प्रतियोगिता उद्घाटन की भाँति समापन समारोह कार्यक्रम भी जोश, उत्साह एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसमें मुख्य अतिथि द्वारा विजयी खिलाड़ियों का सम्मान उन्हें हार मालायें पहनाकर तथा पदक एवं प्रमाण पत्र देकर किया जाता है तथा अन्य समस्त खिलाड़ियों के लिये उनके दलनायक को मंच पर बुलाकर सोविनियर प्रमाण पत्र सौंप दिये जाते हैं। इस कार्यक्रम को भी अधोलिखित बिन्दुओं के आधार पर योजनाबद्ध प्रारम्भ करना चाहिए-

(1) दर्शकों एवं आमंत्रित अतिथियों का स्थान ग्रहण
(2) मुख्य अतिथि का स्वागत, परिचय एवं आसन ग्रहण
(3) खेल अथवा स्पोर्ट्स कार्यक्रम का प्रारम्भ
(4) खिलाड़ियों का क्रीड़ा स्थल पर एकत्रण
(5) मुख्य अतिथि का सलामी मंच पर आगमन
(6) खिलाड़ियों द्वारा सामूहिक अभिमुख प्रयाण
(7) प्रतियोगिता प्रतिवेदन
(8) आशीर्वाद तथा पारितोषिक वितरण
(9) आभार प्रदर्शन
(10) प्रतियोगिता समापन घोषणा
(11) ध्वजावतरण
(12) ध्वजरक्षक दल द्वारा ध्वज समर्पण
(13) धन्यवाद
(14) वृन्द वाद्य द्वारा राष्ट्रीय धुन प्रारम्भ
(15) विसर्जन एवं प्रस्थान

समापन घोषणा

“मैं राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित…… …………. …….. स्तरीय विद्यालय क्रीड़ा प्रतियोगिता के समापन की घोषणा करता हूँ।”

मुख्य अतिथि द्वारा सचिव को ध्वज समर्पण

“मैं विद्यालय क्रीड़ा प्रतियोगिता का यह ध्वज सुरक्षित रखने तथा इसे आगामी प्रतियोगिता के स्थल तक पहुँचाने हेतु प्रतियोगिता सचिव को सौंपता हूँ।”

समापन समारोह का संक्षिप्त विवरण

सामूहिक अभिमुख प्रयाण

समस्त खिलाड़ी क्रीडांगण में अथवा बाहर किसी एक स्थान पर एकत्रित रहेंगे। समस्त दलों के ध्वज वाहक, समस्त नाम पट्ट वाहक, समस्त छात्रायें एवं छात्र खिलाड़ी क्रमश: 6-6 में पंक्तिबद्ध एक ही वृहद दल के रूप में मुख्य ध्वज रक्षक के पीछे खड़े रहेंगे। अभिमुख प्रयाण अधिकारी के आदेशानुसार मार्च पास्ट प्रारम्भ होने पर बैण्ड की मार्चिंग धुन पर कदम से कदम मिलाते हुए सलामी मंच के आगे से मुख्य अतिथि को सलामी देते हुए सलामी मंच से गुजरेंगे तथा निर्धारित स्थान पर जाकर मंच के सामने स्थान ग्रहण करेंगे। मंच के सामने समस्त ध्वज वाहक बराबर दो भागों में मुख्य प्रतियोगिता ध्वज स्तम्भ एवं मंच के मध्य ध्वज मार्ग के दोनों ओर खड़े हो जायेंगे तथा नाम पट्ट वाहक भी उनके पास ही खड़े रहेंगे। मार्ग के दोनों ओर एक तरफ छात्रायें तथा दूसरी ओर छात्र खिलाड़ी सम्मिलित रूप में अपना-अपना स्थान ग्रहण करेंगे।

पारितोषिक वितरण

व्यक्तिगत प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय विजेता खिलाड़ियों को तथा दलीय खेलों में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय विजेता दलों के कैप्टिन के साथ पूरी टीम को विजयी स्तम्भ (विक्ट्री स्टेण्ड) पर पारितोषिक हेतु बुलाकर मुख्य अतिथि द्वारा पदक एवं प्रमाण पत्र दिलवाकर खिलाड़ियों का अभिवादन किया जावेगा।

ध्वजावतरण

समापन घोषणा के होने पर बिगुलर्स की धुन पर प्रतियोगिता ध्वज के साथ-साथ समस्त दलों के स्तम्भों पर फहराते हुए ध्वज पूर्व नियोजित सम्बन्धित ध्वज रक्षकों द्वारा समस्त ध्वज धीरे-धीरे अवरोहण किये जायेंगे।

सम्बन्धित दलों के ध्वज सुरक्षा का दायित्व उनके द्वारा नियुक्त ध्वज रक्षकों का होगा। अतः सम्बन्धित दल नायकों के किसी खिलाड़ी को इसका उत्तरदायित्व सौंप देना चाहिये जिससे ध्वजारोहण एवं अवतरण के समय कोई कठिनाई नहीं हो।

ध्वज-रक्षक दल द्वारा प्रतियोगिता ध्वज समर्पण

 मुख्य ध्वज का समर्पण करने हेतु ध्वज रक्षक दल के 6 छात्रों द्वारा उचित रीति से बैण्ड की धुन पर धीमी चाल (स्लो मार्च) में मुख्य अतिथि को अर्पित करने हेतु ध्वज स्तम्भ तक ले जाया जायेगा। अन्य समस्त दलों के ध्वजवाहक 40 फुट चौड़े ध्वज मार्ग के दोनों ओर अपने ध्वज झुकायें आमने-सामने मुंह किये खड़े रहेंगे तथा प्रतियोगिता ध्वज के सामने से गुजरने पर ध्वज दण्ड से उनके द्वारा अपने ध्वजों को लपेट लिया जावेगा एवं सुरक्षित रख लिया जावेगा।

प्रतियोगिता ध्वज सलामी मंच पर पहुँचने पर ध्वज रक्षक दल द्वारा उसकी तह कर ली जावेगी तथा अभिमुख प्रयाण अधिकारी द्वारा मुख्य अतिथि को अर्पण किया जावेगा। मुख्य अतिथि प्रतियोगिता ध्वज के सुरक्षा घोषणा के साथ अगले वर्ष की प्रतियोगिता के लिये प्रतियोगिता सचिव को सौंप देगा। अन्त में धन्यवाद के साथ राष्ट्रीय धुन पर समस्त खिलाड़ी विसर्जित हो जावेंगे।

प्रतियोगिता में व्यय के मुख्य मद

  1. प्रतियोगिता के लिए पारितोषिक एवं प्रमाण पत्र ।
  2. क्रीडांगण सुधार |
  3. प्रतियोगिता के लिये आश्यक साज-सामान एवं उपकरण।
  4. खेलकूद अधिकारियों को कपड़े की बाजू पट्टियाँ व खिलाड़ियों के नम्बर ।
  5. सदस्यों एवं अतिथियों के लिए फ्लावर बैज ।
  6.  बिजली व पानी ।
  7.  यातायात ।
  8. मनोरंजन |
  9.  सजावट।
  10.  आमंत्रण पत्र एवं विवरण पुस्तिका ।
  11. निर्णायकों एवं स्वयंसेवकों को जलपान ।

विवरण पुस्तिका स्वावलम्बी होनी चाहिये यानि इसके लिये धन को व्यवस्था यथा सम्भव, स्थानीय स्रोतों, जैसे विज्ञापन आदि द्वारा ही की जानी चाहिए एवं आकर्षक बनाने की चेष्टा की जानी चाहिए।