श्रीमान निदेशक, माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर क्रमांक-शिविरा / माध्य / मा-स / बाल संरक्षण/2016/ 243 दिनांक 16.03.2021द्वारा विद्यालयों में बालिका उत्पीड़न एवं बाल यौनाचार की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु निम्नानुसार दिशा-निर्देश जारी किये गए है –
“विद्यालयों में बालिका उत्पीड़न एवं बाल यौनाचार की घटनाओं पर प्रभावी अंकुश हेतु इस कार्यालय द्वारा पूर्व में विस्तृत दिशा निर्देश दिनांक : 18.05.2017 व 22.09.2017 को जारी किए जा चुके हैं।
विद्यालयों में अध्ययनरत सभी बालक/ बालिकाओं को बिना किसी भेदभाव के सुरक्षित, संरक्षित एवं सर्वांगीण विकासोन्मुख वातावरण में शिक्षा प्राप्त होना उनका अधिकार है परन्तु लैंगिक असमानता एवं अवांछित छेड़-छाड़ की घटनाएं इसे चुनौतीपूर्ण रूप से बाधित करती रहती हैं। अतः इन परिस्थितियों में संस्था प्रधानों, अध्यापकों, विद्यार्थियों, विद्यालय के अन्य कार्मिकों तः ॥ अभिभावकों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता समीचीन है। इस बाबत् विद्यालयी पाठ्यक्रम निर्माण एवं शिक्षक प्रशिक्षण विषय वस्तु में लैंगिक संवेदनशीलता को भी प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रूप से पाठ्यक्रम में समावेशित किया गया है । इसी क्रम में आपको पुनः निर्देशित किया जाता है कि आप अपने अधीनस्थ समस्त विद्यालयों में इस प्रकार की घटनाएं रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर अंग्राकित्त विवरणानुसार तत्काल कार्यवाही सम्पादित की जानी सुनिश्चित करें :-
1. विद्यालय के समस्त कार्यरत कार्मिकों, शिक्षकों, SDMC व SMC के सदस्यों को “लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 ” की कतिपय धाराओं यथा धारा- 19(1) एवं 21 में विहित प्रावधान, जो समस्त कार्मिकों को दायित्व बद्ध करते हैं कि बाल / यौन प्रताड़ना से सम्बन्धित घटनाओं पर तत्काल प्रसंज्ञान लिया जाकर नियमानुसार कार्यवाही सम्पादित की जाए, की अवगति प्रदान करवाते हुए प्रत्येक स्तर पर इसकी सख्ती से पालना हेतु पाबन्द किया जाए।
2. विद्यालयों में गुड टच-बेड टच की जानकारी देने हेतु प्रश्नोत्तरी, कविता, लघु नाटक पोस्टर व कहानी इत्यादी के माध्यम से क्षेत्रिय शालीन भाषा में कार्यक्रम आयोजित किए जावे साथ ही विद्यालय में होने वाली बाल सभाओं में भी इस विषय पर जानकारी दिया जाना सुनिश्चित करावें।
3. विद्यालयों में होने वाली अध्यापक-अभिभावक बैठक (पी.टी.एम.) में अध्यापकों द्वारा अभिभावकों को बच्चों की सूक्ष्म गतिविधियों एवं उनके मूड पर नजर रखने, पडोसियों एव रिश्तेदारों से बाल उत्पीडन से सावधान रहने के संबंध में समझाया जावें ।
4. विद्यालय के कक्षा कक्षों में सद्भावनापूर्ण वातावरण बनाने हेतु विशेष प्रयास किए जाएं एवं किशोर बालिकाओं के मध्य स्वास्थ्य व स्वच्छता सम्बन्धी जागरूकता उत्पन्न करने एवं उन्हें गुड टच-बेड टच तथा राज्य बाल संरक्षण आयोग, बाल कल्याण समिति, पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों के बारे में विस्तृत रूप में जानकारी दी जावे।
5. यथासम्भव विद्यालय परिसर में आवश्यकतानुसार चिन्हित स्थानों पर लिखित चेतावनी सहित CCTV कैमरे एवं एक शिकायत पेटिका भी लगवाई जाए ।
6. विद्यालय के सूचना पट्ट तथा सुदृश्य स्थानों पर Child help line से सम्बन्धित दूरभाष : 1098 का स्पष्ट अंकन किया जाए तथा इस बारे में समस्त विद्यार्थियों को जानकारी दी जाए।
7. विद्यालय में उत्तरदायी भूमिका में निबद्ध कार्मिकों द्वारा इस तरह के अपराध में संलिप्तता पाए जाने पर सम्बन्धित पक्ष/व्यक्ति के विरूद्ध कठोर कार्यवाही अमल में लाई जाए।
अतः समस्त संस्था प्रधानों, शिक्षकगणों एवं अन्य विद्यालयी स्टाफ से यह अपेक्षा की जाती है कि लैंगिक समानता के लिए संवेदनशीलता से कार्य करें एवं विद्यालयों में पूर्णतः भयमुक्त एवं विभेदमुक्त वातावरण के निर्माण में अपना भरसक योगदान प्रदान करें।“