कालातीत दावे (जी.एफ. एण्ड ए. आर. नियम – 13)


इस नियम में स्पष्ट प्रावधान है कि राजकीय बकाया/देय राशि को भुगतान में विलम्ब किया जाना सभी वित्तीय नियमों एवं सिद्धान्तों के विपरीत है। किसी देयक के भुगतान में विलम्ब अथवा भुगतान स्थगित नहीं किया जाना चाहिए।

नियम-90(1) राज्य सरकार के विरूद्ध देय वेतन एवं भत्ते, यात्रा भत्ता, चिकित्सा भत्ता, कन्टीजेसी, स्काॅलर शिप, सहायता, अनुदान आदि के प्रत्येक दावे उसके देय होने की दिनांक से दो वर्ष की अवधि में कोषालय को प्रस्तुत कर दिए जाने चाहिए। विलम्ब होने की स्थिति में उन दावों को कालातीत (Time Barred Claims) माना जाएगा तथा बिना सक्षम स्वीकृ ति के कोषालय को प्रस्तुत नहीं किया जाएगा।

नियम-90(2) कार्यालय अध्यक्ष का दायित्व होगा कि दावे देय होने की दिनांक से दो वर्ष की अवधि के भीतर कोषालय को प्रस्तुत कर दिए जाएँ। कालातीत दावों (Time Barred Claims) की पूर्व जाँच आवश्यक है। यदि वे उनके बकाया होने की तारीख से 2 वर्ष में कोषालय को प्रस्तुत नहीं किए गए हों। उपर्युक्त नियम 2000/- रू. तक के उन वेतन एवं भत्तों के दावों पर लागू नहीं माना जाएगा, जो देय होने की तारीख से तीन वर्ष के भीतर प्रस्तुत कर दिए जाते हैं। किन्तु ऐसे मामले में यह सावधानी रखी जानी चाहिए कि दो वर्ष के पश्चात् ऐसे दावों को एक साथ ही प्रस्तुत किया जाए तथा राशि को इस प्रकार विभाजित न किया जाए जिससे कि कालातीत अथवा पूर्व जाँच से सं बंधित कार्यवाही से बचना जाहिर होता हो।

नियम-90(3) तीन वर्ष से अधिक पुराने 100/- रू. तक के दावों को प्रस्तुत करने में विलम्ब का संतोषजनक कारण नहीं होने पर उन्हें स्वीकार नहीं किया जाए।

नियम-91 प्रत्येक कालातीत दावा सक्षम अधिकारी द्वारा पूर्व जाँच होने तथा स्वीकृति जारी होने पर ही भुगतान योग्य होगा।

नियम 92 कालातीत दावे के साथ निम्नलिखित प्रमाण-पत्र/दस्तावेज संलग्न किए जाने चाहिए-

  1. कार्यालयाध्यक्ष का इस आशय का प्रमाण पत्र कि उपलब्ध रिकाॅर्ड के आधार पर उक्त दावों का भुगतान पूर्व में नहीं उठाया गया है।
  2. संबंधित कर्मचारी का इस आशय का प्रमाण-पत्र कि उसने उक्त भुगतान पूर्व में नहीं उठाया है।
  3. संबंधित कर्मचारी द्वारा निष्पादित क्षतिपूर्ति बन्ध-पत्र दस रुपये के (स्टाम्प पर) जिसमें अधिक भुगतान होने की स्थिति में राशि पुनः जमा करवाने का वचन दिया हुआ हो।

नियम-93(2) यदि कोई दावा कालातीत होने से पूर्व समयावधि में कोषालय को प्रस्तुत कर दिया गया है, और आक्षेप में चलते रहने के दौरान समयावधि निकल जाती है, अर्थात कालातीत अवधि में प्रवेश कर जाता है तो ऐसा दावा कालातीत नहीं माना जाएगा तथा आक्षेप पूर्ति के पश्चात् कोषाधिकारी उसे पारित करने से मना नहीं करेगा।

नियम – 188 दावे कालातीत होने की समयावधि की गणना इस प्रकार से की जाएगी-

  1. यात्रा बिल यात्रा पूर्ण होने की दिनांक से।
  2. चिकित्सा बिल, इलाज पूर्ण होने की दिनांक अथवा चिकित्सक द्वारा हस्ताक्षर/ तस्दीक/ प्रतिहस्ताक्षर करने की दिनांक से।
  3. सामान्य वेतन – अगले माह की प्रथम दिनांक से और यदि किसी पूर्ण माह का बकाया है तो स्वीकृति की दिनांक से। (आदेश के अभाव में)
  4. स्थानापन्न वेतन- अगले माह की प्रथम दिनांक से और यदि किसी पूर्ण माह का बकाया है तो स्वीकृति की दिनांक से।
  5. अवकाश वेतन – स्वीकृति की दिनांक से।
  6. नवीन वेतनमान में वेतन स्थिरीकरण – स्थिरीकरण विवरण अनुमोदित होने की दिनांक से।
  7. विशेष वेतन – स्वीकृति जारी होने की दिनांक से।
  8. मानदेय (अतिरिक्त समय का) – स्वीकृति की दिनांक से।
  9. सहायता अनुदान एवं छात्रवृत्ति स्वीकृति की दिनांक से। किन्तु इस बात के अध्याधीन कि इसके साथ संलग्न शर्तों या कालावधि की पूर्ति हो जाए।
  10. फुटकर दावे (कन्टींजेन्सी क्लेम्स) दावा प्रस्तुतीकरण की तारीख के अगले माह की प्रथम तारीख से। उपरोक्त कालावधि की गणना के आधार पर कालातीत हुए दावों की संपरीक्षा/पूर्व जाँच किये जाने के पश्चात् ही भुगतान की स्वीकृति प्रदान की जाए। समयावधि में कार्यालय में प्रस्तुत किए गए कालातीत हुए दावे बिना कार्यालयाध्यक्ष की अनुमति के स्वीकार नहीं किए जाएँगे। नियम 188 (1) वेतन एवं पेन्शन के अतिरिक्त राज्य कर्मचारी के समस्त 100/- रू तक तक के तीन वर्ष से अधिक पुराने फुटकर दावों को रद्द कर देना चाहिए, जब तक कि उनके प्रस्तुतीकरण में विलम्ब का समुचित कारण/विवरण मय औचित्य के स्पष्ट न किया जाए।


नियम 188 (2) यात्रा और दैनिक भत्ते का दावा यदि कर्मचारी द्वारा उसके देय होने की एक वर्ष की अवधि के भीतर कार्यालयाध्यक्ष को प्रस्तुत नहीं किया जाता तो उसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। जब तक की कर्मचारी द्वारा दावे की प्रस्तुतीकरण मेें विलम्ब का समुचित कारण स्पष्ट करते हुए कार्यालय अध्यक्ष से स्वीकृति प्राप्त न कर ली जाए। ऐसे संवेतन/बकाया के दावे जिनसे पेन्शन पर प्रभाव पड़ता हो, अथवा सेवा में व्यवधान की स्थिति उत्पन्न हो, अल्प राशि होते हुए भी उन्हें रद्द नहीं करना चाहिए।

नियम 90 से 93 तक व 188 के प्रावधानों के अध्यधीन –

क्र.सं.दावे की किस्मकौन पूर्व जाँच करेगाकौन स्वीकृति जारी करेगा
1वेतन एवं भत्ते तीन वर्ष तक केलेखाकार/क.लेखाकार/खण्डीय लेखाकार (कार्यालय में लेखाकार न होने की स्थिति में) उनके उच्चतम कार्यालय का लेखाकारकार्यालयाध्यक्ष
2तीन साल से अधिकलेखाकार/खण्डीय लेखाकार/सहायक लेखाधिकारी/लेखाधिकारीप्रादेशिक अधिकारी (रीजनल आॅफिसर) प्रादेशिक कार्यालय न होने की स्थिति में विभागाध्यक्ष
3कन्टींजेन्सी
तीन साल तक के दावे
क्षेत्रीय कार्यालय का लेखाकार खण्डीय लेखाकार/सहायक लेखाधिकारीप्रादेशिक अधिकारी
4पांच वर्ष के दावे तथा 5000/- रू. तक के दावे
बिना किसी समयावधि के
विभागाध्यक्ष के कार्यालय का लेखाधिकारी, सहा. लेखाधिकारी/लेखाधिकारीविभागाध्यक्ष
5पांच वर्ष की अवधि से अधिक के एवं 5000/- रू. से अधिकप्रशासनिक विभाग का लेखाकार/ सहा. लेखाधिकारी/लेखाधिकारीप्रशासनिक विभाग

वैयक्तिक एवं आकस्मिक व्यय के दावों के लिए पूर्व जाँच की अपेक्षाएँ एवं प्रमाण-पत्र-

  1. दावे का औचित्य।
  2. पुनः आदेशों या दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ जिन पर दावा आधारित है।
  3. जब दावे के अन्तर्गत आने वाली अवधि के दौरान कर्मचारी अवकाश पर रहा हो तो उस अनुपस्थिति की अवधि का विवरण दीजिए।
  4. दावे की अवधि का ड्यू-ड्राॅन स्टेटमेंट मय टी.वी. नम्बर के।
  5. सक्षम अधिकारी द्वारा विधिवत् हस्ताक्षरित एवं अनुप्रमाणित बिल।
  6. विलम्ब के समुचित कारण। (बिल पर)

क्षतिपूर्ति बंध पत्र का प्रारूप (Form of indemnity Bond)


हम/मैं ……………………………………………………….. जो मैसर्स ………………………… …………………… के हैं /का हूँ इसके द्वारा प्रतिज्ञा करते हैं/ करता हूं कि हम/मैं राजस्थान सरकार को ऐसी किसी रकम का प्रतिदाय करेंगे/करूँगा तो मुझे/हमें/हमारे/मेरे रुपये के बिल सं. ……… … ………… ………………….. (दावे की प्रकृति) दिनांक ………………………. वास्ते रु. ……… … … ……………. तक कालावधि हेतु जिसे ………………………………………….. द्वारा (आहरण और संवितरण अधिकारी का नाम) ……………………………………… आहरित किया गया है, को संबंध में, इसके पश्चात् अधिक संदत्त हुई पाई जाए।


दावेदार के हस्ताक्षर पद नाम

कालातीत दावे का स्वीकृति पत्र


प्रावधानों के अध्याधीन तथा सा.वि. एवं लेखा नियम भाग-3, पार्ट-1 के क्र.सं. 13 में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए कालातीत दावा वास्ते रुपये …………………………………….. बाबत रु. …… ……… ……… ……… ………… ………….. का स्वीकार करते हुए भुगतान करने के आदेश प्रदान किये जाते हैं।
उक्त की पूर्व जाँच क. लेखाकार/लेखाकार/सहायक लेखाधिकारी/लेखाधिकारी द्वारा दिनांक …… ………… ….को की जा चुकी है।


हस्ताक्षर मय सील