विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना 2020-21
अतिरिक्त निदेशक, राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग, (साधारण बीमा निधि) जयपुर के परिपत्र -1/2020-21 क्रमांक:- जीआईएफ / जीआईएस / एसएसआई/ अनु / 18-19 / 11-60 दिनांक:- 28/04/2020 के द्वारा वित्तीय सत्र 2020-21 21 से आंशिक संशोधन करते हुए यह योजना दिनांक 01.04.2020 से निम्नानुसार लागू की गयी है-
“राज्य के निजी विद्यालयों, राजकीय एवं निजी महाविद्यालयों / विश्वविद्यालयों तकनीकी महाविद्यालयों/विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षा से संबंधित शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के दुर्घटना बीमा हेतु इस विभाग द्वारा पूर्व से संचालित विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना में वित्तीय सत्र 2020-21 से आंशिक संशोधन करते हुए यह योजना दिनांक 01.04.2020 से निम्नानुसार लागू की जाती है:
1. योजनाः- राज्य के अनुदानित एवं गैर अनुदानित विद्यालयों,राजकीय / निजी महाविद्यालयों विश्वविद्यालयों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों की दुर्घटना में मृत्यु अथवा शारीरिक क्षतियों की दशा में विद्यार्थियों के माता / पिता / संरक्षक / पति/पत्नी (वैध मनोनीत )को वीमा आवरण उपलब्ध कराने के लिए राजस्थान सरकार के राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग (साधारण बीमा निधि)द्वारा वर्ष 2002 – 03 से विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना संचालित की जा रही है। यह योजना वर्तमान में निम्नानुसार प्रचलित है :-
2. योजना के संबंध में महत्वपूर्ण बिन्दुः
i. योजना का संचालन राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग (साधारण बीमा निधि) के जिला कार्यालयों द्वारा किया जा रहा है।
ii. इस योजना के अन्तर्गत निम्न श्रेणियां प्रचलित है :
क.सं. | बीमित ग्रूप | प्रीनियम प्रति छात्र (कर सहित) | बीमा धन (रू.) |
1. | कक्षा नर्सरी से आठवीं तक | 25 /- रू० | 50,000 |
2. | कक्षा 9 से 12वीं तक | 50/- रू० | 100000 |
3. | समस्त राजकीय एवं निजी महाविद्यालय, विश्वविद्यालय तकनीकी एवं उच्च शिक्षा | 100/-रू० | 200000 |
iii. विभाग के जिला कार्यालयों को प्रीमियम प्राप्त होने की दिनांक से पॉलिसी एक वर्ष के लिए प्रभावी रहेगी तथा पॉलिसी अवधि समाप्त होने से पूर्व आगामी वर्ष हेतु प्रीमियम प्राप्त होने पर प्रीमियम प्राप्ति की दिनांक से नई पॉलिसी जारी की जा सकेगी । शिक्षण संस्था द्वारा इस विभाग में प्रीमियम राशि जमा कराने की दिनांक से ही जोखिम वहन की जाएगी। यदि शिक्षण संस्था द्वारा विद्यार्थी से प्रीमियम राशि की वसूली कर ली गई है किन्तु प्रीमियम इस विभाग में देरी से जमा कराया गया है तो प्रीमियम जमा कराने की तिथि से पूर्व दुर्धटना मृत्यु / क्षति की स्थिति में पॉलिसी के तहत भुगतान नहीं किया जायेगा ।
iv. बीमित विद्यार्थी की मृत्यु अथवा पॉलिसी में उल्लेखित क्षतियों की स्थिति में पॉलिसी के प्रभावी रहने की अवस्था में भारत में किसी भी स्थान और सामय पर दूर्घटना घटित होने पर योजना का लाभ देय होगा ।
v. इस योजना के अन्तर्गत दी जाने वाली राशि अन्य किरी भी विधि विधान के अन्तर्गत दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि के अतिरिक्त होगी।
vi. मृत्यु अथवा शारीरिक क्षति दोनों प्रकार के दावों में दावा राशि विद्यार्थी के माता/पिता /संरक्षक पति/पत्नी (वैध मनोनीत) को देय होगी।
vii. राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग (साधारण बीमा निधि) के संयुक्त / उप / सहायक निदेशक कार्यालय जिला स्तर पर स्थित है । पॉलिसी जारी करने की समस्त प्रक्रिया एवं दावों का निस्तारण जिला कार्यालयों द्वारा किया जाएगा।
viii. विभाग द्वारा स्वीकृत किये गये दावों का भुगतान दावेदार के बैंक खाते में किया जावेगा।
ix. दावा प्रपत्र मय दस्तावेज दुर्घटना की तिथि के छ: माह के अन्दर दावेदार द्वारा पूर्ति कर शिक्षण संस्था के प्राचार्य के माध्यम से इस विभाग के सम्बन्धित जिला कार्यालय में प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है ।
x. दावा प्रपत्र के साथ मृत्यु की स्थिति में पुलिस एफआईआर, एफआर व पोस्टमार्टम रिपोर्ट आदि दस्तावेज एवं क्षति की स्थिति में एफआईआर, ईलाज का विवरण, मेडिकल बोर्ड सर्टिफिकेट आदि दस्तावेज संलग्न किये जावे। इसी प्रकार चिकित्सा पुनर्भरण के प्रकरणों में इलाज विवरण मूल मेडिकल बिल आदि भी संलग्न किये जाये।
xi. पॉलिसी अवधि में एक से अधिक दुर्घटना के होने पर बीमाधन से अधिक राशि का भुगतान नहीं किया जावेगा।
xii. पॉलिसी अवधि के बीच में सम्मिलित होने वाले विद्यार्थी के लिए शार्ट पीरियड रेट्स के आधार पर निम्नानुसार प्रीमियम राशि जमा करायी जावेगी :-
पॉलिसी अवधि के बीच में सम्मिलित | वार्षिक प्रीमियम का प्रतिशत |
एक माह तक | 25% |
एक माह से अधिक किन्तु 3 माह तक | 50% |
3 माह से अधिक किन्तु 6 माह तक | 75% |
6 माह से अधिक किन्तु 1 वर्ष तक | 100% |
xiii. उक्त बीमा योजनान्तर्गत प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी एवं तृतीय श्रेणी हेतु पृथक-पृथक अंडरटेकर रजिस्टर एवं क्लेम रजिस्टर संधारित किये जाएंगे।
xiv. योजना के तहत दुर्घटना में क्षति / मृत्यु की दशा में ही भुगतान देय है। अतः दुर्घटना के स्पष्ट साक्ष्य तथा क्षति/ मृत्यु का प्रत्यक्ष/आसन्न (Proximate) कारण दुर्घटना ही है, सुनिश्चित होने के पश्चात ही प्रकरण में भुगतान देय होगा दुर्घटना के कारण ही मृत्यु/क्षति कारित होने को साबित करने का दायित्व दावेदार का होगा ।
3. योजना किन पर लागू होगी:
राज्य के समस्त अनुदानित/ गैर अनुदानित नर्सरी से सीनियर सैकेण्डरी विद्यालय, समस्त राजकीय एवं निजी बी.एड. एवं एस.टी. सी. कॉलेज, समस्त राजकीय एवं निजी इंजीनियरिंग कॉलेज, सगस्त राजकीय एवं निजी पॉलीटेक्नीक कॉलेज, समस्त राजकीय एवं निजी मेडिकल एवं नर्सिंग कॉलेज, समस्त राजकीय / निजी महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय आदि के विद्यार्थियों पर योजना लागू होगी।
4. योजना हेतु विद्यार्थी की परिभाषाः
अनुदानित विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी एवं निजी संस्थाओं के विद्यार्थी जिनका प्रीमियम शिक्षण संस्था द्वारा इस विभाग को प्रपित किया गया है एवं शिक्षण संस्था द्वारा विभाग को प्रेषित सूची में जिनके नाम का उल्लेख है, योजना के अन्तर्गत वीमित विद्यार्थी माने जायेगें।
5. योजनान्तर्गत देय लाभ:
इस योजना के अन्तर्गत बीमित अवधि में दुर्घटना में विद्यार्थी की मृत्यु अथवा अन्य शारीरिक क्षति की दशा में योजना के प्रावधानों के अनुसार भुगतान किया जावेगा योजना के अन्न्तगत दुर्घटना में हुई क्षति का आशय किसी ऐसी शारीरिक चोट से है, जो वाहा, हिंसात्मक एवं दृश्य माध्यम (External, Violent, Visible Means) हो। शारीरिक चोट संदर्भित दुर्घटना से ही उत्पन्न हुई होनी चाहिए एवं दुर्घटना से पूर्व अस्तित्व में नहीं होनी चाहिए। स्पष्टतः योजना के अन्तर्गत केवल उन्हीं प्रकरणों पर विचार किया जायेगा जिनमें मृत्यु अथवा शारीरिक क्षति दुर्घटना से उत्पन्न हुई है। यह स्पष्ट किया जाता है कि मृत्यु/क्षति का सीधा संबंध (Proximate Cause) दुर्घटना से होना चाहिए।
6. विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना में दुर्घटनावश मृत्यु होने अथवा निम्न प्रकार की क्षति होने पर देय होगा :-
क्र. सं. | दुर्घटना में हुई क्षति का प्रकार | दुर्घटना पर देय लाभ/ बीमाधन प्रतिशत |
1 | दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर | 100% |
2 | दुर्घटना में दोनों हाथों या दोनों पैरों या दोनों आँखों या एक हाथ एवं एक ऑख अथवा एक पैर एवं एक आँख अथवा एक पैर एवं एक हाथ की क्षति पर | 100% |
3 | दुर्घटना में एक हाथ अथवा एक पैर अथवा एक आँख की क्षति पर | 50% |
4 | उपरोक्त क्षति के अलावा अन्य प्रकार की शारीरिक क्षति से बीमाकृत विद्यार्थी के सम्पूर्ण रूप से अयोग्य होने की दशा में | 100% |
5 | आशिक क्षति की दशा में- (अ) श्रवण शक्ति की क्षति की दशा में : | 50% |
(ब) एक हाथ के अंगूठे एवं अंगुलियों की क्षतिः | 40% | |
(स) हाथ के अंगूठे की क्षति 1. हाथ के अंगूठे की क्षति (दोनों अंगुलियों की क्षति) | 25% | |
(द) हाथ के अंगूठे के अतिरिक्त अन्य अंगुलियों की क्षति 1. किसी भी अंगुली की समस्त अंगुलस्थियों की क्षति पर | 10% | |
2. किसी भी अंगुली की दो अंगुलस्थियों की क्षति पर | 8% | |
3. किसी भी अगुली की एक अंगुलस्थी की क्षति पर | 4% | |
(य) पांव के अंगूठे एवं अंगुलियों की क्षति की दशा में (1) दोनों पांवों की समस्त पावांगुलियों की क्षति (समस्त अंगुलस्थियों की क्षति | 20% | |
(2) पांव के एक अंगूठे की क्षति (दोनों अंगुलस्थियों की क्षति) | 5% | |
(3) पांव के एक अंगूठे की क्षति (एक अंगुलस्थी की क्षति) | 2% | |
(4) अंगूठे के अतिरिक्त पांव की एक अथवा अधिक अंगुलियों की क्षति (दोनों अंगुलस्थियों की क्षति) | 1% | |
6 | जलने के कारण क्षति :- (1) सम्पूर्ण शरीर के 50 प्रतिशत या अधिक जलने पर | 50% |
(2) सम्पूर्ण शरीर के 40 प्रतिशत से अधिक किन्तु 50 प्रतिशत से कम जलने पर | 40% | |
(3) सम्पूर्ण शरीर के 30 प्रतिशत से अधिक किन्तु 40 प्रतिशत से कम जलने पर | 30% | |
7 | दुर्घटना के कारण आयी चोट के परिणामस्वरूप 24 घण्टे से अधिक चिकित्सालय (सरकारी या प्राईवेट) में भर्ती रहने पर संबंधित डॉक्टर या चिकित्सा अधिकारी के प्रमाण पत्र एवं दवाई के बिल प्रस्तुत करने पर निम्नानुसार लाभ देय है। | 10% |
उक्त योजना में पॉलिसी अवधि के अन्तर्गत दुर्घटनावश मृत्यु होने अथवा क्षति होने पर 100% बीमाधन से अधिक लाभ देय नहीं होगा।
इस योजना के अन्तर्गत हाथ की क्षति से आशय कलाई अथवा इसके ऊपर से पार्थक्य होने से है। इसी प्रकार पैर की क्षति से आशय पैर के टखने (Ankle) अथवा इसके ऊपर से पार्थक्य होने से हैं। इस योजना के तहत हाथ के पार्थक्य (Physical Separation) का आशय कलाई अथवा इसके उपर से पार्थक्य होने से है । इस प्रकार पैर के पार्थक्य (Physical Separation) से आशय टखना (Ankle) अथवा इसके उपर से पार्थक्य होने से है।
7. विद्यार्थी सुरक्षा दुर्घटना बीमा योजना के अपवर्जन :-
योजना के अन्तर्गत प्राकृतिक रूप से या बीमारी के कारण से होने वाली मृत्यु अथवा शारीरिक क्षति पर इस पॉलिसी के अन्तर्गत किसी प्रकार का लाभ देय नहीं होगा योजना के अन्तर्गत निम्न परिस्थितियों में लाभ देय नहीं है :-
क. हृदय गति रूक जाने से होने वाली मृत्यु अथवा अन्य क्षति।
ख, विभिन्न बीमारियों जैसे कैंसर, टी.बी. इत्यादि से होने वाली मृत्यु अथवा अन्य क्षति ।
ग. आत्मक्षति, आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास, पागलपन अथवा किसी विद्यार्थी द्वारा नशीला द्रव्य के प्रयोग के प्रभाव से होने वाली क्षति।
घ. चिकित्सा अथवा शल्य क्रिया के दौरान होने वाली क्षति।
ड. नाभिकीय विकिरण अथवा परमाणविक अस्त्रों से होने वाली क्षति।
च. युद्ध, विदेशी आक्रगण, विदेशी शत्रु के कृत्यों, गृह युद्ध देशद्रोह अथवा राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से होने वाली क्षति ।
छ. विद्यार्थी द्वारा आपराधिक उद्देश्य से विधि द्वारा निर्धारित कानून का उल्लंघन करते समय हुई मृत्यु अथवा क्षति।
ज. मोटर वाहन अधिनियम में निर्धारित उम्र से कम उम्र में वाहन चलाने के कारण होने वाली दुर्घटना से मृत्यु अथवा क्षति।
8. विभाग के जिला कार्यालय के निर्णय से असंतुष्ट होने की स्थिति में दावेदार द्वारा निर्णय की दिनांक से 3 माह की अवधि में निर्णय के रिव्यू / रिविजन हेतु संभागीय अतिरिक्त निदेशक, राज्य बीमा एवं प्रा० नि० के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रेषित किया जा सकेगा संभागीय अतिरिक्त निदेशकों से निर्णय के विरूद्ध रिव्यू /रिविजन निर्णय दिनांक से 3 माह की अवधि के भीतर निदेशक, राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग,राजस्थान, जयपुर को अपील की जा सकेगी ।
इस योजना के अन्तर्गत जिला कार्यालयों द्वारा जारी की जाने वाली पॉलिरी का प्रारूप संलग्न किया जा रहा है। जिला कार्यालयों द्वारा इसी प्रारूप में पॉलिसी जारी की जानी है। यही पॉलिसी विधिक कार्यों के लिए वैध दस्तावेज के रूप में प्रयोग में लाई जावे। योजना के संचालन हेतु निर्देश, यथावश्यकता समय -समय पर साधारण बीमा निधि कार्यालय द्वारा जारी किये जाएंगे।“