राजस्थान सरकार
वित्त विभाग
(आय-व्ययक अनुभाग)
क्रमांकःप.4(1)वित्त-1(7) आ.व्य./2021 जयपुर, दिनांक : 30-03-2021

परिपत्र

विषय :- आय-व्ययक अनुमान वर्ष 2021-22

राजस्थान विधान सभा द्वारा वर्ष 2021 22 की अनुदान मांगों को चर्चा उपरान्त स्वीकृत कर तत्संबंधी राजस्थान विनियोग (संख्या 2 ) विधेयक, 2021 को पारित कर दिया गया है। इस विधेयक पर माननीय राज्यपाल महोदय की अनुमति प्राप्त कर ली गई है। अतः समस्त बजट नियंत्रण अधिकारी अपनी वित्तीय शक्तियों के अनुसार आय-व्ययक अनुमानों में अंकित की गई राशि की सीमा तक संबंधित अनुदानों का निम्नलिखित दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित करते हुए IFMS के माध्यम से वित्तीय वर्ष 2021 22 में नियमानुसार उपयोग कर सकते है :-

1- स्वीकृत बजट प्रावधान की सीमा की अनुपालनाः

(i) लोक वित्तीय प्रबन्धन की दृष्टि से वित्तीय वर्ष के दौरान राजकीय व्यय की समान गति बनाये रखना अत्यन्त आवश्यक है। अतः विभागों द्वारा संबंधित बजट मदों के अन्तर्गत किये गये बजट प्रावधानों का वित्तीय वर्ष के दौरान प्रत्येक माह में समानुपाती व्यय सुनिश्चित किया जावे।

(ii) जिन मामलों में प्रावधान नवीन सेवा हेतु स्वीकृत किए गए हैं या जिनमें एकमुश्त प्रावधान बजट निर्णायक समिति (BFC) की बैठक में पत्रावली पर सहमति की शर्त पर प्रस्तावित किए गए हैं, उन मामलों में वित्त (व्यय) विभाग की स्वीकृति प्राप्त की जाकर ही व्यय किया जाना है। इस हेतु नियंत्रण अधिकारी प्रशासनिक विभाग के माध्यम से वित्त विभाग के संबंधित व्यय अनुभाग को प्रकरण संस्वीकृति हेतु अवश्य प्रेषित करें। पत्रावली पर सहमति की शर्त पर प्रस्तावित प्रावधानों के संबंध में वित्त ( व्यय) विभाग की सहमति उपरान्त ही वित्त ( बजट) विभाग द्वारा ये प्रावधान ऑनलाइन उपलब्ध कराये जाएंगे।

(iii) वित्तीय अनुशासन को बनाये रखने एवं संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार किसी भी लेखा शीर्ष में बजट नियंत्रण अधिकारियों को अतिरिक्त बजट आवंटन ( Additional Authorisation) केवल पुनर्विनियोजन (Reappropriation) अथवा अनुपूरक अनुदान (Supplementary Demand) के माध्यम से ही उपलब्ध कराया जा सकता है। अतः तात्कालिक आवश्यकता/अपरिहार्य परिस्थिति उत्पन्न होने पर पुनर्विनियोजन हेतु बजट नियमावली के प्रावधान के अनुसार सक्षम अधिकारी की अनुमति ली जावे।

(iv) केन्द्रीय सहायता से चलने वाली योजनाओं में भारत सरकार से राशि प्राप्त हो जाने के पश्चात ही केन्द्रीय सहायता एवं राज्य निधि मद में प्रावधित राशि व्यय की जावे ।

(v) सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियमों के अनुसार सभी प्रशासनिक विभागों/ बजट नियंत्रण अधिकारियों से यह सुनिश्चित किया जाना भी अपेक्षित है कि निधियों को तभी आहरित किया जायें जब भुगतान करने की आवश्यकता हो। बजट अनुदान को व्ययप्गत (Lapse) होने से बचाने की दृष्टि से निधियों को आहरित कर उन्हें लोक लेखे या बैंक में जमा नहीं किया जावे।

2- नवीन सृजित पदों, क्रमोन्नत पदों तथा रिक्त पदों पर नियुक्तिः

(i)  दिनांक 01.04.2021 के पश्चात् सेवानिवृत्ति से रिक्त हुए पदों, बजट घोषणाओं/वित्त विभाग की सहमति से नवसृजित पदों पर नियुक्ति हेतु वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग की सहमति की आवश्यकता नहीं होगी संबंधित राजकीय विभाग सेवा नियमानुसार नियुक्ति कर सकेंगे और चरणबद्ध तरीके से भर्ती की कार्ययोजना तैयार करेंगे जिससे किसी भी कार्मिक / अधिकारी के पद रिक्त होने पर कार्मिक उपलब्ध हो सके।

(ii) मृतक राज्य कर्मचारियों के आश्रितों एवं विशेष योग्यजन के लिए सेवा नियमों के अनुसार आरक्षित पदों पर नियुक्ति हेतु वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता नहीं होगी।

(iii) अन्य रिक्त पदों पर नियुक्ति राजस्थान ( लोक सेवाओं में नियुक्तियों का विनियमन एवं स्टाफ सुव्यवस्थीकरण) अधिनियम 1999 (रेप्सर एक्ट) की पालना सुनिश्चित करते हुये वित्त विभाग एवं कार्मिक विभाग की पूर्व सहमति से की जा सकेगीं |

3- राजकीय भवन निर्माण :-

(i) नवीन भवन निर्माण कार्य, भवन परिवर्धन तथा भवन मरम्मत कार्य सार्वजनिक निर्माण विभाग के परिपत्र क्रमांक (184)SE(B)/Circulars/ C-144 दिनांक 13.7.2009 के दिशा निर्देशों के अन्तर्गत कराया जाना सुनिश्चित किया जावे ।

(ii) अन्य निर्माण कार्यों से संबंधित विभाग यथा जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, सिंचित क्षेत्र विकास विभाग, इंदिरा गांधी नहर परियोजना विभाग, वन विभाग इत्यादि कार्यान्वयन में मितव्ययता बरतेंगे और अपने स्तर से निर्माण कार्यों में मितव्ययता बरतने संबंधी आवश्यक दिशा -निर्देश भी जारी किया जाना सुनिश्चित करेंगे।

4- व्यय के आंकड़ों का अंकमिलान :

व्यय के आंकड़ों का मिलान महालेखाकार कार्यालय के आंकड़ों से समय-समय पर निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कराया जाना अपेक्षित हैं, समायोजन द्वारा भुगतान की जाने वाली देयताओं का पूरा लेखा-जोखा रखा जाये तथा व्यय स्वीकृत प्रावधान को ध्यान में रखकर ही किया जाये ।

5- राजस्थान (लोक सेवाओं में नियुक्तियों का विनियमन एवं स्टाफ का सुव्यवस्थीकरण) अधिनियम, 1999 की पालना :

सभी विभागों से यह भी अनुरोध है कि राजस्थान (लोक सेवाओं में नियुक्तियों का विनियमन एवं स्टाफ का सुव्यवस्थीकरण) अधिनियम 1999 की पालना में कृपया यह सुनिश्चित करें कि दैनिक मजदूरी पर किसी भी व्यक्ति की नियुक्ति प्रतिषिद्ध ( Prohibited) होगी। इसके साथ ही नवीन पदों के सृजन हेतु सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के बिना कार्यवाही नहीं की जावे। वेतन भत्तों परिलब्धियों, मानदेय, प्रतिकारात्मक भत्तों आदि का पुनरीक्षण सक्षम अधिकारी के अनुमोदन के बिना नहीं किया जाये। इनके लिए सक्षम प्राधिकारी वित्त विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 21 अक्टूबर, 1999 के द्वारा घोषित किए गए हैं ।

6- सभी बजट नियंत्रण अधिकारी वित्तीय प्रबन्धन की दष्टि से, वित्त विभाग द्वारा “राजकीय व्यय में मितव्ययता” के संबंध में समय-समय पर जारी किये गये दिशा -निर्देशों की पालना सुनिश्चित करेंगे।

7- सभी विभागाध्यक्ष/नियंत्रण अधिकारी अपने अधीनस्थ कार्यालयों को बजट आवंटन करते समय आवंटन आदेशों की एक प्रति प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हक) कार्यालय को भी आवश्यक रूप से प्रेषित करें।

प्रमुख शासन सचिव, वित्त