1THE RAJASTHAN SOCIETIES REGISTRATION ACT 1958
(Act No. 28 of 1958)

2Received the assent of the Governor on the 23rd day of June, 1958.
राजस्थान सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1958

(1958 का अधिनियम सं. 28 )

राज्यपाल की अनुमति तारीख 23 जून, 1958 को प्राप्त हुई।

An Act to provide for the registration of literacy, scientific, charitable and certain other societies in the State of Rajasthan.

Whereas it is expedient to consolidate and amend the law for improving the legal condition of societies established for the promotion of literature, science or the fine arts or for the diffusion of useful knowledge or for the diffusion of political education or for the charitable purposes.

Be it enacted by the Rajasthan State Legislature in the Ninth Year of the Republic of India as follows:-
राजस्थान राज्य में साहित्यिक, वैज्ञानिक, पूर्त तथा कतिपय अन्य सोसाइटियों के रजिस्ट्रीकरण के लिए उपबन्ध करने के लिए अधिनियम।

अत: यह समीचीन है कि साहित्य, विज्ञान या ललित कलाओं की पदोन्नति के लिए या उपयोगी जानकारी के प्रसार के लिए या राजनीतिक शिक्षा के प्रसार के लिए अथवा पूर्व प्रयोजनों के लिए स्थापित सोसाइटियों की विधिक परिस्थिति सुधारने के लिए विधि को समेकित तथा संशोधित किया जाये।

भारत गणराज्य के नवें वर्ष मे राजस्थान राज्य विधान मण्डल यह अधिनियम बनाता है :- 1. Short title, extent and commencement:- (1) This Act may be called the Rajasthan Societies Registration Act, 1958.
(2) It extends to the whole of the State of Rajasthan.
(3) It shall come into force on such date3 as the State Government may, by notification in the Official Gazette, appoint.

संक्षिप्त नाम, प्रसार तथा प्रारम्भ :- (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम राजस्थान सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1958 है ।
(2) इसका प्रसार सम्पूर्ण राजस्थान राज्य में है।
(3) यह उस तारीख से प्रवृत्त होगा जो राज्य सरकार राज-पत्र’ में अधिसूचना द्वारा नियत करे।


  1. Published in thc Rajasthan Gazette, Extraordinary, Part IV (Ka), dated 7.7.1958.
  2. राजस्थान राजपत्र असाधारण खण्ड 4(क) दिनांक 7.7.1958 को सर्व प्रथम प्रकाशित प्राधिकृत हिन्दी पाठ 2 अगस्त 1979 को प्रकाशित खण्ड 4(क) पृष्ठ संख्या 177 से 182 ।
  3. Enforced on 1.4.1959, Vide Noti. No. F. 11(12), Ind. (A)/56, dt. 27.2.1959, Published in the Raj. Gazette Part IV C dt. 12.3.1959.

1-A.(RAJASTHAN SOCIETIES REGISTRATION ACT 1958) Interpretation:-
(1) In this Act, unless the subject or context otherwise requires —
(i) ‘Registrar’ means the Registrar of Co-operative Societies for the State:

Provided that the State Government may, by notification in the Official Gazette, appoint any other person or officer, by name or by virtue of his office, to be the Registrar for the purposes of this Act, and in such case the person or officer so appointed shall be the Registrar for such purposes; and

(ii) “State’ or ‘State of Rajasthan’ means the State of Rajasthan as formed by section 10 of the States Reorganisation Act, 1956 (Central Act 37 of 1956).

(2) The provisions of the Rajasthan General Clauses Act, 1955 (Rajasthan Act 8 of 1955) shall, as far as may be, apply mutatis mutandis to this Act.

1-क. निर्वचन :- (1) जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इस अधिनियम में,
(i) ‘रजिस्ट्रार’ से राज्य की सहकारी सोसाइटियों का रजिस्ट्रार अभिप्रेत है : परन्तु राज्य सरकार राज-पत्र में अधिसूचना द्वारा किसी अन्य व्यक्ति या अधिकारी को, नाम द्वारा या उसके पद के आधार पर, इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए रजिस्ट्रार नियुक्त कर सकेगी, और ऐसी दशा में इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति या अधिकारी ऐसे प्रयोजनों के लिए रजिस्ट्रार होगा, और

(ii) ‘राज्य’ या राजस्थान राज्य से राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 (1956 का केद्रीय अधिनियम 37) की धारा 10 द्वारा यथा निर्मित राजस्थान राज्य अभिप्रेत है।

(2) राजस्थान साधारण खण्ड अधिनियम, 1955 (1955 का राजस्थान अधिनियम 8 ) के उपबन्ध यथाशक्य यथावश्यक परिवर्तनों सहित इस अधिनियम पर लागू होंगे।

I- B.(RAJASTHAN SOCIETIES REGISTRATION ACT 1958) Societies formed by memorandum of association and registration :- Any seven or more persons associated for any literary, scientific or charitable purpose or for any such purpose as is described in section 20 may, by subscribing their names to a memorandum of association and filing the same with the Registrar, form themselves into a society under this Act.

1-ख. संगम के ज्ञापन और रजिस्ट्रीकरण द्वारा सोसाइटियों का बनाया जाना :- किसी साहित्यिक, वैज्ञानिक या पूर्त प्रयोजन के लिए या किसी ऐसे प्रयोजन के लिए जो धारा 20 में वर्णित है, सहयुक्त कोई सात या अधिक व्यक्ति एक संगम के ज्ञापन में अपने नाम हस्ताक्षरित करके और उसे रजिस्ट्रार के पास दाखिल करके इस अधिनियम के अधीन अपने आपको सोसाइटी के रूप में गठित कर सकेंगे।

  1. (RAJASTHAN SOCIETIES REGISTRATION ACT 1958) Contents of memorandum of association :-

(1) The memorandum of association shall contain the following things, that is to say –
(a) the name of the society;
(b) the objects of the society;
(c) the names, addresses and occupations of the governors, directors, trustees or members (by whatever name they are designated) of the council, committee or other governing body to which, by the rules and regulations of the society, the management of its affairs is entrusted.

(2) A copy of the rules and regulations of the society, certified to be a correct copy by not less than three of the governors, directors, trustees or members of the governing body, shall be filed with the memorandum of association.

2. संगम के ज्ञापन की अन्तर्वस्तु:–

(1) संगम के ज्ञापन में निम्नलिखित बाते होंगी, अर्थात्

(क) सोसाइटी का नाम;
(ख) सोसाइटी के उद्देश्य
(ग) परिषद्, समिति या अन्य शासी निकाय के, जिनको कि सोसाइटी के नियमों और विनियमों द्वारा उसके काम-काज का प्रबन्ध सौंपा गया है, व्यवस्थापकों, निदेशकों, न्यासियों, सदस्यों (जिस किसी भी नाम द्वारा उन्हें पदाविहित किया जावे) के नाम, पते और उपजीविकाएं।

(2) सोसाइटी के नियमों और विनियमों की एक प्रति जो शासी निकाय के व्यवस्थापकों, निदेशकों, न्यासियों या सदस्यों में से तीन से अन्यून द्वारा सही प्रति के रूप में प्रमाणित हो, संगम के ज्ञापन के साथ दाखिल की जायेगी।

3.(RAJASTHAN SOCIETIES REGISTRATION ACT 1958) Registration and fees:- (1) Upon such memorandum and certified copy being filed, the Registrar shall certify under his hand that the society is registered under this Act.
1[(2) There shall be paid to the Registrar for every such registration, such fec as the State Government may, from time to time, direct, and all fees so paid shall be accounted for to the State Government.] (1. Substituted by Raj., Act No. 28 of 1992 w.e.f. 11.11-1992.)

3. रजिस्ट्रीकरण और फीस :- (1) ऐसे ज्ञापन और प्रमाणित प्रति के दाखिल किये जाने पर रजिस्ट्रार अपने हस्ताक्षर से प्रमाणित करेगा कि उस सोसाइटी की इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्री की जाती है।

1[(2) ऐसे प्रत्येक पंजीकरण हेतु पंजीयक को इतना शुल्क, जितना कि राज्य सरकार समय-समय पर निर्देशित करेगी, भुगतान किया जायेगा तथा इस प्रकार भुगतान किये गये समस्त शुल्कों को राज्य सरकार के लेखाओं में सम्मिलित किया जायेगा ।] (1. राजस्थान राजपत्र असाधारण भाग 4(क) दिनांक 11.11.1992, पृष्ठ 155(1) द्वारा विस्थापित।)

4. Annual list to be filed:– Once in every year, on or before the fourteenth day succeeding the day on which, according to the rules and regulations of the society, the annual general meeting of the society is held, or, if the rules and regulations do not provide for an annual general meeting, in the month of January, a list shall be filed with the Registrar of the names, addresses and occupations of the governors, directors, trustees or members of the council, committee or other governing body then entrusted with the management of the affairs of the society.

4. वार्षिक सूची का फाइल किया जाना :- हर वर्ष में एक बार, उस दिन के, जिसको कि सोसाइटी के नियमों तथा विनियमों के अनुसार सोसाइटी का वार्षिक साधारण अधिवेशन किया जाता है, उत्तरवर्ती चौदहवें दिन को या उससे पूर्व या यदि नियमों तथा विनियमों में वार्षिक साधारण अधिवेशन के लिए उपबन्ध नहीं है तो जनवरी के मास में रजिस्ट्रार के पास एक सूची दाखिल की जायेगी जिसमें परिषद् समिति या अन्य शासी निकाय के व्यवस्थापकों, निदेशकों, न्यासियों या सदस्यों के, जिनको सोसाइटी के काम-काज का प्रबन्ध तत्समय सौंपा हुआ हो, नाम, पते और उपजीविकाएं होंगी।

4-A. (RAJASTHAN SOCIETIES REGISTRATION ACT 1958) Changes in governing body and rules to be filed:-

(1) Together with the list mentioned in section 4 there shall be sent to the Registrar a statement showing all changes during the year to which the list relates in the personnel of the governors, directors, trustees or members of the council, committee or other governing body to which the management of the affairs of the society is entrusted and also a copy of the rules and regulations of the society corrected up to date and certified to be a correct copy by not less than three of the governors, directors, trustees or members of the governing body.

(2) A copy of every alteration made in the rules and regulations of the society, certified to be a correct copy in the manner aforesaid, shall be sent to the Registrar within fifteen days of the making of such alteration.

4-क. शासी-निकाय और नियमों में हुए परिवर्तनों का फाइल किया जाना :-
(1) धारा 4 में वर्णित सूची के साथ, रजिस्ट्रार को एक विवरण, जिसमें उस परिषद् समिति या अन्य शासी निकाय, जिसे सोसाइटी के काम-काज का प्रबन्ध सौंपा हुआ हो, के व्यवस्थापकों, निदेशकों, न्यासियों या सदस्यों में उस वर्ष जिससे सूची सम्बन्धित है, के दौरान किये गये समस्त परिवर्तन दर्शित किये जायें, तथा सोसाइटी के नियमों और विनियमों की एक प्रति भी जो अद्यतन शुद्ध कृत हो और शासी निकाय के व्यवस्थापकों, निदेशकों, न्यासियों या सदस्यों में से तीन से अन्यून द्वारा सही प्रति के रूप में प्रमाणित हो, भेजी जायेगी।

(2) सोसाइटी के नियमों और विनियमों में किए गए प्रत्येक परिवर्तन की एक प्रति, जो पूर्वोक्त रीति से सही प्रति के रूप में प्रमाणित हो, ऐसे प्रमाणित करने पन्द्रह दिन के भीतर रजिस्ट्रार को भेजी जायेगी।

4-B.(RAJASTHAN SOCIETIES REGISTRATION ACT 1958) Penalty of non-compliance of section 4 or section 4-A or for making a false entry:-

(1) If the chairman, secretary or any other person authorised in this behalf by the rules and regulations of the society or by a resolution of the governing body of the society fails to comply with the provisions of section 4 or section 4-A, he shall, on conviction, be punishable with fine which may extend to five hundred rupees and, in case of a continuing breach, with a further fine not exceeding fifty rupees for each day during which the defaults is continued after the first conviction for such offence.

(2) If any person wilfully makes or causes to be made any false entry in, or any omission from, the list filed under section 4 or any statement or copy of rules and regulations or of alterations therein sent to the Registrar under section 4 A, he shall, on conviction, be punishable with fine which may extend to two thousand rupees.

4-ख. धारा 4 या 4-क के अनुपालन अथवा मिथ्या प्रविष्टि के लिए शास्ति :- (1) यदि अध्यक्ष, सचिव या सोसाइटी के नियमों और विनियमों द्वारा अथवा सोसाइटी की शासी निकाय के किसी संकल्प द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई अन्य व्यक्ति, धारा 4 या धारा 4-क के उपबन्धों का अनुपालन करने में असफल रहता है तो वह, दोष सिद्धि पर जुर्माने से पाँच सौ रुपये तक का हो सकेगा और ऐसे अपराध के लिए प्रथम दोष सिद्धि के पश्चात् भंग के चालू रहने की दशा में प्रत्येक दिन जिसके दौरान व्यतिक्रम चालू रहता है, के लिए पचास रूपये से अनधिक अतिरिक्त जुनि से, दण्डनीय होगा।

(2) यदि कोई व्यक्ति धारा 4 के अधीन फाइल की गई सूची में या धारा 4-क के अधीन रजिस्ट्रार को भेजे गये किसी विवरण में या नियमों और विनियमों की या उनमें किये गये परिवर्तनों की प्रति में जानबूझ कर कोई मिथ्या प्रविष्टि या लोप करता है या कराता है तो वह दोष सिद्धि पर, जुर्माने से जो दो हजार रुपये तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा।

4-C.(RAJASTHAN SOCIETIES REGISTRATION ACT 1958) Cognizance of offences under section 4-B:-
No Court inferior to that of a Magistrate of the first class shall try any offence under section 4-B nor shall cognizance of any such offence be taken except on a complaint made in writing by the Registrar or any person authorised by him in this behalf.

4-ग. धारा 4-ख के अधीन अपराधों का संज्ञान :- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट से अवर कोई न्यायालय धारा 4-ख के अधीन किसी अपराध पर विचारण नहीं करेगा और न ऐसे किसी अपराध का संज्ञान, रजिस्ट्रार अथवा इस निमित्त उसके द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति द्वारा लिखित में किये गये परिवाद के बिना किया जायेगा।

5.(RAJASTHAN SOCIETIES REGISTRATION ACT 1958) Property of society in whom vested :–

(1) The property, movable and immovable, belonging to or held or acquired by a society registered under this Act, if not vested in trustees in trust for such society, shall be deemed to be so vested for the time being in the governing body of such society, and in all proceedings, civil and criminal, may be described as the property of the governing body of such society.

(2) Where any such property is vested or is to become vested in trustees in trust for any society registered under this Act and any new trustees have been appointed under and in accordance with section 5-A, the property shall, notwithstanding anything contained in any instrument or in the rules and regulations of the society, become vested without any conveyance or other assurance, in such new trustees and the continuing old trustees jointly or if, there are no old continuing trustees, in such new trustees wholly upon the same trusts, and with and subject to the same powers and provisions, as it was vested in the old trustees.

5. सोसाइटी की सम्पत्ति किसमें निहित होगी :-

(1) इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत सोसाइटी की या उसके द्वारा धारित या अर्जित स्थावर और जंगम सम्पत्ति, यदि सोसाइटी के लिए न्यास के तौर पर न्यासियों में निहित नहीं है तो ऐसी सोसाइटी के शासी निकाय में तत्समय इस प्रकार निहित समझी जायेगी और सभी सिविल आपराधिक कार्यवाहियों में ऐसी सोसाइटी के शासी निकाय की सम्पत्ति के रूप में वर्णित की जा सकेगी।

(2) जहां कोई ऐसी सम्पत्ति इस अधिनियम के स्पधीन रजिस्ट्रीकृत किसी सोसाइटी के लिए न्यास के तौर पर न्यासियों में निहित है या निहित होने वाली है और कोई नये न्यासी धारा 5-क के अधीन और अनुसार नियुक्त किये गये हैं तो किसी लिखित में अचवा सोसाइटी के नियमों और विनियमों में अन्तर्विष्ट किसी बात के होने पर भी उक्त सम्पत्ति विना किसी हस्तान्तरण या अन्य आश्वासन के बाद ऐसे नये न्यासियों तथा बने रहे पुराने न्यासियों में संयुक्त रूप में निहित हो जायेगी, या यदि कोई बने रहे पुराने न्यासी हैं तो उसी न्यास पर ऐसे नये न्यासियों में, उन्हीं शक्तियों और उपयरहित तथा उनके अध्यधीन पूर्णत: उसी प्रकार निहित हो जायेगी जिस प्रकार कि वह पुराने न्यासियों में निहित थी।