2. उपस्थिति चार्ट (नियमित उपस्थिति हेतु प्रोत्साहन)

 यह गतिविधि बालिकाओं को नियमित स्कूल आने हेतु प्रेरित करने की दृष्टि से की जायेगी। इसके अंतर्गत कक्षा के सभी बच्चों के नाम, चार्ट पर अंकित कर माहवार उपस्थिति दर्शायी जायेगी। माह के अंतिम कार्य दिवस पर, उस माह में 20 दिन या उससे अधिक दिन स्कूल आने वाले बच्चों को “हरा स्टार” दें। 15 से 19 दिन स्कूल आने वाले बच्चों को “पीला स्टार” दें कक्षाध्यापक “हरा एवं पीला स्टार” पाने वाले बच्चों के लिए कक्षा / प्रार्थना स्थल पर तालियां बजवाये । यह भी महत्वपूर्ण है कि लगातार अनुपस्थित रहने वाली बालिकाओं को विद्यालय में नियमित रूप से उपस्थित रहने हेतु अभिभावकों से संपर्क कर अध्यापक/गार्गी मंच के सदस्य प्रेरित करें। गार्गी मंच के कक्षावार एक सखी एवं एक सखा अपनी कक्षा हेतु कक्षा अध्यापिका के सहयोग से उपस्थिति चार्ट बनायेगे चार्ट का निर्माण 01 अगस्त से आवश्यक रूप से शुरू कर दिया जाये जो कि वर्षपर्यन्त जारी रहेगी। इसमें गार्गी मंच की कक्षा प्रभारी अपनी कक्षा के बच्चों की उपस्थिति प्रत्येक माह अंकित करेंगी। इस हेतु चार्ट पेपर इत्यादि का क्रय गार्गी मंच की नियमित गतिविधियों हेतु निर्धारित राशि में से किया जा सकेगा |। सभी कक्षाध्यापक और संस्थाप्रधान मंच के सदस्यों के साथ चर्चा करेंगे कि उनकी भागीदारी से स्कूल में बच्चों की नियमित उपस्थिति में किस प्रकार का बदलाव आ रहा है और सत्र के प्रारम्भ एवं अन्त में बच्चों का तुलनात्मक ठहराव कितना रहा जिला एवं राज्य स्तर से इसकी नियमित समीक्षा की जाएगी।

3. सकारात्मक एवं नकारात्मक शब्दों की पहचान

सुगमकर्ता पहली बार इस खेल को खिलाये और खेल पश्चात अन्य समूहों में इसे खेले जाने के नियम और सावधानियों को समझाये। इस खेल में अपेक्षाकृत बड़े बच्चों को नेतृत्व करने का मौका दिया जाये। गार्गी मंच दो समूहो में बंट जाये और एक खेल खेले। पहले समूह को ऐसे शब्दों को बोलने को कहा जाये जो किसी भी व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव डालता हो। इसी प्रकार दूसरे समूह को ऐसे शब्दों को बोलने को कहा जाये जो किसी भी व्यक्ति पर सकारात्मक प्रभाव डालता हो। दूसरा समूह यदि प्रस्तावित शब्द से सहमत हो तो समूह के अपने शब्दों को चार्ट पेपर/कॉपी में लिख लें।

दोनों समूह को प्रस्तुति देने को कहा जाये और तब सुगमकर्ता सहयोग करे कि ऐसे कितन शब्द हम रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग में लाते हैं जो कि जेण्डर जाति, रंग, शारीरिक रचना आदि से जुड़े हैं और हमें और हमारी सोच, हमारे सपनों को सकारात्मक/नकारात्मक तरीके से प्रभावित करती है।

4. खतरों की पहचान

गार्गी मंच के सदस्यों को सर्वप्रथम नजरी नक्शा के कान्सेप्ट पर समझाया जाये। इसके बाद पेपर या चार्ट पर अलग-अलग नक्शा बनाने को कहें –

>>विद्यालय के सभी महत्वपूर्ण स्थान जहाँ वे जाते हैं।

>>घर से विद्यालय आने का रास्ता, रास्ते आने वाले सब पोइन्ट जैसे खाली रास्ता, चाय / पान की दुकान, ढाबा, बस्ती, शराब का ठेका, आदि।

>> मौहल्ले/गांव में सभी जगह जहां वे जाते हों।

अब उन्हें लाल और हरा रंग देकर कहें – जिन स्थानों पर उन्हें जाना अच्छा नहीं लगता उस पर लाल रंग से गोला बनायें और जिन स्थानों पर उन्हें जाना अच्छा लगता उस पर हरे रंग से गोला बनायें।

इसके बाद सुगमकर्ता सबसे चर्चा करे चिन्हित करे कि क्या संभावित कारण हैं जिससे वो स्थान उन्हें अच्छे नहीं लगते विशेष ध्यान दे कि किसी एक या दो बच्चों की स्थिति में पृथक से बात की जाये। बच्चों को इसी प्रकार अपनी-अपनी कक्षा में सहपाठियों से मैप बनाने को कहा जाये लाल रंग वाले स्थानों का अध्ययन सुगमकर्ता एवं संस्थाप्रधान करें और प्रभावित छात्रा छात्र से पृथक से चर्चा करें।

उक्त गतिविधि पश्चात दूसरे चरण में उन व्यक्तियों के नाम चिन्हित करें जिन्हें बच्चे पसंद करते हैं या नापंसद। प्रभावति करने वाले कारणों को तलाशें और सुनिश्चित करें कि बच्चे किसी असहज स्थिति में नहीं हो। विद्यालय संबंधी कारणों का तत्काल समाधान किया जाये और पारिवारिक कारणों को काउन्सिलिंग अथवा पुलिस/बाल संरक्षण समिति की मदद से सम्परधान किया जाये।

सत्र 2018-19 में मीना मंच एवं गार्गी मंच हेतु एजेण्डा मीना मंच एवं गार्गी मंच इस सत्र में निम्नलिखित चार मुद्ददों पर काम करेगी –

1. आउट-ऑफ-स्कूल बालक/ बालिकाओं को विद्यालय से जोड़ने की पहल करना।

2. सभी बालक-बालिकाओं की उपस्थिति को नियमित करने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली (early warning system) पर पहल करना।

3. स्कूल में बालिका संवेदी इंडीकेटरर्स को लागू करने के लिए सभी बच्चों के साथ चर्चा करना। मीना कहानियों पर समय- समय पर कार्यक्रम आयोजित करने, बच्चों में संवेदनशीलता, जागरूकता उत्पन्न करना।

4. जेण्डर एवं महावारी स्वच्छता पर लगातार समस्त बच्चों से समूहों में वार्ताएं आयोजित करना।

5. अध्ययन प्रक्रिया को श्रेष्ठ करना एवं श्रेष्ठ परिणाम ओर अग्रसर होना।

विद्यालय स्तरीय गतिविधियां

(1) प्रिन्सिपल/संस्थाप्रधान द्वारा विद्यालय की महिला शिक्षिका को सुगमकर्ता का दायित्व देना।

(2) जुलाई 2019 में मीना मंच का गठन /पुनर्गठन। नोडल सैकण्डरी विद्यालयों में कक्षा 9 से 12 की छात्राओं हेतु गार्गी मंच का पृथक से गठन / पुनर्गठन करना एवं गागी मंच को मीना मंच की गतिविधियों से जोड़ना।

(3) सत्र-पर्यन्त मीना मंच गतिविधि -कैलेण्डर की गतिविधियों को संचालन हेतु चिन्हित करना और विद्यालय के वार्षिक कलेण्डर में सम्मिलित करना।

(4) माह के प्रथम एवं तीसरे शनिवार को मीना एवं गार्गी मंच की बैठकों आयोजित करना।

(5) माह के द्वितीय एवं चौथे शनिवार को मीना एवं गार्गी मंच द्वारा अन्य बच्चों से चर्चा/बैठक करना।

(6) मीना मंच एवं गार्गी मंच की बालिकाओं के नेतृत्व में बाल मंच एवं चाइल्ड राइट्स क्लब के सदस्य बच्चों के साथ विद्यालय में निम्नलिखित गतिविधियां आयोजित करवायेंगे –

6.1. कक्षावार उपस्थिति चार्ट बनाना; अनियमित बच्चों को विद्यालय लाने हेतु मौहल्लेवार टोली बनाना। गार्गी मंच किसी भी बालिका के साथ समस्या नहीं हो, इसलिए मौहल्लेवार समूह बना कर समूह में बालिकाओं के आने जाने की योजना बनायें।

6.2. सत्र में चार बार (अगस्त, नवम्बर, जनवरी एवं अप्रेल माह) में क्लस्टर के सक्रिय मीना मंच के विद्यालय में निकट के अन्य विद्यालयों से मीना मंच एवं गार्गी मंच सदस्याओं को आमंत्रित कर संगोष्ठी करना मीना-राजू मंच एवं गार्गी मंच की गतिविधियों को एक-दूसरे से साझा करना।

6.3. संयुक्त कामों को और सहयोग के क्षेत्रों को चिन्हित करना।

6.4. विद्यालय में मीना कार्नर/मीना वाचनालय का संचालन करना।

6.5. अनियमित बालिकाओं, बाल-विवाह से प्रभावित/ संभावित बालिकाओं के नियमित शिक्षा जारी रखने हेतु उनकी सूची एसएमसी /एसडीएमसी की बैठकों में मीना मंच एवं गार्गी मंच के माध्यम से प्रस्तुत करना और कार्ययोजना बना उस पर कार्यवाही सुनिश्चित करवाना।

6.6. चाइल्ड राइट्स क्लब की सदस्य बालक-बालिकाओं के माध्यम से बाल-अधिकारों एवं बाल सुरक्षा (पोक्सो एक्ट सहित ) पर चर्चा करभा।

6.7. सर्वसुलभ स्थान पर गरिमा पेटी लगाना और मीना मंच एवं गार्गी मंच को उसके संचालन की एवं एसएमसी/एसडीएमसी की बैठकों में समस्याओं को प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी देना। गरिमा पेटी से प्राप्त समस्याओं का संस्थाप्रधान द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर निस्तारण एवं रिकार्ड संधारण करेगें।

6.8. मीना मंच एवं गार्गी मंच के नेतृत्व में समस्त कक्षाओं में मौहल्लेवार एवं शैक्षणिक स्तर के अनुसार पीयर समूह का गठन करना | पीयर समूह के बच्चों को रोज विद्यालय आने, विद्यालय कार्य एवं शिक्षण समस्याओं पर पीयर-लीडर का सहयोग लेने हेतु प्रोत्साहित करना।

6.9. प्रतिमाह कक्षा 7 और 8 के मीना मंच के सदस्यों को कक्षा 3 से 6 के बच्चों के साथ समूह में “कहानी एवं नाट्य मंचन” का प्रोजेक्ट-कार्य देना। इसी प्रकार कक्षा 9-12 के गार्गी मंच के बच्चों को कक्षा 6 से 8 हेतु प्रोजेक्ट कार्य देना । इस हेतु प्रत्येक समूह को मीना कहानियों, पाठ्यपुस्तको, सहयोगी पुस्तकों, लाईब्रेरी की पुस्तकों एवं परिवेश के अनुभवों पर कहानी बनाने, उसे नाट्य के रूप में लिखने और उसे प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी देना।

6.10. विद्यालयी सह-शैक्षिक गतिविधियों के आयोजन व संचालन में मीना मंच एवं गार्गी मंच को अवसर देना।    6.11 बाल संसद, मीना मंच, गार्गी मंच और चाइल्ड राइट्स क्लब के सदस्यों को रोटेशन पर समस्त गतिविधियों का रिकार्ड संधारण करना।

(7) सुगमकर्ता द्वारा बाल अधिकार, पर्यावरण संरक्षण, रोड़ सेफ्टी, आपदा प्रबंधन, विद्यालय स्वच्छता, व्यक्तिगत स्वच्छता एवं महावारी स्वच्छता पर जानकारी, चर्चाएं एवं विशेष कार्यक्रम आयोजित करना।

(8) मीना मंच, गार्गी मंच एवं अन्य बालिकाओं को आसपास के माध्यमिक/ उच्च माध्यमिक बैंक, पोलिस स्टेशन, पोस्ट ऑफिस, ई-मित्र केन्द्र, स्वास्थ्य उपकेन्द्र आदि का सत्र में कम से कम 2 भ्रमण करवाया जाना।

(9) सुगमकर्ता द्वारा गत सत्रों में प्रिन्ट कराये गये मीना मंच पोस्टरों का बैठकों में प्रदर्शन करना तथा पोस्टर में उल्लेखित बिन्दुओं के आधार पर बालिकाओं में परिवर्तन लाने के प्रयास करना।

(10) संस्थाप्रधान द्वारा मीना मंच/गार्गी मंच की उपलब्धियों का रिकार्ड संधारित कर सूचनाओं को प्रेषित करना।

(11) विशेष दिवसों जैसे 24 सितम्बर (मीना दिवस), 11 अक्टूबर (अन्नर्तराष्ट्रीय बालिका दिवस), 14 नबम्बर (बाल दिवस), 24 जनवरी (राष्ट्रीय बालिका दिवस) एवं 8 मार्च (अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस) पर विद्यालय में मीना मंच द्वारा बच्चों की आवाज को समुदाय स्तर तक ले जाने हेतु और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करना।