अन्तर्गत रसीद जारी हो जाती है। औद्योगिक घराने (CSR) के अन्तर्गत दान दे सकते है अथवा इच्छानुसार विद्यालयों को गोद ले सकते है। इसमें न्यूनतम 100 रू से प्रारम्भ कर मासिक, त्रैमासिक अथवा वार्षिक दान कर सकते है।

राजकीय विद्यालयों को वित्तीय संबल प्रदान करने तथा आधारभूत संरचना के सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से शिक्षा विभाग में ज्ञान संकल्प पोर्टल’ व मुख्यमंत्री विद्यादान कोष’ स्थापित किया गया है। ज्ञान संकल्प पोर्टल (www.gyansankalp.nic.in) एवं कोष का मुख्य उद्देश्य राजकीय विद्यालयों की मूलभूत अवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं के अनुसार भामाशाहों/दानदाताओं/औद्योगिक संस्थाओं व क्राउड फंडिंग के माध्यम से आवश्यक धनराशि का संग्रहण व प्रबंधन करना तथा विद्यालयों के विकास हेतु विभिन्न प्रोजेक्टस हेतु दानदाताओं का सहयोग प्राप्त करना है। इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भामाशाह और औद्योगिक घराने कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसेबिलिटी (सीएसआर) के तहत जुड़कर सीधे राजस्थान सरकार को शिक्षा मे किए जा रहे नवाचारों एवं आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाने में अपना सहयोग दे सकते हैं।

भामाशाह दानदाता औद्योगिक संस्थाएं ज्ञान संकल्प पोर्टल द्वारा निम्न 5 श्रेणियों के माध्यम से विद्यालय के विकास हेतु सहयोग प्रदान कर सकती है –

  1. विद्यालय को गोद लेकर।
  2. विद्यालयों के लिए अपने प्रोजेक्ट बनाकर ।
  3. पोर्टल पर प्रदर्शित प्रोजेक्ट में राशि का सहयोग कर ।
  4. मुख्यमंत्री विद्यादान कोष में सहयोग राशि जमा करा कर ।
  5. किसी विद्यालय को ऑनलाइन आर्थिक सहयोग द्वारा ।
  6. “डोनेट टू ए स्कूल” के माध्यम से सीधे विद्यालयों को सहयोग प्रदान करना। भामाशाह/ दानदाता औद्योगिक संस्थाओं द्वारा परियोजनाओं को स्वयं /अपनी किसी सहयोग एजेंसी या शिक्षा विभाग के माध्यम से क्रियान्वित कर सकता है।

दानदाता को ज्ञान संकल्प पोर्टल के माध्यम से डोनेट टू ए स्कूल या मुख्यमंत्री विद्यादान कोष मे दान गई राशि पर आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के अंतर्गत 50 प्रतिशत राशि की छूट प्राप्त होती है । पोर्टल के माध्यम से दी गई राशि का हस्तांतरण पूर्ण होने पर तुरन्त 80 जी रसीद ऑनलाइन प्राप्त होती है । ज्ञान संकल्प पोर्टल के माध्यम से अब विदेशी स्त्रोतों से विद्यालयों हेतु सहयोग राशि प्राप्त की जा सकती है।

डोनेट टू ए स्कूल प्रक्रिया (Process of Donate to a school. )

1. दानदाता/भामाशाह सर्वप्रथम पोर्टल (www.gyansankalp.nic.in) पर जाकर रजिस्टर

करें।

2. रजिस्टर उपरांत लॉगिन करें। पोर्टल पर बिना रजिस्टर के एक बार सहयोग करने का विकल्प दिया हुआ है। एक बार दान करने के पश्चात दूसरी बार करने हेतु रजिस्ट्रेशन आवश्यक है।

3. डोनेट टू ए स्कूल पर क्लिक करें।

4. जिला, ब्लॉक, विद्यालय प्रकार, विद्यालय का नाम सलेक्ट करें।

5. दी जाने वाली राशि तथा किस कार्य हेतु सहयोग किया है, का विवरण अंकित करें। डोनेट पर क्लिक करें।

6. डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड/इंटरनेट बैंकिग/ई-वालेट के माध्यम से राशि हस्तांतरित करें।

7. हस्तांतरण पूर्ण होने पर 80 जी की रसीद भी तुरंत प्राप्त करें।

(ii) आदर्श विद्यालय योजना (samagra shiksha abhiyan)

आदर्श विद्यालय योजनान्तर्गत राज्य में ग्राम पंचायत स्तर पर माध्यमिक शिक्षा के एक राजकीय उच्च माध्यमिक/माध्यमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय चिह्नित किया गया है, जिसका उद्देश्य राज्य में शिक्षा व्यवस्था को उन्नत करना एवं बच्चों के शैक्षिक स्तर को विकसित करना है। इस योजना के अन्तर्गत पंचायतवार ग्रामीण क्षेत्र में एवं शहरी क्षेत्र में चिन्हित विद्यालय को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है।

ग्राम पंचायत का आदर्श विद्यालय पंचायत परिक्षेत्र के प्रारम्भिक शिक्षा के अन्य विद्यालयों के लिये मार्गदर्शी विद्यालय (Mentor School) एवं संदर्भ केन्द्र (Resource Center) के रूप में कार्य कर रहा है ।

चरणबद्ध रूप से विद्यार्थियों के अध्ययन हेतु सभी आवश्यक सुविधाएँ यथा नामांकन अनुसार कक्षा कक्ष, क्रियाशील शौचालय, विद्युत कनेक्शन स्वच्छ पेयजल सुविधा खेल मैदान एवं इन्टरनेट युक्त आईसीटी लैब प्रदान की जाकर इन विद्यालयों को Centre of Excellence के रूप में विकसित किया जा रहा । आदर्श विद्यालयों की स्थापना से राज्य के नामांकन एवं परीक्षा परिणाम में वृद्धि हुई है।

(iii) उत्कृष्ट विद्यालय योजना (samagra shiksha abhiyan)

 आदर्श विद्यालय योजनान्तर्गत राज्य में ग्राम पंचायत स्तर पर चिह्नित माध्यमिक शिक्षा के एक राजकीय उच्च माध्यमिक/माध्यमिक विद्यालय को आदर्श विद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसी प्रकार, उत्कृष्ट विद्यालय योजनान्तर्गत ग्राम पंचायत स्तर पर चिन्हित प्रारम्भिक शिक्षा के एक उच्च प्राथमिक/प्राथमिक विद्यालय को संबंधित आदर्श विद्यालय के मार्गदर्शन (Mentorship) में पंचायत में प्रारम्भिक शिक्षा के for Center of Excellence रूप में विव किया जा रहा है।

विद्यार्थियों के शैक्षिक उन्नयन के उद्देश्य से उत्कृष्ट विद्यालय योजनान्तर्गत चिन्हित इन प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालयों को विकसित किया जा रहा है। उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना से राज्य के नामांकन एवं परीक्षा परिणाम में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

(iv) शाला जल स्वच्छता एवं स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम (samagra shiksha abhiyan)

शाला जल स्वच्छता एवं स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम का कियान्वयन स्वच्छ भारत अभियान, समसा एवं जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ विभाग के मध्य समन्वयन द्वारा राज्य के सभी राजकीय विद्यालयों में संचालित किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम की मुख्य गतिविधिया :

  • सभी राजकीय विद्यालयों में बालक व बालिकाओं हेतु पृथक पृथक शौचालयो/ मूत्रालयों की सुविधा उपलब्ध करवाना व साफ सफाई, रखरखाव एवं विद्यार्थियों में शौच के बाद एवं मिड-डे-मील से पूर्व साबुन से हाथ धोने हेतु बालक बालिकाओं को प्रेरित करना ।
  • विद्यालय में वर्षपर्यन्त पेयजल की सुविधा प्रदान करना ।
  • प्रति वर्ष विश्व हाथ धुलाई दिवस 15 अक्टूबर को समस्त राजकीय विद्यालयों में विश्व हाथ धुलाई दिवस का आयोजन किया जाता है ।
  • राजकीय व निजी विधालयो में 10 फरवरी को राष्ट्रीय डिवार्मिंग दिवस पर अध्ययनरत बालक-बालिकाओं को पेट के कीड़ों से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से डिवार्मिंग की गोली निःशुल्क खिलाई जाती है। वर्ष 2012 से यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) अन्तर्गत समस्त राजकीय विद्यालयों में अध्य्यनरत छात्र-छात्राओ का स्वास्थ्य परीक्षण कर निशुल्क उपचार करवाया जाता है । आवश्यकतानुसार बालक- बालिकाओं की सर्जरी भी करवायी जाती है।
  • विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम अन्तर्गत समस्त छात्र- छात्राओं एवं शिक्षकों को विभिन्न प्राकृतिक आपदाओ से सुरक्षा के उपायो तथा आपातकालीन परिस्थितियों में अपनाए जाने वाले सुरक्षात्मक उपायों का प्रशिक्षण दिया जाता है । इसके साथ ही शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओ के माध्यम से विद्यालय में उपलब्ध विभिन्न व्यवस्थाओं एवं संसाधनो का सुरक्षा ऑडिट करवाया जाता है।

(v) वैकल्पिक शिक्षा (samagra shiksha abhiyan)

समसा द्वारा ऐसे ड्राप आउट एवं अनामांकित 6-18 आयुवर्ग के बच्चों को चिन्हित कर बालक-बालिकाओं को आरटीई के तहत उसकी आयु के अनुरूप कक्षा में प्रवेश दिया जाता है।

वर्तमान में निम्न विशेष प्रशिक्षण शिविर संचालित किये जा रहे हैं जिनका विवरण अग्रांकित है-
• आवासीय विशेष प्रशिक्षण (आरएसटीसी)
• गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण (एनआरएसटीसी)
• माईग्रेटरी छात्रावास
• आवासीय विद्यालय/छात्रावास का संचालन
• रेगिस्तानी छात्रावास

नोट-ड्राप आउट को रोकने हेतु कक्षा 1 से 8 की बालक- बालिकाओं एव कक्षा 9 से 12 की बालिकाओं को ट्रांसपोर्ट वाउचर दिया जाता है ।

(vi) स्टेट इनिशियेटिव फॉर क्वालिटी एज्युकेशन (SIQE) पृष्ठभूमि :

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था सरकार का दायित्व है । प्रारम्भिक शिक्षा में विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर उन्नयन के उद्देश्य से राज्य में State Initiative for Quality Education Programme संचालित किया जा रहा है । इसके तहत राज्य में शिक्षकों की क्षमता संवर्धन के साथ-साथ गतिविधि आधारित बालकेन्द्रित शिक्षण के आधार पर सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया को अपनाया गया है। उद्देश्य :-

  • बालकेन्द्रित शिक्षण द्वारा सीखने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाकर।
  • बच्चों में परीक्षा के भय को दूर करना |
  •  गतिविधि आधारित शिक्षण द्वारा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रूचिकर, आनन्दायी एवं प्रभावी बनाना।
  • ज्ञान को स्थायी एवं प्रभावी बनाते हुए प्राथमिक शिक्षा की नींव को मजबूत करना |
  • बच्चों में सृजनात्मक एवं मौलिक चिन्तन का विकास करना ।
  • स्तरानुसार शिक्षण योजना बनाकर शिक्षण कार्य करते हुए शैक्षिक प्रगति को नियमित रूप से दर्ज करना।
  • बच्चों को अवसर उपलब्ध करवाते हुए संज्ञानात्मक एवं व्यक्तित्व विकास के सभी पक्षों का मूल्यांकन करना।
  • बालकों के अधिगम स्तर में गुणात्मक विकास के साथ-साथ नामांकन एवं ठहराव में वृद्धि करना।
  • बच्चों की प्रगति को अभिभावकों के साथ साझा करना।

(vii) शाला सम्बलन कार्यक्रम (samagra shiksha abhiyan)

राज्य के समस्त राजकीय उमावि / मावि /उप्रावि / प्राथमिक विद्यालयों के सम्बलन हेतु पूर्व में संचालित विद्यालय अवलोकन कार्यक्रम के दिशा निर्देशों में कतिपय महत्वपूर्ण बिन्दु सम्मिलित करते हुये संभाग/जिला / ब्लॉक एंव पंचायत स्तरीय अधिकारियों के लिए प्रतिमाह अवलोकन/सतत् शैक्षिक सम्बलन के मानदण्ड निर्धारित किये गये है। राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु संचालित किये जाने वाले इस वृहद् एवं सघन सम्बलन कार्यक्रम को “शाला सम्बलन अभियान” नाम दिया गया है।

(viii) फाउण्डेशन लिटरेसी एवं न्यूमरेसी गतिविधि आधारित शिक्षण (Activity Based Learning)

मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार के तत्वाधान में समस्त राजकीय विद्यालयों की कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर के उन्नयन हेतु State Initiative for Quality Education (SIQE) के अन्तर्गत राज्य के विद्यालयों में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE), बाल केन्द्रित शिक्षण (CCP) एवं गतिविधि आधारित अधिगम प्रक्रिया (ABL) का संचालन किया जा रहा । इन कक्षा 1 से 2 में फाउण्डेशन लिटरेसी न्यूमरेसी के तहत गतिविधि आधारित अधिगम ( ABL) द्वारा कक्षा कक्षीय प्रक्रिया को रचनात्मक एवं नवीन शिक्षण विधा से शिक्षण कार्य किया जा रहा है ।

राज्य में विभिन्न प्रयासों के माध्यम से 6- 14 आयु वर्ग के बच्चों (बालक- बालिकाओं) के नामांकन, ठहराव तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए समग्र शिक्षा प्रतिबद्ध है। निःशुल्क एवं बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (RTE) की धारा-29 के अनुसार शिक्षण गतिविधि आधारित होना चाहिए । धारा – 23 के अनुसार प्रत्येक बच्चे के पढ़ने के स्तर और गति का आकलन कर उसके आधार पर शिक्षण योजना तैयार कर तदनुरूप शिक्षण कार्य करवाया जाए। इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों में से एक प्रमुख प्रयास गतिविधि आधारित अधिगम ( ABL) है । इस प्रक्रिया का मुख्य आधार यह है कि प्रत्येक बच्चा महत्वपूर्ण है एवं बच्चा अपने स्तर के अनुसार अपनी गति और रूचि से सीखता है । इसलिए बच्चे की सीखने की गति और इनके शैक्षिक स्तरानुसार गतिविधियों के माध्यम से सीखने सिखाने की प्रक्रिया की जाए तो बच्चे का सीखना सुनिश्चित होगा।

उद्देश्य

  • प्राथमिक शिक्षा की नींव (कक्षा 1 व 2) को मजबूत करना।
  • प्रत्येक बच्चे को कार्य करके सीखने के पर्याप्त अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • बाल केन्द्रित शिक्षण (CCP) सुनिश्चित करना ।
  • शिक्षण को सहज, सरल, आनददायी एवं रूचिकर बनाना।
  • कक्षा-कक्ष में बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करना। गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रक्रिया को सुनिश्चित करना ।
  • बच्चों में सीखने की भावना को प्रोत्साहित करना ।
  • कक्षा कक्षीय प्रक्रिया को गतिविधि आधारित बनाना।

(ix) आँगनबाडी समन्वयन/पूर्व प्राथमिक शिक्षा (samagra shiksha abhiyan)

राज्य में समेकित बाल विकास सेवाएं विभाग (आईसीडीएस) के माध्यम से कुल 62,022 आँगनबाडी केन्द्र संचालित हैं, जिनमें से 38,702 आँगनबाडी केन्द्रों को शिक्षा विभाग द्वारा भौतिक अथवा प्रशासनिक रूप से ‘पोषण के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता के उद्देश्य से प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक अथवा उच्च माध्यमिक राजकीय विद्यालयों के साथ समन्वित किया जा चुका है ।

 उक्त समन्वित आँगनबाड़ी केन्द्रों में से 18,444 आँगनबाडी केन्द्र राजकीय विद्यालयों के परिसर/भवन में भौतिक रूप से समन्वित कर तथा विद्यालय परिसर की 500 मीटर की परिधि में स्थित 20,258 आँगनबाडी केन्द्र संबंधित विद्यालयों के प्रशासनिक नियंत्रण में संचालित किये जा रहे हैं।

समस्त आँगनबाडी केन्द्रों, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों तथा राज्य, जिला, ब्लॉक स्तर के समस्त शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आँगनबाडी समन्वयन से संबंधित विभिन्न आदेशों, कार्य एवं दायित्व संबंधी स्पष्ट दिशा – निर्देशों की समेकित बुकलेट पूर्व में ही उपलब्ध करवा दी गई है । शिक्षा विभाग द्वारा समस्त समन्वित आँगनबाड़ी केन्द्रों की प्रभावी मॉनीटरिंग हेतु मेन्टर टीचर (प्रमुखतः महिला शिक्षक) नियुक्त किये गये हैं जिनके द्वारा सतत रूप से आँगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं बच्चों को सम्बलन प्रदान कर रहे हैं।

वर्तमान में स्कूल शिक्षा व आईसीडीएस दोनों विभागों द्वारा आपसी समन्वय के साथ आँगनबाडी केन्द्रों को पूर्व प्राथमिक शिक्षा के सामुदायिक शैक्षणिक केन्द्र के रूप में परिवर्तित करने का साझा प्रयास किया जा रहा है समन्वित आँगनबाडी केन्द्रों में बच्चों के श्रेष्ठ अधिगम हेतु पूर्व में विकसित शिक्षा सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।  संबंधित विद्यालय के संस्था प्रधान के निर्देशन में समस्त आँगनबाडी कार्यकर्ता एवं मेन्टर टीचर्स की प्रभावी मॉनीटरिंग की जा रही है ।

राज्य के समन्वित आँगनवाड़ी केन्द्रों के 71,590 आँगनवाडी कार्यकर्ता एवं मेन्टॉर टीचर को संयुक्त रूप से प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। आँगनबाडी केन्द्रों में नामांकित 3 से 6 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों की 6 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर उन्हें संबंधित राजकीय विद्यालय में कक्षा-1 में प्रवेश दिया जा रहा है । इस प्रकार राज्य में ड्रॉप आउट की दर को कम करने के साझा प्रयास किये जा रहे हैं ।

 आँगनबाड़ी केन्द्रों में सामुदायिक सहभागिता की सुनिश्चितता हेतु अभिभावक एवं आँगनबाडी कार्यकर्ता बैठक (PAM) नियमित रूप से आयोजित की जा रही है। नोट:- PAM की बैठक में अभिभावकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो तथा प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा एवं देखरेख के महत्व पर चर्चा, अभिभावकों एवं कार्यकर्ता के पारस्परिक समन्वय हेतु संबलन प्रदान करना।

(x) समावेशित शिक्षा (samagra shiksha abhiyan)

समावेशित शिक्षा विशेष आवश्यकता वाले बालक- बालिकाओं हेतु शिक्षा का एक ऐसा मॉडल है, जिसमें सामान्य विद्यालय के वातावरण को बालक की विशेष आवश्यताओं के अनुरूप ढ़ाला जाता है अर्थात् इसमें बालक की आवश्यकतानुसार परिवर्तन किया जाता है, जिससे बालक सामान्य बच्चों के साथ पढ़ते हुए समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें । राज्य के विशेष आवश्यकता वाले बालक-बालिकाओं का मुख्यधारा में समायोजन, समाज में इनके प्रति सकारात्मक सोच का निर्माण, भेदभाव को रोकने, उनकी अन्तर्निहित योग्यताओं को बढ़ाकर उत्साहवर्धन करने, इनके अधिकारों एवं क्षमताओं के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से World Disabled Day का आयोजन “2 एवं 3 दिसम्बर को समस्त जिला मुख्यालय पर किया जाता है। समावेशित शिक्षा के अन्तर्गत विशेष आवश्यकता वाले बालक- बालिकाओं हेतु Person with Disabilities Act-2016 के अनुसार 21 श्रेणी (दिव्यांगता का प्रकार) :-

मानसिक मंदताऑटिज्म
दृष्टि बाधितमानसिक रोगी
सेरेब्रल पाल्सीवाणी दोष
चलन निःशक्तताश्रवण बाधित
बौनापनअल्प दृष्टि
कुष्ठ रोग मुक्ततेजाब हमला पीडित  
मांसपेशी दुर्विकासस्पेसिफिक लर्निंग डिसएबिलिटी
मल्टीपल स्कलेरोसिसबोद्धिक निःशक्तता
पार्किंसंस रोगहीमोफीलिया
थैलेसीमियासिकल सैल डिजीज
बहु निःशक्तता –

विशेष आवश्यकता वाले बालक- बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडने के लिए समावेशित शिक्षा के तहत समसा (समग्र शिक्षा) में निम्न गतिविधियां संचालित की जाती है :-

  1. विशेष आवश्यकता वाले बालक-बालिकाओं का सतत् प्रतिवर्ष चिन्हीकरण करना ।
  2. चिन्हित बालक-बालिकाओं का दिव्यांगता प्रमाण पत्र,रेल पास बस पास बनवाने एवं आवश्यकतानुसार अंग उपकरण चयन हेतु जिला स्तर पर फंक्शनल कम मेडिकल असेसमेन्ट शिविर का आयोजन।
  3. ब्लॉक संदर्भ कक्ष पर RP(CWSN) की व्यवस्था एवं उनके द्वारा विशेष आवश्यकता वाले बालक-बालिकाओं को आवश्यक संबलन प्रदान करना|
  4. संदर्भ कक्ष पर अभिभावक परामर्श दात्री कार्यक्रम, फिजियोथैरेपी,स्पीच थेरेपी की व्यवस्था। 5. कक्षा 1 से 12 तक राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत हेतु निम्न भत्तों की सुविधा: परिवहन भत्ता :- विशेष आवश्यकता वाले बालक-बालिका जो स्वयं विद्यालय आते है।
    पात्रता :- द्विव्यांगता प्रमाण पत्र होना आवश्यक है जो कि 40 प्रतिशत या इससे अधिक हो। अवधि :- 6 माह के लिए (जुलाई से अप्रैल तक) राशि :- 400 रू.प्रतिमाह ।
    एस्कोर्ट भत्ता :- विशेष आवश्यकता वाले बालक- बालिका जो अभिभावक/ सहयोगी की सहायता से विद्यालय आते है, उन अभिभावक / सहयोगी हेतु उक्त भत्ता देय ।
    अवधि :- 6 माह के लिए (जुलाई से अप्रैल तक) राशि :- 400 रू. प्रतिमाह
    स्टाईपेन्ड भत्ता :- विशेष आवश्यकता वाली बालिकाओं हेतु ।
    पात्रता :- द्विव्यांगता प्रमाण पत्र होना आवश्यक है जो कि 40 प्रतिशत या इससे अधिक
    हो।
    अवधि :- 10 माह के लिए (जुलाई से अप्रैल तक) राशि :- 2000 रू.वार्षिक ।
    रीडर भत्ता :- दृष्टि बाधिता का द्विव्यांगता प्रमाण पत्र होना आवश्यक है जो कि 40 प्रतिशत या इससे अधिक हो।
    अवधि :- 10 माह के लिए (जुलाई से अप्रैल तक) राशि :- अधिकतम 2500 रू वार्षिक ।
  5. अल्प दृष्टि बाधित बालक-बालिकाओं हेतु लार्ज प्रिन्ट बुक्स एवं पूर्ण दृष्टि बाधित बालक-बालिकाओं हेतु ब्रेल बुक्स का वितरण ।
  6. पूर्ण दृष्टि बाधित बालक-बालिकाओं हेतु मोबाईल एवं लेपटॉप वितरण कर उनकों आई.सी.टी. का प्रशिक्षण प्रदान करना ।
  7. श्रवण बाधित बालक-बालिकाओं हेतु कोकिलियर एम्पान्ट सर्जरी।
  8. चलन निशक्तः बच्चों हेतु करैक्टिव सर्जरी एवं दृष्टि बाधित बच्चों हेतु साईट रेस्टोरेशन
    सर्जरी।
  9. जिला स्तर पर क्रिडा प्रतियोगिता एवं 3 दिसम्बर को प्रतिवर्ष विश्व द्विव्यांगता दिवस का आयोजन।
  10. फंक्शनल कम मेडिकल असेसमेन्ट शिविर में चयनित पात्र बालक- बालिकाओं को विभिन्न अंग उपकरण- ट्राई साईकिल व्हील चेयर, रोलेटर,सी. पी. चेयर, बैसाखी, कृत्रिम अंग,केलिपर,स्मार्ट केन,स्मार्ट फोन,ब्रेल किट,डेजी प्लेयर हियरिंग ऐड,आई.डी. किट इत्यादी की निःशुल्क वितरण।
    12 सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करना ।

(xi) सामुदायिक गतिशीलता (samagra shiksha abhiyan)

किसी भी कार्य की सफलता आपसी सामंजस्य एवं सहभागिता पर निर्भर है कोई भी कार्यक्रम/योजना हो, समुदाय की सहभागिता के बिना उसके अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते। बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम / योजनाएं संचालित हैं । इन कार्यक्रमों की सफलता सरकारी प्रयासों के साथ समुदाय के सहयोग पर निर्भर है । विद्यालय में संचालित विभिन्न गतिविधियों में समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के लिए ही एसएमसी/ एसडीएमसी का गठन किया गया है । जिनमें निम्न कार्यक्रम संचालित हैं –

कार्यकारिणी समिति की मासिक बैठक एसएमसी/एसडीएमसी प्रशिक्षणः- विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों को जागरूक करने एवं उनकी क्षमतावर्धन हेतु समसा द्वारा शहरी संदर्भ केन्द्र स्तर पर प्रत्येक वर्ष गैर आवासीय प्रशिक्षण आयोजित किये जाते हैं। इस वर्ष इस प्रशिक्षण में प्रत्येक एसएमसी तथा पीईईओ से एक जनप्रतिनिधि को सम्मिलित करते हुए सदस्यों को आमंत्रित किया गया है। बजट का प्रावधान निम्न प्रकार है :-

व्यय प्रावधान :-

विद्यालय प्रबंधन समिति/विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति सदस्यों के दो दिवसीय प्रशिक्षण हेतु प्रावधित राशि 500/- रूपये प्रति व्यक्ति दो दिवस में से PEEO (संकुल सन्दर्भ केन्द्र)/ शहरी संकुल संदर्भ केन्द्र पर आयोजित किये जाने वाले प्रशिक्षण हेतु राशि 460/- रूपये प्रति व्यक्ति औसतन 30 संभागियों हेतु प्रशिक्षण व्यवस्था निम्न प्रकार की जाए एवं शेष राशि 1200 रू में से ब्लॉक स्तरीय संदर्भ व्यक्तियों के प्रशिक्षण का व्यय किया जाए ।
30 संभागियों के लिए प्रावधित राशि = 15000/-
PEEO/शहरी संकुल संदर्भ केन्द्र प्रशिक्षण-संभागी x दिन x दर

30x 2 x 230 = 13800/-

प्रशिक्षण में भाग लेने वाले एसएमसी/एसडीएमसी सदस्यों एवं जनप्रतिनिधि को देय नकद भुगतान का बिल निम्न प्रारूप में संबंधित विद्यालय प्रबंधन समिति / विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति के प्रधानाध्यापक/प्रधानाचार्य से प्रमाणित करावें। आयोजन हेतु किए गए व्यय का भुगतान अनिवार्य रूप सेचैक अथवा बैंक खाते में किया जावे।

बालसभा- राजकीय विद्यालयों में बालसभा आयोजन वर्षों से एक नियमित गतिविधि है जिसका उद्देश्य है कि छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ शिक्षण प्रक्रिया में जन समुदाय की अधिकाधिक भागीदारी बढ़ाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित हो और जन समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से ही सम्पूर्ण राज्य में शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों में बालसभा का आयोजन सार्वजनिक स्थलों पर किया जाता है ।

हरित पाठशाला कार्यक्रम- वर्तमान समय में प्राकृतिक संसाधनों के लगातार दोहन एवं वन क्षेत्रों की कमी से पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ता जा रहा है । पर्यावरण सन्तुलन को बनाये रखने के लिये विद्यालय स्तर पर ही छात्र-छात्राओं में पर्यावरण की समझ पैदा करने के लिए पर्यावरण संरक्षण की कार्ययोजना के तहत प्रत्येक विद्यालय में विद्यालय वाटिका एवं हरित विद्यालय योजना प्रारंभ कर विद्यालयों में इसे लागू किया गया है। माननीय शिक्षा मंत्री महोदय द्वारा की गई घोषणा वृक्ष मित्र की अनुपालना में समस्त विद्यालयों में प्रति विद्यालय जितने बच्चों का शैक्षणिक सत्र 2019-20 में प्रवेश होता है उसी संख्या में उस विद्यालय में पौधारोपण किया जायेगा ।