राजकीय कार्यालयों में कार्यरत समस्त कार्मिकों को किसी भी प्रकार के अवकाश पर जाने से पूर्व सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेकर अथवा अवकाश स्वीकृत कराकर ही अवकाश पर प्रस्थान किया जाना चाहिये।इस सम्बन्ध में राजस्थान सरकार स्कूल शिक्षा विभाग जयपुर द्वारा परिपत्र क्रमांक प.5(38)प्रा.शि/2019  दिनांकः -9 DEC 2019 निम्नानुसार निर्देश जारी किये गए है –

राजस्थान सरकार
स्कूल शिक्षा विभाग
क्रमांक प.5(38)प्रा.शि/2019 जयपुर, दिनांकः -9 DEC 2019

परिपत्र

प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता एवं उत्तरोतर वृद्धि के लिये समय-समय पर शिक्षा विभाग द्वारा प्रयास किये जाते रहे है। शैक्षिक गुणवत्ता के लिये विद्यालयों / कार्यालयों में कार्मिकों की निरन्तर उपस्थिति अनिवार्य है। विशेषकर विद्यालयों में शिक्षकों के स्वैच्छा से लम्बे समय तक अनुपस्थित रहने से शैक्षिक गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसमें सुधार हेतु निदेशालय स्तर से भी कार्मिकों की निरन्तर उपस्थिति के सम्बन्ध में समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किये जाते रहे है।

राजस्थान सेवा नियम, 1951 के अध्याय 10 एवं 11 में वर्तमान में प्रचलित नियम 57 से 126 के अनुसार राजकीय कर्मचारियों को अवकाश स्वीकृत कराकर ही प्रस्थान करने का प्रावधान है। अतः राजकीय कार्यालयों में कार्यरत समस्त कार्मिकों को किसी भी प्रकार के अवकाश पर जाने से पूर्व उक्त प्रावधानों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेकर अथवा अवकाश स्वीकृत कराकर ही अवकाश पर प्रस्थान किया जाना चाहिये। इसी प्रकार नियम, 23(2) के अनुसार कार्मिक स्वीकृत अवकाश की समाप्ति के पश्चात् कर्त्तव्य से अनुपस्थित रहता है या अवकाश के बिना या आवेदित अवकाश सक्षम प्राधिकारी / नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत किये जाने से पूर्व कर्त्तव्य से अनुपस्थित रहता है, तो उसके विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रावधान है। ऐसे अनुपस्थित कार्मिकों के विरूद्ध राजस्थान सेवा नियम 1951 के नियम 86 एवं राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1958 के नियम 16 व 17 में अन्तर्विष्ट प्रावधानों के तहत अनुशासनिक कार्यवाही किया जाना अपेक्षित है, परन्तु अवकाश से लौटने पर नियमों में कार्मिक को कार्यग्रहण करने से मना करने का कोई प्रावधान नहीं है। स्वेच्छा से अनुपस्थित कार्मिकों के विरुद्ध नियुक्ति प्राधिकारी अथवा सक्षम प्राधिकारी द्वारा नियमानुसार कोई भी कार्यवाही यथासमय न कर कार्मिक के पुनः कार्यग्रहण हेतु उपस्थित होने पर प्रकरण राज्य सरकार को सार्गन हेतु प्रेषित किये जाने का प्रावधान नियम में नहीं हैं।

अतः नियमों के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट किया जाता है कि यदि कोई कार्मिक स्वैच्छा से अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सूचना अविलम्ब सम्बन्धित आहरण वितरण अधिकारी द्वारा नियुक्ति अधिकारी/ सक्षम प्राधिकारी को दी जायें। नियुक्ति अधिकारी/ सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वैच्छा से अनुपस्थित कार्मिक के विरूद्ध राजस्थान सेवा नियम 1951 के नियम 86 एवं राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के नियम 16 एवं 17 में कार्यवाही सम्पादित की जायें। यदि नियुक्ति अधिकारी /सक्षम प्राधिकारी द्वारा जानकारी के उपरान्त भी स्वैच्छा से अनुपस्थित कार्मिक के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं किये जाने को विभाग द्वारा गंभीरता से लिया जायेगा।

शासन सचिव