राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम 1996 में दिये प्रावधानों के अनुसार पेंशन को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है :

(क) अधिवार्षिकी (Superannuation) पेंशन

जब किसी राज्य कर्मचारी को राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों की अनिवार्य सेवा निवृति के लिए निर्धारित की गई आयु प्राप्त करने पर नियमानुसार सेवा निवृत किया जाता है तो उसे अधिवार्षिकी पर सेवा निवृत्त माना जाता है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि राजस्थान सेवा सेवा नियमों के तहत अधिवार्षिकी पर सेवा निवृत्ति की आयु 60 वर्ष है। साथ ही जिस माह में कर्मचारी की सेवा निवृत्ति तिथि आती है उस माह के अन्तिम दिवस को मध्यान्ह पश्चात् से कर्मचारी को सेवा निवृत किया जाता है। किन्तु जिस कर्मचारी का जन्म दिनांक किसी भी माह की प्रथम तारीख को हो तो उसे जन्म माह से पूर्व वाले महीने की अन्तिम तिथि के मध्यान्ह पश्चात् से सेवा निवृत करने का प्रावधान है । (नियम – 30)

(ख) सेवा निवृत्ति (Retiring) पेंशन

नियमों में निर्धारित शर्तों के अधीन यदि किसी कर्मचारी को स्वयं की प्रार्थना पर सेवा निवृत्त किया जाता है या राज्य सरकार किसी कर्मचारी को अधिवार्षिकी आयु प्राप्त करने से पूर्व निर्धारित शर्तों के अधीन अपनी ओर से अनिवार्य सेवा निवृत्ति प्रदान करती है तो इस प्रकार के दोनों मामले सेवा निवृत्ति पेंशन के तहत आते हैं । (नियम 32 )

(ग) असमर्थता (Invalid) पेंशन

जब किसी कर्मचारी को शारीरिक असमर्थता या मस्तिष्क की विकृति के कारण स्थाई रूप से अयोग्य होने पर नियमों में निहित प्रावधानों के तहत सक्षम चिकित्साधिकारी के उक्त आशय के प्रमाण पत्र के आधार पर सेवा निवृत किया जाता है तो इस प्रकार की सेवा निवृत्ति असमर्थता पेंशन की श्रेणी में आती है । उक्त मामले में पेंशन की देय राशि सामान्य दर से देय पारिवारिक पेंशन की राशि से कम नहीं होगी। (नियम – 35)

(घ) क्षतिपूरक (Compensation) पेंशन

जब किसी कर्मचारी को विभाग में स्वीकृत पदों की समाप्ति के कारण सेवा से कार्यमुक्त करने का निर्णय किया जाता तो इस प्रकार का मामला क्षतिपूरक पेंशन की श्रेणी में आता है । (नियम- 38)

(ड.) समायोजन/ आमेलन (Absorption) पर पेंशन

जब कोई कर्मचारी राज्य सरकार की अनुमति से केन्द्र सरकार या राज्य सरकार से नियंत्रित स्वायत्तशासी संस्था कारपोरेशन या कम्पनी में आमेलित / समायोजित हो जाता है तो राज्य सरकार में की गई सेवा के आधार पर उसे जो पेंशन अनुलाभ स्वीकृत किये जाते हैं वे उक्त श्रेणी में आते हैं। (नियम – 33)

(च) दण्डस्वरूप अनिवार्य सेवानिवृत्ति (Compulsory Retirement as a Measure of Penalty) पर पेंशन

जब किसी कर्मचारी को जांच में दोषी पाये जाने के फलस्वरूप अनिवार्य सेवा निवृत्ति का दण्ड दिया जाता है तो वह मामला उक्त श्रेणी में आता हैं इस मामले में पेंशन की अधिकतम राशि क्षतिपूर्ति पेंशन के बराबर या कम से कम क्षतिपूर्ति पेंशन के दो- तिहाई भाग के बराबर देय होती है। (नियम-42)

साथ ही दिनांक 1.1.2016 से न्यूनतम स्वीकृत पेंशन 3450 के स्थान पर 8850 कर दी गई है जिसका नगद लाभ दिनांक 1.1.2017 से देय है।

(छ) दयामूलक या अनुकम्पा भत्ता (Compassionate Allowance)

सरकारी कर्मचारी जिसे राज्य सेवा से निष्कासित या बर्खास्त किया गया हो की पेंशन जब्त कर ली जाती है किन्तु इस प्रकार के मामले में उसे सेवा से निष्कासित या बर्खास्त करने में सक्षम अधिकारी द्वारा विचार कर उचित पाये जाने पर अनुकम्पा भत्ता स्वीकार किया जा सकता है जो क्षतिपूरक पेंशन के मामले में देय पेंशन के दो-तिहाई भाग से अधिक नहीं होना चाहिए। (नियम- 43)

साथ ही दिनांक 1.1.2016 से उक्त अनुकम्पा भत्ता 3,450 प्रतिमाह के स्थान पर 8,850 से कम नहीं होगा जिसका नगद लाभ दिनांक 1.1.2017 से देय है।