पेंशन की गणना कर्मचारी को सेवानिवृत्त के समय देय परिलब्धियों व पूर्ण की गई पेंशन योग्य (अर्हकारी) सेवा अवधि के आधार पर की जाती है । यहाँ यह उल्लेखनीय है कि नियमानुसार सेवा निवृत्ति पर कम से कम 10 वर्ष की पेंशन योग्य सेवा पूर्ण करने पर ही मासिक पेंशन की देयता बनती है । 10 वर्ष से कम की पेंशन योग्य सेवा होने पर केवल एकमुश्त सेवा उपदान (Service Gratuity) ही नियमानुसार देय है ।

विभिन्न प्रकार की पेंशनों जैसे अधिवार्षिकी, सेवा निवृत्ति (Retiring), असमर्थता व क्षतिपूरक पेंशन आदि के मामलों में पेंशन की देयता को निम्न भागों में विभक्त किया जा सकता है :-

(क) 33 वर्ष या इससे अधिक अवधि की सेवा पूर्ण करने पर देय पेंशन (30.6.2013 तक) ।

(ख) दिनांक 1.7.2013 व इसके पश्चात सेवा निवृत्त होने वाले राज्य कर्मचारियों के मामले में 28 वर्ष या इससे अधिक पेंशन योग्य सेवा पूर्ण करने पर प्राप्त परिलब्धियों की 50 प्रतिशत पेंशन देय होने का प्रावधान किया गया है।

(ग) 28 वर्ष से कम किन्तु 10 वर्ष या इससे अधिक की सेवा पूर्ण करने पर देय पेंशन

(घ) 10 वर्ष से कम अवधि की सेवा पूर्ण होने पर देय एक मुश्त पेंशन अनुलाभ

(क) 30.6.2013 तक सेवानिवृत्त कर्मचारी को 33 वर्ष का अर्हक सेवा करने पर वेतन का 50 प्रतिशत

(ख) 1.7.2013 व इसके पश्चात 28 वर्ष या अधिक अवधि की सेवा पूर्ण करने पर देय मासिक पेंशन

उपरोक्त मामलों में सेवानिवृत्ति से ठीक पूर्व कर्मचारी की परिलब्धियों (दिनांक 1.9.2006) से राज्य में अधिकतम वेतन सीमा 77,000 थी जो दिनांक 1.1.2016 से 2,18,000 हो गई हैं) के 50 प्रतिशत के बराबर मासिक पेंशन देय होगी । उदाहरणार्थ यदि परिलब्धियां 80,200 प्रतिमाह हों तो पेंशन 50 प्रतिशत अर्थात् 40,100 प्रतिमाह होगी ।

(ग) 1.7.2013 व इसके पश्चात सेवानिवृत्त होने वाले राज्य कर्मियों की 28 वर्ष से कम किन्तु 10 वर्ष या अधिक अवधि की पेंशन योग्य सेवा पूर्ण करने पर

इस प्रकार के मामले में पेंशन की गणना कर्मचारी द्वारा की गई सेवा के अनुसार बिन्दु “क” के अधीन स्वीकार 50 प्रतिशत राशि के अनुपात में अधिकृत होगी । उदाहरणार्थ बिन्दु ख के अनुसार यदि परिलब्धियां 80,200 ही हैं किन्तु सेवाएं 22 वर्ष की हैं तो अनुपातिक पेंशन 80,200/2×44/56-31,508 रूपये प्रति माह होगी क्योंकि 22 वर्ष में 6 माह के 44 खण्ड होते हैं। इस प्रकार पेंशन गणना का फार्मूला निम्न प्रकार है :

01.01.2016 को या इसके पश्चात सेवानिवृत्त कर्मी के लिए गणना करने पर पेंशन/पारिवारिक पेंशन यदि 8850 से कम आती है तो न्यूनतम पेंशन 8850 प्रतिमाह देय होगी।

दिनांक 1.9.1996 से न्यूनतम पेंशन /पारिवारिक पेंशन 1275 थी। दिनांक 1.7.2004 से मूल वेतन में 50 प्रतिशत मंहगाई भत्ता (डी.ए.) वेतन में मंहगाई वेतन के रूप में समाहित करने पर न्यूनतम पेंशन /पारिवारिक पेंशन 1913 हो गई तथा दिनांक 1.01.2006 से पुनरीक्षित वेतनमान 2008 लागू होने पर न्यूनतम पेंशन/पारिवारिक पेंशन 3025 प्रतिमाह कर दी गई है जिसका नगद लाभ दिनांक 1.1.2007 से देय रहा है। 1.7.2013 से न्यूनतम पेंशन/पारिवारिक पेंशन 3450 प्रतिमाह थी जो 1.1.2016 से 8850 हो गयी (नगद लाभ .1.2017 से देय)

राज्य सरकार ने संशोधित वेतनमान नियम क F.12(6)FD/Rules/2017 दिनांक 30.10.2017 से जारी किये । जिन्हें 1.10.2017 से लागू किया गया था। पुनः समसंख्यक आदेश दिनांक 9.12.2017 से इन्हें 1.1.1016 से लागू किया गया । दिनांक 1 .1 .2016 से 31.12.2016 तक की अवधि का कोई एरियर भुगतान देय नहीं है । अर्थात नकद लाभ दिनांक 1.1.2017 से ही देय होगा ।

वेतन की अधिकतम सीमा 2,18,600/- दिनांक 1.1.2016 से लागू मानी गई है।

(घ) 10 वर्ष से कम अवधि की सेवा होने पर देय एक मुश्त सेवा उपदान :

यदि कोई राज्य कर्मचारी 10 वर्ष की पेंशन योग्य सेवा पूर्ण करने के पूर्व ही निहित प्रावधानों के तहत सेवा निवृत्त हो जाता है तो उसे मासिक पेंशन देय नहीं होगी बल्कि केवल एक मुश्त राशि सेवा उपदान के रूप में देय होगी जो प्रत्येक छ: माह की सेवा अवधि के लिए आधे माह की परिलब्धि की दर से संगणित की जायेगी। (नियम 54(1)