अंकेक्षण आक्षेप(Audit Objection) क्या है ? –आहरण एवं वितरण अधिकारी द्वारा विभागीय/राज्य सरकार के आदेशों/परिपत्रों की यथावत अनुपालना न करने, समय पर ध्यान न देने या अवहेलना करने या नियमों की पूर्ण जानकारी न रखने पर जो अशुद्धियाँ-त्रुटियाँ लेखों में रह जाती हैं, जिन पर अंके क्षण दल द्वारा आपत्ति की जाती है, तो उसे अंकेक्षण आक्षेप कहते हैं।

आक्षेप क्यों किए जाते है ?-वर्तमान में की गई भूल या त्रुटि को सुधारने एवं भविष्य में इस तरह अनियमितता की पुनरावृत्ति न हो इस दृष्टि से आक्षेप किए जाते हैं। वास्तव में Audit आक्षेप भविष्य में सही कार्य करने हेतु मार्गदर्शन करते हैं। ये उत्तम प्रकार के सुझाव हैं।

Audit आक्षेप कौन करता है ?
विद्यालय/कार्यालय में दो प्रकार के अंकेक्षण दल आते है –

  1. विभागीय (शिक्षा विभाग का)
  2. महालेखाकार (अंकेक्षण) राज. जयपुर के दल समय-समय पर आते रहते हैं एवं लेखा रिकाॅर्ड के आधार पर जाँच कर पाई गई कमियों का अपनी रिपोर्ट में उल्लेख करते हैं।

Audit आक्षेप निम्नलिखित कारणों से बनते है-( Reasons of audit objections)

रोकड़ बही से संबंधित-

  1. डबल लाॅक की व्यवस्था नहीं होना।
  2. नकद कोष का भौतिक सत्यापन समय-समय पर नहीं करना। (नियम 51(I))
  3. बिना रसीद के राशि जमा करना या जमा राशि की क्रमवार रसीद जारी नहीं करना।
  4. राशि प्राप्त होते ही या भुगतान करते ही रोकड़ बही में तत्काल जमा खर्च नहीं करना।(नियम48(II))
  5. रोकड़ि या के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों से रोकड बही की जाँच नहीं करवाना। (नियम 48(III))
  6. स्थाई-अग्रिम का प्रतिमाह समायोजन नहीं करना। (नियम 212)
  7. नई रोकड़ बही के प्रारंभ में प्रमाण पत्र अंकित नहीं करना।
  8. माह के अंत में शेष राशि का गोश्वारा निकालकर विश्लेषण अंकित नहीं करना।
  9. रोकड़िया/भण्डारपाल की प्रतिभूति प्राप्त नहीं करना। नियम 313
  10. प्रत्येक रसीद बुक का लेखा एवं खाली रसीद बुकों को संस्थाप्रधान की सुरक्षा में नहीं रखना।(नियम-45)
  11. रसीद बुक की पंजिका संधारित नहीं करना।

छात्रनिधि कोष संबंधी अनियमितताएँ-

  1. रोकड़ बही में अशुद्धियाँ उपर्युक्तानुसार ही रहना।
  2. विभागीय संदर्शिका में दर्शाए मानदण्ड (नोम्र्स) से अधिक व्यय करना।
  3. गत वर्ष की बचत में से अधिकार नहीं होने पर भी व्यय करना।
  4. उच्चाधिकारी से प्राप्त स्वीकृति से अधिक व्यय करना।
  5. व्यय करने से पूर्व समिति का प्रस्ताव पारित नहीं करना।
  6. यात्रा व्यय के लिए अग्रिम देना।
  7. अग्रिम की लेखा पंजिका संधारित नहीं करना या निर्धारित प्रारूप में संधारित नहीं करना।
  8. गत वर्ष की शेष राशि को विद्यालय भवन निर्माण/ फर्नीचर क्रय या विद्यालय की उन्नति हेतु खर्च नहीं कर अनावश्यक मदों पर खर्च करना।
  9. भवन निर्माण हेतु समिति का निर्माण न करना या राजकीय नियमानुसार व्यय नहीं करना।
  10. छात्रों से सम्भवतया अनाधिकृत राशि को एकत्रित करना यथा भवन निर्माण, साइन्स क्लब, भाषा क्लब, छात्र-पेरेन्ट्स एसोसिएशन आदि।
    क्रय संबंधी अनियमितताएँ
  11. निविदाएँ आमंत्रित करने से बचने हेतु टुकड़ों-टुकड़ों से क्रय करना।
  12. संस्था के लिए आवश्यक नहीं होने पर भी केवल मात्र प्रावधान होने के कारण क्रय करना।
  13. क्रय कमेटी का गठन नहीं करना या नियमानुसार आवश्यक धरोहर राशि अंकित नहीं करना आदि।

निविदा में निम्नलिखित कमियाँ होना-

  1. निविदा प्राप्त करने हेतु पर्याप्त समय नहीं देना।
  2. धरोहर राशि का प्रावधान नहीं करना या नियमानुसार आवश्यक धरोहर राशि प्राप्त नहीं करना।
  3. फर्मों को निविदा सूचना डाक से नहीं भेजना और वाहक द्वारा वैयक्तिक सूचना पहुंचाना एवं टेण्डर प्राप्त करना।
  4. निविदा में पूर्ण विशिष्टीकरण अंकित नहीं करना और अनुमानित क्रय की राशि अंकित नहीं करना आदि।
    निविदा प्राप्त होने पर
  5. प्राप्त निविदा पर समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं करना या इससे संबंधी पत्रावली का संधारण नहीं करना।
  6. बिना नमूना देखे न्यूनतम दर वाली वस्तुओं को अनुमोदित न कर अधिक दर वाली वस्तुओं को अनुमोदित करना।
  7. खुली निविदा के मामले में क्रय आदेश पंजीकृ त डाक से नहीं भिजवाना या बिना आवश्यक अनुबन्ध किये ही क्रय आदेश देना।
    सेवा पंजिका के संधारण संबंधी
  8. शैक्षणिक योग्यता एवं जन्म तिथि को प्रमाणित नहीं करना।
  9. प्रत्येक पाँच वर्ष बाद हस्ताक्षर पुनः प्रमाणित नहीं करना।
  10. सेवा सत्यापन स्थानान्तरण/वित्तीय वर्ष की समाप्ति के तत्काल बाद न करना।
  11. सेवा काल से संबंधित प्रत्येक घटना यथा-वेतन वृद्धि, स्थिरीकरण, स्थानान्तरण, पदोन्नति का इन्द्राज नहीं करना।
  12. अवकाश लेखा संधारित नहीं करना।
  13. सेवा पंजिका को स्थानान्तरण के बाद शीघ्र नहीं भिजवाना या मंगवाना।
  14. सेवा पंजिका का रजिस्टर संधारित नहीं करना।

भण्डार पंजिका एवं संधारण में अनियमितताएँ-

  1. निर्धारित प्रारूप एस.आर. 1,2 एवं 5 में पंजिका संधारण नहीं करना।
  2. स्थाई व अस्थाई सामग्री की एक ही पंजिका संधारित करना।
  3. डेड स्टाॅक रजिस्टर एस.आर. 5 का संधारण नहीं करना।
  4. सामान का पूरा ब्यौरा, यथा किस्म, मैक, संख्या, मात्रा व कीमत आदि दर्ज नहीं करना।
  5. प्रति वर्ष मई माह तक भण्डार का भौतिक सत्यापन का प्रमाण पत्र उच्चाधिकारियों को नहीं भिजवाना।
  6. अस्थाई सामान को कर्मचारी के स्थानान्तरण/सेवानिवृत्ति के लम्बे समय तक प्राप्त नहीं करना या घटत सामान का मूल्य वसूल नहीं करना आदि।
    पुस्तकालय संबंधी अनियमितताएँ
  7. पुस्तकों के क्रय के लिए समिति का निर्माण नहीं करना।
  8. निर्धारित मानदण्ड के अनुरूप पुस्तकें क्रय नहीं करना।
  9. कर्मचारी के स्थानान्तरण के बाद भी पुस्तकें या उनकी कीमत वसूल नहीं करना।
  10. निर्धारित समयावधि में पुस्तकालय का भौतिक सत्यापन न करना।
  11. फटी/पुरानी/अनुपयोगी पुस्तकों को राइट आॅफ (निस्तारित) नहीं करना आदि।
  12. कम से कम न्यूनतम निर्धारित कमीशन (वर्तन) प्राप्त नहीं करना।

शुल्क संग्रहण पंजिका संबंधी अनियमितताएँ-

  1. शुल्क संग्रह पंजिका का संधारण नहीं करना।
  2. अवशिष्ट शुल्क की वसूली नहीं करना या वसूली के बाद भी प्रविष्टि नहीं करना।
  3. छात्रों द्वारा वर्ग बदलने पर पंजिका में शुद्ध नहीं कर खाली जगह छोड़ना।

उपस्थिति पंजिका संबंधी-

  1. कर्मचारियों के उपस्थिति काॅलम रिक्त छोड़ देना।
  2. अवकाश लिया है तो प्रकार अंकित न कर केवल अवकाश अंकन कर देना।

वसूली संबंधी अनियमितताएँ-

  1. कर्मचारियों से टी.ए., मेडीकल या ओवर पेमेन्ट (अधिक भुगतान) की वसूली हेतु पंजिका का संधारण न करना।
  2. अवशिष्ट राशि की वसूली की कार्यवाही नहीं करना।
  3. जो राशि वसूलना संभव न हो उसको राइट आॅफ (निस्तारित) नहीं कराना आदि।

उपयोगिता प्रमाण-पत्र भिजवाना-

  1. राज्य सरकार से अग्रिम राशि का उपयोग कर उसका उपयोगिता प्रमाण-पत्र यथा समय भिजवाना आवश्यक होता है, उसे नहीं भिजवाना।

अंकेक्षण आक्षेपों का निस्तारण कैसे हो ?-राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए आदेशों-निर्देशों, नियमों की विस्तृत जानकारी रखना ही पर्याप्त नहीं है, वरन् उस पर दृढ़ता से पालना करना भी अपेक्षित है। कार्यालयाध्यक्ष होने के नाते आप अंकेक्षण आक्षेपों को निजी स्तर पर महत्व देकर यह देखें की अंकेक्षण दल द्वारा आक्षेप में क्या चाहा गया है। आक्षेप में निहित वित्तीय शक्तियों के बाहर की कार्यवाही/स्वीकृति यदि चाही गई हो तो तत्काल सक्षम अधिकारी की स्वीकृति ली जाए। अंकेक्षण आक्षेपों के निस्तारण के लिए यह आवश्यक है कि आपको नियमों की जानकारी हो एवं उसकी पालना की जाए।

अंकेक्षण आक्षेपों के निस्तारण हेतु निम्नलिखित तालिका में पंजिका संधारण करना उपयोगी होगा-

क्रम संख्यामहालेखाकार का पत्रांक व दिनांक जिससे अंकेक्षण आक्षेप किया गयाव्यय का विस्तृत मदआक्षेप क्रमांक, दिनांक एवं कारणआंतरिक जवाब यदि दिया हो तो पत्रांक व दिनांकमहालेखाकार द्वारा निरस्ती का क्रमांक व दिनांकविवरण


अंकेक्षण प्रतिवेदन भिजवाने का प्रारूप

कार्यालय/विद्यालय का नाम … … ………………………… .. .. ….. … … ….. .. … ….. … .. … .. ……………

अंकेक्षण अवधि .. … .. . .. . .. .. . … .. ………………………………………………………………….

आक्षेप क्रमांकआक्षेप का संक्षिप्त विवरणकार्यालय का उत्तरनियंत्रण अधिकारी की टिप्पणीवि. विवरण
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