वन्दना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो।
वन्दनी माँ को न भूलो राग में जब मस्त झूलो ।।
अर्चना के रक्त कण में एक कण मेरा मिला लो।
वन्दना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो।
जब हृदय के तार बोले शृंखला के बन्ध खोले।
हे जहाँ बल शीश अगणित एक कण मेरा मिला लो।
वन्दना के इन स्वरों में एक स्वर मेरा मिला लो ।।