समग्र शिक्षा के अन्तर्गत प्राप्त अनुदान
1. ट्रांसपोर्ट वाउचर – ऐसे छितरी एवं कम आबादी क्षेत्रों एवं ढाणियों जहां निर्धारित मानदण्डानुसार विद्यालय का संचालन संभव नहीं है, में निवास कर रहे 6-14 वर्ष आयु वर्ग के बालक बालिकाओं को सहज एवं गुणवत्तापरक प्रारम्भिक शिक्षा के लिए उनके वास स्थान के निकटस्थ विद्यालयों में अध्ययन हेतु सुगमता पूर्वक पहुँचाने के उदेश्य से सत्र 2017-18 से कक्षा 1-8 के ग्रामीण क्षेत्र के बालक- बालिकाओं हेतु ट्रांसपोर्ट वाउचर सुविधा दी जा रही है। इसी प्रकार बालिका शिक्षा में नामांकन दर, ठहराव दर बढाने व जेण्डर गेप कम करने की दृष्टि से माध्यमिक शिक्षा की कक्षा 9-12 बालिकाओं को ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना से लाभान्वित किया जाता है ।
ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना से लाभान्वित होने हेतु पात्रता
कक्षा 1 से 8 के बालक-बालिकाओं हेतु | कक्षा 9 से 12 की बालिकाओं हेतु |
ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय विद्यालयों में नामांकित कक्षा 1 से 5 के ऐसे बालक/ बालिकाएं जिनके वास स्थान से 1 किमी से अधिक की दूरी तक कोई राजकीय प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध नहीं है | | ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय माध्यमिक /उच्च माध्यमिक विद्यालयों की कक्षा 9 से 12 में अध्ययन हेतु 5 किमी. से अधिक की दूरी से आने वाली बालिकाएं। |
ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय विद्यालयों में नामांकित कक्षा 6 से 8 के ऐसे बालक/ बालिकाएं जिनके वास स्थान से 2 किमी. से अधिक की दूरी तक कोई राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध नहीं है । | ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वांछित संकाय अथवा विषय उपलब्ध न होने पर निकटवर्ती शहरी क्षेत्र के राजकीय विद्यालयों की कक्षा 11 व 12 की 5 किमी. से अधिक की दूरी से अध्ययन हेतु आने वाली बालिकाएं |
मॉडल विद्यालयों की उसी पंचायत समिति की कक्षा 6 से 8 की बालिकाएं, जिनके निवास स्थान से विद्यालय की दूरी 02 कि0मी0 से अधिक है। | मॉडल विद्यालयों की उसी पंचायत समिति की कक्षा 9 से 12 की बालिकाएं जिनके निवास स्थान से विद्यालय की दूरी 05 कि0मी0 से अधिक है। |
ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना के तहत निर्धारित राशी की दर
कक्षा | विद्यालय का प्रकार | वास स्थान से विद्यालय की दूरी | श्रेणी | दर (प्रति उपस्थिति दिवस) | वर्ष /माह में अधिकतम स्वीकृत / देय राशि प्रति विद्यार्थी |
1 से 5 | राजकीय विद्यालय | 1 किमी, से अधिक | बालक व बालिका | 10 रुपये | 3000 |
6 से 8 | राजकीय विद्यालय | 2 किमी. से अधिक | बालक व बालिका | 15 रूपये | 3000 |
6 से 8 | स्वामी विवेकानन्द मॉडल स्कूल | 2 किमी. से अधिक उसी पंचायत | बालिका | 15 रूपये | 3000 |
9 से 12 | राजकीय विद्यालय | 5 किमी से अधिक ग्रामीण क्षेत्र का विद्यालय | बालिका | 20 रूपये | 540 प्रति माह (पीएबी 2020-21 के अनुसार) |
9 से 12 | स्वामी विवेकानन्द मॉडल स्कूल | 5 किमी. से अधिक उसी पंचायत | बालिका | 20 रुपये | 540 प्रति माह (पीएबी 2020-21 के अनुसार) |
11 से 12 | राजकीय विद्यालय | ग्रामीण क्षेत्र में वांछित संकाय/विषय उपलब्ध नहीं होने पर 5 किमी से अधिक के शहरी विद्यालय में आने वाली | बालिका | 20 रूपये | 540 प्रति माह (पीएबी 2020-21 के अनुसार) |
2. यूथ एवं ईको क्लब – यूथ क्लब के तहत बच्चों में जीवन जीने का कौशल, आत्मसम्मान एवं आत्मविश्वास विकसित करने तथा तनाव, भय एवं संकोच जैसे मनोविकारों को दूर कर सोच में लचीलापन विकसित करने के उद्देश्य से प्रत्येक राजकीय विद्यालय में यूथ क्लब तथा बच्चों को अपने आस-पास के पर्यावरण एवं जैव- विविधता के प्रति जागरूक एवं संवेदनशील बनाने तथा पर्यावरण गतिविधियों एवं प्रोजेक्ट्स पर कार्य करने के लिए क्षमता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रत्येक राजकीय विद्यालय में यूथ एवं ईको क्लब की सदन (अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल, आकाश) आधारित स्थापना की जानी है।
3. कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट – समग्र शिक्षा के अन्तर्गत राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों की सामान्य शैक्षिक, सह-शैक्षिक, भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति एवं पुराने उपकरणों के प्रतिस्थापन तथा विद्यालय स्वच्छता एक्शन प्लान हेतु कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट दिये जाने का प्रावधान है । छात्र हित में विद्यालय की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विद्यालय के नामांकन के आधार पर ग्रान्ट जारी की जाती है।
Sr. No. | Number of students in School | School Grant |
1 | 1-15 | Rs. 12500 (Including atleast Rs. 1250 for Swachhta Action Plan) |
2 | 16-100 | Rs. 25000 (Including atleast Rs. 2500 for Swachhta Action Plan) |
101-250 | Rs. 50000 (Including atleast Rs. 5000 for achhta Action Plan) | |
3 | 251-1000 | Rs. 75000 (Including atleast Rs. 7500 for Swachhta Action Plan) |
4 | Above 1000 | Rs. 100000 (Including atleast Rs. 10000 for Swachhta Action Plan) |
4. बीआरसी ग्रान्ट – कार्यालयी कार्य को गति देने एवं प्रभावी बनाने की श्रृंखला में शिक्षा विभाग के ब्लॉक स्तरीय कार्यालयों पर समय-समय पर आयोजित की जाने वाली बैठकों की सफल व्यवस्थाओं निर्बाध संचालन हेतु समग्र शिक्षा की वार्षिक कार्य योजना एवं बजट 2019-20 में 301 ब्लॉक संदर्भ केन्द्र (बीआरसी) को ब्लॉक संदर्भ केन्द्र के कार्य संचालन एवं अकादमिक सहायता हेतु बीआरसी ग्रान्ट का बजट प्रावधान किया गया है । परियोजना के अन्तर्गत संचालित की जाने वाली गतिविधियों के विद्यालय स्तर पर प्रभावी संचालन व मॉनीटरिंग तथा ब्लॉक कन्टिजेन्सी, मीटिंग, टीए व टीएलएम हेतु बजट जारी किया गया ।
5. सीआरसी ग्रान्ट – परियोजना के अन्तर्गत संचालित की जाने वाली गतिविधियों के विद्यालय स्तर पर प्रभावी संचालन व मॉनीटरिंग हेतु पीईईओ एवं शहरी नोडल केन्द्रों हेतु संकुल सन्दर्भ केन्द्र राशि जारी की जाती है। यह राशि कन्टिजेन्सी, मीटिंग, टीए, टीएलएम व मोबिलिटी सपोर्ट हेतु उपलब्ध करायी जाती है।
6. स्पोर्टस ग्रान्ट – बच्चों में खेलों के प्रति रूचि विकसित करने तथा बच्चों को शैक्षिक गतिविधि के साथ-साथ खेलकूद गतिविधियां कराये जाने के लिये ‘खेले इण्डिया खिले इण्डिया’ के अन्तर्गत माध्यमिक एवं प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों को खेल सामग्री व उपकरण हेतु स्पोर्टस ग्रान्ट से लाभान्वित किया जाता है ।
स्वच्छता अनुदान
समग्र शिक्षा स्वच्छता अनुदान (कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट की 10% राशि) के उपयोग हेतु सामान्य निर्देश
क्या उपयोग करें ?
- शौचालय/मूत्रालय की सफाई एवं रखरखाव ।
- शौचालय/मूत्रालय सफाई हेतु आवश्यक सामग्री का क्रय।
- सफाई कर्मी को पारिश्रमिक भुगतान।
- शौचालय/मूत्रालय में नियमित पानी की आपूर्ति ।
- पेयजल टंकियों की मासिक सफाई ।
- पेयजल के नल/हैण्डपम्प की सामान्य मरम्मत हैण्डपम्प के समीप की सफाई।
- विद्यालय परिसर की सफाई।
- मिड-डे-मील से पूर्व हाथ धोने हेतु साबुन की व्यवस्था।
- वर्ष में एक बार बाल्टी/मग /ब्रश / नेलकटर / आईना आदि का क्रय (आवश्यकता होने पर)
- विद्यालय कैशबुक में व्यय का नियमित इन्द्राज किया जाए।
इस राशि का उपयोग निम्नांकित हेतु नहीं किया जाए।
- जलपान।
- चाक-डस्टर क्रय
- स्टेशनरी/न्यूज पेपर क्रय।
- विद्यालय में उत्सव/कार्यक्रम आयोजन।
- विज्ञान/गणित किट की सामग्री का क्रय
- पेड़-पौधे क्रय व लगाने पर व्यय ।
- बिजली के बिल का भुगतान।
- निर्दिष्ट के अतिरिक्त अन्य आवर्ती व्यय |
विद्यालय स्वच्छता अनुदान उपयोग के सूचक
- मिड-डे-मील से पूर्व सभी बच्चे साबुन से हाथ धोते हैं। .
- शौचालय/मूत्रालय स्वच्छ, क्रियाशील हैं व नियमित जल आपूर्ति की व्यवस्था है ।
- विद्यालय परिसर व कक्षा-कक्ष साफ हैं।
- स्वच्छता अनुदान उपयोग का सामग्री क्रय व वितरण रजिस्टर संधारित है ।
लक्ष्य प्राप्ति हेतु अन्य वित्तिय प्रावधान:
क्र. सं. | कार्य | प्रावधान/समय सीमा | इकाई लागत |
1 | बालक-बालिकाओं के लिए जेण्डर संवेदनशील, जल सुविधा युक्त पृथक्-पृथक् शौचालय एवं मुत्रालय की सुविधा। (ग्रामीण क्षेत्र एवं शहरी क्षेत्र विद्यालयों हेतु) | 14वें वित्त आयोग के प्रावधानों के अन्र्तगत विद्यालयों द्वारा सम्बन्धित पंचायत या स्थानीय निकाय को प्रस्ताव प्रस्तुत करने पर पंचायत या स्थानीय निकाय द्वारा शौचालय का निर्माण,मरम्मत एवं रखरखाव करवाया जावेगा। | रू1 लाख 85 हजार शौचालय निर्माण हेतु एवं 20.000 शौचालय मरम्मत हेतु। |
2 | बालक-बालिकाओं के लिए जेण्डर संवेदनशील, जल सुविधा युक्त पृथक्-पृथक् शौचालय एवं मुत्रालय की सुविधा। (प्रा0/उ0प्रा०एवं उ0मा० विद्यालयों हेतु) (ग्रामीण व शहरी क्षेत्र विद्यालयों हेतु) | सम्बन्धित नगरपालिका एवं नगर निगम द्वारा 14वें वित्त आयोग में प्रदान प्रावधानों के अनुसार । | रू1 लाख 85 हजार शौचालय निर्माण हेतु एवं 20.000 शौचालय मरम्मत हेतु। |
3 | पेयजल आपूर्ति (जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकि विभाग द्वारा० ग्रामीण विद्यालयों हेतु) | राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम (NRDWP) 14 वें वित्त आयोग अन्तर्गत उपलब्ध वित्तीय प्रावधानों से पंचायत /नगर निकाय द्वारा | हैण्डपम्प वर्षाजल संग्रहण, टांका, पी.एच.ई.डी. कनेक्शन, बोरिंग की व्यवस्था पी.एच.ई.डी. द्वारा की जाती है। |
4 | पेयजल आपूर्ति शहरी क्षेत्र के प्रा0/उ0प्रा० एवं उ0मा० विद्यालयोंहेतु) | NUDWP राष्ट्रीय शहरी पेयजल आपूर्ति कार्यक्रम अर्न्तगत पाइप लाइन /बोरिंग)। | रू 60000/- (हैण्ड पंप वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था) |
5 | विद्यालय में शौचालय के मरम्मत एवं रखरखाव हेतु सेनिटेशन ग्रान्ट | 14 वें वित्त आयोग एवं पंचम राज्य वित्त आयोग द्वारा शिक्षा विभाग के माध्यम से। | कम्पोजिट स्कूल ग्रान्ट का 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष प्रति विद्यालय |
समग्र शिक्षा के अन्तर्गत प्राप्त अनुदान के सम्बन्ध में वित्तीय नियम एवं लेखा प्रक्रिया
1 सरकार द्वारा या अन्य स्त्रोतों से प्राप्त की गई समस्त धनराशियों को अविलम्ब रूप से सरकारी कैश बुक में इन्द्राज करना।
2. सरकारी एवं अन्य स्त्रोतों से प्राप्त धनराशि को बैंक खाते में जमा करना।
3. धनराशि का उपयोग किसी एक व्यक्ति विशेष को या लोगों के वर्ग को लाभ पहुँचाने के लिये नहीं किया जाना चाहिये।
4. किसी विशेष कार्य के लिये निर्धारित धनराशि का बिना सक्षम स्वीकृति के अन्य कार्य में उपयोग नहीं किया जाना चाहिये।
5. अंकेक्षण के समय ऐसे अभिलेख व संबंधित सूचनाओं को यथाशीघ्र उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
6.कपटपूर्ण आहरण/भुगतान के कारण या अन्य प्रकार से कोई हानि हुई तो उच्चाधिकारी को तुरन्त सूचित किया जावे।
7. जिस किसी के द्वारा कपट किया गया है या जिसकी उपेक्षा के कारण सरकार को नुकसान उठाना पड़ा है उस कपटपूर्ण आहरण/भुगतान के लिये उसे व्यक्तिशः जिम्मेदार ठहराया जायेगा ।
8.यदि किसी स्वीकृति के तहत 1 वित्तीय वर्ष के अन्दर सम्पूर्ण या आंशिक भुगतान नहीं किया गया हो तो वह स्वीकृति लैप्स हो जाती है।
9. यदि स्वीकृति में यह वर्णित हो कि व्यय किसी वर्ष विशेष के बजट से वहन किया जावेगा तो उस वर्ष की समाप्ति पर वह लैप्स हो जायेगा ।
10. सप्लायरों के बिल दो प्रतियों में होने चाहिये ।
11. भुगतान सामान्यतः चैक के द्वारा किया जावेगा नगद भुगतान विषम परिस्थिति में ही कारणों को उल्लेखित करते हुए किया जाना चाहिये।
12. जब कोई बिल दो या तीन प्रतियों में चाहा गया हो तो केवल एक प्रति पर ही पूर्ण हस्ताक्षर किये जाते हैं तथा अन्य प्रतियों पर लघु हस्ताक्षर किये जाते हैं।
13. समस्त बिलों व चैकों के लिये अलग-अलग रजिस्टर संधारित किये जाने चाहिये।
14. 5000/- रूपये से अधिक की समस्त राशियों की प्राप्ति रसीदों पर रेवेन्यू टिकिट लगाना चाहिये।
15. किसी के पक्ष में लिखे गये चैक को रेखांकित कर अकाउन्ट पे किया जाना चाहिये।
16. सामान्यतः 100/- रूपये से कम राशि के लिए चैक नहीं काटा जाना चाहिये ।
समग्र शिक्षा के अन्तर्गत निर्माण कार्य में विद्यालय प्रबंधन समिति की भूमिका–
समग्र शिक्षा के अन्तर्गत विद्यालयों में कराये गये निर्माण कार्यों के क्रियान्वयन में सामुदायिक सहभागिता एवं विद्यालय प्रबंधन के सहयोग के साथ स्थानीय सामग्री एवं विधाओं का उपयोग करते हुये विद्यालयों के परिसर को सुसज्जित करने का प्रयास किया जाता है । समग्र शिक्षा के अन्तर्गत सभी प्रकार के निर्माण कार्य समुदाय के सहयोग से पूर्ण कराये जाने का प्रावधान है। तदनुसार विद्यालय प्रबंधन समिति को निर्माण कार्य की राशि अग्रिम देकर ब्लॉक स्तर पर कार्यरत कनिष्ठ अभियंता के द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन एवं सम्बलन उपलब्ध कराया जाता है। विद्यालय प्रबंधन समिति/विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति को निर्माण कार्य हेतु सम्पूर्ण राशि उपलब्ध कराने के साथ निर्माण कार्य कनिष्ठ अभियंता के तकनीकी मार्ग दर्शन में किये जाते हैं, अर्थात् भूमि, मजदूर, सामग्री आदि की व्यवस्था समिति द्वारा की जाती है।
निर्माण कार्यों में स्थानीय उपलब्ध संसाधनों का उपयोग भी समिति द्वारा सुनिश्चित किया जा रहा है। इससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता में सुधार के साथ साथ स्थानीय लोगों में आत्मभिमान तथा जिम्मेदारी की भावना एवं विद्यालय से लगाव का भी विकास हुआ है । समस्त निर्माण कार्यों में गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुये कार्य निर्धारित समय में भी पूर्ण कराये जाने के प्रयास किये गये हैं ।
समग्र शिक्षा के अन्तर्गत निर्माण कार्य के क्रियान्वयन में “एसएमसी / एसडीएमसी” के उत्तरदायित्व :
राज्य के समस्त राजकीय विद्यालयोंमें जनसहभागिता के आधार पर विद्यालय का विकास करने एवं प्रबन्ध व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण करने की दृष्टि से एसएमसी /एसडीएमसी गठित है । इन समितियों से अपेक्षित है कि :-
- विद्यालय भवन में विशेष मरम्मत कार्य का आकलन कर प्रस्ताव निर्धारित प्रपत्र में संबंधित पीईईओ/सीबीईओ के माध्यम से जिला परियोजना कार्यालय को प्रस्तुत करना ।
- विभिन्न योजनाओं में विद्यालय परिसर में भवन निर्माण से सम्बन्धित समस्त कार्य संपादित करें। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) के मापदण्डानुसार विद्यालय में आवश्यक भौतिक सुविधाओं में कमी का पता लगायें तथा नियमित बैठक में तदनुसार आवश्यक निर्माण कार्यों के प्रस्ताव लेवें।
- निर्माण कार्यों हेतु जनसहभागिता से नगद, श्रम अथवा सामग्री के रूप में जनसहयोग प्राप्त करना व इसका लेखा जोखा रखना ।
- विद्यालय की परिसम्पतियों का बेहतर उपयोग व रखरखाव व सुरक्षा जनसहभागिता से सुनिश्चित करना।
- एसएमसी के सदस्यों में से भवन निर्माण हेतु तीन सदस्यीय क्रय समिति, देखरेख पर्यवेक्षण समिति, लेखा समिति आदि गठित करना । इसी प्रकार एसडीएमसी के सदस्यों में से भवन निर्माण उपसमिति का गठन किया जाएगा।
- स्थानीय बाजार में सर्वे कर क्रय समिति द्वारा निर्माण सामग्री क्रय करना ।
- तकमीने तथा स्वीकृत राशि की सीमा में कार्य पूर्ण करना।
- नियमित बैठकों में व्यय राशि का लेखा प्रस्तुत कर अनुमोदित कराना।
- विद्यालय की वास्तविक आवश्यकता को कनिष्ठ – अभियंता / पीईईओ / बी.ई.ई.ओ. /जिला परियोजना समन्वयक को अवगत कराते हुए स्वीकृत कराना।
- निर्माण कार्य स्वीकृति उपरान्त डीपीसी कार्यालय से अनुबन्ध करना एवं निर्धारित समयावधि में स्वीकृत कार्य पूर्ण कराना कनिष्ठ अभियंता से निर्माण हेतु ले-आउट प्राप्त करना / नक्शा व तकमीना प्राप्त करना।
- निर्माण कार्यों हेतु एसएमसी के सदस्यों को विभिन्न प्रशिक्षणों में प्रशिक्षित करना ।
- आवश्यकतानुसार समय समय पर ब्लॉक के कनिष्ठ अभियंता से तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त करना।
- नियमानुसार उपयोगिता प्रमाण पत्र व कार्य पूर्ण होने पर पूर्णता प्रमाण पत्र समय पर प्रस्तुत करना। निर्माणाधीन कार्यों की सामग्री हेतु गुणवत्ता परीक्षण करना तथा गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु विभागीय अधिकारियों/अभियंताओं को सामग्री का नमूना लेने व परीक्षण कराने में सहयोग करना।
- एसएमसी सचिव(प्रधानाध्यापक} /एसडीएमसी अध्यक्ष (प्रधानाचार्य} का स्थानान्तरण होने पर निर्माण कार्य के लेखा जोखा, कैशबुक व्यय राशि, शेष राशि आदि का पूर्ण चार्ज लेना/देना।
- भारत सरकार द्वारा अनुमोदित मुख्य निर्माण गतिविधियाँ निम्नानुसार है :-
प्राथमिक/उच्च प्राथमिक हेतु विद्यालय भवन | अतिरिक्त कक्षा कक्ष |
पेयजल सुविधा | चारदीवारी |
विद्यालयों हेतु विशेष मरम्मत | प्रधानाध्यापक कक्ष |
रैम्प निर्माण | विद्यालयों हेतु विद्युतीकरण |
शौचालय सुविधा | आवासीय विद्यालय भवन |