पेंशन नियमों के तहत स्वीकृत पेंशन कोई पुरस्कार (Reward) नहीं है बल्कि राज्य सरकार के लिए दायित्व है जिसे राज्य कर्मचारी अधिकार के रूप में प्राप्त कर सकता है। केवल राज्य सेवा से कर्मचारी द्वारा त्यागपत्र दिये जाने पर कर्मचारी को सम्बधित नियमों के अन्तर्गत सेवा से हटाने / बर्खास्त किये जाने पर ही पेंशन को जब्त किया जा सकता है।
किसी भी मामले में विभागीय जांच उस दिनांक से मानी जायेगी जिस दिनांक को सी. सी. ए. नियम 16 के अन्तर्गत आरोप पत्र व दोषारोपण पत्र जारी हो गये हों या जिस दिन से राज्य कर्मचारी को सेवा से निलम्बित कर दिया गया हो ।
किसी भी मामले में ज्यूडिशियल प्रोसीडींग उस दिनांक से मानी जायेगी जिस दिन क्रिमिनल केस के मामले में पुलिस आफिसर की रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट द्वारा मान्यता ( Cognizance ) दे दी जावे व सिविल मामले में जिस दिनांक को कोर्ट में वाद (Plaint) प्रस्तुत कर दिया जावे ।
यदि कोई पेंशनर दुराचरण के कारण दोषी करार दिया जाता है तो नियुक्ति अधिकारी आदेश जारी कर उसकी पेंशन या उसके भाग को सदैव के लिए या निश्चित अवधि के लिए रोक सकता है। किन्तु उक्त कारण से यदि पेंशन का एक भाग रोका जाता है तो भी न्यूनतम ₹1,275 मासिक पेंशन देय होगी। दिनांक 1.1.2007 से न्यूनतम पेंशन ₹ 3025 संशोधि कर दी गई है । दिनांक 1.7.2013 से न्यूनतम पेंशन ₹3450 संशोधित कर दी गई है । 1.1.2016 से न्यूनतम पेंशन का 8850 की गयी है ।
यदि किसी कर्मचारी को अधिवार्षिक या रिटायरिंग पेंशन पर सेवानिवृत करने के पश्चात पुनः सेवा में नियोजित किया जाता है तो पुनः नियोजित अवधि के लिए अलग से पेंशन / उपदान राशि देय नहीं है ।
जिन कर्मचारियों / पेंशनभोगी कर्मियों के विरूद्ध विभागीय जांच / न्यायिक जांच प्रारम्भ कर दी गई हो तो सेवानिवृत्ति पर उन्हें नियमानुसार देय पेंशन की शत प्रतिशत पेंशन प्रोविजनल ( Provisional) पेंशन के रूप में देय होगी। विभागीय / न्यायिक जांच के निस्तारण तक कोई उपदान / कम्युटेशन राशि का भुगतान नहीं किया जायेगा ।
राज्य सरकार के वित्त विभाग के (Memorandum) No. F. 12 (3) FD (Rules ) 2008 Dated 12.9.2008 में जहाँ-जहाँ दिनांक 1.9.2006 का उल्लेख है उसे दिनांक 1.1.2006 में परिवर्तित करने के आदेश राज्य सरकार के Memorandum दिनांक 6.4.2013 के द्वारा दिये गये हैं। इस संशोधन की वजह से दिनांक 1.1.2006 से दिनांक 31.12.2006 तक कोई नकद लाभ (एरियर) देय नहीं है। (छठे वेतनमान के अनुसार) ।
वित्त विभाग के मेमोरेण्डम सं. एफ. 12 (6) वित्त / नियम / 2017 दिनांक 30.10.2017 के द्वारा सातवे वेतनमान के अनुसार दिनांक 1.10.2017 से पेंशन / पारिवारिक पेंशन में संशोधन किया है । पुनः समसंख्यक मेमोरेण्डम दिनांक 9.12.2017 द्वारा इन्हें 1.1.2016 से (नकद देय 1.1.2017 से) लागू किया गया है।
यदि किसी पेंशनर के मामले में राज्य सरकार को हुई हानि के लिए निश्चित राशि वसूल की जानी हो या पेंशनर के विरूद्ध राज्य सरकार की अन्य कोई बकाया राशि पेंशन से वसूल की जानी हो तो सामान्यतया प्रति माह की जाने वाली वसूली देय पेंशन के एक-तिहाई भाग से अधिक राशि की नहीं होगी ।
पेंशन या पारिवारिक पेंशन के किसी भी दावे के मामले को जब कोई कर्मचारी नियमानुसार सेवानिवृत्त होता है या सेवानिवृत्त किया जाता है या सेवा में रहते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाता है ( जैसी भी स्थिति हो ) उस समय प्रभावशील नियमों व प्रावधानों के तहत ही विनयमित किया जाता है ।
यदि कर्मचारी की सेवा के दौरान नियमानुसार विभागीय जांच प्रारम्भ कर दी गई हो तो सेवानिवृति के पश्चात् भी पूर्ववत् जारी रहती है तथा इसके निस्तारण की वही प्रक्रिया रहती है जो राज्य कर्मचारियों पर लागू है।
पेंशन नियमों के तहत पेंशन प्राप्त करने के लिए भविष्य में सआचरण की शर्तें पूरी करना आवश्यक है।
80 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद पेंशनभोगी / पारिवारिक पेंशन भोगी कर्मचारियों को दिनांक 1.1.2016 से निम्नानुसार अतिरिक्त पेंशन / पारिवारिक पेंशन अधिकृत करने का प्रावधान किया गया है । इसका नगद लाभ दिनांक 1.1.2007 से देय है। दिनांक 1.1.2007 से ही अतिरिक्त पेंशन / पारिवारिक पेंशन पर मंहगाई राहत भी देय है।
पेंशन / पारिवारिक पेंशनर की आयु | अतिरिक्त पेंशन / पारिवारिक पेंशन का विवरण |
80 वर्ष किन्तु 85 वर्ष से कम | मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 20% |
85 वर्ष किन्तु 90 वर्ष से कम | मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 30% |
90 वर्ष किन्तु 95 वर्ष से कम | मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 40% |
95 वर्ष किन्तु 100 वर्ष से कम | मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 50% |
100 वर्ष या इससे अधिक | मूल पेंशन / पारिवारिक पेंशन का 100% |
नोट: 80 वर्ष की आयु पूरी करना उस माह की पहली तारीख से माना जावेगा जिस माह में उसकी जन्मतिथि आती है । (मेमोरेण्डम संख्या एफ. 12 (3) वित्त / नियम / 105 दिनांक 15.4.2011)