श्रीमान निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर के क्रमांक : शिविरा/प्राशि/SIQE/दिशा- निर्देश/ 19568/2019 / 1656 दिनांक : 17.09.2020 के द्वारा बाल केंद्रित शिक्षण तथा सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (सी.सी.ई.) की समन्वित प्रक्रिया के संचालन हेतु निम्न दिशा- निर्देश जारी किये गए है –

“राज्य में संचालित समस्त राजकीय विद्यालयों (प्राथमिक/उच्च प्राथमिक/माध्यमिक / उच्च माध्यमिक ) की प्राथमिक कक्षाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों के सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) के अनुरूप शैक्षिक स्तर उन्नयन के उद्देश्य से बालकेंद्रित शिक्षण व व्यापक एवं सतत् मूल्यांकन की प्रक्रिया का संचालन किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत बालकेन्द्रित शिक्षण (CCP), गतिविधि आधारित शिक्षण (ABL) तथा सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) के समन्वित क्रियान्वयन द्वारा विद्यार्थियों मे रचनात्मक/ सूुजनात्मक क्षमता तथा शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के मध्य अन्तःक्रिया का विकास करना आवश्यक है। विद्यालय का वातावरण ऐसा बनाया जाए जहाँ शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया गतिविधि आधारित हो और संस्थाप्रधान/ शिक्षक इसमें मददकत्ता की भूमिका में हो। प्रत्येक बच्चे को सीखने के पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाये जाए तथा उनका सतत् मूल्यांकन करते हुए निरन्तर सुधार हेतु प्रयास किए जाए।

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (RSCERT) उदयपुर द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रम, शिक्षण विधा एवं आकलन की प्रक्रिया की इस समन्वित प्रक्रिया के अंतर्गत शिक्षकों की क्षमता संवर्धन के साथ-साथ बालकेंद्रित पेडागोजी (CCP) सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) तथा गतिविधि आधारित शिक्षण (ABL) प्रक्रिया को अपनाया गया है इस प्रक्रिया का क्रियान्वयन निदेशालय प्रारम्भिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर, निदेशालय माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद (RCSCE), जयपुर तथा राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ( RSCERT) उदयपुर के माध्यम से किया जा रहा है । इस शिक्षण प्रक्रिया के प्रभावी क्रियान्वयन एवं सफल संचालन हेतु पूर्व में जारी दिशा निर्देशों के अतिक्रमण में निम्नानुसार दिशा-निर्देश प्रसारित किए जा रहे हैं ।

  1. उद्देश्य :-

1.1 बालकेन्द्रित शिक्षण के द्वारा बालक को सीखने के पर्याप्त अवसर प्रदान करना।
1.2 बच्चों में परीक्षा के भय को दूर करना।
1.3 गतिविधि आधारित शिक्षण के द्वारा शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को रूचिकर, आनन्ददायी एवं प्रभावी बनाना।
1.4 ज्ञान को स्थायी एवं प्रभावी बनाते हुए प्राथमिक शिक्षा की नींव को मजबूत करना।
1.5 बच्चों में सृजनात्मकता एवं मौलिक चिन्तन का विकास करना।
1.6 स्तरानुसार शिक्षण योजना बनाकर शिक्षण कार्य करते हुए शैक्षिक प्रगति को नियमित रूप से दर्ज करना।
1.7 बच्चों को पर्याप्त अवसर उपलब्ध करवाते हुए उन्हें संज्ञानात्मक एवं व्यक्तित्व विकास के अवसर प्रदान करना।
1.8 बालकों के अधिगम स्तर में गुणात्मक विकास के साथ-साथ नामांकन एवं ठहराव में वृद्धि करना।
1.9 शिक्षकों का समुदाय से जुड़ाव के तहत बच्चों की उपलब्धि एवं प्रगति को अभिभावकों के साथ नियमित रूप से साझा करना।

  1. कार्यक्रम संचालन हेतु समितियाँ:

कार्यक्रम के संचालन हेतु निम्नलिखित समितियों का गठन किया गया है-
2.1 राज्य के शीर्ष निकाय के रूप में नीति निर्धारण के लिए प्रोग्राम स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया है।
2.2 गतिविधियों की नियमित क्रियान्विति सुनिश्चित करने के लिए राज्य कार्यकारी समूह का गठन किया गया है।
2.3 शैक्षिक एवं तकनीकी पक्षों से सम्बन्धित निर्णय लेने के लिए राज्य शैक्षिक समूह का गठन किया गया है ।
2.4 जिला स्तर पर शैक्षिक एवं अकादमिक पक्षों से सम्बन्धित निर्णय लेने के लिए जिला अकादमिक समूह का गठन किया गया है।
2.5 जिला स्तर पर कार्यक्रम के क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग के लिए जिला कोर ग्रुप का गठन किया गया है।
2.6 ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रम के क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग के लिए ब्लॉक कोर ग्रुप का गठन किया गया है।

  1. कार्यक्रम का क्रियान्वयन :

3.1 कार्यक्रम का संचालन एवं शैक्षिक कार्य संयुक्त रूप से निदेशालय प्रारम्भिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर एवं निदेशालय माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर द्वारा किया जाएगा।
3.2 कार्यक्रम संचालन के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने का कार्य राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, जयपुर के माध्यम से किया जाएगा।
3.3 कार्यक्रम संचालन हेतु मॉनिटरिंग कार्य संयुक्त रूप से निदेशालय माध्यमिक शिक्षा राजस्थान, बीकानेर, निदेशालय प्रारम्भिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, जयपुर एवं राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (आर. एस.सी. ई. आर.टी.). उदयपुर द्वारा किया जाएगा।
3.4 समस्त अकादमिक कार्य राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् ( आर.एस. सी.ई. आर.टी.) उदयपुर द्वारा किया जाएगा।

  1. प्रक्रिया संचालन हेतु दस्तावेज की उपलब्धता :

4.1 पूर्व के वर्षों में अध्यापक योजना डायरी, रचनात्मक एवं योगात्मक आकलन सूचक अंकन पुस्तिका (चैकलिस्ट), वार्षिक आकलन अभिलेख पुस्तिका तथा विद्यार्थी वार्षिक आकलन प्रतिवेदन इत्यादि राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, जयपुर द्वारा प्रत्येक विद्यालय को उपलब्ध करवाई जाती रही है किन्तु इस वर्ष संस्थाप्रधान/पीईईओ द्वारा उक्त के प्रारूप शालादर्पण पोर्टल से डाउनलोड कर शिक्षकों को विद्यालय प्रारम्भ होने से एक सप्ताह पूर्व उपलब्ध करवाएं जाएंगे इस हेतु विद्यालय विकास कोष/स्कूल कम्पोजिट ग्रांट से राशि का उपयोग किया जायेगा।
4.2 शिक्षक आकलन प्रक्रिया के दौरान उक्त समस्त आवश्यक दस्तावेजों का संधारण समयानुसार शिक्षकों द्वारा आवश्यक रूप से किया जाना है सम्बलन के दौरान यदि इन दस्तावेजों का संधारण उचित रूप से नहीं किया हुआ पाया गया तो संबंधित के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
4.3 समस्त राजकीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक/माध्यमिक /उच्च माध्यमिक विद्यालयों में संचालित कक्षा 1 से 5 में शिक्षण-कार्य, मूल्यांकन/आकलन कार्य एवं अभिलेख का संधारण प्रक्रिया के दिशा – निर्देशानुसार किया जाएगा।

5. सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया :

5.1 आधार रेखा मूल्यांकन एवं पदस्थापन की प्रक्रिया:

किसी कक्षा में नामांकित सभी बच्चों का स्तर शैक्षिक दृष्टि से भिन्न-भिन्न होता है। स्तर की इसी भिन्नता को आकलन टूल की सहायता से जानना आवश्यक है। इस आकलन की प्रक्रिया से बच्चों का अधिगम स्तर एवं कक्षा स्तर का निर्धारण होता है जिससे प्रत्येक बच्चे के साथ उसके कक्षा एवं अधिगम स्तर के अनुसार कार्य आरम्भ कर सम्बन्धित टर्म/सत्र के अधिगम उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके यथा कक्षा 5 में नामांकित बच्चों का स्तर यदि न्यून पाया जाता है तो उन बच्चों के साथ अतिरिक्त कार्य करते हुए आर.टी.ई. की धारा 24 ( 1) (घ) के अनुसार शिक्षक न्यून स्तर वाले बच्चों को कक्षा स्तर तक लाएं एवं आगामी कार्य करवाते हुए स्तर में सुधार करें। यह कार्य प्रत्येक शिक्षक (जो कक्षा 1 से 5 मे पढ़ाता है) को करना है जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी व गणित के बुनियादी कौशलों (भाषा में पढ़ना और लिखना तथा गणित में संख्या ज्ञान संक्रियाओं) को ध्यान में रखते हुए न्यून स्तर वाले बच्चों के साथ स्तर उन्नयन हेतु सतत् रूप से शिक्षण कार्य करते हुए सुधार के प्रयास आवश्यक है। आधार रेखा मूल्यांकन/पदस्थापन हेतु विद्यालय पुनः खुलने के प्रथम पखवाड़े में बच्चों के साथ पूर्व की कक्षा के कार्यों का दोहरान कार्य करवाने के पश्चात एक व्यापक कार्य पत्रक/प्रश्न -पत्र (प्लेसमेन्ट टूल) द्वारा बच्चों का आकलन किया जाना है। इस आकलन के आधार पर बच्चों को दो समूह निर्धारित किये जाने हैं, समूह-1 में वे बच्चे जो कक्षा स्तर के अनुरूप दक्षता रखते हैं और समूह-2 में वे बच्चे जो कक्षा स्तर से न्यून दक्षता वाले हैं। यहाँ शिक्षक के लिए यह आवश्यक हो जाता है वह बालकेन्द्रित शिक्षण करते हुए गतिविधि आधारित शिक्षण द्वारा समूह-2 के बच्चों के साथ अतिरिक्त कार्य करते हुए समूह-1 में लाने का अधिकतम प्रयास करें। पूर्व के वर्षों में नवप्रवेशित विद्यार्थियों का आधार रेखा मूल्यांकन किया जाता था जबकि पूर्व प्रवेशित विद्यार्थियों का पूर्व की कक्षा के सतत् आकलन के आधार पर आकलन किया जाता रहा है। सत्र 2020-21 में कोविड-19 के प्रभाव के कारण विद्यालयों में विद्यार्थी लम्बे समय से नहीं आने के कारण सीखने-सिखाने की प्रक्रिया बाधित हुई है। अतः ऐसे में Summer Loss के कारण विद्यार्थियों के लर्निंग गैप को ध्यान में रखते हुए विद्यालय प्रारम्भ होने के समय अध्ययनरत समस्त विद्यार्थियों का आधार रेखा आकलन प्रपत्र तैयार करते हुए मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है।

उक्त आधार रेखा आकलन प्रपत्र की जाँच कर उसे विद्यार्थी के पोर्टफोलियो में आवश्यक रूप से संधारित किया जाना है। आधार रेखा मूल्यांकन करने के पश्चात शिक्षक द्वारा उनके साथ सतत् रूप से कार्य करते हुए निश्चित समयान्तराल पर पदस्थापन द्वारा बच्चे की स्थिति / स्तर का आकलन किया जावें। इसकी जानकारी समय-समय पर अभिभावक को अनिवार्य रूप से दी जावे इस हेतु आकलन कार्य पत्रकों को भली भाँति जाँचकर, अशुद्धियों को रेखांकित/गोला करके, त्रुटि सुधार करवाते हुए अभिभावकों के हस्ताक्षर हेतु बच्चे के साथ घर भेजा जाना चाहिए। आगामी कार्यदिवस में बच्चों से प्राप्त कार्य पत्रकों को एकत्र करते हुए पोर्टफोलियो में संधारित करते हुए निर्धारित दस्तावेजों में दर्ज किया जावें।

किसी कक्षा में नामांकित बच्चों का कक्षा स्तर व कक्षा स्तर से न्यून की स्थिति का संधारण अध्यापक द्वारा योजना प्रारूप/डायरी और कक्षावार टर्मवार आकलन अंकन पुस्तिका (चैकलिस्ट) में विषयवार किया जाना है। इसी प्रकार प्रत्येक योगात्मक आकलन पश्चात भी पदस्थापन करते हुए संधारित किया जाना है आधार रेखा मूल्यांकन/पदस्थापन, प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय योगात्मक मूल्यांकन / आकलन के पदस्थापन की प्रविष्टियां वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका में निर्देशानुसार (प्रथम पृष्ठ पर) संधारित की जानी है ।

5.2 एक अकादमिक (शैक्षिक) सत्र के लिए योजना एवं आकलन की संरचना:

प्रत्येक कक्षा एवं विषय के अधिगम उद्देश्यों को व्यवस्थित करते हुए शिक्षण-सत्र को तीन टर्म में विभाजित किया गया है। प्रत्येक टर्म के लिए आर.एस.सी.ई.आर.टी. उदयपुर द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम एवं सीखने के प्रतिफल (Leaming Outcomes) के अनुसार शिक्षण योजना का नियोजन करते हुए कक्षा-कक्षीय शिक्षण प्रक्रिया में योजनानुसार कार्य करवाया जाना है। टर्म के दौरान सतत् रचनात्मक अभ्यास कार्य बच्चों से साप्ताहिक  और पाक्षिक कार्य पत्रकों पर करवाया जाए।

कार्य पत्रकों को भली भांति जाँच करते हुए अशुद्धियों को रेखांकित/ गोला कर शुद्ध करवाया जाए जाँच किए गये कार्यपत्रक अभिभावकों से साझा करते हुए पोर्टफोलियो फाइल में संधारित किए जाएं।

किसी एक कक्षा के संदर्भ में सम्पूर्ण सत्र की व्यापक शिक्षण एवं आकलन की टर्मवार प्रक्रिया/गतिविधियों को चार्ट द्वारा को दर्शाया गया है।

5.3 सतत् शिक्षण आकलन योजना कार्य:

शिक्षण एवं आकलन योजना निर्माण (प्रारूप-शिक्षण आकलन योजना के अनुसार) के समय विद्यार्थियों के समूह/शैक्षिक स्तर को ध्यान में रखते हुए योजना का नियोजन किया जाना है। योजना निर्माण करते समय संपूर्ण कक्षा, समूह-1 व समूह-2 के लिए पृथक-पृथक शिक्षण की गतिविधियों का उल्लेख प्रारूप में निर्धारित स्थान पर आवश्यक रूप से किया जाये समूह-1 के लिए क्षमता संवर्धन योजना भी स्पष्ट रूप से बनाई जानी है।

5.4 रचनात्मक आकलन हेतु व्यापक/समग्र कार्यपत्रक / टूल-

किसी कौशल / पाठ, सूचक/ अवधारणा एवं उप अवधारणा के शिक्षण पश्चात अपेक्षित उद्दश्यों के सापेक्ष स्थिति आकलन एवं आगामी योजना हेतु पृष्ठपोषण (feedback) प्राप्त करने के लिए समग्र उद्देश्यों पर आधारित कार्य पत्रक तैयार किया जाना है।

5.5 योगात्मक आकलन-

पाठ्यक्रमणीय उद्देश्यों में मूल्यांकन के विविध टूल्स एवं उपलब्धि स्तर के परीक्षणों का उपयोग करते हुए निश्चित अवधि के अन्त में संबंधित अधिगम उद्देश्यों के सापेक्ष उपलब्धि स्तर के मूल्यांकन को योगात्मक आकलन के रूप में देखा गया है। योगात्मक आकलन दर्ज करने हेतु रचनात्मक आकलन, नोटबुक, पोर्टफोलियो, योगात्मक आकलन टेस्ट का सामूहिक रूप से आकलन कर उसके पश्चात् योगात्मक आकलन चैकलिस्ट में संबंधित अधिगम उद्देश्यों के सापेक्ष आकलन दर्ज करना है अतः यह ध्यान रखा जाए कि योगात्मक आकलन दर्ज करने का आधार मात्र योगात्मक आकलन टेस्ट ही नहीं माना जाएं। निदेशालय स्तर से जारी शिविरा पंचाग में योगात्मक मूल्यांकन की तिथियों का निर्धारण किया गया है।

5.6 कक्षा 5 के लिए प्राथमिक शिक्षा अधिगम स्तर मूल्यांकन एवं कक्षा 8 हेतु आयोजित प्रारंभिक शिक्षा पूर्णता प्रमाण-पत्र परीक्षा:- इस हेतु आरएससीईआरटी, उदयपुर, पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएं एवं इस कार्यालय से जारी निर्देशों की पालना सुनिश्चित करते हुए टर्म विभाजन के अनुरूप शिक्षण कार्य सुनिश्चित किया जाए।

6. शिक्षकों हेतु निर्देश

6.1 प्रथमतः शिक्षक बालक-बालिकाओं का निर्धारित समय पर आधार रेखा मूल्यांकन/ पदस्थापन कर योजना प्रारूप, चैकलिस्ट तथा वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका में यथास्थान दर्ज करें।

6.2 प्रत्येक कक्षा में विद्यार्थियों के कक्षावार एवं विषयवार पदस्थापन के आधार पर अध्यापक योजना डायरी प्रारूप-शिक्षण आकलन योजना के अनुसार) में योजना बनाकर बच्चों के साथ कार्य करें एवं समय-समय पर आकलन द्वारा यह सुनिश्चित करें कि बच्चों के स्तर में सुधार हो रहा है। साथ ही कक्षा शिक्षण के दौरान पीयर ग्रुप/व्यक्तिगत शिक्षण को भी सुनिश्चित करे।

6.3 शिक्षक द्वारा बच्चों का मूल्यांकन व्यक्तिगत और सामूहिक कार्यक्षेत्र में किया जाना है। मूल्यांकन के कुछ आयाम समूह में विशेष तौर पर देखे जा सकते है, जैसे-समूह भावना, सहयोग लेने एवं देने का कौशल, न्याय एवं समता के प्रति दृष्टिकोण, नेतृत्व का गुण, एक दूसरे के कार्यों का सम्मान और गुणों की प्रशंसा करना इत्यादि।

6.4 शिक्षक यह देखें कि जो विषय वस्तु बच्चे को सीखनी थी वो सीखी या नहीं। इस हेतु टर्मवार निर्धारित पाठ्यक्रम के आधार पर बच्चे की प्रगति का मूल्यांकन / आकलन बच्चे के कक्षा कार्य, गृहकार्य, अभ्यास पत्रक, समूह पत्रक पर किये गये कार्य व गतिविधियों के दौरान किये गये कार्य पत्रकों पर गुणात्मक व सकारात्मक टिप्पणियों से किया जाना है एवं पोर्टफोलियो में संधारित किये जाने है ।

6.5 शिक्षक, क्षमता संवर्धन हेतु आयोजित कार्यक्रमों/प्रशिक्षणों (ऑनलाइन एवं ऑफलाइन) में आवश्यक रूप से भाग लेगें। शिक्षक अपने विषय से संबंधित दस्तावेज (अध्यापक योजना डायरी, पाठ्यक्रम, चैकलिस्ट, वार्षिक अभिलेख पंजिका, पोर्टफोलियो आदि) प्रशिक्षण के दौरान साथ रखेगें। साथ ही शिक्षक अपनी शिक्षण प्रक्रिया संबंधी समस्या को अपनी अनुभव डायरी अथवा नोटबुक में दर्ज करें और संस्थाप्रधान द्वारा अग्रेषित करवाते हुए पीईईओं विद्यालय के संस्थाप्रधान एवं दक्ष प्रशिक्षक माध्यम से उच्च स्तर पर भिजवाएं। क्षमता सवंर्धन हेतु आयोजित कार्यक्रमों में शिक्षकों को शिक्षण कार्य में आ रही कठिनाइयों एवं चुनौतियों के निराकरण हेतु साथी शिक्षकों व दक्ष प्रशिक्षक से साझा करें क्षमता सर्वर्धन हेतु आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने के पश्चात् अपना प्रतिवेदन निश्चित रूप से संस्था प्रधान को बैठक के आगामी दिवस में प्रस्तुत करें।

6.6 शिक्षक द्वारा योगात्मक मूल्यांकन (समेकित) पूर्ण करने के लिए प्रत्येक टर्म के दौरान सतत् रूप से रचनात्मक आकलन की चैक लिस्ट में निर्धारित सूचकों के सापेक्ष उपलब्धि अनुसार ग्रेड दर्ज किया जाना है (रचनात्मक आकलन- कक्षा-कक्षीय प्रक्रिया के दौरान सतत् रूप से किया जाने वाला कार्य है) । विद्यार्थी की प्रगति निर्धारित प्रपत्रों में संधारित की जानी है।

6.7 बच्चों के रचनात्मक/योगात्मक मूल्यांकन /आकलन के अंतर्गत निम्नांकित दस्तावेजों के आधार पर ग्रेड का निर्धारण करना है-
(1) अध्यापक योजना प्रारूप/डायरी की समीक्षा और स्व-अनुभव
(2) कक्षा कार्य
(3) कार्य पत्रकों पर की गई टिप्पणी
(4) गृहकार्य
(5) पोर्टफोलियो
(6) शिक्षक संवाद
(7) अभिभावक संवाद
(8) पेपर-पेंसिल टेस्ट

6.8 शैक्षिक सत्र के कक्षावार व विषयवार पाठ्यक्रम को तीन टर्म के आधार पर विभाजित किया गया है। जिसके अनुसार ही शिक्षक शिक्षण योजना एवं आकलन को नियोजित करें ।

6.9 शिक्षक शिक्षण कार्य के दौरान बच्चों के सुलेख, वर्तनी एवं उच्चारण के सुधार हेतु विद्यार्थियों को पर्याप्त अवसर प्रदान करते हुए नियमित रूप से जाँच करें।

6.10 सत्रारंभ से बच्चों के साथ कक्षा में स्तरानुसार ऐसी गतिविधियाँ आयोजित की जाएं जो समग्र विकास को सुनिश्चित करती हों। प्रत्येक विद्यालय में नियमित रूप से ऐसी गतिविधियाँ आयोजित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जावें। जिसमें सभी बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित की जावें ।

6.10.1 कक्षा शिक्षण के दौरान विद्यार्थियों के सृजनात्मक कौशल को विकसित करने वाली गतिविधियों को आवश्यक रूप से करवाया जाएं यथा : किसी घटना या दृश्य से संबंधित चित्र बनाना, शब्दों से कहानी बनाना, चित्र से कहानी बनाना इत्यादि।

6.10.2 भाषा कौशल(Language Skill): इसके अंतर्गत बच्चों को विभिन्न भाषाओं के शब्दावली, शब्दकोष, लेखन से सबंधित कार्य करवाये जाने है तथा दैनिक समाचार पत्र वाचन प्रार्थना सभा में करवाया जाना चाहिए जिससे बच्चों में भाषा कौशल विकसित हो सके।

6.10.3 इस प्रकार की गतिविधियों के कार्यपत्रक भी पोर्टफोलियो में संधारित किए जाएं। इनमें से सर्वश्रेष्ठ का प्रदर्शन विद्यालय सूचना पट्ट या अन्य निर्धारित स्थान पर आवश्यक रूप से किया जाएं।

विद्यार्थियों में पढ़ने की प्रवृति (Reading Habits) विकसित करने के लिए पुस्तकालय, भाषा कौशल के लिए Vocabulary/शब्दावली, Dictionary/शब्दकोष इत्यादि, अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने हेतु बालसभा व प्रभावी प्रार्थना सभा तथा सृजनात्मकता को बढ़ावा देने हेतु कार्यक्रमों का संचालन किया जाना सुनिश्चित करें साथ ही प्रभावी शिक्षण के साथ-साथ सृजनात्मक क्षमता विकसित करने हेतु विशेष कार्य करवाए।

7. संस्थाप्रधान की भूमिका :

7.1 संस्थाप्रधान कक्षा 1 से 5 के लिए शिक्षण प्रक्रिया के दौरान पीयर ग्रुप/व्यक्तिगत विषय शिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

7.2 संस्थाप्रधान यह सुनिश्चित करें कि सभी शिक्षकों द्वारा आधार रेखा /पदस्थापन का निर्धारण कर टर्मवार पाठ्यक्रम विभाजन के अनुसार अध्यापक योजना डायरी में शिक्षण आकलन योजना तैयार कर शिक्षण कार्य (कक्षा-कक्षीय प्रक्रिया) प्रारंभ कर दिया है तथा सतत् आकलन करते हुए चैकलिस्ट का संधारण कर रहे है।

7.3 संस्थाप्रधान यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक शिक्षक के द्वारा कक्षा शिक्षण कार्य के दौरान बच्चों के सुलेख, वर्तनी व उच्चारण सुधार पर भी गंभीरता से कार्य किया जा रहा है तथा बच्चों के गृहकार्य की जाँच तथा सुधारात्मक कार्य नियमित रूप से किया जा रहा है । 7.4 7.4 विद्यार्थियों के लिए यह सुनिश्चित करें कि विद्यालय में विद्यार्थियों के उत्कृष्ट कार्य को प्रदर्शित करने हेतु स्थान निर्धारित कर दिया है।

7.5 संस्था प्रधान शिक्षकों के कार्यव्यवहार एवं शिक्षण की समीक्षा कर गुणात्मक सुधार हेतु मार्गदर्शन प्रदान करे।

7.6 संस्थाप्रधान शिक्षकों द्वारा क्षमता संवर्धन कार्यक्रमों/ प्रशिक्षणों में भाग लेने के उपरान्त उनसे प्रतिवेदन प्राप्त कर संधारित करना सुनिश्चित करें। संस्थाप्रधान बिन्दु संख्या 7.1 से 7.6 के बिन्दुओं के अनुसार अवलोकन करते हुए पाक्षिक लिखित प्रतिवेदन दो प्रतियों में तैयार कर एक प्रति पीईईओ/सीबीईईओ को प्रेषित करें तथा द्वितीय प्रति विद्यालय में संधारित करेंगे।

8. पीईईओं की भूमिका :

8.1 प्रत्येक पंचायत के पदेन पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओं) अपने अधीन आने वाले समस्त विद्यालयों का अवलोकन करते समय कक्षा- कक्षीय शिक्षण प्रक्रिया का भी अवलोकन करें और शिक्षको एवं संस्थाप्रधान को संबलन प्रदान करे।

8.2 पीईईओं अपने अधीनस्थ विद्यालयों के संस्थाप्रधान एवं शिक्षकों के कार्य – व्यवहार एवं शिक्षण की समीक्षा कर गुणात्मक सुधार हेतु मार्गदर्शन प्रदान करे।

8.3 अवलोकन के दौरान यह भी सुनिश्चित करे कि बच्चों की सृजनात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने के लिए विद्यालय में भित्ति पत्रिका प्रदर्शित की जा रही है। 8.4 साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि विद्यालय में प्रत्येक बच्चे को पोर्टफोलियो नियमित रूप से संधारित किया जा रहा है।

8.5 शिक्षकों के क्षमता संवर्धन हेतु आयोजित होने वाली वी.सी., क्लस्टर कार्यशाला, ऑनलाइन/ऑफलाइन प्रशिक्षण में परिक्षेत्र के संबंधित अध्यापकों/ विषय अध्यापकों की उपस्थिति शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करते हुए वी.सी./कार्यशाला/प्रशिक्षण उपरान्त प्रतिवेदन प्राप्त कर संधारित करना सुनिश्चित करें।

9. सीसीई हेतु विद्यालय में प्रयुक्त की जाने वाली सामग्री:

9.1 अध्यापक योजना प्रारूप/डायरी-

9.1.1 सत्र में एक शिक्षक के लिए एक अध्यापक योजना डायरी के संधारण का प्रावधान रखा गया है ।

9.1.2 सीखने सिखाने की प्रक्रिया को सुगम एवं गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिए योजना की आवश्यकता होती है। अतः योजना में बच्चों के समूहों/उपसमूहों एवं व्यक्तिगत आवश्यकता के अनुरूप अधिगम उद्देश्यों का निर्धारण, समग्रता के साथ शिक्षण गतिविधियों एवं स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री आदि का उल्लेख किया जाएगा।

9.1.3 शिक्षण अधिगम के सापेक्ष सीखने की प्रगति को टर्म के दौरान आकलन सूचकों के सापेक्ष दर्ज करना अनिवार्य है। यह सतत् आकलन ही बच्चों का रचनात्मक आकलन होगा।

9.1.4 अध्यापक योजना डायरी में प्रस्तावित गतिविधियाँ, आकलन योजना समीक्षा एवं अनुभव से प्राप्त परिणामों को सृजनात्मक आकलन के रूप में पृथक से पोर्टल पर उपलब्ध विषयवार टर्मवार “आकलन सूचक अंकन पुस्तिका (चैकलिस्ट) में दर्ज किया जाएगा ।

9.1,5 अध्यापक योजना प्रारूप/डायरी में उल्लेखित समूह-1 से तात्पर्य ‘कक्षा के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम के अध्ययन हेतु आवश्यक योग्यता/दक्षता से है जबकि समूह-2 से तात्पर्य अपेक्षित स्तर से न्यून होना है। तदनुरूप ही शिक्षण आकलन योजना का निर्माण एवं संधारण करते हुए तदनुरूप कार्य किया जाना है। साथ ही समूह-1 के लिए क्षमता संवर्धन की योजना का निर्माण कर कार्य किया जाना है ।

9.1.6 प्रत्येक टर्म के दौरान शिक्षण हेतु प्रत्येक माह में दो योजनाएं तैयार की जानी है जिनकी अवधि 01 से 15 व 16 से माह के अन्तिम दिवस (28/30/31) तक होगी।

9.2 विषयवार, कक्षावार टर्मवार पाठ्यक्रम विभाजन पुस्तिका :

9.2.1 यह पुस्तिका पाठ्यक्रम, सीखने के प्रतिफल (Learning Outcomes) एवं पाठ्यपुस्तकों पर आधारित है, जिसमें विषयवार, कक्षा 1 से 5 का पाठ्यक्रम विभाजन कक्षावार एवं टर्मवार किया गया है।

9.2.3 इसमें वार पाठक्रमणीय उदेद को विभाजित किया गया है ताकि निर्धारित समयावधि में समुचित अधिगम गतिविधियों का आयोजन किया जा सके। इस पुस्तिका में शिक्षकों के कार्यों को सरल एवं समयबद्ध करने हेतु मार्गदर्शन प्रदान किया गया है। 9.2.2

9.2.4 प्राथमिक स्तर के विषय की अवधारणाओं /दक्षताओं/ कोशलों को अधिगम क्षेत्रवार, कक्षावार एवं टर्मवार संगठित तथा सुव्यवस्थित किया गया है। यह पुस्तिका बालक के उत्तरोत्तर शैक्षिक विकास हेतु शिक्षकों द्वारा किये जाने वाले शिक्षण नियोजन (पाक्षिक योजना) में मदद के लिए तैयार की गई है।

9.3 विषयवार, टर्मवार ‘आकलन सूचक अंकन पुस्तिका (चैकलिस्ट):

9.3.1  सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन हेतु इस पुस्तिका में विद्यार्थियों की अधिगम क्षेत्रों के सापेक्ष रचनात्मक (कक्षा-कक्षीय प्रक्रिया के दौरान) आकलन एवं टर्मवार योगात्मक आकलन दर्ज किया जाना है।

9.3.2  इस पुस्तिका में कक्षा-कक्षीय प्रक्रिया के दौरान ही अध्ययन करवाये गए अधिगम क्षेत्रों के सापेक्ष सतत् दर्ज किया जाना है।

9.3.3 यह पुस्तिका शिक्षक द्वारा वर्ष पर्यन्त विद्यार्थियों के साथ किये गए कार्यों की प्रगति का आईना है ।

9.3.4 इस पुस्तिका के प्रथम पृष्ठ पर प्रत्येक कक्षा में नामांकित विद्यार्थियों में से समूह एक (कक्षा स्तर के अनुरूप दक्षता) व समूह दो (कक्षा स्तर से न्यून दक्षता) वाले विद्यार्थियों के अनुक्रमांक (Roll number) लिखे जाने है।

9.3.5 रचनात्मक / योगात्मक आकलन की चैकलिस्ट में विद्यार्थियों के अनुक्रमांक 1-25 तक अंकित हैं। नामांकन 25 से अधिक होने की स्थिति में चैकलिस्ट का अतिरिक्त पृष्ठ उपयोग लिया जाए।

9.3.6 रचनात्मक चैकलिस्ट में प्रत्येक विद्यार्थी का प्रत्येक अधिगम क्षेत्र के सूचकों के सापेक्ष टर्म के अन्तर्गत शिक्षण प्रक्रिया के दौरान विद्यार्थी की उपलब्धि को दर्ज किया जाना है ।

9.3.7 योगात्मक आकलन की ग्रेड निर्धारण के टूल्स (उपकरण) :- पोर्टफोलियों में संधारित कार्य- पत्रक, पेपर-पेंसिल टेस्ट, विद्यार्थी के द्वारा किये गए कार्य के उत्कृष्ट नमूने तथा कक्षाकार्य, गृहकार्य, अध्यापक योजना प्रारूप/डायरी की समीक्षा, रचनात्मक आकलन की चैकलिस्ट एवं रचनात्मक व योगात्मक आकलन प्रपत्र पर की गई गुणात्मक व सकारात्मक टिप्पणी, शिक्षक-अभिभावक संवाद शिक्षक-शिक्षक संवाद इत्यादि ।

9.3.8 प्रत्येक टर्भवार अधिगम कौशलों के सापेक्ष दर्ज योगात्मक आकलन की ग्रेड को समेकित करते हुए अधिगम क्षेत्रवार ‘वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका’ में दर्ज किया जाना है ।

9.3.9 इस पुस्तिका में दिये गए आकलन (SA) चैकलिस्ट को सत्रान्त पर वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका’ के साथ फाईल कर विद्यालय अभिलेख के रूप में सुरक्षित रखा जाना है एवं शिविरा पंचाग के निर्देशानुसार शाला दर्पण पोर्टल पर ऑनलाइन किया जाना है।

9.3.10 प्रत्येक टर्म के पश्चात् बच्चे का योगात्मक आकलन किया जाना है। इस योगात्मक आकलन के आधार पर आगामी टर्म के लिए पदस्थापन भी किया जाना है ।

9.3.11 प्रत्येक टर्म की अवधि शिविरा पंचाग के अनुसार निर्धारित है, उसी के अनुरूप कार्ययोजना तैयार की जानी है।

9.3.12 पदस्थापन, रचनात्मक एवं योगात्मक आकलन / मूल्यांकन संबंधी निर्णय की पुष्टि के लिए साक्ष्य के रूप में लिखित एवं मौखिक आकलन / मूल्यांकन किया जाना है। आकलन के समस्त पत्रक संबंधित विद्यार्थियों के पोर्टफोलियों में साक्ष्य के रूप में संधारित करे।

9.3.13 सतत् एवं व्यापक आकलन / मूल्यांकन में बच्चों की शैक्षिक उपलब्धि को तीन ग्रेड्स (A, B, C) के द्वारा दर्ज किया जाना है, जिनकी व्याख्या निम्नानुसार होगी:
A = स्वतन्त्र रूप से कार्य कर पाना या अपेक्षित स्तर की समझ / दक्षता होना।
B = शिक्षक की सहायता से कार्य कर पाना या मध्यम स्तर की समझ / दक्षता होना।
C= शिक्षक की विशेष सहायता से कार्य कर पाना या आरम्भिक स्तर की समझ /दक्षता होना।

सीखने-सिखाने में तीन स्तर की ही भूमिका रहती हैं कुछ बच्चे तीव्रता से स्वतंत्र रूप से काम करने की ओर बढ़ते है तथा कुछ बच्चों को थोड़ा समय लगता है एवं कुछ बच्चे ऐसे होते है जिनको प्रारम्भ से ही शिक्षकों की अधिक मदद की आवश्यकता रहती है। इस विचार को समझा जाए और इसकी प्रक्रिया पर विश्वास किया जाए तो प्रत्येक बच्चे का सीखना सुनिश्चित किया जा सकता है ।

9.4 शिक्षण अधिगम सामग्री

9.4.1 बाल केंद्रित शिक्षण एवं सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया के अंतर्गत यह आवश्यक है कि प्रत्येक विद्यार्थी को उसके अधिगम स्तर के अनुरूप अध्ययन एवं अभ्यास के अवसर मिलें।

9.4.2 एक ही समय में अलग-अलग अधिगम स्तर के विद्यार्थियों के साथ कार्य करने के लिए आवश्यक है कि शिक्षक पर्याप्त शिक्षण अधिगम का निर्माण करे।

9.4.3 कक्षा 1 से 5 तक अध्यापन करा रहे शिक्षको के लिए आवश्यक है कि बाल केंद्रित शिक्षण एवं सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया के अंतर्गत अध्यापन योजना बनाते समय विभाग द्वारा उपलब्ध करवाई गई वर्कबुक्स के प्रयोग को शिक्षण योजना का हिस्सा बनाए।

9.5 पोर्टफोलियो :-

9.5.1 सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के लिए शिक्षकों के पास विद्यार्थियों का आकलन करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य होने चाहिये। इसके लिए विद्यार्थियों के द्वारा किए गए कार्यों को संकलित करना आवश्यक है।

9.5.2 विद्यार्थियों द्वारा किए गये कार्यो को साक्ष्य के रूप में संधारित करने के लिए विद्यार्थीवार एक फाईल बनाई जाती है। इसी को पोर्टफोलियो कहते है। यह विद्यार्थी की सृजनात्मकता, मौलिकता एवं शैक्षिक प्रगति का आईना है।

9.5.3 एक निश्चित अवधि में विद्यार्थी की दैनिक/ साप्ताहिक / पाक्षिक (उत्तरोत्तर) अधिगम उपलब्धि के संचयी साक्ष्य के रूप में विद्यालय के प्रत्येक कक्षा में नामांकित विद्यार्थियों के लिए विद्यार्थीवार पोर्टफोलियो फाईल संधारित की जावें।

9.5.4 पोर्टफोलियो फाइल में मुख्य पृष्ठ पर प्रोफाइल आवश्यक रूप से लगा हो जिस पर विद्यार्थी की विद्यालय गणवेश में आकर्षक एवं नवीनतम फोटो भी चस्पा की जाएगी । (इस कार्यालय का आदेश क्रमांक : शिविरा/प्रारं/ एसआईक्यूई/सीसीई/19568/ 2019 / 1404 दिनांक:- 14.11.2019 की पालना सुनिश्चित की जावें।)

9.5.5 आधार रेखा मूल्यांकन/पदस्थापन के पत्रक ( टूल्स), रचनात्मक और योगात्मक आकलन के पत्रक, कक्षा कार्य के कार्यपत्रकों को इस फाइल में संधारित किया जाना है। 9.5.6 विद्यार्थी के द्वारा किए गये कार्यो में विद्यार्थी द्वारा की गई त्रुटियों के सुधार हेतु दोहरान कार्य सुनिश्चित किया जावें।

9.5.7 पोर्टफोलियो में वर्षपर्यन्त विद्यार्थी के साथ किए गए रचनात्मक, योगात्मक आकलन के कार्यपत्रकों को शिक्षक द्वारा भली प्रकार जाँचते हुए अशुद्धियों को रेखांकित/ गोला करके सुधारात्मक कार्य करवाने के पश्चात सकारात्मक एवं गुणात्मक टिप्पणी के साथ दिनांक अंकित करते हुए हस्ताक्षर कर साक्ष्य के रूप में संधारित किया जावें।

9.5.8 विद्यार्थियों के सृजनात्मकता के साक्ष्य को भी उनके पोर्टफोलियों में संधारित किया जाना है।

9.5.9 प्रत्येक विद्यार्थी के पोर्टफोलियो में संधारित कार्यपत्रकों को समय-समय पर अभिभावकों से साझा करते हुए पत्रकों पर अभिभावकों के हस्ताक्षर भी करवाएं जाए ।

9.5.10 विद्यार्थियों से कार्यपत्रक पर कार्य करवाने के बाद शिक्षक द्वारा कार्यपत्रक पर अशुद्धियों को रेखांकित/गोला करते हुए शुद्ध करवाया जाकर सकारात्मक एवं गुणात्मक टिप्पणी की जाये अमिभावक के हस्ताक्षर करवाने के लिए विद्यार्थी के साथ घर भिजवाते हुए हस्ताक्षरित पत्रक पोर्टफोलियो फाइल में संधारित करें।

9.6 वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका :-

9.6.1 अभिलेख पंजिका में सत्र के दौरान किए गए तीन योगात्मक आकलन (प्रत्येक टर्म अवधि के बाद) के आधार पर विद्यार्थियों की अधिगम उपलब्धियों दर्ज की जायेगी।

9.6.2 सत्रारम्भ में विभिन्न विषयों में विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक स्तर का निर्धारण आधार रेखा आकलन (नवीन प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों हेतु)/पदस्थापन विगत वर्ष के अन्तिम योगात्मक आकलन (पूर्व प्रवेशित विद्यार्थियों हेतु) के आधार पर किया जाएगा ।

9.6.3 कला-शिक्षा, व्यक्तिगत गुण एवं अभिवृतियाँ, स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा से संबंधित योगात्मक आकलन से प्राप्त स्थितियों/उपलब्धियों को सत्र में दो बार पंजिका में दर्ज किया जाएगा पहला आकलन द्वितीय योगात्मक आकलन (SA-2) के समय एवं दूसरा आकलन तृतीय योगात्मक आकलन (SA-3) के समय होगा।

9.6.4 “वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका” बालक के सीखने की प्रक्रिया के समेकन के प्रमाण को एक दृष्टि में प्रस्तुत करती है।

9.6.5 विद्यालय में 50 तक नामांकन हेतु 1 वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका तथा 50 से अधिक नामांकन होने के स्थिति में अतिरिक्त पंजिका उपयोग में ली जाए।

9.6.6 वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका के प्रथम पृष्ठ पर कक्षावार विषयाध्यापकों के नाम एवं हस्ताक्षर की पूर्ति की जानी है जिसे संस्थाप्रधान द्वारा प्रमाणित किया जाना है।

9.6.7 प्रथम पृष्ठ पर ही विद्यालय के नामांकित विद्यार्थियों की कक्षा 1 से 5 में शैक्षिक स्तर की समेकित विषयवार स्थिति को निर्देशानुसार पदस्थापन प्रारूप में दर्ज किया जाना है ।

9.6.8 वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका के घटकों को निम्नानुसार समझा जा सकता है 9.6.8.1 विद्यार्थी के सम्बन्ध में विवरण यथा नाम, नामांकित कक्षा, आधार रेखा / पदस्थापन आकलन से प्राप्त कक्षा स्तर ( हिन्दी, गणित, अंग्रेजी)।

9.6.8.2 व्यक्तिगत गुण व अभिवृत्तियाँ, स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा आदि के सम्बन्ध में अंकन ।

9.6.8.3 हिन्दी, गणित, अंग्रेजी ,पर्यावरण अध्ययन के अधिगम क्षेत्रों के सापेक्ष बच्चों के ग्रेड का अंकन ।

9.6.8.4 विद्यार्थी एवं अभिभावक टिप्पणी, बच्चे की उपस्थिति, नियमितता, आगामी कक्षा, विषयवार प्रस्तावित कक्षा स्तर ( हिन्दी, अंग्रेजी, गणित )।

9.6.9 वार्षिक आकलन अभिलेख पंजिका में कक्षावार पाठ्यक्रम में निर्दिष्ट अधिगम क्षेत्रों के सापेक्ष आकलन को दर्ज किया जाएगा।

9.6.10 विभिन्न विषयों में अधिगम क्षेत्रों के सापेक्ष ग्रेड का अंकन “आकलन सूचक अंकन पुस्तिका” (चैकलिस्ट) में दी गई योगात्मक आकलन की ग्रेड के समेकन के आधार पर दर्ज होगा ।

9.6.11 व्यक्तिगत गुण व अभिवृत्तियों, स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा से संबंधित कॉलम में सूचको के सापेक्ष आकलन वर्ष में दो बार SA-2 एवं SA-3 के समय अधिगम क्षेत्रों के सापेक्ष सही ( ) का चिन्ह/ कोड (1/2/3) दर्ज किया जाएगा।

9.6.12 शिक्षक-अभिभावक – विद्यार्थी बैठक से सम्बन्धित टिप्पणी SA-2 एवं SA-3 के समय विद्यार्थियों की प्रगति को अभिभावकों व बच्चों से साझा करते समय दर्ज की जाएगी। 9.6.13 नियमितता व ठहराव की टिप्पणी के साथ ही विद्यार्थी के शैक्षिक एवं व्यक्तित्व विकास के सम्बन्ध में समग्र टिप्पणी कक्षाध्यापक द्वारा अन्य विषय अध्यापकों से राय कर निर्धारित स्थान पर वर्ष के अन्त में दर्ज की जाएगी।

9.6.14 वर्षभर अध्ययन उपरान्त विद्यार्थियों की “आगामी नामांकित कक्षा एवं “विषयगत प्रस्तावित कक्षास्तर” को निर्धारित कॉलम में दर्ज किया जाएगा।

9.7 विद्यार्थी वार्षिक आकलन प्रतिवेदन :-

9.7.1 यह विद्यार्थी के सम्पूर्ण शैक्षिक सत्र की टर्मवार प्रगति को दर्शाने वाला दस्तावेज है । 9.7.2 विद्यार्थी वार्षिक आकलन प्रतिवेदन की प्रविष्टियों को विद्यालय के वार्षिक अभिलेख पंजिका में की गई प्रविष्टियों के अनुरूप ही दर्ज किया जाना है।

9.7.3 यह विद्यार्थी का प्रगति-पत्र है, जिसमें सभी प्रविष्टियाँ दर्ज करने के बाद सत्र के अन्त में उसे दिया जाना है।

9.8 शिक्षक अभिभावक विद्यार्थी बैठक :-

9.8.1 यह बैठक SA-2 व SA-3 के समय आयोजित की जानी है जिसमें विद्यार्थी की शैक्षिक प्रगति को अभिभावक व विद्यार्थी से साझा किया जाना है।

9.8.2 बैठक उपरान्त विद्यार्थी एवं अभिभावक से प्राप्त टिप्पणी को अभिलेख पंजिका में यथा स्थान दर्ज करें ।

9.8.3 एसएमसी की प्रत्येक बैठक में भी सदस्यों को बच्चों की प्रगति से अवगत करवाया जाना है ।

10.गतिविधि आधारित अधिगम कक्ष Activity Based Learning (ABL) Room-

10.1 एबीएल कार्यक्रम एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें गतिविधियों के माध्यम से बच्चों का सीखना सुनिश्चित किया जाता है। इस प्रक्रिया की मुख्य आधारभूत मान्यता यह है कि-प्रत्येक बच्चा महत्वपूर्ण है। प्रत्येक बच्चे के सीखने की अपनी गति होती है एवं अपना स्तर होता है। बच्चे के साथ उसकी गति और उसके स्तरानुसार गतिविधियों के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया की जाए तो बच्चे का सीखना सुनिश्चित होगा।

10.2 गतिविधि आधारित अधिगम के लिये विद्यालयों में कक्षा 1 व 2 लिये एबीएल कक्ष का विकास राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, जयपुर द्वारा प्राप्त वित्तीय प्रावधानों के अनुसार विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा अनुदान/स्थानीय जनसहयोग से प्राप्त राशि से निम्नानुसार करवाया जा सकता है

10.2.1 बच्चों के श्यामपट्ट – विद्यालय में तैयार किया जाने वाला कक्षा कक्ष 16X20 की साईज का अथवा विद्यालय का सबसे बडा कक्ष होना चाहिए । कक्षा कक्ष के अन्दर की दीवारों पर फर्श से 3 फुट तक सीमेन्ट प्लास्टर कर श्यामपट्ट तैयार किया जाना है। दीवार पर बने श्यामपट्ट के एक-एक फुट के भाग किये जाने चाहिए।

10.2.2 अंग्रेजी व हिन्दी की वर्णमाला पट्टी :- कक्षा कक्ष की दीवारों पर बनाये गये श्यामपट्ट के ऊपर 6 इंच चौडाई की पेन्ट द्वारा एक पट्टी तैयार की जायेगी, जिस पर हिन्दी व अंग्रेजी वर्णमाला के वर्ण / अक्षर तथा उनसे शुरू होने वाले शब्दों के चित्र भी बनाये जाने है ।

10.2.3 कथा चित्र का चित्रण :- कक्षा कक्ष की दीवारों पर कथा चित्र प्राथमिकता से बनाये जाने है। कथाचित्र बनाये जाने का उद्देश्य इन पर चर्चा कर बच्चों की कल्पना शक्ति को विकसित करना है एक कक्ष में कम से कम चार कथाचित्र बनाये जा सकते है।

10.2.4 बिन्दुपट्ट :- उपर्युक्त श्यामपट्ट में 3-3 इंच की दूरी पर बिन्दु के निशान बनाये जाने है इन बिन्दुओं को जोड़ते हुए विभिन्न आकृतियाँ बना सकेगे। इस प्रकार के बिन्दुओं को जोडते हुए लाईन अंकित कर बच्चों को एक लाईन में वर्णमाला लिखने का अभ्यास कार्य करवाया जा सकता है।

10.2.5 गिनती पहाड़े का चार्ट :- कक्षा कक्ष की दीवारों पर गिनती व पहाड़े का ग्रिडनुमा चार्ट बनाया जा सकता है, जिससे गिनती के साथ चित्र बनाकर गिनती की अवधारणा को समझाया जा सकता हैं

10.2.6 आकृतियों के नाम व चित्र :- विभिन्न प्रकार की सरल एवं ठोस ज्यामितीय आकृतियाँ जैसे लाईन, वृत, त्रिभुज, चतुर्भुज, वर्ग, आयत, अर्द्धचन्द्राकार, घन, घनाभ, बेलन, गोला आदि से परिचय करवाने हेतु दीवार पर उनका चित्र बनाया जाना है। चित्र के साथ उनका नाम व नाप भी दिया जा सकता है।

10.2.7 रंगों के नाम व चित्र :- विभिन्न रंगों का परिचय कराने हेतु किसी एक आकार की विभिन्न रंगों से चित्रित करते हुए मय नाम के दीवार पर चार्ट के रूप में बनाया जा सकता है।

10.2.8 महीनों एवं सप्ताह के दिनों के नाम :- वर्ष के 12 महीनों के नाम व सप्ताह के दिनों के नामों को चार्ट के रूप में बनाया जा सकता है महीने के नामों को गोल आकृति में बनाकर मौसम का भी चित्रण किया जा सकता है। इस प्रकार सप्ताह के दिनों को भी मिड डे मील के खाने के साथ अंकित कर समझाया जा सकता है।

10.2.9 गतिविधि आधारित शिक्षण सुनिश्चित करने के लिये उपयोग में ली जाने वाली सामग्री- कक्षा 1 व 2 में बच्चे स्वयं गतिविधि करते हुए सक्रिय अधिगम कर सके इस हेतु शिक्षक को उपलब्ध कराई जा रही शिक्षक सहायक सामग्री (टीएलएम), शिक्षकों को दी जाने वाली टीएलएम राशि / एसएमसी द्वारा प्राप्त अनुदान/स्थानीय जन सहयोग से राशि जुटाकर योजनाबद्ध तरीके से आवश्यक शिक्षण सामग्री का निर्माण/क्रय किया जाना है। गतिविधि आधारित शिक्षण हेतु सामग्री निम्नानुसार हो सकती है-

  1. चार्ट
  2. फ्लेश कार्ड
  3. वाक्य कार्ड
  4. अंक व शब्द कार्ड
  5. चयनित व नियोजित खेल गतिविधियों आधारित सामग्री
  6. अंक व शब्द आधारित साँप-सीढ़ी चार्ट
  7. अन्य प्रशिक्षण/शिक्षण मासिक बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार नियोजित सामग्री
  8. शिक्षक/विद्यार्थी किट

10.2.10 विद्यालयों में दीवारों पर बनाये गये नक्शे/चार्ट/चित्र/ टेन्स -चार्ट इत्यादि से संबंधित क्विज/प्रश्नोतरी आदि का आयोजन समय-समय पर किया जावें। जिससे विद्यालय में उपलब्ध सामग्री के बारे मे बच्चों में समझ विकसित हो सके।

11. क्लस्टर कार्यशाला :-

11.1 क्लस्टर कार्यशालाओं का आयोजन निर्धारित क्लस्टर के विद्यालय में किया जायेगा।

11.2 इन कार्यशालाओं में स्थानीय विद्यालय के प्रधानाचार्य / संस्था प्रधान मुख्य संदर्भ व्यक्ति के रूप में भूमिका निभायेंगे एवं दक्ष प्रशिक्षक सम्भागियों को अकादमिक सहयोग प्रदान करेंगे।

11.3 कार्यशालाओं की मॉनिटरिंग पंचायत, ब्लॉक एवं जिले के शिक्षा अधिकारियों द्वारा की जानी है।

11.4 इन कार्यशालाओं का आयोजन राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद, जयपुर द्वारा निर्धारित समयावधि में किया जाना है। जिसमें प्रथम समूह में हिन्दी व पर्यावरण विषय एवं द्वितीय समूह में गणित व अंग्रेजी विषय की कार्यशाला आयोजित की जायेगी।

11.5 इस कार्यशालाओं में प्राथमिक कक्षाओं (1 से 5) को संबंधित विषय पढाने वाले शिक्षक भाग लेगें ।

11.6 क्षमता संवर्धन हेतु आयोजित कार्यशालाओं में भाग लेने वाले शिक्षक अपने विषय से संबंधित योजना डायरी, पाठयक्रम पुस्तिका, चैकलिस्ट, अभिलेख पंजिका और अध्यापन करवाये जाने वाली कक्षा के किसी भी विद्यार्थी का पोर्टफोलियो भी आवश्यक रूप से साथ लेकर आयेंगे, तद्नुरूप ही उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जायेगी।

11.7 कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों द्वारा उपलब्ध कराई गई शैक्षिक एवं प्रक्रियागत समस्याओं को समेकित करते हुए क्लस्टर प्रभारी संस्थाप्रधान द्वारा डाईट को सात दिवस में भिजवाना सुनिश्चित करें।

11.8 कार्यशाला के लिये नियुक्त दक्ष प्रशिक्षक/आयोजक विद्यालय के संस्थाप्रधान/ मॉनिटरिंग अधिकारी द्वारा कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों की अध्यापक योजना डायरी पर प्रति हस्ताक्षर कर उपस्थिति प्रमाणित की जायेगी।

11.9 इन कार्यशालाओं में दक्ष प्रशिक्षक द्वारा शिक्षकों की चुनौतियों पर कार्य किया जायेगा जहाँ शिक्षक आपस में अपने अनुभव साझा करते हुए एक दूसरे का सहयोग करेंगे।

11.10 इन कार्यशालाओं के अन्तर्गत शिक्षकों को निम्नानुसार सम्बलन प्रदान किया जायेगा 11.10.1 बच्चों के स्तर पहचान करने में आने वाली समस्याओं पर कैसे काम किया जाए। 11.10.2 समूहवार शिक्षण की योजना और प्रक्रिया को कैसे और बेहतर किया जाये ।

11.10.3 कक्षा स्तर से न्यून दक्षता वाले बच्चों को कक्षा स्तर के अनुरूप लाने हेतु आवश्यकतानुसार शिक्षण योजना बनाकर उसका कक्षा में क्रियान्वयन कैसे किया जाये। 11.10.4 विषय शिक्षण के विभिन्न तरीके क्या हो, जिससे बच्चों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित हो।

11.10.5 रचनात्मक और योगात्मक मूल्यांकन दर्ज करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाये ।

11.10.6 किसी विशेष बिन्दु/उद्देश्य अथवा विषय पर कैसे काम किया जाये।

11.10.7 शिक्षण में प्रभावी प्रार्थना सभा एवं पुस्तकालय की उपयोगिता एवं आने वाली चुनौतियों पर कार्य किया जाये।

12. जिले व ब्लॉक स्तर पर अकादमिक सम्बलन की व्यवस्था

12.1 सीसीई, सीसीपी और एबीएल के क्रियान्वयन हेतु जिला स्तर पर निर्धारित समिति में डाईट की भूमिका अकादमिक संस्था के रूप में है। अतः डाईट प्राचार्य जिले पर होने वाली बैठकों का समन्वयन करेंगे।

12.2 डाईट प्राचार्य प्रत्येक ब्लॉक के लिये अकादमिक अधिकारी (व्याख्याता/ वरिष्ठ व्याख्याता) को ब्लॉक सीसीई प्रभारी के रूप में नियुक्त करें।

12.3 ब्लॉक में होने वाली समस्त गतिविधियों की मॉनिटरिंग, सम्बलन व अकादमिक समर्थन का निष्पादन ब्लॉक सन्दर्भ व्यक्ति (आर.पी.) के सहयोग से मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी द्वारा किया जाये।

12.4 सीबीईईओ/पीईईओ (ग्रामीण/शहरी) अवलोकनकर्ता संस्थाप्रधान द्वारा भेजी गई पाक्षिक रिपोर्ट के अनुसार पर्यवेक्षण/अवलोकन कर सुझाव निरीक्षण पंजिका में अंकित करते हुए संस्थाप्रधान के हस्ताक्षर करवाये।

12.5 संबंधित ब्लॉक के लिये शिक्षक प्रशिक्षण मासिक कार्यशाला का आयोजन एवं मॉनिटरिंग का दायित्व डाईट प्रभारी, पीईईओ, सीबीईईओ एवं ब्लॉक आरपी का होगा।

12.6 ब्लॉक पर होनेवाले समस्त अकादमिक गतिविधियों में सहयोग के लिये दक्ष प्रशिक्षक (एम.टी), के साथ आरपी, राज्य सन्दर्भ समूह (एसआरजी) राज्य कोर समूह (एससीजी) सदस्य की भागीदारी सीबीईईओ एव पीईईओ सुनिश्चित करें। राज्य के राजकीय विद्यालयों की प्राथमिक कक्षाओं में उक्त दिशा निर्देशानुसार शिक्षण प्रक्रिया सम्पादित करवाना सुनिश्चित करें।