विद्यालय प्रबन्धन समिति (School Management Committee) के उद्देश्य
विद्यालय प्रबन्धन समिति (SMC)के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार होंगे –
- विद्यालय के क्रियाकलापों को मोनिटर करना।
- विद्यालय के विकास के लिए विद्यालय विकास योजना का निर्माण, स्वीकृति एवं विकास कोष बनाना, जिससे विद्यालय के भवन, उपस्कर एवं अन्य शैक्षिक सुविधाओं से संबंधित विकास के कार्य किये जा सकेंगे।
- संबंधित विद्यालय के लिए एक परिचालन कोष बनाना जिससे राजकीय सहायता व अन्य माध्यमों से वेतन, आवश्यक परिचालन व मरम्मत व्यय वहन किया जा सके।
- दानदाताओं से आर्थिक सहायता/दान प्राप्त करना।
- विद्यालय भवन के विस्तार एवं अन्य सुविधाओं के लिए राज्य सरकार की जन सहभागिता आधारित योजनाओं से संस्था विकास कोष के योगदान के आधार पर विकास कार्य करवाना तथा इसी के साथ सक्षम सरकार, स्थानीय प्राधिकारी/संस्थाओं/निकायों अथवा अन्य स्रोेतों से प्राप्त सहायता/अनुदान के उपयोग पर निगरानी।
- प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित विभिन्न बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं, केन्द्र प्रविर्तित कार्यक्रमों एवं केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से संचालित योजनाओं/कार्यक्रमों यथा सर्व शिक्षा अभियान, आदि के अन्तर्गत विद्यालयों के विकास, भवन निर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव, शिक्षण अधिगम सामग्री, शिक्षण अधिगम उपकरण, विद्यालय फैसिलिटी ग्राण्ट, टीएलएम ग्राण्ट एवं अन्य ग्रान्ट्स आदि अन्य मदों के अन्तर्गत उपलब्ध कराई गई राशियो/प्रावधानों से निर्माण/विकास कार्य करवाना एवं ग्राण्ट्स का राज्य सरकार/सर्व शिक्षा अभियान, अन्य प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार उपयोग सुनिश्चित करना।
7.अन्य उदेश्य जिससे संस्था की परिसम्पत्तियों का बेहतर उपयोग एवं संस्था का बेहतर विकास हो सके ।
7.अन्य उदेश्य जिससे संस्था की परिसम्पत्तियों का बेहतर उपयोग एवं संस्था का बेहतर विकास हो सके ।
साधारण सभा के सदस्य
इस समिति के सदस्य निम्नांकित होंगे-
- संबंधित विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक विद्यार्थी/बालक के माता-पिता या संरक्षक (माता एवं पिता दोनों के जीवित न होने की स्थिति में संरक्षक)
- संबंधित विद्यालय का प्रत्येक अध्यापक/प्रबोधक
- संबंधित कार्यक्षेत्र में निवास करने वाले जिला प्रमुख/प्रधान/सरपंच/नगर पालिका अध्यक्ष।
- संबंधित कार्यक्षेत्र में निवास करने वाले समस्त जिला परिषद सदस्य/नगर पालिका पार्षद/पंचायत समिति सदस्य/वार्ड पंच आदि।
- समिति की कार्यकारिणी समिति में निर्वाचित/मनोनीत शेष सदस्य जो उपर्युक्त में शामिल नहीं हो।
साधारण सभा- समिति के उपनियम संख्या 4 में वर्णित समस्त प्रकार के सदस्य मिलकर साधारण सभा का निर्माण करेंगें। समिति की कार्यकारिणी का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य सचिव साधारण सभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य सचिव होंगे।
सदस्यों का वर्गीकरण- समिति के सभी सदस्य साधारण सदस्य होंगे।
सदस्यों द्वारा चन्दा व शुल्क-साधारण सभा के सदस्यों द्वारा कोई शुल्क व चन्दा प्रारम्भ से अनिवार्य नहीं होगा। सदस्य स्वैच्छा से चन्दा दे सकेंगे। समिति की साधारण सभा दो तिहाई बहुमत से वार्षिक सदस्यता शुल्क तय कर सकेगी।
सदस्यता की समाप्ति-साधारण सभा के सदस्यों की सदस्यता निम्नलिखित स्थितियों में स्वतः ही समाप्त हो जाएगी-
- मृत्यु होने पर
- त्यागपत्र देने पर
- निर्वाचित सदस्यों के निर्वाचित नहीं रहने पर
- विद्यार्थी के विद्यालय छोड़ देने पर उसके माता, पिता या संरक्षक की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी।
- पदेन सदस्य के पद पर नहीं रहने पर।
साधारण सभा के अधिकार व कर्तव्य
- विद्यालय के परिचालन व्यय मद में आय व्यय में अन्तर होने पर संरक्षकों, सामान्य जनता एवं अन्य दानदाताओं से आर्थिक सहायता/दान प्राप्त करने हेतु कार्यकारिणी समिति द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर विचार विमर्श एवं निर्णय।
- विद्यालय के विकास हेतु आवश्यक विकास राशि के इकट्ठा करने पर विचार विमर्श व निर्णय।
- कार्यकारिणी समिति द्वारा किये गये कार्यों की समीक्षा करना।
नोट- साधारण सभा में निर्णय प्रथमतः सर्वसम्मति से व सर्वसम्मति से नहीं होने पर बहुमत से लिये जाएँगे।
नोट- साधारण सभा में निर्णय प्रथमतः सर्वसम्मति से व सर्वसम्मति से नहीं होने पर बहुमत से लिये जाएँगे।
साधारण सभा की बैठकें-
- साधारण सभा की वर्ष में प्रत्येक वर्ष जुलाई से मार्च तक 3 बैठकंे अर्थात् तीन माह में एक बैठक अनिवार्य होगी लेकिन आवश्यकता पडने पर बैठक अध्यक्ष/सदस्य सचिव द्वारा कभी भी बुलाई जा सकती है।
- साधारण सभा की बैठक का कोरम कम से कम साधारण सभा के सदस्यों की कुल संख्या का 25 प्रतिशत होगा।
- बैठक की सूचना 4 दिन पूर्व व अतिआवश्यक बैठक की सूचना दो दिवस पूर्व दिया जाना आवश्यक है।
- कोरम के अभाव में स्थगित बैठक पुनः सात दिन पश्चात उसी निर्धारित स्थान व समय पर आयोजित की जाएगी।
- स्थगित बैठक में कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी लेकिन विचारणीय विषय वही होंगे जो पूर्व एजेण्डा में थे।
विद्यालय प्रबन्धन समिति की कार्यकारीणी समिति-
समिति के कार्य के सुचारू रूप से संचालन के लिए समिति की एक 16 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति होगी। इसमें न्यूनतम तीन चैथाई सदस्य माता, पिता या संरक्षकों में से होंगे तथा अधिकतम 5 सदस्य पदेन/मनोनीत अन्य व्यक्ति होंगे। कार्यकारिणी के सदस्यों में 50 प्रतिशत महिलाएँ अर्थात कम से कम 8 महिलाएँ आवश्यक रूप से होंगी। जिसके पदाधिकारी एवं सदस्यों का निर्वाचन/मनोनयन नियम 12 के अनुसार किया जायेगा। कार्यकारिणी की समिति में माता-पिता या संरक्षक सदस्यों का निर्वाचन प्रत्येक वर्ष के प्रारम्भ में नामांकन प्रक्रिया पूर्ण होने पर 14 अगस्त से पूर्व साधारण सभा द्वारा किया जाएगा।
विद्यालय प्रबन्धन समिति की कार्य कारिणी समिति का गठन
विद्यालय प्रबन्धन समिति की कार्यकारिणी का गठन निम्नलिखित सदस्यों की सहायता से एवं नीचे लिखी विधि से किया जायेगा –
- राज्य के प्रत्येक राजकीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय में विद्यालय प्रबंधन समिति का गठन किया जाएगा। प्रत्येक विद्यालय का प्रधानाध्यापक/स्थानीय अधिकारी विद्यालय प्रबन्धन समिति के गठन के लिए उत्तरदायी होगा।
- विद्यालय का प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाध्यापक के नहीं होने पर विद्यालय का वरिष्ठतम अध्यापक/प्रबोधक समिति का पदेन सदस्य सचिव होगा।
- समिति की साधारण सभा माता-पिता या सं रक्षक सदस्यों में से 11 प्रतिनिधयों का चुनाव कार्यकारिणी समिति के लिये करेगी। इन 11 सदस्यों में से कम से कम 6 महिलायें, 1 अनु0जाति एवं 1अनु0जन जाति का प्रतिनिधि आवश्यक रूप से होगा।
- ग्राम पंचायत/नगर पालिका/परिषद के जिस वार्ड में विद्यालय स्थित है, उस वार्ड का निर्वाचित वार्ड पंच/पार्षद समिति का पदेन सदस्य होगा।
- विद्यालय के अध्यापकों द्वारा निर्वाचित एक अन्य महिला अध्यापक/प्रबोधक (यदि उपलब्ध हो) अन्यथा पुरूष अध्यापक/प्रबोधक कार्यकारिणी समिति का सदस्य होगा।
- समिति के माता-पिता या संरक्षक सदस्यों द्वारा मनोनीत एक पुरूस्कार प्राप्त शिक्षक/स्थानीय शिक्षा शास्त्री अथवा विद्यालय का बालक समिति का सदस्य होगा।
- समिति में महिला सदस्यों की संख्या इस प्रकार निर्धारित की जायेगी जिससे कि समिति में कम से कम 8 महिलायें आवश्यक रूप से रहें।
कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों का चुनाव
- कार्यकारिणी समिति अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव कार्यकारिणी समिति हेतु साधारण सभा द्वारा निर्वाचित माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से करेगी। यह निर्वाचित अध्यक्ष/उपाध्यक्ष समिति की साधारण सभा में भी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष होंगे।
- विद्यालय का प्रधानाध्यापक, प्रधानाध्यापक के न होने पर विद्यालय का वरिष्ठतम अध्यापक/प्रबोधक समिति का पदेन सदस्य सचिव होगा।
- अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का कार्यकाल दो वर्ष अथवा तब तक रहेगा जब तक कि वह कार्यकारिणी समिति का सदस्य रहे (दोनों में से जो भी कम हो)
कार्य कारिणी समिति के पदाधिकारियों के अधिकार व कर्तव्य
अध्यक्ष के कार्य-
(1) विद्यालय प्रबन्धन समिति की साधारण सभा एवं कार्यकारिणी समिति की सभी बैठकों की अध्यक्षता करना
(2) बराबर मत आने पर निर्णायक मत देना
(3) बैठकंे आहूत करना
(4) समिति का प्रतिनिधित्व करना
(5) संविदा व अन्य दस्तावेजों पर दस्तखत करना
(6)आय व्यय पर नियंत्रण रखना-कैशियर के माध्यम से लेखे संधारित करना
(7)समिति द्वारा निर्देशित अन्य सभी कार्य करना
उपाध्यक्ष के कार्य–
1) अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के सभी कार्य सम्पादित करना जैसे कि उपनियमों के नियम 14(1) में लिखे गये हों
2) कार्यकारिणी समिति द्वारा निर्देशित अन्य समस्त कार्य करना
सदस्य सचिव के कार्य–
- बैठक के कार्यबिन्दु (एजेण्डा) तैयार करना
- बैठक आहूत करने की सूचना जारी करना
- बैठक का कार्यवाही विवरण तैयार करना एवं रिकार्ड रखना एवं साधारण जनता को अवलोकन हेतु उपलब्ध कराना
- समिति के वित्त संबंधी सभी आंकडे तैयार करना
- अधिकृत मामलों पर समिति की ओर से हस्ताक्षर करना
- उसके विद्यालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी रिकार्ड, सम्पत्ति की सुरक्षा हेतु वैधानिक एवं अन्य उत्तरदायित्व जो भी आवश्यक हो, का निर्वहन करना।
- उन सभी मुद्दों की रिपोर्ट तैयार करना जो उनकी जानकारी में हंै तथा जिन्हें समिति की साधारण सभा/कार्यकारिणी समिति के समक्ष रखा जाना आवश्यक है।
- कार्य कारिणी समिति का कार्य काल कार्यकारिणी के मनोनीत/निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष अथवा उस समय तक रहेगा जिस समय तक वे समिति के निर्वाचित/मनोनीत सदस्य रहेंगे (उपरोक्त दोनों में से जो भी कम हो)
कार्यकारिणी समिति की बैठकें–