निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010

मानव संसाधन विकास मंत्रालय
(विद्यालय शिक्षा और साक्षरता विभाग)

अधिसूचना

नई दिल्ली, 8 अप्रैल, 2010

सा.का.नि. 301(अ), केन्द्रीय सरकार, निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (2009 का 35 ) की धारा 38 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निम्नलिखित नियम बनाती है, अर्थात् :-

1. सक्षिप्त नाम और प्रारंभ-(1) इन नियमों का संक्षिप्त नाम निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम, 2010 है।
(2) ये राजपत्र में प्रकाशन की तारीख को प्रवृत्त होंगे ।

भाग 1-प्रारंभिक (निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010)

2. परिभायाएं-(1) इन नियमों में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
(क) “अधिनियम” से निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (2009 का 35) अभिप्रेत है;
(ख) “आंगनवाड़ी” से भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय की एकीकृत बाल विकास सेवा स्कीम के अधीन स्थापित आंगनवाड़ी केन्द्र अभिप्रेत है;
(ग) “नियत तारीख” से राजपत्र में यथा अधिसूचित वह तारीख अभिप्रेत है, जिसको अधिनियम प्रवृत्त होता है;
(घ) “समुचित सरकार” से, जब तक कि अन्यथा विनिर्दिष्ट न किया गया हो, किसी संघ राज्यक्षेत्र (राज्य विधान-मंडल रहित) की सरकार अभिप्रेत है।
(ड) “जिला शिक्षा अधिकारी” से किसी जिले में प्राथमिक शिक्षा के लिए भारसाधक समुचित सरकार का कोई अधिकारी अभिप्रेत है:
(च) “छात्र-शिक्षक संचित अभिलेख” स विस्तृत और सतत् मूल्यांकन पर आधारित बालक की प्रगति का अभिलेख अभिप्रेत है;
(छ) “विद्यालय योजना निर्माण” से सामाजिक अवरोधों और भौगोलिक अंतर को कम करने के लिए अधिनियम की धारा 6 के प्रयोजन के लिए विद्यालय स्थान की योजना बनाना अभिप्रेत है ।

(2) इन नियमों में “प्ररूपों” के प्रति सभी निर्देशों का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वे इसके परिशिष्ट 1 में उपवर्णित प्ररूपों के प्रति निर्देश हैं।

(3) उन सभी शब्दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं हैं, किंतु अधिनियम में परिभाषित हैं, वही अर्थ होंगे, जो अधिनियम में क्रमशः उनके हैं।

भाग 2-विद्यालय प्रबंध समिति (निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010)

3. विद्यालय प्रबंध समिति की संरचना और कृत्य-(1) गैर-सहायता प्राप्त विद्यालय से भिन्न प्रत्येक विद्यालय में नियत तारीख के छह मास के भीतर एक विद्यालय प्रबंध समिति (जिसे इस नियम में इसके पश्चाल् उक्त समिति कहा गया है) का गठन किया जाएगा और प्रत्येक दो वर्ष में उसका पुनर्गठन किया जाएगा ।
(2) उक्त समिति की सदस्य संख्या का पचहत्तर प्रतिशत बालकों के माता-पिताओं या संखक्षकों में से होगा ।
(3) उक्त समिति की सदस्य संख्या का शेष पच्चीस प्रतिशत निम्नलिखित व्यक्तियों में से होगा, अर्थात :-

(क) स्थानीय प्राधिकारी के निर्वाचित सदस्यों में से एक-तिहाई सदस्य, जिनका विनिश्चय स्थानीय प्राधिकारी द्वारा किया जाएगा ;
(ख) विद्यालय के अध्यापकों में से एक-तिहाई सदस्य, जितका विनिश्चय विद्यालय के अध्यापको द्वारा किया जाएगा ;
(ग) स्थानीय शिक्षाविदों या विद्यालय के बालका में स एक-तिहाई सदस्य, जिनका विनिश्चय उक्त समिति में माता-पिताओं द्वारा किया जाएगा ।

(4) उक्त समिति अपने क्रियाकलापों का प्रबंध करने के लिए माता-पिता सदस्यों में से एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को निर्वाचित करेगी ; विद्यालय का प्रधान अध्यापक, या जहां विद्यालय में प्रधान अध्यापक नहीं है, वहां विद्यालय का वरिष्ठतम अध्यापक उक्त समिति का पदेन सदस्य-संयोजक होगा ।


(5) उक्त समिति मास में कम से कम एक बार अपनी बैठक करेगी और बैठकों के कार्यवृत्त तथा विनिश्चय समुचित रूप से अभिलिखित किए जाएंगे और जनता के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे ।

(6) उक्त समिति, धारा 21 की उपधारा (2) के खंड (क) से खंड (घ) में विनिर्दिष्ट कृत्यों के अतिरिक्त, निम्नलिखित कृत्यों का पालन करेगी, अर्थात् :-

(क) अधिनियम में यथा प्रतिपादित बालक के अधिकारों के साथ ही समुचित सरकार स्थानीय प्राधिकारी, विद्यालय, माता-पिता और संरक्षक के कर्तव्यों को भी विद्यालय के आसपास की जनसाधारण को सरल और सृजनात्मक रूप में संसूचित करना ;
(ख) धारा 24 के खंड (क) और खंड (ङ) तथा धारा 28 का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना ;
(ग) इस बात को मानिटर करना कि अध्यापकों पर धारा 27 में विनिर्दिष्ट कर्तव्यो से भिन्न गैर शैक्षिक कर्तव्यों का भार न डाला जाए ;
(घ) विद्यालय में आसपास के सभी बालको के नामांकन और निरंतर उपस्थिति को सुनिश्चित करना ;
(ड) अनुसूची में विनिर्दिष्ट सन्नियमों और मानकों के बनाए रखने को मानिटर करना ;
(च) बालक के अधिकारी से किसी विचलन को, विशेष रूप से बालको के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न, प्रवेश से इंकार किए जाने और धारा 3 की उपधारा (2) के अनुसार निःशुल्क हकदारियों के समयबद्ध उपबंध को स्थानीय प्राधिकारी की जानकारी में लाना ;
(छ) आवश्यकताओं का पता लगाना, योजना तैयार करना और धारा 4 के उधवंधों के कार्यान्वयन को मानिटर करना ;
(ज) निःशक्तताग्रस्त बालको की पहचान और नामांकन तथा उनकी शिक्षा की सुविधाओं को मानिटर करना और प्राथमिक शिक्षा में उनके भाग लेने और उसे पूरा करने को सुनिश्चित करना ;
(झ) विद्यालयों में दोपहर के भोजन के कार्यान्वयन को मानिटर करना :
(ज) विद्यालय की प्राप्तियों और व्यय का वार्षिक लेखा तैयार करना ।

(7) इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों का निर्वहन करने के लिए उक्त समिति द्वारा प्राप्त किसी धनराशि को एक पृथक खाते में रखा जाएगा, जिसकी वार्षिक रूप से संपरीक्षा की जाएगी ।

4. विद्यालय विकास योजना तैयार करना-(1) विद्यालय प्रबंध समिति उस वित्तीय वर्ष के, जिसमें अधिनियम के अधीन उसका पहली बार गठन किया गया है, अंत से क से कम तीन मास पूर्व एक विद्यालय विकास योजना तैयार करेगी ।
(2) विद्यालय विकास योजना तीन वर्षीय योजना होगी, जिसमें तीन वार्षिक उपयोजनाएं होगी ।
(3) विद्यालय विकास योजना में निम्नलिखित ब्यौरे होंगे, अर्थात् :
(क) प्रत्येक वर्ष के लिए क्या-वार नामांकन के प्राक्कलन ;
(ख) अनुसूची में विनिर्दिष्ट सन्नियमों के प्रति निर्देश से परिकलित, कक्षा 1 से कक्षा 5 और कक्षा 8 से कक्षा 8 के लिए पृथक रूप से, अतिरिक्त अध्यापको, जिसके अंतर्गत प्रधान अध्यापक, विषय अध्यापक और अंशकालिक अनुदेशक भी हैं, की संख्या की अपेक्षा ;
(ग) अनुसूची में विनिर्दिष्ट सन्नियमो और मानकों के प्रति निर्देश से परिकलित, अतिरिक्त अवसंरचना और उपस्करों की भौतिक अपेक्षा;
(घ) ऊपर (ख) और (ग) के संबंध में वित्तीय आवश्यकता, जिसके अंतर्गत धारा 4 में विनिर्दिष्ट विशेष प्रशिक्षण सुविधा,निःशुल्क पाठ्यपुस्तको और वर्दियों जैसी बालको की हकदारी तथा अधिनियम के अधीन विद्यालय के उत्तरदायित्वों को पूरा करने के लिए कोई अन्य अतिरिक्त अपेक्षा भी है,
(4) विद्यालय विकास योजना पर विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष और संयोजक द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे और उसे उस वित्तीय वर्ष के, जिसमें उसे तैयार किया जाता है, अंत से पूर्व स्थानीय प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जाएगा ।

भाग 3-निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010)

5. विशेष प्रशिक्षण-(1) समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी के स्वामित्वाधीन और प्रबंधनाधीन किसी विद्यालय की विद्यालय प्रबंध समिति विशेष प्रशिक्षण की अपेक्षा करने वाले बालको की पहचान करेगी और निम्नलिखित रीति में ऐसा प्रशिक्षण आयोजित करेगी अर्थात् :-

(क) विशेष प्रशिक्षण धारा 29 की उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट शैक्षिक प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित विशेष रूप से तैयार की गई, आयु अनुसार शिक्षा सामग्री पर आधारित होगा :
(ख) उक्त प्रशिक्षण विद्यालय के परिसरों पर लगाई गई कक्षाओं में या सुरक्षित आवासीय सुविधाओं में आयोजित कक्षाओं में दिया जाएगा ;
(ग) उक्त प्रशिक्षण विद्यालय में कार्य कर रहे अध्यापकों द्वारा या इस प्रयोजन के लिए विशेष रूप से नियुक्त अध्यापकों द्वारा दिया जाएगा ;
(घ) उक्त प्रशिक्षण की कालावधि तीन मास की न्यूनतम अवधि के लिए होगी, जिसे विद्या की प्रगति के आवधिक निर्धारण के आधार पर दो वर्ष से अनधिक की अधिकतम अवधि के लिए विस्तारित किया जा सकेगा ।

(2) बालक, आयु अनुरूप समुचित कक्षा में प्रवेश करने पर, विशेष प्रशिक्षण के पश्चात, अध्यापक द्वारा विशेष ध्यान प्राप्त करता रहेगा, जिससे कि उसे शेष कक्षा के साथ सफलतापूर्वक जुड़ने में शैक्षणिक रूप से और भावनात्मक रूप से समर्थ बनाया जा सके ।

भाग 4- केंद्रीय सरकार, समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारी के कर्तव्य और उत्तरदायित्व (निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010)

6. आसपास का क्षेत्र या सीमाएं- (1) आसपास के क्षेत्र या सीमाएं, जिनके भीतर समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा कोई विद्यालय स्थापित किया जाना है, निम्नलिखित होगी:-

(क) कक्षा 1 से कक्षा 5 के बालकों के संबंध में, दिद्यालय आसपास की एक किलोमीटर की पैदल, दूरी के भीतर स्थापित किया जाएगा:
(ख) कक्षा 6 से कक्षा 8 के बालकों के संबंध में विद्यालय आसपास की तीन किलोमीटर की पैदल दूरी के भीतर स्थापित किया जाएगा ।

(2) जहां कहीं अपेक्षित हो, समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी कक्षा 1 से कक्षा 5 वाले विद्यमान विद्यालयों को कक्षा 6 से कक्षा 8 को सम्मिलित करने के लिए प्रोन्नत कर सकेगी और ऐसे विद्यालयों के संबंध में, जो कक्षा 6 से आरंभ होते हैं, समुचित सरकार या रथानीय प्राधिकारी, जहां कहीं आवश्यक हो, कक्षा 1 से कक्षा 5 जोड़ने का प्रयास करेगा ।

(3) कठिन भू-भाग, भूस्खलनो, बाद के जोखिम, कम सड़को वाले स्थानों में और साधारणतया, युवा बालकों के लिए अपने घरों से विद्यालय तक पहुंचने में खतरे वाले स्थानो में समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी ऐसी रीति में विद्यालय अवस्थित करेगा, जिससे कि उपनियम (1) के अधीन विनिर्दिष्ट क्षेत्र या सीमाओं को कम करके ऐसे खतरों से बचा जा सके ।

(4) समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा पता लगाए गए ऐसे लघु पुरवों के बालकों के लिए, जहां उपनियम (1) के अधीन विनिर्दिष्ट आसपास के क्षेत्र या सीमाओं के भीतर कोई विद्यालय विद्यमान नहीं है, समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी उक्त नियम में विनिर्दिष्ट क्षेत्र या सीमाओं के शिथिलीकरण में विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए निःशुल्क परिवहन और आवासीय सुविधाओं जैसी पर्याप्त व्यवस्थाएं करेगा।

(5) सघन जनसंख्या वाले स्थानों में, समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी, ऐसे स्थानों में 6-14 वर्ष की आयु समूह के बालको की संख्या को ध्यान में रखते हुए, आसपास के एक से अधिक विद्यालयों की स्थापना के बारे में विचार कर सकेगा ।

(6) स्थानीय प्राधिकारी आसपास के ऐसे विद्यालय (विद्यालयों) का पता लगाएगा, जहां बालको को प्रवेश दिया जा सकता है, और प्रत्येक आवास के लिए ऐसी सूचना को सार्वजनिक करेगा ।

(7) ऐसी निःशक्तता से ग्रस्त बालको के संबंध में, जो उन्हें विद्यालय में पहुंचने से रोकती है, समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी उन्हे विद्यालय में उपस्थित होने और प्रारंभिक शिक्षा पूरा करने में समर्थ बनाने के लिए समुचित और सुरक्षित परिवहन व्यवस्थाएं करने का प्रयास करेगा ।

(8) समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि बालको की विद्यालय तक पहुंच सामाजिक और सांस्कृतिक कारको से प्रतिवाधित न हो ।

7. केंद्रीय सरकार का वित्तीय उत्तरदायित्व-(1) केंद्रीय सरकार अधिनियम के उपबंधों को क्रियान्वित करने के लिए, नियत तारीख से एक मास के भीतर पांच वर्ष की अवधि के लिए पूंजी और आवर्ती व्यय के वार्षिक प्राक्कलन तैयार करेगी, जिन्हें प्रत्येक तीन वर्ष के लिए पुनरीक्षित किया जा सकेगा ।

(2) केन्द्रीय सरकार अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए, नियत तारीख से छह मास की अवधि के भीतर यह सुनिश्चित करेगी कि प्राथमिक शिक्षा के लिए उसके कार्यक्रम अधिनियम के उपबंधों के अनुरूप हैं

(3) केन्द्रीय सरकार नियत तारीख से छह मास की अवधि के भीतर राज्य सरकारों से परामर्श करेगी और और उस व्यय की, जो अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए राजस्व के सहायता अनुदान के रूप में वह राज्य सरकारों को उपलब्ध कराएगी, प्रतिशतता का अवधारण करेगी ।

(4) केन्द्रीय सरकार नियत तारीख से एक मास के भीतर वित्त आयोग को निर्देश कराएगी और प्रक्कलनों को पुनरीक्षित किए जाने के प्रत्येक समय पर इसी प्रकार निर्देश कराएगी;

परन्तु यदि किसी विशिष्ट निर्देश के समय कोई वित्त आयोग विद्यमान नहीं है तो केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारों को संसाधन उपलब्ध कराने के प्रयोजन के लिए एक अनुकल्पी तंत्र का गतन कर सकेगी ।

8. केन्द्रीय सरकार का शैक्षिक उत्तरादायित्व-(1) केन्द्रीय सरकार राष्ट्रीय पाठचर्या के ढांचे के विकास के लिए नियत तारीख से एक मास के भीतर किसी शैक्षिक प्राधिकारी को अधिसूचित करेगी ।

(2) केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारी और ऐसे अन्य प्राधिकारियों से परामर्श करके, जो वह आवश्यक समझे, अधिनियम की धारा 2 के खंड (ड) के उपखंड () से उपखंड (iii) में विनिर्दिष्ट विद्यालयों के संबंध में अध्यापको के सेवा पूर्व और सेवारत प्रशिक्षण का उपबंध करने हेतु राज्य सरकारों और संघ राज्यक्षेत्रों को समर्थ बनाने के लिए कोई स्कीम (स्कीमे) तैयार कर सकेगी, जिसके अन्तर्गत प्रशिक्षण के मानकों के अनुसार कोई मानिटरी तंत्र भी है ।

9. समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारी के उत्तरदायित्व- (1) धारा 2 के खंड (द) के उपखंड (i) में निर्दिष्ट समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी के विद्यालय में उपस्थित होने वाला कोई बालक, धारा 12 की उपधारा (१) के खंड (ख) के अनुसार धारा 2 के खंड (द) के उपखंड (ii) में निर्दिष्ट विद्यालय में उपस्थित होने वाला कोई बालक और धारा 12 की उपधारा (1) की खंड (ग) के अनुसार धारा 2 के खंड (द) के उपखंड (iii) और उपखंड (iv) में निर्दिष्ट विद्यालय में उपस्थित होने वाला कोई बालक अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (2) में उपबंधित किए गए अनुसार निःशुल्क शिक्षा और विशेष रूप से, निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों, लेखन-सामग्रियों और के लिए हकदार होगा :

परन्तु निःशक्तता से ग्रस्त कोई बालक निःशुल्क विशेष विद्या और सहायक सामग्री के लिए भी हकदार होगा।

स्पष्टीकरण-उपनियम (1) के प्रयोजनों के लिए, यह उल्लेखनीय है कि धारा 12 की उपधारा (1) के खंड (ख) के अनुसार प्रवेश दिए गए बालक और धारा 12 की उपधारा (1) के खंड (ग) के अनुसार प्रवेश दिए गए बालक के संबंध में निःशुल्क हकदारी प्रदान करने का उत्तरदायित्व क्रमशः घारा 2 के खंड (द) के उपखंड (ii) और धारा 2 के खंड (ढ) के उपखंड (iii) और (iv) में निर्दिष्ट विद्यालय का होगा ।

(2) आस-पास के विद्यालयों का अवधारण करने और उनकी स्थापना करने के प्रयोजनों के लिए समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी विद्यालय की योजना तैयार करेगा और दूरस्थ क्षेत्रों के बालको, निःशक्तताग्रस्त बालकों, अलाभप्रद समूह के बालको, कमजोर वर्ग के बालकों और धारा 4 में निर्दिष्ट बालको सहित सभी बालकों की, नियत तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर और उसके पश्चात् प्रत्येक वर्ष, पहचान करेगा।

(3) समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि विद्यालय में कोई भी बालक जाति, वर्ग, धार्मिक या लिंग संबंधी दुर्व्यवहार के अध्यधीन नहीं हो ।

(4) धारा 8 के खंड (ग) और धारा 9 के खंड (ग) के प्रयोजनों के लिए, समुचित सरकार और स्थानीय प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी कमजोर वर्ग के किसी बालक और अलाभप्रद समूह के किसी बालक को कक्षा में, दोपहर के भोजन के दौरान, खेल के मौदानों में, सामान्य पेयजल और प्रसाधन सुविधाओं के उपयोग में तथा शौचालय या कक्षाओं की सफाई में अलग न रखा जाए या उसके विरुद्ध विभेद न किया जाए ।

10. स्थानीय प्राधिकारी द्वारा बालकों के अभिलेखों का रखा जाना-(1) स्थानीय प्राधिकारी अपनी अधिकारिता के अधीन सभी बालकों का घरेलू सर्वेक्षण द्वारा, उनके जन्म से 14 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक का एक अभिलेख रखेगा ।

(2) उपनियम (1) में निर्दिष्ट अभिलेख को वार्षिक रूप से अद्यतन किया जाएगा ।

(3) उक्त उपनियम में निर्दिष्ट अभिलेख को सार्वजनिक क्षेत्र में पारदर्शी रूम से रखा जाएगा और उसका उपयोग धारा 9 के खंड (ङ) के प्रयोजनों के लिए किया जाएगा।

(4) उक्त उपनियम में निर्दिष्ट अभिलेख में, प्रत्येक बालक के संबंध में निम्नलिखित सम्मिलित होगा :
(क) नाम, लिंग, जन्म की तारीख, जन्म का स्थान ;
(ख) माता-पिता या संरक्षक का नाम, पता, व्यवसाय :
(ग) वह पूर्व प्राथमिक विद्यालय/ आगनबाड़ी केन्द्र, जहां बालक (छह वर्ष की आयु तक) उपस्थित रहा है:
(घ) प्राथमिक विद्यालय, जहां बालक को प्रवेश दिया जाता है ;
()बालक का वर्तमान पता:
(च) कक्षा, जिसमें बालक पढ़ रहा है (5 वर्ष से 14 वर्ष की आयु के बीच के बालको के लिए) और यदि स्थानीय प्राधिकारी की क्षेत्रीय अधिकारिता में शिक्षा जारी नहीं रहती है तो ऐसे जारी न रहने का कारण ;
(छ) क्या बालक कमजोर वर्ग का है ;
(ज) क्या बालक किसी अलाभप्रद समूह का है ;
(झ) क्या बालक (1) अप्रवास और अपर्याप्त जनसंख्या; (ii) आयु अनुसार समुचित प्रवेश ; और.(iii) निःशक्तता के कारण विशेष सुविधाओं या निवास सुविधाओं की अपेक्षा करता है।

(5) स्थानीय प्राधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि विद्यालयों में नामांकित बालको के नाम प्रत्येक विद्यालय में सार्वजनिक रूप से संप्रदर्शित किए गए हैं ।

भाग 5-विद्यालयों और अध्यापकों के उत्तरदायित्व (निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010)

11. कमजोर वर्ग और अलाभप्रद समूह के बालकों का प्रवेश–(1) धारा 2 के खंड (ड) के उपखंड (iii) और उपखंड (iv) में निर्दिष्ट विद्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि धारा 12 की उपचारा (1) के खड ( ग) के अनुसार प्रवेश दिए गए बालक को न तो कक्षाओं में अन्य बालको से पृथक किया जाएगा न ही उनकी कक्षाएं अन्य बालको के लिए आयोजित कक्षाओं से भिन्न स्थानों और समयों पर आयोजित की जाएंगी ।

(2) धारा 2 के खंड (3) के उपखंड (iii) और उपखंड (iv) मे निर्दिष्ट विद्यालय यह सुनिश्चित करेगा कि धारा 12 की उपधारा (1) के खंड (ग) के अनुसार प्रवेश दिए गए बालक के साथ पाठ्यपुस्तकों, वर्दियों, पुस्तकालय और सूचना, संसूचना और प्रौद्योगिकी सुविधाओं, अतिरिक्त पाठ्यचर्या और खेल-कूदो जैसी हकदारियों और सुविधाओं के संबंध में, किसी भी रीति में, शेष बालकों से विभेद नहीं किया जाएगा ।

(3) नियम 6 के उपनियम (1) में विनिर्दिष्ट आस-पास का क्षेत्र या सीमाएं धारा 12 की उपधारा (1) के खंड (ग) के अनुसार दिए गए प्रवेशों को लागू होगी: परन्तु विद्यालय धारा 12 की उपधारा (1) के खंड (ग) में निर्दिष्ट बालकों के लिए स्थानों की अपेक्षित प्रतिशतता को भरने के प्रयोजनों के लिए समुचित सरकार के पूर्व अनुमोदन से इन क्षेत्रों या सीमाओं का विस्तार कर सकेगा ।

12. समुचित सरकार द्वारा प्रति-बालक-व्यय की प्रतिपूर्ति – (1) समुचित सरकार द्वारा, सभी ऐसे विद्यालयों में नामांक्ति बालको की कुल संख्या से विभाजित, धारा 2 के खंड (ङ) के उपखंड (i) में निर्दिष्ट सभी विद्यालयो की बाबत प्रारंभिक शिक्षा पर अपनी स्वयं की निधियों और केन्द्रीय सरकार तथा किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई निधियों से उपगत कुल वार्षिक आवर्ती व्यय, समुचित सरकार द्वारा उपगत किया गया प्रति-बालक- व्यय होगा ।

स्पष्टीकरण-प्रति-बालक-व्यय का अवधारण करने के लिए. धारा 2 के खंड (ढ) के उपखंड (i) में निर्दिष्ट विद्यालयों पर समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा और ऐसे विद्यालयों में नामांकित बालको द्वारा उपगत व्यय सम्मिलित नहीं किया जाएगा ।

(2) धारा 2 के खंड (ढ) के उपखंड (ii) और उपखंड (iv) में निर्दिष्ट प्रत्येक विद्यालय धारा 12 की उपधारा (2) के अधीन प्रतिपूर्ति के रूप में उसके द्वारा प्राप्त रकम की बाबल एक पृथक बैंक खाता रखेगा ।

13. आयु के सबूत के रूप में दस्तावेज-जहाँ कहीं जन्म, मृत्यु और विवाह प्रामणीकरण अधिनियम 1886 (1886 का 6) के अधीन जन्म प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं है वहां निम्नलिखित दस्तावेजों में से किसी एक को विद्यालयों में प्रवेश के प्रयोजनों के लिए बालक की आयु का सबूत समझा जाएगा-

(क) अस्पताल या सहायक नर्स और दाई रजिस्टर अभिलेख;
(ख) आगनबाड़ी अभिलेख;
(ग) माता-पिता या संरक्षक द्वारा बालक की आयु की घोषणा ।

14. प्रवेश के लिए विस्तारित अवधि –(1) प्रवेश के लिए विस्तारित अवधि विद्यालय के शैक्षिक वर्ष के प्रारंभ की तारीख से छह मास की होगी। <br>(2) जहां किसी बालक को विस्तारित अवधि के पश्चात् किसी विद्यालय में प्रवेश दिया जाता है, वहां वह विद्यालय के प्रधान अध्यापक द्वारा यथा अवधारित विशेष प्रशिक्षण की सहायता से अध्ययन पूरा करने के लिए पात्र होगा ।

15. विद्यालय को मान्यता-(1) इस अधिनियम के प्रारंभ से पूर्व स्थापित किया गया, केन्द्रीय सरकार समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, उनके स्वामित्वधीन या नियंत्राधीन किसी विद्यालय से भिन्न प्रत्येक विद्यालय अधिनियम के प्रारंभ के तीन मास की अवधि के भीतर संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी को अनुसूची में विनिर्दिष्ट संनियमों और मानको के उसके द्वारा अनुपालन किए जाने या अन्यथा और निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने के संबंध में प्ररूम सं0 1 में एक स्वघोषणा करेगा, अर्थात :-

(क) विद्यालय सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1860 ( 1860 का 21 ) के अधीन रजिस्ट्रीकृत किसी सोसाइटी या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन गठित किसी लोक न्यास द्वारा चलाया जा रहा है ;
(ख) विद्यालय किसी व्यष्टि व्यष्टि-समूह या व्यष्टि संगम या किन्हीं अन्य व्यक्तियों के लाम के लिए नहीं चलाया जा रहा है ;
(ग) विद्यालय संविधान में प्रतिष्ठापित आदर्शो के अनुरूप है ।
(घ) विद्यालय भवन या अन्य संरचनाएं या मैदान केवल शिक्षा और कौशल विकास के प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।
(ड) विद्यालय समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा निरीक्षण करने के लिए उपलब्ध है ;
(च) विद्यालय समय-समय पर ऐसी रिपार्ट और जानकारी प्रस्तुत करता है, जिनकी अपेक्षा की जाए, और समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी के ऐसे अनुदेशों का अनुपालन करते हैं जो विद्यालय की मान्यता की शर्तों के सतत अनुपालन को सुनिश्चित करने या विद्यालय के कार्यकरण में कमियों को दूर करने के लिए जारी किए जाए;

(2) प्ररूम 1 में प्राप्त प्रत्येक स्वतः घोषणा उसके प्राप्त होने के पन्द्रह दिन के भीतर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा सर्वसाधारण की जानकारी के लिए प्रस्तुत की जाएगी ।

(3) जिला शिक्षा अधिकारी उपनियम (1) में वर्णित मानदंडों, मानकों तथा शर्तों को पूरा करने के लिए स्वतः घोषणा प्राप्त होने के तीन मास के भीतर उन विद्यालयों का स्थल पर निरीक्षण कराएगा जो प्ररूप सं0 1 में दावा करते हैं।

(4) उपनियम (3) में निर्दिष्ट निरीक्षण किए जाने के पश्चात् निरीक्षण रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा सर्वसाधारण के लिए प्रस्तुत की जाएगी और विद्यालयों को मानदंडों, मानको और शर्तों के अनुरूप पाए जाने पर निरीक्षण की तारीख से पन्द्रह दिन के भीतर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्ररूप 2 में मान्यता प्रदान की जाएगी।

(5) वे विद्यालय जो उपनियम (1) में वर्णित मानदंडों, मानकों और शर्तों के अनुरूप नहीं हैं जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इस आशय के लोक आदेश के माध्यम से सूचीबद्ध किए जाएंगे ; ऐसे विद्यालय जिला शिक्षा अधिकारी से इस प्रकार अगले ढाई वर्ष के भीतर किसी भी समय मान्यता प्रदान करने के लिए स्थल निरीक्षण हेतु अनुरोध कर सकेंगे ताकि ऐसी अवधि इस अधिनियम के प्रारंभ से तीन वर्ष की अवधि से अधिक न हो ।

(6) वे विद्यालय जो इस अधिनियम के प्रारंभ होने की तारीख से तीन वर्ष के भीतर उपनियम ( 1) में वर्णित मानदंडों, मानकों और शर्तों के अनुरूप नहीं हैं कार्य करना बंद कर देगे ।

(7) केंद्रीय सरकार, समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा स्थापित, स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन विद्यालय से भिन्न प्रत्येक विद्यालय जिसकी स्थापना इस अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात् की गई है वे इस नियम के अधीन मान्यता के लिए अर्हता प्राप्त करने के क्रम में उपनियम (1) में उल्लिखित मानदडो, मानकों और शर्तों के अनुरूप होंगे ।

16. विद्यालय की मान्यता वापस लेना (1) जहां जिला शिक्षा अधिकारी (जिसे इसमें इसके पश्चात् उक्त अधिकारी कहा गया है) स्वप्ररेणा से या किसी व्यक्ति से प्राप्त किसी अभ्यावेदन पर लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से यह विश्वास करने का कारण रखता है कि नियम 15 के अधीन मान्यताप्राप्त किसी विद्यालय ने मान्यता प्रदान किए जाने के लिए शर्ता में से एक या अधिक का उल्लंघन किया है या अनुसूची में विनिर्दिष्ट मानदंडों और मानको को पूरा करने में असफल रहा है तो जिला शिक्षा अधिकारी निम्नलिखित रीति में कार्य करेगा :-

परंतु उक्त अधिकारी द्वारा मान्यता वापस लेने का ऐसा कोई आदेश विद्यालय को सुनवाई के लिए पर्याप्त अवसर दिए बिना पारित नहीं किया जाएगा :

परंतु यह और कि उक्त अधिकारी द्वारा ऐसा कोई आदेश समुचित सरकार के अनुमोदन के बिना पारित नहीं किया जाएगा ।

(2) उक्त अधिकारी द्वारा पारित मान्यता वापस लेने का आदेश तुरंत अनुवर्ती शैक्षणिक वर्ष से प्रभावी होगा और वह निकट के ऐसे विद्यालयों को विनिर्दिष्ट करेगा जिसमें उस विद्यालय के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा।

भाग 6- अध्यापक (निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010)

17. न्यूनतम अर्हताएं- (1) केंद्रीय सरकार नियत तारीख के एक मास के भीतर अध्यापक के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होने वाले व्यक्ति के लिए न्यूनतम अर्हताएं अधिकथित करने हेतु एक शैक्षणिक प्राधिकारी को अधिसूचित करेगी ।

(2) उपनियम (1) के अधीन अधिसूचित शैक्षणिक प्राधिकारी ऐसी अधिसूचना के तीन मास के भीतर किसी प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होने वाले व्यक्ति के लिए न्यूनतम अर्हताएं अधिकथित करेगा ।

(3) उपनियम (1) में निर्दिष्ट शैक्षणिक प्राधिकारी द्वारा अधिकथित न्यूनतम अर्हताएं धारा 2 के खंड (ढ) में निर्दिष्ट प्रत्येक विद्यालय के लिए लागू होगी।

18. न्यूनतम अर्हताओं का शिथिलीकरण– (1) राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र इस अधिनियम के प्रारंभ से छह मास के भीतर धारा 2 के खंड () में निर्दिष्ट सभी विद्यालयों के लिए अनुसूची में मानदंडों के अनुसार अध्यापकों की आवश्यकता का प्राक्कलन करेंगे ।

(2) जहां किसी राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र के पास अध्यापक शिक्षण में पाठ्यक्रम या प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए पर्याप्त संस्थाएं नहीं हैं या नियम 17 के उपनियम (2) में यथाअधिसूचित न्यूनतम अर्हताएं रखने वाले व्यक्ति उपनियम (1) के अधीन प्राक्कलित अध्यापकों की आवश्यकता के अनुपात में पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं. वहां राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र इस अधिनियम के प्रारंभ के एक वर्ष के भीतर केंद्रीय सरकार से विहित न्यूनतम अर्हताओं को शिथिल करने के लिए अनुरोध करेगा।

(3) केंद्रीय सरकार उपनियम (2) में निर्दिष्ट अनुरोध प्राप्त होने पर राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र के अनुरोध की परीक्षा करेगी और अधिसूचना द्वारा, न्यूनतम अर्हताओं को शिथिल कर सकेगी ।

(4) उपनियम (3) में निर्दिष्ट अधिसूचना में शिथिलीकरण की प्रकृति और तीन वर्ष से अनधिक की समयावधि किन्तु जो अधिनियम के प्रारंभ से पांच वर्ष के परे नहीं होगी, विनिर्दिष्ट की जाएगी, जिसके भीतर शिथिल की गई श्तों के अधीन नियुक्त किए गए अध्यापक धारा 23 की उपधारा (1) के अधीन अधिसूचित शैक्षणिक प्राधिकारी द्वारा विनिर्दिष्ट न्यूनतम अर्हताओं को अर्जित करेंगे ।

(5) इस अधिनियम के प्रारंभ से छह मास के पश्चात् किसी विद्यालय के लिए अध्यापक की कोई नियुक्ति ऐसे किसी व्यक्ति की बाबत जिसके पास नियम 17 के उपनियम (2) में अधिसूचित न्यूनतम अर्हताएं नहीं हैं, उपनियम (3) में निर्दिष्ट शिथिलीकरण की अधिसूचना के बिना नहीं की जाएगी ।

(6) अधिनियम के प्रारंभ के छह मास के भीतर अध्यापक के रूप में नियुक्त किसी व्यक्ति को कम से कम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्रमाणपत्र या उसके समतुल्य से अन्यून शैक्षणिक अर्हता धारण करनी चाहिए ।

19 न्यूनतम अर्हताओं का अर्जित किया जाना- (1) राज्य सरकार और संघ राज्यक्षेत्र यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस अधिनियम के प्रारंभ के समय, उपखंड (1) में निर्दिष्ट विद्यालयों में सभी अध्यापकों और धारा 2 के खंड (ड) के उपखंड (iii) के अधीन केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र या स्थानीय प्राधिकारी के स्वामित्वाधीन और उनके द्वारा प्रबंधित विद्यालयों में सभी अध्यापकों द्वारा, जिनके पास धारा 17 की उपधारा (2) में अधिकथित न्यूनतम अर्हलाएं नहीं हैं, अधिनियम के प्रारंभ से पांच वर्ष की अवधि के भीतर ऐसी न्यूनतम अर्हताएं अर्जित करने के लिए पर्याप्त अध्यापक शिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे ।

(2) धारा 2 के खंड (ड) के उपखंड (ii) और (iv) में निर्दिष्ट विद्यालय या धारा 2 के खंड (ढ) के उपखंड (ii) में निर्दिष्ट विद्यालय, जो केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र या स्थानीय प्राधिकारी के स्वामित्वाधीन नहीं है और उनके द्वारा प्रबंधित नहीं है. में किसी ऐसे अध्यापक के लिए, जिनके पास अधिनियम के प्रारंभ के समय धारा 17 की उपधारा (2) में अधिकथित न्यूनतम अर्हताएं नहीं हैं, ऐसे विद्यालय का प्रबंधन अधिनियम के प्रारंभ से पांच वर्ष की अवधि के भीतर ऐसी न्यूनतम अर्हताएं अर्जित करने में समर्थ बनाने के लिए पर्याप्त अध्यापक शिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराएँगे ।

20. अध्यापकों के वेतन और भत्ते तथा सेवा की शर्ते (1) यथास्थिति, केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र या स्थानीय प्राधिकारी अध्यापकों का वृत्तिक और स्थायी संवर्ग सृजित करने के क्रम में उनके स्वामित्वाधीन और उनके द्वारा प्रबंधित विद्यालयों के अध्यापको की सेवा के निबंधन और शर्ते तथा वेतन और भक्ते अधिसूचित करेगा ।

(2) विशिष्टतया और उपनियम (1) पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना सेवा के निबंधनों और शर्तों में निम्नलिखित को ध्यान में रखा जाएगा, अर्थात् :-

(क) अध्यापको की विद्यालय प्रबंध समिति को जवाबदेही ;
(ख) शैक्षणिक वृत्ति में अध्यापकों के दीर्घावधि तक बने रहने के समर्थकारी उपबंध ।

(3) सभी अध्यापकों के वेतनमान और भत्ते, चिकित्सीय सुविधाएं, पेंशन, उपदान, भविष्य निधि और अन्य विहित फायदे, वैसी ही अर्हता, कार्य और अनुभव के लिए बराबर होंगे।

21. अध्यापकों द्वारा अनुपालन किए जाने वाले कर्तव्य- (1) अध्यापक एक फाइल रखेंगे जिसमें प्रत्येक बच्चे के लिए शिष्य संचयी अभिलेख होगा जो प्राथमिक शिक्षा के पूरा होने के लिए प्रमाणपत्र देने हेतु आधार होगा । निम्नलिखित कर्तव्यों का अनुपालन करेगा :<br>(2) अध्यापक, धारा 24 की उपधारा (1) के खंड (क) से खंड (ङ) तक में विनिर्दिष्ट कृत्यो के अतिरिक्त-

(क) प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना ;
(ख) पाठ्यचर्या निर्माण और पाठ्यक्रम विकास, प्रशिक्षण माड्युल तथा पाठ्य पुस्तक विकास में भाग लेना ।

22. शिष्य-अध्यापक अनुपात बनाए रखना- (1) किसी विद्यालय में अध्यापको की स्वीकृत संख्या, यथास्थिति, केंद्रीय सरकार, समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा नियत तारीख के तीन मास की अवधि के भीतर अधिसूचित की जाएगी :

परंतु यथास्थिति, केंद्रीय सरकार समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा ऐसी अधिसूचना के तीन मास के भीतर उपनियम (1) में निर्दिष्ट अधिसूचना से पूर्व स्वीकृत संख्या से अधिक संख्या वाले विद्यालयों के अध्यापको की पुनः तैनाती की जाएगी।


(2) यदि केंद्रीय सरकार समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी का कोई व्यक्ति धारा 25 की उपधारा (2) का उल्लंघन करता है तो वह व्यक्तिगत रूप से अनुशासनिक कार्रवाई के लिए दायी होगा/होगी।

भाग-7 पाठ्यचर्या और प्राथमिक शिक्षा का पूरा होना (निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010)

23. शैक्षणिक प्राधिकारी- (1) केंद्रीय सरकार नियत तारीख के एक मास के भीतर धारा 29 के प्रयोजनों के लिए एक शैक्षणिक प्राधिकारी को अधिसूचित करेगी।

(2) पाठ्यचर्या और मूल्यांकन प्रक्रिया अधिकथित करते समय उपनियम (1) के अधीन अधिसूचित शैक्षणिक प्राधिकारी, करेगा:

(क) सुसंगत और आयु समुचित पाठ्यक्रम तथा पाठ्य-पुस्तके और अन्य शिक्षण सामग्री तैयार करेगा;
(ख) सेवा में अध्यापक प्रशिक्षण डिजाइन विकसित करेगा ; और
(ग) निरन्तर तथा व्यापक मूल्यांकन को अभ्यास में रखने के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत तैयार करेगा ।

(3) उपनियम (1) में निर्दिष्ट शैक्षणिक प्राधिकारी नियमित आधार पर संपूर्ण विद्यालय क्वालिटी निर्धारण की प्रक्रिया डिजाइन और कार्यान्वित करेगा।

24. प्रमाणपत्र प्रदान करना – (1) प्राथमिक शिक्षा के पूरा होने का प्रमाणपत्र विद्यालय स्तर पर प्राथमिक शिक्षा पूरा करने के एक मास के भीतर जारी किया जाएगा ।
(2) उपनियम (1) में निर्दिष्ट प्रमाणपत्र में बालक का शिष्य संचयी अभिलेख अंतर्विष्ट होगा।

भाग- 8 बाल अधिकारों का संरक्षण (निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2010)

25. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा कृत्यों का निर्वहन- केंद्रीय सरकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में संसाधन सहायता उपलब्ध कराएगी ।

26. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष परिवादों को प्रस्तुत करने की रीति- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, अधिनियम के अधीन बाल अधिकारों के उल्लंघन के संबंध में परिवादों को रजिस्टर करने के लिए एक चाइल्ड हेल्पलाइन की स्थापना करेगा जो उसके द्वारा पारदर्शी ऑनलाइन तंत्र के माध्यम से मानीटर की जा सकेगी ।

27. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा कृत्यों का निर्वहन- (1) वह समुचित सरकार जिसका कोई राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग नहीं है, तुरंत ऐसे आयोग की स्थापना के लिए कदम उठाएगी।
(2) जब तक समुचित सरकार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना करे तब तक वह अधिनियम के प्रारंभ के छह मास के भीतर धारा 31 की उपधारा (1) मे विनिर्दिष्ट कृत्यों के निर्वहन के प्रयोजनों के लिए शिक्षा संख्षण अधिकार प्राधिकरण के रूप में ज्ञात एक अंतरिम प्राधिकरण (जिसे इसमें इसके पश्चात् आरईपीए कहा गया है) का गठन करेगी या राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन करेगी, जो भी पूर्वतर हो ।
(3) शिक्षा संरक्षण अधिकार प्राधिकरण (आरईपीए) निम्नलिखित से मिलकर बनेगा, अर्थात् :-

(क) अध्यक्ष, जो उच्च शैक्षणिक ख्याति का व्यक्ति है या उच्च न्यायालय का न्यायाधीश रहा है या जिसने बाल अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्ट कार्य किया है ; और
(ख) दो सदस्य, जिनमें से निम्नलिखित क्षेत्रों में से एक महिला होगी और वे सदस्य ऐसे व्यक्तियों में से होंगे जो प्रख्यात, योग्य, विश्वसनीय, गणमान्य हैं और जिनको निम्नलिखित में अनुभव है-

(i) शिक्षा:
(ii) बाल स्वास्थ्य देखभाल और बाल विकास ;
(iii) किशोर न्याय या उपेक्षित या निम्नवर्गीय या निःशक्त बाल देखभाल ;
(iv) बाल श्रमिक उन्मूलन या व्यथित बच्चों के साथ कार्य करना ;
(v) बाल मनोविज्ञान या सामाजिक शास्त्र ;
(vi) विधिक वृत्ति ।

(4) राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नियम 2006 जहां तक उनका संबंध निबंधनों और शर्ता से है यथावश्यक परिवर्तन सहित आरईपीए के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को लागू होंगे ।

(5) राज्य बाल अधिकार संक्षण आयोग के गठन के तुरंत पश्चात् आरपीए के सभी अभिलेख और आस्तियां उसे अंतरित हो जाएंगी।

(6) यथास्थिति, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग या आरईपीए अपने कृत्यों का निर्वहन करने में राज्य सलाहकार परिषद् द्वारा उसे निर्दिष्ट विषयों पर भी कारवाई कर सकेगा ।

(7) समुचित सरकार, यथास्थिति, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग या आईपीए को इस अधिनियम के अधीन उनके कृत्यों के निर्वहन में संसाधन सहायता उपलब्ध कराएगी।

28. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के समक्ष परिवादों को प्रस्तुत करने की रीति यथासि्थिति, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग या शिक्षा अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (जिसे इसमें इसके पश्चात् आरईपीए कहा गया है) एक चाइल्ड हेल्पलाइन की स्थापना करेगा जो अधिनियम के अधीन बाल अधिकारों के उल्लंघन के संबंध में परिवादों को रजिस्टर करेगी जिसे उसके द्वारा पारदर्शी ऑनलाइन तंत्र के माध्यम से मानीटर किया जा सकेगा।

29. राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् का गठन- (1) राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् (जिसे इस नियम में इसके पश्चात् परिषद् कहा गया है) एक अध्यक्ष और चौदह सदस्यों से मिलकर बनेगी।
(2) मानव संसाधन विकास मंत्री परिषद् का पदेन अध्यक्ष होगा ।
(3) परिषद् के सदस्यों की नियुक्ति केंद्रीय सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा और बाल विकास के क्षेत्र में ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से की जाएगी, जो निम्नानुसार हैं-

(क) कम से कम तीन सदस्य ऐसे व्यक्तियों में से होगे जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक हैं ;

(ख) कम से कम एक सदस्य ऐसे व्यक्तियों में से होगा जिनके पास विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षा का विशिष्ट ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव हो;
(ग) एक सदस्य पूर्व प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों में से होगा ;
(घ) कम से कम एक सदस्य ऐसे व्यक्तियों में से होंगे जिनके पास अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञताप्राप्त ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव है;
(ड) परिषद के निम्नलिखित पदेन सदस्य होंगे:

i. सचिव, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग
ii निदेशक, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद
iii कुलपति, राष्ट्रीय शैक्षिक आयोजना और प्रशासन विश्वविद्यालय
iv. अध्यक्ष, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद
v. अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

(च) सभी सदस्यों में एक तिहाई महिलाएं होंगी।
(छ) अधिनियम के कार्यान्वयन के प्रभारी संयुक्त सचिव पदेन सदस्य सचिव होंगे और सचिवालयी सहायता स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी।

(4) परिषद अन्य संबद्ध मंत्रालयों/विभागों के प्रतिनिधियों को भी आवश्यकता के अनुसार विशेष रूप से आमंत्रित कर सकती है।

30. राष्ट्रीय सलाहकार समिति के कृत्य– (1) राष्ट्रीय सलाहकार समिति सलाहकार हैसियत में कृत्य करेगी ।

(2) राष्ट्रीय सलाहकार समिति निम्नलिखित कृत्यों में से एक या अधिक का निर्वहन करेगी, अर्थात् :

(क) पुनर्विलोकन,
(i) अनुसूची में विनिर्दिष्ट मानदंड और मानक ;
(ii) अध्यापक निर्हरताओं और प्रशिक्षणों का अनुपालन ; और
(iii) धारा 29 का कार्यान्वयन ;

(ख) अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अध्ययन और अनुसंधान आरंभ करना ।
(ग) राज्य सलाहकार परिषदों के साथ समन्वयन करना ।
(घ) अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए जागरूकता उत्पन्न करने, अभियान चलाने, और सकारात्मक वातावरण तैयार करने में जनता और मीडिया तथा केंद्रीय सरकार के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करना ।

(3) राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् उसके द्वारा किए गए पुनर्विलोकनों, अध्ययनों और अनुसंधान के संबंध में रिपोर्ट तैयार करेगी और उसे केंद्रीय सरकार को प्रस्तुत करेगी।

31. राज्य सलाहकार परिषद का गठन – (1) राज्य सलाहकार परिषद (जिसे इस नियम में इसके पश्चात परिषद् कहा गया है) एक अध्यक्ष और चौदह सदस्यों से मिलकर बनेगी।
(2) समुचित सरकार में विद्यालय शिक्षा का प्रभारी मंत्री परिषद् का पदैन अध्यक्ष होगा ।

(3) परिषद् के सदस्यों की नियुक्ति समुचित सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा और बाल विकास के क्षेत्र में ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से की जाएगी, जो निम्नानुसार हैं-

(क) कम से कम तीन सदस्य ऐसे व्यक्तियों में से होंगे जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक हैं ;
(ख) कम से कम एक सदस्य ऐसे व्यक्तियों में से होगा जिनके पास विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षा का विशिष्ट ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव हो,
(ग) एक सदस्य पूर्व प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों में से होगा;
(घ) कम से कम एक सदस्य ऐसे व्यक्तियों में से होंगे जिनके पास अध्यापक शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्राप्त ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव है ;

(ड) परिषद के निम्नलिखित पदेन सदस्य होंगे:-

i.. प्रारंभिक शिक्षा के प्रभारी सचिव
ii राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद / राज्य शिक्षा संस्थान के निदेशक
iii. प्रारंभिक शिक्षा के आयुक्त/निदेशक
iv. अध्यक्ष, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग/ शिक्षा का अधिकार संरक्षण प्राधिकरण

(च) सभी सदस्यों में एक तिहाई महिलाएँ होंगी।
(छ) राज्य परियोजना निदेशक, सर्व शिक्षा अभियान इस परिषद के पदेन सदस्य सचिव हॉंगे। (4) परिषद अन्य संबद्ध मंत्रालयों / विभागों के प्रतिनिधियों को भी आवश्यकता के अनुसार विशेष रूप से आमंत्रित कर सकती है।