माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9-12 के विद्यार्थियों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार एवं विद्यालय भवन के विकास संबंधी कार्य विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति द्वारा किये जाएँगे। इसके साथ ही RMSA से प्राप्त अनुदान, विकास शुल्क एवं अन्य प्राप्त होने वाली राशियों का लेनदेन/लेखा जोखा इस समिति द्वारा संधारित किया जायेगा। विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति तथा अन्य उप समितियों के गठन हेतु संरचना एवं इनके दायित्व शासन की स्वीकृति क्रमांक प.17(22)शिक्षा-1/2016 जयपुर दिनांक 01.072016 2016 के क्रम में आंशिक संशोधनोपरान्त एतद् द्वारा निर्धारित किए गये हैं-

विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति (School Development and Management Committee) की कार्यकारिणी समिति की संरचना RMSA गाइडलाइन के अनुसार

1प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापकअध्यक्ष
2अभिभावकों में से एससी/एसटी समुदाय के प्रतिनिधि2 सदस्य
3अभिभावकों में से महिला प्रतिनिधि2 सदस्य
4अभिभावकों में से अन्य प्रतिनिधि2 सदस्य
5सामाजिक विज्ञान का अध्यापक प्रतिनिधि1 सदस्य
6विज्ञान का अध्यापक प्रतिनिधि1 सदस्य
7गणित का अध्यापक प्रतिनिधि 1 सदस्य
8पंचायत/शहरी स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि2 सदस्य
9आॅडिट व वित्त विभाग का एक व्यक्ति (संस्था का लेखा कार्मिक)1 सदस्य
10शैक्षिक रूप से पिछड़ेे अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधि1 सदस्य
11महिला समूहों में से प्रतिनिधि सदस्य1 सदस्य
12ग्राम शिक्षा विकास समिति का सदस्य/शिक्षाविद् 1 सदस्य
13विज्ञान, मानविकी एवं कला/संस्कृति/क्राफ्ट की पृष्ठभूमि वाले
(जिला परियोजना समन्वयक द्वारा मनोनीत) प्रतिनिधि
1 सदस्य
14जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मनोनीत अधिकारी 1 सदस्य
15विद्यार्थी प्रतिनिधि2 सदस्य
16विधायक प्रतिनिधि 2 सदस्य
17प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड सदस्य सचिव
टीचर) वरिष्ठतम व्याख्याता उमावि में/व0अ0-मावि में
सदस्य सचिव
कुल सदस्य23
  • विद्यालय द्वारा नान-रिकरिंग मद में खरीद करने पर बीईईओ/डीपीसी कार्यालय के लेखाकर/क0लेखाकार को सदस्य रूप में मनोनीत किया जाये।
  • विद्यालय विकास एवं प्रबन्धन समिति के निर्धारित सदस्यों में से कम से कम एक सदस्य ऐसा हो जो एमएमसी में भी सदस्य हो एवं कुल एसडीएमसी सदस्यों में से कम से कम 50 प्रतिशत महिला सदस्य हो।
  • एसडीएमसी की कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल दो शैक्षिक सत्र हेतु होगा। तत्पश्चात नवीन निर्वाचन होगा।
  • सत्रारम्भ में एसडीएमसी के गठन के लिए साधारण सभा की बैठक जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित की जाए। उक्त बैठक में साधारणतया सर्वसम्मति से सदस्यों का मनोयन किया जाये। जहाँ सर्वसम्मति न हो पाये, वहां उपस्थिति सदस्यों में से बहुमत की राय को प्राथमिकता दी जाये।
  • प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता के लिये सभाध्यक्ष प्रस्तावित किया जाए, जो कि स्थानीय समुदाय से होना चाहिए।
  • एसडीएमसी गठन के उपरान्त एक बोर्ड तैयार कर सभी कार्यकारिणी सदस्यों के नाम, पता एवं दूरभाष/मोबाइल नम्बर सर्व साधारण हेतु उपलब्ध कराए जाएँ।

SDMC के कार्य एवं दायित्व

School Development and Management Committee के कार्य एवं दायित्व निम्नानुसार होंगे –

(अ)-विद्यालय विकास-

1- विद्यालय की विद्यालय विकास योजना प्रतिवर्ष 31 जुलाई से पूर्व तैयार करना।

2- राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान निम्नलिखित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कार्ययोजना बनाकर लक्ष्य प्राप्त करना-

  • विद्यालय की नामांकन दर आदर्श नामांकन संख्या तक लाना।
  • माध्यमिक स्तर की ड्राप आउट दर 25 प्रतिशत से नीचे लाना।
  • विद्यार्थी के सर्वांगीण विकास के लिये भौतिक, मानवीय, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संसाधन उपलब्ध कराना जिससे कि विद्यार्थी एवं विद्यालय के शैक्षिक एवं सहशैक्षिक विकास को सुनिश्चित किया जा सके तथा विद्यालय का समाज के साथ सह संबंध स्थापित हो सके ।

3- अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में तैयार की गई विद्यालय की योजना को शाला दर्पण में आवश्यक रूप से अपलोड करवाया जाकर उसकी एक प्रति विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाना।

4- प्रत्येक 3 माह में विद्यालय योजना की प्रगति शाला दर्पण पर अपलोड करवाकर विद्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाना।

(ब) वित्तीय प्रबन्धन-

  1. समिति द्वारा (RMSA के खाते में) प्राप्त राशि का रिकार्ड संधारण किया जावेगा।
  2. समिति अपने कोष का उपयोग रिकरिंग एवं नाॅन रिकरिंग मदों में कर सकेगी।
  3. समिति केन्द्र/राज्य सरकार के वित्तीय मेन्यूल के अनुसार व्यय कर सकेगी।
  4. बैंक खाते से लेन देन समिति के अध्यक्ष व सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से किये जाएँगे किसी भी स्थिति में एकल हस्ताक्षर से बैंक से लेन देन नहीं किया जावेगा।
  5. समिति की प्रत्येक बैठक मेें नियमित रूप से वित्तीय लेखों का अनुमोदन कराया जाएगा।
  6. SDMC की सलाह से ही विद्यालय की वार्षिक सहायता राशि विद्यार्थी कोष तथा विकास शुल्क का उपयोग किया जाएगा।

(स) बैठकों का आयोजन-

  1. कार्यकारिणी समिति की मासिक बैठक प्रत्येक अमावस्या को रखी जाएगी जिसका कोरम न्यूनतम 50 प्रतिशत कार्यकारिणी सदस्यों की उपस्थिति से ही पूर्ण होगा।
  2. समिति की कार्यकारिणी की बैठक हेतु प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा सभी सदस्यों को 2 सप्ताह पूर्व लिखित में एवं एस0एम0एस0 द्वारा सूचित किया जाएगा।
  3. समिति की सभी गतिविधियों की प्रगति की सूचना प्रत्येग 3 माह में शाला दर्पण पर अद्यतन की जाएगी।

एस0डी0एम0सी0 की प्रत्येक बैठक के कार्यवाही विवरण का संधारण निम्नलिखित प्रारूप में नियमित रूप से एक रजिस्टर में किया जाएगा-

बैठक की दिनांकसभाध्यक्ष का नामबैठक में उपस्थित
सदस्यों की संख्या
बैठक में लिये गये प्रस्तावप्रस्ताव प्रस्तुत करने वालों की संख्याप्रस्ताव प्रस्तुत करने वालों में महिलाओं की संख्या

उपसमितियों का गठन एवं दयित्व

(अ) विद्यालय भवन उपसमिति School Building Committee की संरचनाः

1प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापकअध्यक्ष
2पंचायत या स्थानीय शहरी निकाय का प्रतिनिधि1 सदस्य
3अभिभावक प्रतिनिधि1 सदस्य
4निर्माण कार्य से जुडे अनुभवी/तकनीकी व्यक्ति JEN RMSA/SSA।1 सदस्य
5लेखा/Audit शाखा का प्रतिनिधि व्यक्ति (संस्था का लेखा कार्मिक)1 सदस्य
6प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर)सदस्य सचिव
School Building Committee

भवन उपसमिति के कार्य:- भवन निर्माण एवं मेजर रिपेयर हेतु योजना बनाना, विद्यालय भवन का प्रबंधन एवं संचालन, मोनिटरिंग, पर्यवेक्षण, रिपोर्टिंग लेखों का संधारण, लेखों की मासिक रिपोर्ट बनाना आदि कार्यों को करने के लिए जिम्मेदार होगी जिसकी रिपोर्ट एस0डी0एम0सी0 को नियमित रूप से की जाएगी। यह समिति निर्माण कार्यों को वित्तीय नियमानुसार अनुबंध पर करवा सकेगी तथा स्वयं भी कर सकेगी।

(ब) शैक्षिक उपसमिति (School Academic Committee) की संरचना-

1प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक अध्यक्ष
2अभिभावक प्रतिनिधि 1 सदस्य
3निम्न में से प्रत्येक क्षेत्र का एक सदस्य
(विज्ञान या गणित/मानविकी/कला/संस्कृति/क्राफ्ट/खेलकूद/भाषा विशेषज्ञ)
4 सदस्य
4प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा मनोनीत विद्यार्थी 1 सदस्य
5प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक द्वारा नामित मुख्य शिक्षक (हेड टीचर) सदस्य सचिव

शैक्षिक उपसमिति के कार्य-

  • शैक्षिक गतिविधियों की कार्य योजना निर्माण एवं प्रभावी क्रियान्वयन ।
  • शैक्षिक गतिविधियों की मूल्यांकन रिपोर्ट्स की समीक्षा एवं सुझावों का परिक्षण उपरान्त आगामी कार्ययोजना में सम्मिलित करने हेतु अनुशंसा ।
  • शैक्षिक गुणवत्ता सुधार हेतु समयबद्ध कार्ययोजना निर्माण एवं क्रियान्वयन ।
  • शैक्षिक समंकों का विश्लेषण एवं निम्न उपलब्धि के क्षेत्रों में सम्बलन हेतु कार्ययोजना प्रस्तुत करना ।
  • मासिक/त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा एवं फोलोअप कार्यवाही हेतु सुझाव ।