राजस्थान सरकार
वित्त (बीमा/पेंशन) विभाग

क्रमांक : प.10 (12) वित्त / राजस्थान / 2015 जयपुर दिनांक 11 MAR 2017

विषय — पेंशन प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण के संबंध में दिशा-निर्देश ।

महोदय,

राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग, जयपुर ने राज्य सरकार के अधिकारियों / कर्मचारियों के पेंशन प्रकरणों के निस्तारण में विलम्ब को गम्भीरता से लेते हुये राज्य सरकार को एक विशेष प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है जिसमें विलम् के कारणों का उल्लेख करते हुये उनके निराकरण हेतु अनेक उपायों की अनुशंसा की है। सभी प्रशासनिक विभागों/ विभागाध्यक्षों /कार्यालयाध्यक्षों से अपेक्षा है कि वे पेंशन प्रकरणों कं समय पर निस्तारण हेतु समय समय पर जारी किये गये दिशा निर्देशों एवम् माननीय आयोग द्वारा की गई अनुशंसाओं के आर पर निम्न बिन्दुओं को दृष्टिगत रखते हुए पेंशन प्रकरणों के शीघ्र निस्तारण की कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करें :

1. प्रशिक्षण कार्यक्रम

(i) पेंशन प्रकरणों के समय पर निस्तारण हेतु राज्य के विभिन्न विभागों में कार्यरत वित्तीय सलाहकारों, लेखाधिकारियों, सहायक लेखाधिकारियों, लेखाकारों, कनिष्ठ लेखाकारों तथा प्रत्येक कार्यालय अध्यक्ष के आर्यालयों में पेंशन प्रकरण बनाने हेतु जिम्मेदार संस्थापन शाखा एवं लेखा शाखा के कर्मचारियों को निभागवार, सम्भागवार अथवा जिलेवार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर प्रशिक्षण दिशा जावे ।

(ii) पेंशन प्रकरणों के समय पर निस्तारण हेतु वित्त विभाग के अधिकारियों, पेंशन विभाग के अधिकारियों अथवा अन्य विज्ञ अधिकारियों के सहयोग से जिला स्तर, सम्भाग स्तर तथा विभाग के मुख्यालय स्तर पर उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवाये जावें तथा जिला स्तरीय अधिकारीगण भी उनके अधीनस्थ कार्यालयों में पेंशन प्रकरणों के निस्तारण हेतु जिम्मेदार – अधिकारी / कर्मचारियों को इस हेतु प्रशिक्षित करें। विभागाध्यक्ष अपने दौरों के दौरान यह जाँच कर सुनिश्चित करते रहें कि जिला स्तरीय अधिकारीगण द्वारा संबंधित अधिकारियों / कर्मचारियों को पेंशन प्रकरण के समय पर निस्तारण हेतु उचित प्रशिक्षण दिया गया है अथथा नहीं ।

(iii) जिला कलक्टर द्वारा भी उपरोक्तानुसार अपने जिले के विभिन्न विभागों के संबंधित अधिकारिकं एब कर्मचारियों के जिला पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते हैं ।

(iv) प्रशिक्षण के दौरान सम्बन्धित अधिकारी / कर्मचारीगण को राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 एवं पश्चातवर्ती संशोधनों के आधार पर निम्न पंच बिन्दुओं के बारे में विशेष रूप से अवगत कराया जावे-

(क) राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 80 के अनुसार सेवानिवृत होने वाले किसी अधिकारी/कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के दो साल पहले उसका पेंशन प्रकरण तैयार करने की आवश्यक रूप से प्रारम्भ की जानी चाहिए ।

(ख) पेंशन नियम 81 की अनुपालना में पेंशन कुलक ( प्रपत्र 5 ) अधिकारी / कर्मचारी से सेवानिवृत्ति के आठ माह पूर्व प्राप्त किया जाना चाहिए।

(ग) पेंशन नियम 83 के अनुसार सेवानिवृति के छह माह पहले सम्बन्धित विभाग द्वारा पेंशन प्रकरण तैयार कर पेंशन एवं पेंशनर्स कल्याण विभाग को अवश्य भिजवाया जाना चाहिए ।

(घ) पेंशन नियम 89 के अनुसार यदि सेवानिवृति के पश्चात 60 दिवस के अन्दर पेंशन स्वीकृत नहीं की जाती है और 60 दिवस बाद जितना विलम्ब होता है उस अवधि के लिए 9 प्रतिशत की दर से ब्याज दिये जाने सम्बन्धी नियम की कठोरता से पलना की जानी चाहिए।

(च) वित्त विभाग के परिपत्र संख्या प.12(6) वित्त / नियम / 2008 दिनांक 24.03.2015 के अनुसार समस्त अधिकारी / कचारी की सेवानिवृति से एक वर्ष पूर्व सेवानिवृति आदेश जारी किये जावें एवं सेवानिवृति आदेश में ही विभागीय एवं न्यायिक कार्यवाही लम्बित नहीं होने का प्रमाण पत्र दिया जावे।

पेंशन प्रकरणों के निस्तारण की प्रभावी मॉनिटरिंग

पेंशन प्रकरणों के निस्तारण की प्रभावी मॉनिटरिंग हेतु यह आवश्यक है कि प्रत्येक विभाग में जिस कार्यालय से पेशन प्रकरण तैयार किया जाता है उस कार्यालय से लेकर जिला स्तर, सम्भाग स्तर, विभागाध्यक्ष के कार्यालय में तथा प्रशासनिक विभाग में एक निश्चित अवधि में सम्बन्धित कार्यालय अध्यक्ष द्वारा लम्बित पेंशन प्रकरणों की समीक्षा कर पुराने प्रकरणों में से प्रत्येक प्रकरण के निस्तारण हेतु दिशा-निर्देश जारी किये जावें । अभी भी कुछ विभागों में सेवानिवृत हुए कर्मचारियों के न्यायिक मामले एवं विभागीय जांच विचाराधीन नहीं होने के बावजूद कुछ पेंशन प्रकरण लंबित हैं। जब तक ऐसे पुराने प्रकरणों का निस्तारण नहीं कर दिया जावे तब तक समस्त विभागाध्यक्षों के कार्यालयों में पुराने पेंशन प्रकरणों के निस्तारण हेतु अस्थाई रूप से एक विशेष प्रकोष्ठ गठित किया जावे. ताकि ऐसे प्रकरणों का रिकॉर्ड तलब कर परीक्षण उपरान्त सक्षम अधिकारी से चर्चा कर उनके निस्तारण हेतु उचित दिशा-निर्देश जारी किये जायें तथा इस हेतु समयबद्ध कार्यक्रम चलाया जावे ।

इस हेतु यह आवश्यक है कि जिस कार्यालय से पेंशन प्रकरण तैयार किया जाता है उस कार्यालय से कर समस्त वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालयों में आगामी दो साल में सेवानिवृत होने वाले तथा सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारी जिनकी पेंशन स्वीकृत होना शेष है, की नवीनतम सूची उपलब्ध हो। इसके लिए विभागीय वेबसाईट्स् पर दो साल में सेवानिवृत होने वाले तथा भोवानिवृत हो चुके कर्मचारी जिनकी पेंशन स्वीकृत होना शेष है, की नवीनतम सूची- अपलोड की वें और उसे निरन्तर अपडेट किया जावे। सम्बन्धित कार्यालय द्वारा कम्प्यूटर में एवम् एक रजिस्टर में ऐसी सूची संधारित की जाकर मॉनिटरिंग की जावे कार्यालय अध्यक्षों एवं विभागाध्यक्षों के स्तर पर नॉनिटरिंग हेतु दो अलग अलग प्रारूप परिशिष्ट-1 में संलग्न हैं ।

जिला स्तरीय पेंशन प्रकरण निस्तारण समितियों के गठन के मूल उद्देश्य की भावना के अनुसार प्राधि प्रभादी कार्यवाही की जाये तो पेंशन प्रकरणों के लम्बित रहने की सम्भावना काफी कम् हो जायेगी। समिति के अध्यक्ष जिला कलक्टर का उत्तरदायित्व है कि वे प्रत्येक त्रैमासिक बैठक में संबंधित विभाग के लम्बित प्रत्येक पेंशन प्रकरण लम्बित रहने के कारण की समीक्षा (Review) कर तथा प्रकरण के निस्तारण में आ रही कठिनाईयों के संम्बन्धं में सम्बन्धित अधिकारी को स्पष्ट विशा-निर्देश जारी करें तथा यदि किसी विभाग का पदाधिकारी पेंशन प्रकरण निस्तारण में अरूचि रखता है तो मामला विदागाध्यक्ष के ध्यान में लाया जाकर प्रकरण निस्तारण कराया जावे । इस कार्य को प्रभा सनाने के लिए जिला स्तरीय समिति के अधीन एक उप सनिति बनाई जावे विसमे जिले में पदस्थापित संस्थापन एवं लेखा से संबंधित एक एक अधिकारी हों, जो पेशन नियमों की जानकार हो, के द्वारा लम्बे समय से विचाराधीन प्रकरणों का गहन परीक्षण कर उनके / त्वरित निस्तारण हेतु अपने सुझाव सम्बन्धित जिला स्तरीय अधिकारी तथा जिला कलक्टर को

उपलब्ध करायें। जिला स्तरीय पेंशन प्रकरण निस्तारण समितियों के कार्य की निगरनी (Monitoring) सम्भागीय आयुक्त द्वारा की जावे एवं जिन विभागों में लन्बित मानलों की संख्या अधिक हों उनके जिला स्तरीय अधिकारी को सम्भागीय आयुक्त व्यक्तिशः तलब कर प्रत्येक प्रकरण की समीक्षा कर पेशन प्रकरणों का अविलम्ब निस्तारण सुनिश्चित करें ।

3. पेंशन प्रकरण तैयार करने की चरणबद्ध कार्यवाही

(i) राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम-80 के अनुसार सरकारी कर्मचारी जिस दिनांक को अधिवार्षिकी आयु पूर्ण करने पर सेवानिवृत होने वाला है, उससे दो वर्ष पूर्व कर्मचारी के पेंशन प्रकरण तैयार करने का कार्य प्रारम्भ करना सुनिश्चित किया जाये उक्त नियम की कठोरता से पालना करायी जाये। पेंशन नियम- 81 के अनुसार पेंशन पत्रादि को पूरा करने के लिए चरणबद्ध प्रक्रिया अपनाई जावें। प्रथम चरण में संबंधित कर्मचारी की सेवा पुस्तिका का अध्ययन किया जावे और देखा जावे कि कर्मचारी की सम्पूर्ण सेवा के लिए सत्यापन के प्रमाण पत्र दर्ज हैं या नहीं। यदि किसी अवधि विशेष का सेवा सत्यापन पूर्ण नहीं किया हुआ है तो उस अवधि का सेवा सत्यापन संबंधित अभिलेखों के आधार पर पूर्ण कराया जाये ।

(ii) जिन सरकारी कर्मचारियों ने भवन निर्माण अग्रिम, वाहन अग्रिम आदि जैसे दीर्घकालीन अग्रिम ऋण ले रखे हैं. उनके नामले में पेंशन नियम-94 के नीचे दी गई प्रक्रिया के अनुसार संबंधित कोषाधिकारी से पत्र व्यवहार किया जावे एवं अन्तिम बकाया या बकाया नहीं होने का प्रमाण पत्र प्राप्त किया जावे।

(iii) संबंधित कर्मचारी की सेवा पुस्तिका में यह भी देखा जाये कि विभिन्न वेतनमानो में उसका कोई वेतन निर्धारण बकाया तो नहीं है, यदि ऐसा है तो उसको अन्तिम रूप से निपटाया जावे। इसके अलावा उसकी सेवा से संबंधित अन्य कोई कमियां रही हैं तो उन्हें पूर्ण कराया जाये । इसके पश्चात् सेवानिवृति से ठीक पूर्व सेवा पुस्तिका से आहरित किए गये अथवा आहरित किये जाने वाली परिलब्धियों की सत्यता की जांच की जावे अर्थात् कार्यालय अध्यक्ष सेवा के प्रारम्भ से लेकर सेवानिवृति की दिनांक तक देय वार्षिक वेतन दृद्धिया, विभिन्न पुनरीक्षित वेतनमानों में किए गये वेतन नियतन, संवर्ग विशेष तथा पद विशेष के लिए सनय-समय पर देय / स्वीकृत विशेष बेतन एवं पदोन्नति पर तथा चर्यानित वेतनमान की देयता पर किये गये वेतन निर्धारण की विद्यमान नियनों के तहत जांच कराई जावे जिसके आधार पर सेवानिवृति की दिनांक को देय परिलब्धियों की संगणना की जावे।

(iv) पेंशन नियम–78 के नीचे दिये गये राजस्थान सरकार के निर्णय संख्या- 2 में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि समस्त अधिकारी / कर्मचारी की सेवानिवृति से एक वर्ष पूर्व सेधानिवृति आदेश जारी किये जावें एवं सेवानिवृति आदेश में ही विभागीय एवं न्यायिक कार्यवाही लग्बित नहीं होने का प्रमाण पत्र दिया जादे इस हेतु वित्त विभाग के परियत्र संख्या – प.12 (6 ) वित / नियम/2008 दिनांक 24.03.2015 द्वारा प्रतिस्थापित प्रपत्र – 6 की पूर्ण पालना सुनिश्चित की जावे ।

(v) सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को समय पर पेंशन के लिए प्राधिकृत करने के लिए उनसे जो अपेक्षाएं हैं थे पेंशन नियम-1998 के परिशिष्ठ – XI में वर्णित हैं। सेवानिवृति से पूर्व सरकारी कर्मचारी से जो अपेक्षाएँ है उनकी एक चैक लिस्ट तैयार कराई जाकर संबंधित कर्मचारी को आठ माह पूर्व पत्र के साथ चैक लिस्ट उपलब्ध कराई जाकर उनसे प्राप्ति रसीद प्राप्त कर अभिलेखों में सुरक्षित रखी जावे।

(vi) पेंशन नियम –1996 के परिशिष्ट – VIII में पेंशन प्रकरणों को समय पर अन्तिम रूप से निर्णीत करने के लिए नियुक्ति अधिकारी / विभागाध्यक्ष कार्यालय अध्यक्षों के दायित्व निर्धारित किये गये हैं। सभी नियुक्ति अधिकारी एवं कार्यालयाध्यक्ष पेंशन प्रकरणों का समय पर निस्तारण करने तु दिये गये अनुदेशों की पालना सुनिश्चित करें।

(vii) कार्यालय अध्यक्ष यह सुनिश्चित करें कि पेशन प्रकरण की तैयारी हेतु संबंधित कर्मचारी से पेंशन प्रपत्र-5 में वांछित सूचनाएं एवं अपेक्षित पूर्तियां सेवानिवृति की दिनांक से 8 माह पूर्व पूर्ण करा ली गई है तथा उनकी सत्यता की जांचोपरान्त संबंधित कर्मचारी का पेंशन प्रकरण लियमान्तर्गत सभी औपचारिकताओं के बाद परिपूर्ण हो चुका है ।

(vii) उपर्युक्त सभस्त कार्यवाही पूर्ण होने के पश्चात पेंशन नियम-82 के अनुसार पेंशन प्रपत्र 7 के भाग-1 को सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृति से न्यूनतम छ: माह पूर्व पूर्ण कराया जाये एवं पेंशन प्रपत्र-31 में अस्थाई अन्तिम वेतन प्रमाण पत्र जारी कर दिया जावे । उक्त दिशा-निर्देशों के तहत सम्पूर्ण कार्यवाही करने के पश्चात पेंशन नियम -83 के अनुसार संबंधित कर्मचारी की सेवानिवृति की दिनांक से छः माह पूर्व ही पेंशन प्रकरण अधिकृति जारी करने हेतु पेंशन विभाग को भिजवाया जावे।

(ix) कई मामलों में कर्मचारी की सेवा में रहते मृत्यु हो जाती है और उसके द्वारा सेवा नियमों के अन्तर्गत नामीकरण नही किया गया है तो पेंशन प्रकरण निस्तारण में कॉफी कठिनाई आती है और कई बार इसके कारण भ्यायिक विवाद उत्पन्न होते हैं। अत: प्रत्येक कर्मचारी से नामीकरण करवाया जाना सुनिश्चित किया जावे।

4. जन्म दिनांक में राशोधन/कटिंग

(i) राजस्थान सेवा नियमों के नियम 8(2)(क) में यह प्रावधान है कि दिनांक 01.01.1979 को जो व्यक्ति राज्य सेवा में था तो उसकी सेवा पुस्तिका/ सेवा विवरणिका में जो जन्म दिनांक अंकित है वह अंतिम मानी जाएगी चाहे उसका आधार एवं अधिकार कुछ भी हो। उक्तानुसार अंकित जन्म दिनांक को भविष्य में किसी भी अधार पर या प्रमाण पत्र के आधार पर परिवर्तित नहीं किया जाएगा चाहे वह संबंधित कार्मिक को लाभदायक हो अथवा नहीं। यदि किसी कार्मिक की सेवा पुस्तिका में जन्म दिनांक में कोई संशोधन/कटिंग है या किया गया है और उसका कोई उचित आधार है तो जैसे ही यह जानकारी प्राप्त हो तत्काल सक्षम प्राधिकारी से स्वीकृति प्राप्त करके उसकी प्रविष्टि सेवा पुस्तिका/सेवा विवरणिका में कर दी जावे एवं सक्षम स्वीकृति की प्रति सेवा पुस्तिका/विवरणिका में चस्पा की जाये ताकि निर्धारित समयावधि में ही पेंशन प्रकरण का निस्तारण हो सके।

(ii) जिस व्यक्ति की राज्य सरकार की सेवा में नियुक्ति दिनांक 01.01.1979 अथवा उसके पश्चात हुई है, उसली जनः दिनांक का निर्धारण संबंधित व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत गध्यमिक/उच्च माध्यमिक या दूसरे समयक्ष प्रमाण पत्र में अकित जन्म दिनांक के आधार पर किया जाये। (iii) कार्यदत्त (वर्कचार्ज) कर्मचारी जिसे राज्य सरकार के अधीन किसी नियमित प्रद पर समायोजित / नियगित/नियुक्त कर दिया गया है तो उसके संबंध में जन्म दिनांक वह माना जावेगा जो कार्यदत्त पद पर कार्य करते हुए बनाई गई सेवायुस्तिका / सेवा विवरणिका में अंकित होगी इसें कोई परिवर्तन एवं संशोधन नहीं किया जावे।

5. अनुपस्थिति अवधि का नियमितिकरण

किसी कर्मचारी के अनुपस्थित होने पर अनुपस्थिति अवधि का नियमितिकरण, कर्मचारी के ड्युटी पर उपस्थिति देने के तुरन्त बाद अथवा एक – दो माह की अवधि के भीतर कर दिया जावे। इसके लिए समय पर कार्यवाही नहीं करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध दिभागीय कार्यवाही की जावे ।

6. न्यायिक प्रकरण

(i) किसी अधिकारी/कर्मचारी के विरुद्ध फौजदारी प्रकरण दर्ज होकर उसके विरूद्ध यालय में अरोप पत्र प्रस्तुत होने से लेकर प्रकरण में हुए अन्तिम निर्णय तक के सम्बन्ध में नियक्ति अधिकारी को सूचित करने का दायित्व अभियोग चलाने वाले विभाग (पुलिस / भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों/अन्य विभाग जो अभियोग चलाने हेतु सक्षम हैं) का है तथा नियुक्ति अधिकारी की यह जिम्मेदारी है कि वह मामले के प्रत्येक चरण के सम्बन्ध में अधिकारी / कर्मचारी के सेवा अभिलेख में उक्त सूचना संधारित करें। इसी प्रकार जिला कलक्टर राज्य सरकार की ओर से मामले में अपील करने अथवा नहीं करने का निर्णय लेने पर निर्णय की एक प्रति नियुक्ति अधिकारी को भी पृष्ठांकित करें। अगर अपील करने का निर्णय लिया जाता है तो न्यायालय में अपील प्रस्तुत होने की सूचना तथा उसमें हुई प्रगति से नियुक्ति अधिकारी को सूचित करने की जिम्मेदारी अभियोग चलाने वाली संस्था की है।

(ii) उत्तराधिकारियों के आपसी विवादों के सम्बन्ध में सक्षम न्यायालय से निर्णय पारित होने पर उन निर्गयों को लागू करने के सम्बन्ध में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार शीघ्रता से आवश्यक कार्यवाही पूर्ण करायी जावे।

7. अनुशासनिक प्रकरण

(i) लघु शास्तियों के लिए प्रारम्भ की गई विभागीय कार्यवाहियां भी कई मामलों में काफी लम्बे समय तक लम्बित रखी जाती है जो उचित नहीं है। पेंशन नियम- 7 के नीचे दिये गये राजस्थान सरकार के निर्णय संख्या-6 में यह स्पष्ट किया गया है कि लघु शास्तियों के लिए प्रारम्भ की गई कार्यवाहियों का पेंशन को कम करने या रोकने के मामलों में उरकी पेंशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए विभागीय अधिकारियों से यह अपेक्षा है कि सी. सी. ए. 17 के तहत लघु शास्तिों के लिए प्रारम्भ की गई विभागीय कार्यवाहियों के कारण पेंशन प्रकरण को लग्बित नहीं रखा जाये।

(ii) निलम्बन अवधि का नियमितिकरण भी समय पर किया जाना सुनिश्चित किया जावे । विभागीय जांच के निर्णय / आदेश के साथ अगर अनुशासनिक अधिकारी निलम्बन अवधि के संबंध में आदेश प्रसारित नहीं करते हैं तो संबंधित कार्यालय के द्वारा पत्राग्ली पुनः उन्हें प्रेषित कर इस संबंध में आदेश प्राप्त किया जानें।

(iii)अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा कोई अनियमितता करने पर उनके दिरूद्ध विभागीय कार्यवाही किया जाना आवश्यक हो तो कार्यवाही अनियमितता घटित होने के तुरन्त पश्चात् की जावे। जा कर्मचारी/अधकारी सेवानिवृत होने वाले है. उनके विभागीय जांच के प्रकरणों में भी त्वरित गति से जांच पूर्ण की जाकर उनका निस्तारण जहां तक संभव हो, सेवानिवृति से पूर्व किया जाये एवं अगर यह संभव नहीं हो तो भी सेवानिवृति के पश्चात् यथासंभव शीघ्र उनका निस्तारण किया जादे। आने वाले दो वर्षा में सेवानिवृत होने वाले तथा सेवानिवृत हो चुके अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध चल रही विभागीय जांच की मोनीटरिंग अनुशासनिक अधिकारियो तथा उनके वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाना आवश्यक है ताकि इन निस्तारण में तेजी आ सके।

8. डुप्लीकेट सेवा पुस्तिका

राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक कर्मचारी की डुप्लीकेट सेवा पुस्तिका तैयार कर उसे देने का प्रावधान किया हुआ है। यह भी प्रावधान है कि सेवा पुस्तिका हर दर्ष सम्बान्धित कर्मचारी से अवलोकन कराकर प्रविष्टियां पूर्ण होना सुनिश्चित कर उसके हस्ताक्षर प्राप्त किये जायें उक्त दोनों प्रावधानों की पालना सुनिश्चित की जावे ।

9. विविध

समस्त कार्यालय अध्यक्ष उनके अधीन पदस्थापित कार्मिक जो सेवानिवृत हो चुके हैं या जो आगामी दो वर्ष में सेवानिवृत होने वाले हैं उनके पेंशन प्रकरणों के निस्तारण हेतु उपर्युक्त बिन्दुवार दिशा निर्देशों की कठोरता से पालना सुनिश्चित की जायें। आगामी 2 वर्ष में सेवानिवृ्त होने वाले कार्मिकों की सूची विभागीय पोर्टल पर अपलोड की जाकर संबंधित कार्यालय अध्यक्ष/ नियंत्रण अधिकारी द्वारा इसकी मॉनिटरिंग की जावे पेंशन प्रकरणों के निस्तारण की मानिटरिंग के लिए समस्त कार्यालय अध्यक्षों को यह निर्देशित किया जाता है कि वे विगत माह की प्रगति के संबंध में आगामी माह की 3 तारीख तक निर्धारित प्रपत्र में सूचना अपने नियंत्रण अधिकारी को प्रेषित करेंगे एवं नियंत्रण अधिकारी उक्तानुसार प्राप्त सूचना को संकलित करके अपनी टिप्पणी के साथ प्रमुख विभागाध्यक्ष को सम्प्रेषित करेंगे विभागाध्यक्ष सतर पर पेंशन प्रकरणों के निस्तारण हेतु गठित प्रकोष्ठ द्वारा लम्बित पेंशन प्रकरणों की नियमित मॉनिटरिंग की जावे ।

(ii) अगले दो साल में सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों के अलावा बाकी अन्य कर्मचारियों के सेवा रिकार्ड की भी जांच की जावे और अगर कोई पूर्ति शेष है तो उसे तुरन्त संबंधित कार्यालय से कराया जाना आवश्यक है चाहे कर्मचारी की सेवानिवृति में काफी समय हो अथवा नहीं। इसके अतिरिक्त किसी कार्यालय में कोई कर्मचारी स्थानान्तरित होकर आता है तथा उसकी सेवा पुस्तिका प्राप्त होती है तो उसी वक्त जांच कर देखा जाये कि क्या उपरोक्त वर्णित किसी मामले में निर्णय लेना बाकी है ? अगर बाकी हो तो तुरन्त सेवा पुस्तिका संबंधित अधिकारी को भेजकर उस निर्णय कराया जावे।

(iii) पेंशन प्रकरण में किसी ठोस आधार के बिना सेवानिवृति के 60 दिवस (दो माह) के अन्दर कार्मिक को पेंशन स्वीकृत होकर भुगतान नहीं होता है तो प्रकरण में विलम्ब के लिये जिम्मेदारी निर्धारित की जावे। जहां सम्बन्धित कर्मचारी की ओर से कोई कमी नहीं है तो राजस्थान सेवा (पेंशन) नियम-1996 के नियम-89 के तहत निर्धारित दर से ब्याज का भुगतान पेंशनर को किया जावे एवं ब्याज की वसूली दोषी अधिकारी/ कर्मचारी से की जावे इस दायित्व के निष्पादन के लिए विभागवार नोडल अधिकारी नियुक्त किए जायें। यदि पेंशनर्स के स्तर से किसी प्रकार की औपचारिकता पूर्ण नहीं की गई है तो उसका विवरण पृथक से भिजवाते हुए इस संबंध में की गई कार्यवाही से उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जावे।

(iv) पेंशन विभाग द्वारा एक से अधिक बार प्रकरण सम्बन्धित विभाग को लौटाकर नये-नये अक्षेप लगाये जाने की प्रवृति उचित नहीं है । यह सुनिश्चित किया जाये कि विभाग में पेंशन प्रकरण प्राप्त होने पर उसका भली-भांति अध्ययन कर जो भी कमी पूर्ती कराया जाना आवश्यक है, उसके संबंध में एक साथ सम्पूर्ण जानकारी संबंधित विभाग को उपलब्ध करायी जाये। किसी भी प्रकरण में अनावश्यक एवं बार-बार नये-नये आक्षेप लगाये जाने की प्रवृत्ति पाये जाने पर संबंधित के विरुद्ध जिम्मेदारी नियत कर अनुशासनात्मक कार्यवाही अमल में लायी जाये |

 (v) वर्कचार्ज कर्मचारियों की टी.ई. जारी करने के लगभग 3000 प्रकरण अभी भी शेष हैं। इनका निपटारा तुरत किया जाना आवश्यक है तथा इसकी मोनीटरिंग सभी विभागाध्यक्षों द्वारा की जाकर अपने अपने विभागों में जितने भी टी.ई. जारी करने के प्रकरण शेष हैं, चाहे संबंधित कर्मचारी सेवानिवृत हो चुका है अथवा सेवारत है उनकी टी ईं. जारी कराने के प्रस्ताव 3 गाह के अन्दर हीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग के संबधिता कार्यालय को भेजते हुये इसकी सूचना नोडल अधिकारी अतिरिक्त निदेशक (सतर्कता), राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, राजस्थान, जयपुर को भी प्रेषित की जावे । ऐसे प्रकरणों का निस्तारण 6 माह के अन्दर पूर्ण किया जाना सुनिश्चित करें ।

(vi) राज्य सरकार के अधिकतर कर्मचारी एवं अधिकारी अपने पेंशन प्रकरण स्वयं तैयार करने में सक्षम नहीं होते हैं। सेवानिवृत होने वाले कर्मचारी का दायित्व विभाग द्वारा चाहे गये दस्तावेज/ सूचना उपलब्ध कराना तथा विभाग से सहयोग करने तक सीमित है । पेंशनर प्रकरण तैयार कराने की पूर्ण जिम्मेदारी संबंधित कार्यालय की है। अतः सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष समय पर पेंशन स्वीकृत कराया जाना सुनिश्चित करें।

(vii) प्रायः यह देखने में आया है कि मृतक कर्मचारियों के पेंशन प्रकरण तैयार कर स्वीकृत कराने में काफी विलम्ब हो जाता है । मृतक कर्मचारी का पेंशन प्रकरण शीघ्रातिशीघ्र तैयार कर स्वीकृत किराने की पूर्ण जिम्मेदारी सम्बन्धित कार्यालयाध्यक्ष की है। यह देखा गया है कि विभिन्न कार्य के लिये ऐसे कर्मचारियों के वारिशान से लम्बे समय तक पत्राचार किया जाता है। उसके स्थान पर सम्बन्धित कार्यालय के संबंधित कर्मचारीगण द्वारा मृतक के परिजनों से व्यक्तिगत सम्पर्क कर आवश्यक दस्तावेज तैयार कर हस्ताक्षर करवाये जाने से प्रकरण के निस्तारण में तेजी आयेगी।

(viii) कुछ मामले में किसी कर्मचारी की अधिवार्षिकी आयु पूर्ण करने के समय उसके विरुद्ध प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन हो या विभागीय जांच विचाराधीन हो या किन्ही अपरिहार्य कारणों से सेवानिवृति की दिनांक को पेंशन प्रकरण का निस्तारण किया जाना संभव नहीं हो तो संबंधित कार्यालय अध्यक्ष का यह दायित्व है कि वह पेंशन नियम 90 के तहत संबंधित कर्मचारी को अनन्तिम पेंशन (Provisional Pension) स्वीकृत करायेगा। ग्रेच्युटी का भुगतान तब त्क रोका जावे जब तक कि उस विचाराधीन न्यायिक प्रकरण या विभागीय जांच का अन्तिम रूप से निस्तारण नहीं हो जावे।

(ix) पुराने विचाराधीन पेंशन प्रकरणों के निस्तारण हेतु विभागों के स्तर पर एक अभियान चलाकर उनका निस्तारण कराया जावे।

(x) पेंशन प्रकरणों के निस्तारण के संबंध में तथा पेंशन नियमों की व्याख्या के संबंध में समय समय पर वित्त विभाग द्वारा आदेश/परिपत्र जारी किये जाते रहे हैं। उक्त समस्त दस्तावेजों को इकजाई कर सरल भाषा में एक लघु पुस्तिका के रुप में तैयार की जाकर विभाग के समस्त कार्यालय अध्यक्षों को उपलब्ध कराई जावे।

उक्त निर्देशों की सख्ती से पालना किया जाना सुनिश्चित करे।

शासन सचिव, वित्त (बजट)