खेलकूद प्रतियोगिताओं में उद्घाटन समारोह खिलाड़ियों एवं दर्शकों के लिये एक ऐसी कार्य प्रणाली है, जिसमें आतिथ्य दल (होस्ट टीम) की तरफ से समस्त खिलाड़ियों एवं आमंत्रित अतिथियों के सम्मान में उत्सव आयोजित करके खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया जाता है तथा उनमें अनुशासन एवं खेल नियमों के प्रति सम्मान एवं खिलाड़ी वृत्ति की उच्च भावना का संचार किया जाता है। समारोह का सुन्दर आयोजन ही प्रतियोगिता के सुचारू रूप से संचालन का द्योतक है। जिसके द्वारा जन समूह में खेलकूद का प्रसार होता है। अतः इस समारोह को प्रभावशाली बनाने के लिये आतिथ्य दल अथवा प्रतियोगिता व्यवस्थापकों को अधोलिखित महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर विशेष ध्यान रखते हुए समारोह का आयोजन करना चाहिए-
(1) समारोह स्थल की सफाई एवं स्वच्छता |
(2) जल एवं विद्युत व्यवस्था ।
(3) क्रीड़ा स्थल एवं भवन (स्टेडियम) की सजावट।
(4) अभिमुख प्रयाण (सेरिमोनियल परेड ) पथ का निर्माण |
(5) अभिमुख प्रयाण की महत्ता ।
(6) समारोह प्रारम्भ की तकनीकी कार्य प्रणाली।

1. समारोह स्थल की सफाई एवं स्वच्छता

समारोह दिवस के एक सप्ताह पूर्व स्थल को सफाई एवं स्वच्छता का कार्य प्रारम्भ हो जाता है। – मैदान की घासफूस, कंकर पत्थर हटाकर गड्ढे आदि ठीक करके पानी का छिड़काव कर दिया जाता है। क्रीड़ा भवन के कक्ष, बैठने के स्थान, जलगृह, पेशाब घर, सण्डास, स्नान घर आदि की सफाई एवं स्वच्छता भी आवश्यक है। इसके अतिरिक्त जहाँ सफेदी, रंग-रोगन तथा लिखावट जो होना है, वह भी करा दिया जाता है।

2. विद्युत एवं जल व्यवस्था –

विद्युत एवं जल की व्यवस्था खेलकूद के कार्यक्रमों को देखते हुए की जाती है। लाउडस्पीकर का होना कार्यक्रम की सफलता के लिए अति आवश्यक है। आमंत्रित अतिथिगण, दर्शक एवं खिलाड़ियों के लिये क्रीड़ा स्थल अथवा भवन के चारों ओर सुविधा की दृष्टि से कई स्थानों पर पीने के पानी का प्रावधान रखना चाहिए।

3. क्रीड़ा भवन एवं समारोह स्थल की सजावट

उद्घाटन समारोह के दो दिन पूर्व क्रीड़ा भवन एवं स्थल की सजावट का कार्य योजनाबद्ध होना चाहिये। यह एक परिश्रम का कार्य है जिसमें इस कार्य क्षेत्र में कोई सीमा नहीं है फिर भी प्रतियोगिता का प्रारम्भ सुन्दर एवं आकर्षक बनाने के लिये स्वागत द्वार, आमंत्रित अतिथियों के बैठने का स्थान, सलामी मंच एवं मंच तक पहुँचने का मार्ग, शपथ ग्रहण स्थल (रोसट्रर्म), ज्योतिकलश, विजयी स्तम्भ (विक्ट्रिस्टेण्ड), ध्वज स्थल, क्रीड़ा स्थल के चारों ओर का बाहरी भाग धावन पथ (ट्रेक), अभिमुख प्रयाण स्थल का उचित निर्माण तथा उसकी सजावट सम्मिलित है।

उपरोक्त बिन्दुओं के निर्माण एवं सजावट को ध्यान में रखते हुए सामग्री की सूची बना लेनी चाहिए तथा व्यवस्थापकों को प्रतियोगिता के स्तर पर आर्थिक स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए, सा सुविधाओं को जुटाकर समारोह को अधिक से अधिक उत्साहवर्द्धक एवं आकर्षक बनाना चाहिये। इस कार्य में विशेष तकनीकी अनुभवी व्यक्तियों का सहयोग लेना अति आवश्यक है।

4. अभिमुख प्रयाण पथ का निर्माण

खेलकूद प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में खिलाड़ियों द्वारा मुख्य अतिथि का स्वागत अभिमुख प्रयाण (सेरिमोनियल परेड) का आयोजन करके किया जाता है। यह एक ऐसी तकनीकी कार्य प्रणाली है, जिसमें प्रत्येक दल अपने निश्चित पथ पर चलकर वृन्द वाद्य (बैण्ड) की धुन पर कदम से कदम मिलाता हुआ सलामी मंच के सामने से गुजरता है तथा मुख्य अतिथि को अपना ध्वज झुकाकर एवं दाहिने देखकर सलामी देता हुआ अपने निश्चित स्थान पर पहुंच कर एक विशेष व्यवस्था में खड़ा हो जाता है।

अतः इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये प्रयाण-पथ एक दिन पूर्व चिह्न्ति कर देना चाहिये तथा भाग लेने वाले दलों के प्रभारी के साथ प्रत्येक दल से ध्वज वाहक सहित कम से कम 10 खिलाड़ी बुलाकर पूर्वाभ्यास (रिहर्सल) करा देना चाहिये। इस समय नाम पट्टवाहकों (प्ले कार्ड बियरर्स) को दल के नाम पट्ट (प्ले कार्ड) सहित उपस्थित होना भी आवश्यक है।

5. अभिमुख प्रयाण ( मार्च पास्ट ) की महत्ता –

खेलकूद प्रतियोगिता के उद्घाटन एवं समापन समारोह के समय खिलाड़ी दलों द्वारा मार्च पास्ट का सुन्दर प्रदर्शन किया जाना चाहिये। इसके लिये उचित पूर्वाभ्यास का होना अत्यन्त आवश्यक है। मार्च पास्ट के द्वारा ही खिलाड़ियों के अनुशासन एवं आदेश पालन का प्रदर्शन दर्शक गणों के सम्मुख होता है तथा उनके विद्यालयों की शान शौकत ऊँची होती है। इसीलिये विभाग ने मार्च पास्ट प्रतियोगिता प्रारम्भ कर दी है, जिसमें प्रत्येक खिलाड़ी का अपने दल के साथ भाग लेना अनिवार्य रखा गया है। अत: मार्च पास्ट का स्तर अच्छा होना चाहिये।

समारोह प्रारम्भ की कार्यप्रणाली

खेलकूद प्रतियोगिता में उद्घाटन समारोह को उचित विधि से आयोजित करने के लिए अधोलिखित बिन्दुओं के क्रम में कार्यक्रम को आरम्भ किया जाता है।

  1. दर्शकों एवं खिलाड़ियों द्वारा स्थान ग्रहण ।
  2. मुख्य अतिथि का आगमन एवं स्वागत ।
  3. समिति के सदस्यों तथा दल नायकों से मुख्य अतिथि का परिचय ।
  4. मुख्य अतिथि का सलामी मंच पर आगमन।
  5. खिलाड़ियों द्वारा अभिमुख प्रयाण।
  6. संचालन सचिव द्वारा संक्षिप्त प्रतियोगिता परिचय तथा उद्घाटन हेतु निवेदन |
  7. मुख्य अतिथि द्वारा आशीर्वाद तथा उद्घाटन घोषणा –
  8. बिगुल धुन के साथ ध्वजारोहण ।
  9. खिलाड़ियों द्वारा शपथ ग्रहण।
  10. मुख्य अतिथि द्वारा स्थान ग्रहण ।
  11. अध्यक्ष द्वारा आभार प्रदर्शन।
  12. प्रतियोगियों का क्रीड़ास्थल से बाहर प्रयाण।
  13. व्यायाम प्रदर्शन, लोक नृत्य तथा प्रदर्शन का आयोजन (यदि सम्भव हो )
  14. कार्यक्रम की घोषणा ।
  15. धन्यवाद एवं प्रस्थान।

उद्घाटन घोषणा

मैं राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित……………… वीं ………………. स्तरीय विद्यालय क्रीड़ा प्रतियोगिता के शुभारम्भ की घोषणा करता हूँ।

शपथ-ग्रहण

……..वीं…….. स्तर विद्यालय क्रीड़ा प्रतियोगिता में भाग लेने वाले, हम समस्त प्रतियोगी, प्रतिज्ञा करते हैं, कि हम इस प्रतियोगिता में निर्धारित नियमों एवं विधियों का, निष्ठापूर्वक पालन करते हुए, क्रीड़ा तथा देश के गौरव के लिए, सच्ची क्रीड़ा भावना से भाग लेंगे ।

1. उद्घाटन समारोह का संक्षिप्त योजना विवरण

( क ) दल एकत्रणसमस्त आमंत्रित अतिथि एवं दर्शक पूर्व नियोजित स्थानों पर पहुँचकर अपना स्थान ग्रहण करेंगे तथा समस्त प्रतियोगियों को अपने-अपने दल में अपने नाम पट्टवाहकों (प्लेकार्ड बियरर्स) के पीछे क्रीड़ा स्थल के बाहर (हार्बर एरिया) यदि ऐसा सम्भव न हो तो तीन फाइलों में क्रीड़ा स्थल पर मंच के सामने अकारात्मक क्रम में एकत्र कर दिया जावेगा। प्रत्येक दल का ध्वजवाहक (फ्लेग वियरर) अपने दल के नाम पट्टवाहक के 3 मीटर पीछे रहेगा तथा उसके पीछे कदानुसार बालिकायें एवं बालक क्रमश: खड़े रहेंगे। स्वागत समिति के अध्यक्ष, संचालन सचिव तथा विभिन्न दलों के दलनायक आदि (केन्टिनजेन्ट लीडर्स या जनरल मैनेजरस) मुख्य अतिथि से स्वागत एवं परिचय हेतु मुख्य द्वार के दोनों ओर पुष्पमालायें लिये उचित समय पर पंक्तिबद्ध खड़े हो जायेंगे । मैदान के मध्य में अभिमुख प्रयाण अधिकारी (मास्टर आफ सेरोमनी) वृन्दवाद्य (बैण्ड) एवं बिगुलर्स अपना स्थान ग्रहण करेंगे। प्रत्येक दल का अपना-अपना ध्वज रक्षक ध्वजारोहण के लिए मैदान में लगे अपने-अपने ध्वज खम्भे (स्तम्भ) के पास स्थान ग्रहण करेंगे। विवरण प्रस्तुतकर्ता (कोमेनटेटर) आंखों देखा हाल प्रस्तुत करने के लिये अपना स्थान ग्रहण करेगा। फोटोग्राफर एवं पत्र सम्पादक समारोह के प्रसार हेतु उपस्थित रहने चाहिये।

(ख) स्वागत एवं परिचय मुख्य द्वार पर मुख्य अतिथि के कार्यक्रम के अनुसार ठीक समय पर पहुँचते ही अध्यक्ष एवं संचालन सचिव आदि के द्वारा पुष्पमालायें पहनाकर स्वागत किया जायेगा तथा वृन्द-वाद्य की मधुर स्वागत धुन वातावरण को सुशोभित करने लगेगी।

प्रतियोगिता के अध्यक्ष एवं संचालन सचिव दोनों ओर स्वागत हेतु पंक्तियों में खड़े दल नायकों एवं प्रबन्धकों से मुख्य अतिथि का स्वागत एवं परिचय कराते हुए उन्हें सलामी मंच (सेल्यूटिंग डायस) की ओर ले जायेंगे।

(ग) सलामी मंच पर आगमन- मुख्य अतिथि समस्त दलों की ओर से सामान्य अभिवादन (जनरल सेल्यूट) लेने हेतु केवल अध्यक्ष एवं संचालन सचिव के साथ सलामी मंच पर पहुँच जायेंगे।

(घ) अभिवादन एवं अभिमुख प्रयाण अभिमुख प्रयाण अधिकारी के अभिवादन आदेश देते ही बिगुल वादक सलामी धुन के साथ मुख्य अतिथि का स्वागत करेंगे। अभिमुख प्रयाण अधिकारी सलामी देगा।

इसके तुरन्त बाद ही अभिमुख प्रयाण (मार्च पास्ट) का आदेश दिया जावेगा तथा समस्त खिलाड़ी दल वृन्द वाद्य की मार्च धुन पर कदम से कदम मिलाते हुए सलामी मंच के पास से गुजर कर सलामी देने हेतु चल पड़ेंगे। सबसे आगे सुन्दर पोशाकों में अभिमुख प्रयाण अधिकारी तत्पश्चात् अकारात्मक क्रम में समस्त दल अन्त में अतिथेय दल एवं वृन्द वाद्य की धुन पर मार्च पास्ट करते हुए मंच के सामने पूर्व नियोजित एवं निश्चित स्थानों पर आकर अपना स्थान ग्रहण करेंगे। प्रत्येक दल अपना ध्वज दाहिनी ओर झुकाकर एवं दाहिने देख करके मुख्य अतिथि को सलामी मंच के सामने लगी संकेत पताका के पास पहुंचते ही सलामी देगा।

( च ) प्रतियोगिता परिचय एवं उद्घाटन प्रार्थना

खिलाड़ियों द्वारा अभिवादन एवं अभिमुख प्रयाण के पश्चात संचालन सचिव संक्षिप्त में प्रतियोगिता परिचय पढ़ेगा तथा अन्त में मुख्य अतिथि से प्रतियोगिता उद्घाटन का निवेदन करेगा। इस समय संचालन सचिव के पास प्रतियोगिता उद्घाटन घोषणा पत्र का कार्ड रहना चाहिये जो उद्घाटन के समय मुख्य अतिथि को दिया जावेगा।

आशीर्वाद एवं शुभारम्भ घोषणा

मुख्य अतिथि अपने संक्षिप्त वक्तव्य द्वारा खिलाड़ियों को आशीर्वाद देकर प्रतियोगिता के शुभारम्भ की घोषणा करेगा।

मैं राजस्थान शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित स्तरीय विद्यालय क्रीड़ा प्रतियोगिता के शुभारम्भ की घोषणा करता हूँ ।

ध्वजारोहण

उद्घाटन घोषणा होते ही बिगुलर्स की धुन पर मुख्य प्रतियोगिता ध्वज के साथ-साथ समस्त दलों के रंग-बिरंगे ध्वज धीरे-धीरे बढ़कर ध्वज स्तम्भों के शिखर पर फहराने लगेंगे।

समस्त जनसमूह की करतल ध्वनि से वायुमण्डल गूंज उठेगा। आकाश में मैत्री सद्भाव एवं शान्ति के प्रतीक सफेद कपोत छोड़े जावेंगे। गैस के रंग-बिरंगे गुब्बारे उड़ाये जायेंगे तथा पटाखों की आवाज से वातावरण गूंज उठेगा।

समस्त दर्शक एवं जनसमूह शान्ति बनाये रखते हुए सावधान की स्थिति में अपने स्थान पर खड़े हो जाने चाहिएं।

शपथ ग्रहण

उपरोक्त क्रिया पूर्ण होते ही अभिमुख प्रयाण अधिकारी द्वारा आदेश प्राप्त होने पर समस्त ध्वजवाहक ध्वज लिए हुए शपथ लेने के लिए (रोसट्रम सेक्टर) के बाहर अपने नाम पट्ट के पीछे पूर्व निर्धारित स्थान पर खड़े हो जायेंगे।

आतिथेय दल का कप्तान ध्वज रक्षक दल के हाथ में पकड़े प्रतियोगिता ध्वज का नीचे वाला कोना अपने बांयें हाथ से पकड़कर तथा दाहिना हाथ 45 डिग्री के कोण पर सामने सीधा उठाकर शपथ पढ़ेगा तथा समस्त दलों के ध्वज वाहक अपना ध्वज झुका देंगे तथा समस्त खिलाड़ी सावधान खड़े रहेंगे।

इस समय शपथ पत्र (ओथ कार्ड) शपथ-स्थान (रोसट्रम) के अन्दर ठीक से लगा होना चाहिये। मुख्य प्रतियोगिता ध्वज को ध्वज रक्षक के बांयी तरफ लिये खड़ा रहेगा।

मुख्य अतिथि द्वारा स्थान ग्रहण– प्रतियोगिता सचिव द्वारा मुख्य अतिथि को उनके बैठने के स्थान पर ले जाया जायेगा वहाँ वे अन्य आमंत्रित अतिथियों से परिचय प्राप्त करेंगे।

आभार प्रदर्शन- प्रतियोगिता समिति के अध्यक्ष मुख्य अतिथि के पधारने का आभार प्रदर्शित करेंगे। खिलाड़ियों द्वारा क्रीडांगण से बाहर प्रयाण आभार प्रदर्शित होने के पश्चात् समस्त दल क्रीड़ा स्थल को रिक्त करने के लिये अभिमुख प्रयाण अधिकारी के आदेशानुसार योजनाबद्ध तरीके से दो दिशा में बंटकर अपने-अपने बैठने के स्थानों पर चले जायेंगे।

प्रतियोगिता प्रारम्भ अथवा व्यायाम प्रदर्शन- यदि सम्भव हो सके तो क्रीड़ास्थल रिक्त होते ही अतिथियों एवं दर्शकों के सम्मान एवं मनोरंजन हेतु छात्र-छात्राओं द्वारा व्यायाम प्रदर्शनों, सामूहिक लोक नृत्य तथा प्रदर्शनों आदि का आयोजन किया जा सकता है अथवा प्रतियोगिता प्रारम्भ करनी चाहिये ।

कार्यक्रम की घोषणा – खेलकूद प्रतियोगिताओं का विवरण जन समूह के समक्ष सुना दिया जाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक संख्या में दर्शक गण खेल कार्यक्रम देखने पहुंच सके।

धन्यवाद एवं प्रस्थान – धन्यवाद के दो शब्दों के साथ उद्घाटन कार्यक्रम समाप्त होना चाहिए तथा वृन्द वाद्य की मधुर धुनें जारी रहेंगी। समस्त प्रतियोगी अपने निवास स्थलों की ओर चले जावेंगे। ध्वजरक्षक दल समस्त दलों के ध्वज वाहकों से ध्वज तथा प्ले कार्डस रोस्ट्रम पर एकत्र करके उसको जाँच करके समापन समारोह के लिये सुरक्षित रखेगा।

वृन्द वाद्य धुनें

  1. स्वागत धुन (वृन्द-वाद्य द्वारा मुख्य द्वार से सलामी मंच पर पहुँचने तक)
  2. जनरल सेल्युट अथवा अभिवादन (बिगुलर्स द्वारा)
  3. प्रयाण धुन ( वृन्द वाद्य द्वारा )
  4. ध्वजारोहण धुन (बिगुलर्स द्वारा)
  5. प्रस्थान (सुगम संगीत वृन्द वाद्य द्वारा