राजस्थान सरकार
वन विभाग
विषयः- घर-घर औषधि योजना के दिशा-निर्देश
स्वस्थ राजस्थान हरित राजस्थान
माननीय मुख्यमंत्री महोदय, राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में घोषणा की गयी कि “राजस्थान औषधीय पौधों की विविधता तथा गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। इसको बढ़ावा देने के लिए ‘घर-घर औषधि योजना शुरू की जायेगी। जिसके अंतर्गत औषधीय पौधों की पौधशालायें विकसित कर तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा इत्यादि पौधे नर्सरी से उपलब्ध कराये जायेंगे।” उक्त घोषणा के अनुसरण में माननीय मंत्रीमंडल की आज्ञा 61 / 204 दिनांक 18.04.2021 द्वारा राज्य में औषधीय पौधों के संरक्षण एवं नागरिकों के स्वास्थ्य रक्षण हेतु घर-घर औषधि योजना के अंतर्गत औषधीय पौधों पौधशालायें विकसित कर तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा व कालमेघ के पौधे वन विभाग की पौधशालाओं में उपलब्ध कराये जाने संबंधी प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी है।
राजस्थान के वनों एवं वनों के बाहर हरियाली वाले क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की औषधीय प्रजातियों की उपलब्धता रही है, जिनका प्रयोग आदिकाल से आयुर्वेद तथा स्थानीय परम्परागत ज्ञान के अनुरूप स्वास्थ्य रक्षण एवं चिकित्सा के लिये होता आया है। वर्तमान परिस्थितियों में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण एवं जीवन शैली में परिवर्तन जैसे कारणों से स्थानीय लोग अनेक ते प्रकार के रोगों से ग्रस्त होते रहते हैं। आयुर्वेद तथा स्थानीय परम्परागत ज्ञान व वर्गों में उपलब्ध औषधियों को लोगों के घरों, खेतों और निजी जमीनों के समीप उगाने हेतु सहायता करने से राजस्थान राज्य के निवासियों के स्वास्थ्य में सुधार करना इस योजना का मुख्य ध्येय है। इस योजना से राजस्थान में पाई जाने वाली वनौषधियों एवं औषधीय पौधों का संरक्षण भी होगा।
- योजना के उद्देश्य
a. राज्य में औषधीय पौधों को उगाने के इच्छुक परिवारों को स्वास्थ्य रक्षण हेतु बहु उपयोगी औषधीय पौधे वन विभाग की पौधाशालाओं में उपलब्ध कराया जाना।
b. मानव स्वास्थ्य रक्षण और व्याधिक्षमत्व (immunity) बढ़ाने तथा चिकित्सा हेतु बहु-उपयोगी औषधीय पौधों की उपयोगिता के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुये जन चेतना का विस्तार करना।
c. औषधीय पौधों के प्राथमिक उपयोग तथा संरक्षण-संवर्धन हेतु आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के सहयोग से प्रमाण-आधारित जानकारी उपलब्ध कराना।
d. जिला प्रशासन व वन विभाग के नेतृत्व में माननीय जनप्रतिनिधियों, पंचायतीराज संस्थाओं, विभिन्न राजकीय विभागों व संस्थानों, विद्यालयों, और औद्योगिक घरानों इत्यादि का सहयोग लेकर जन अभियान के रूप में क्रियान्वित करना।
II. योजना का क्रियान्वयन
योजना के क्रियान्वयन हेतु वन विभाग नोडल विभाग होगा। योजना को एक जन अभियान के रूप में संचालित किया जायेगा।
इस योजना के क्रियान्वयन हेतु वन विभाग में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख (PCCF HOFF) की अध्यक्षता में एक क्रियान्वयन समिति का गठन किया जाएगा।
इस योजना के राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) / अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) होंगे।
योजना के क्रियान्वयन हेतु जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय टास्क फोर्स का गठन कर जिला प्रशासन के नेतृत्व में माननीय जन प्रतिनिधियों, पंचायतीराज संस्थाओं, विभिन्न राजकीय विभागों व संस्थानों, विद्यालयों और औद्योगिक घरानों इत्यादि का सहयोग लेकर बृहद् स्तर पर अभियान चलाया जायेगा। उप वन संरक्षक, जिला स्तरीय टास्क फोर्स के सदस्य सचिव होंगे। जिले में योजना का क्रियान्वयन जिला स्तरीय कार्य योजना बनाए जाकर किया जाएगा। कार्य योजना में वितरणं स्थलों का चिन्हीकरण, वितरण व्यवस्था, विभिन्न विभागों से सहयोग प्राप्त करने की व्यवस्था, प्रचार प्रसार की रणनीति, वितरण व प्रचार प्रसार हेतु अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था, इत्यादि विषय सम्मिलित होंगे।
III. योजना की अवधि
यह योजना 5 वर्षों (वर्ष 2021-22 से 2025-26) के लिये लागू की जावेगी ।
IV. लक्ष्य
पांच वर्षों में राज्य के लगभग 1 करोड़ 26 लाख परिवारों (जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार) को इस योजना के तहत लाभान्वित किया जायेगा। प्रत्येक परिवार को चार प्रकार की औषधीय प्रजातियों तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा एवं कालमेघ के दो दो पौधे अर्थात् कुल 8 पौधे थैलियों में इस वर्ष सहित कुल पांच वर्षों में तीन बार वन विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क उपलब्ध कराये जायेंगे। पौधों का वर्षवार वितरण लक्ष्य निम्नानुसार होगा:
वर्ष | लाभान्वित परिवार प्रतिशत | लाभान्वित परिवार संख्या | पौध तैयारी का लक्ष्य |
प्रथम (2021-22) | 50 | 63,25,000 | 5,06,00,000 |
द्वितीय (2022-23) | 50 | 63,25,000 | 5,06,00,000 |
तृतीय (2023-24) | 100 | 1,26,50,000 | 10,12,00,000 |
चतुर्थ (2024-25) | 50 | 63,25,000 | 5,06,00,000 |
पंचम (2025-26) | 50 | 63,25,000 | 5,06,00,000 |
योग | 3,79,50,000 | 30,36,00,000 |
प्रथम वर्ष में जिले के आधे परिवारों में से प्रत्येक को 8 औषधीय पौधे उपलब्ध कराये जायेंगे तथा अगले वर्ष शेष परिवारों में से प्रत्येक को 8 औषधीय पौधे उपलब्ध कराये जायेंगे। यही प्रक्रिया चौथे व पांचवे वर्ष में दोहरायी जायेगी। तृतीय वर्ष में सभी परिवारों से संपर्क किया जायेगा तथा इन सभी परिवारों को 8 औषधीय पौधे उपलब्ध कराये जायेंगे। अर्थात् 5 वर्षों में 3 बार राज्य के सभी परिवारों को आठ-आठ औषधीय पौधे (कुल 24 पौधे उपलब्ध कराये जायेंगे।
V. पौध तैयारी
a. पौध तैयारी हेतु बीजों एवं पौधारोपण सामग्री की व्यवस्था वन मंडल द्वारा की जाकर वर्षा ऋतु तक पौधे तैयार किए जाएंगे। इस हेतु उप वन संरक्षक गणों को पृथक से निर्देश जारी किये जायेंगे।
b. वन विभाग द्वारा प्रथम वर्ष (2021-22) में जिलेवार पौधशालाओं में तैयार किये जाने वाले पौधों की संख्या परिशिष्ट 1 में संलग्न है।
VI. पौध वितरण
a पौधे वन विभाग के पौधशालाओं व अन्य चिन्हित स्थलों जैसे चिकित्सालय व अन्य राजकीय कार्यालय पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
b. वितरण हेतु सीमित वित्तीय संसाधनों को ध्यान में रखते हुए वितरण स्थलों का चयन जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी समिति द्वारा किया जाएगा।
c. पौध वितरण के समय लाभार्थी के जन आधार कार्ड अथवा आधार कार्ड की जानकारी प्राप्त कर अभिलेखों में संधारित की जाएगी। इससे योजना के प्रबोधन एवं मूल्यांकन में सहायता होगी। साथ ही अगले वर्ष जिन परिवारों को लाभ दिया जाना है उनका चिन्हींकरण आसान होगा।
d. पौधों के वितरण में माननीय जन-प्रतिनिधियों, पंचायतीराज संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, औद्योगिक घरानों एवं राजकीय विभागों का भी सहयोग प्राप्त किया जाएगा।
VII. प्रचार प्रसार अभियान (I.E.C.)
वनों में उपलब्ध औषधियों को आयुर्वेद तथा स्थानीय परम्परागत ज्ञान के माध्यम से राजस्थान राज्य के निवासियों के स्वास्थ्य में सुधार करना इस योजना का मुख्य ध्येय है। अतः इस योजना के तहत एक वृहत आई.ई.सी. प्रोग्राम क्रियान्वित किया जावेगा।
a. वर्ष 2021-22 में राज्य भर में वन महोत्सव की थीम “घर-घर औषधि योजना रहेगी। राज्य के समस्त जिलों और वन मंडलों के अधीन सभी फ़ॉरेस्ट रेंज, तहसीलं, ग्राम पंचायतें तथा शहरी निकायों में माह जुलाई में वन महोत्सव मनाया जाएगा। माह जुलाई में प्रथम चरण में पौध-वितरण आरंभ किया जायेगा। पौध तैयारी पूरी होने के पश्चात् माह अक्टूबर से द्वितीय चरण का आरंभ किया जाएगा।
b. मुख्यालय स्तर पर निम्नलिखित विषयों पर जानकारी देने हेतु मार्गदर्शिका, पोस्टर एवं अन्य प्रचार सामग्री तैयार किए जाएंगे जो वितरण हेतु वन मंडलों को उपलब्ध कराए जाएंगे-
i. स्थानीय निवासियों को वन औषधियों एवं औषधीय पौधों के लाभ और प्रयोग आदि के बारे में जानकारी
ii. पौधों के सार संभाल की जानकारी
c. प्रचार-प्रसार हेतु सोशल मीडिया सहित सभी माध्यमों का प्रयोग किया जायेगा। इस हेतु वन विभाग द्वारा एक राज्य व्यापी मीडिया प्लान बनाकर कार्यवाही की जायेगी।
d. राज्य, जिला, और ब्लाक स्तर पर संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा। इस हेतु आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा नयर विभाग का सहयोग प्राप्त किया जायेगा।
e. जिला स्तर पर नवाचार के माध्यम से भी प्रचार प्रसार अभियान का क्रियान्वयन किया जा सकता है। जिला स्तरीय टास्क फोर्स इस संबंध में निर्णय लेने हेतु सक्षम होगी।
f. माननीय जनप्रतिनिधियों, पंचायतीराज संस्थाओं, विभिन्न राजकीय विभागों व संस्थानों, विद्यालयों, और औद्योगिक घरानों इत्यादि का इस जन अभियान में सहयोग लिया जायेगा।
VIII. वित्तीय प्रबंधन
राज्य सरकार द्वारा इस योजना हेतु रु 210 करोड़ स्वीकृत किया गया है। वर्ष 2021-22 के लिए रु 31.40 करोड़ का वित्तीय आवंटन किया गया है। वन मंडलों को अनुपातिक रूप से बजट आवंटित किया जाएगा। बजट का व्यय निम्न कार्यों पर किया जायेगा-
a. लक्ष्य अनुसार पौधे एवं 10% अतिरिक्त पौधे तैयार करना
b. वितरण व प्रचार प्रसार
c. वन विभाग द्वारा प्रचार प्रसार हेतु राज्य स्तरीय मिडिया प्लान एवं प्रचार-प्रसार सामग्री
IX. अन्य विभागों का सहयोग
योजना के क्रियान्वयन हेतु वन विभाग नोडल विभाग होगा। जिन अन्य विभागों का सहयोग इस योजना के क्रियान्वयन में लिया जायेगा उनकी सूची परिशिष्ट 2 पर उपलब्ध है।
X, प्रबोधन एवं मूल्यांकन:
योजना की सफलता के लिये योजना का प्रबोधन एवं मूल्यांकन निम्नानुसार किया जायेगाः
a. राज्य स्तर पर मुख्य सचिव, राजस्थान की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय प्रबोधन समिति का गठन किया जायेगा। इसमें संबंधित राजकीय विभागों के प्रमुख शासन सचिव / शासन सचिव सदस्य होंगे। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) / अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) समिति के सदस्य सचिव होंगे। सभी संभागीय मुख्य वन संरक्षक भी समिति के सदस्य होंगे। मुख्य सचिव, राजस्थान की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति कम से कम तीन माह में एक बार योजना की समीक्षा करेगी।
b. जिला स्तर पर जिला स्तरीय टास्क फोर्स द्वारा पौध वितरण का प्रबोधन किया जाएगा तथा इस हेतु विभिन्न विभागों का सहयोग लिया जाएगा।
c. इस योजना हेतु वन विभाग द्वारा उपयुक्त प्रबोधन एवं मूल्यांकन तंत्र स्थापित किया जायेगा। इस हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रबोधन एवं मूल्यांकन) / अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रबोधन एवं मूल्यांकन प्रभारी होंगे।
प्रमुख शासन सचिव
वन एवं पर्यावरण