विद्यार्थियों को प्रोत्साहित/शैक्षणिक स्तर मूल्यांकन हेतु टिप्पणियां क्या होनी चाहिए और हमें क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

सर्वप्रथम हमे देखना है की हमें नकारात्मक प्रभाव वाली टिप्पणी नहीं करनी है जैसे—-

  • छात्र पुस्तक पढ़ने में कमजोर है या पुस्तक पढ़ने में असमर्थ है ।
  • छात्र गणित विषय में कमजोर है संक्रियात्मक क्रियायें नही कर पाता है ।
  • छात्र पढ़ने में ध्यान नहीं देता है ।
  • किसी भी स्तिथि में बेकार ,बदमाश,नालायक,पढ़ने  में कमजोर, कामचोर,मंदबुद्धि जैसे अनुचित शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे बच्चों के मानसिक तनाव को बढ़ता है तथा हतोत्साहित करता है।
  • छात्र की सामान्य उपलब्धियों पर टिप्पणी नहीं करें।
  • छात्र के व्यवहार पर अनुचित टिप्पणी नहीं करे क्योंकि हम शैक्षणिक स्तर की जाँच कर रहे हैं।
  • छात्र के नाम का उल्लेख बार-बार नहीं करें क्योंकि उसका नाम पहले से ही दर्ज है।
  • छात्र की ग्रेड के उलट टिप्पणी नहीं करें जैसे– छात्र के अगर हिंदी में B ग्रेड हैं तो टिप्पणी में ना लिखें की छात्र हिंदी के प्रति जागरूक है तथा शब्द भंडार प्रशंसनीय है।
  • यथासंभव सकारात्मक और प्रोत्साहित करने वाले शब्दों का ही प्रयोग करें।
  • शिक्षक साथी टिप्पणी लिखते समय विशेष ध्यान रखेंगे कि हमें आकलन पत्र में अच्छा या बहुत अच्छा लिखने से बचना चाहिए। 
  • हमारी टिप्पणी सहायता करेगी कि विद्यार्थी निर्धारित दक्षताओ को सीख पा रहे है अथवा नहीं इसलिए हमें दक्षताओं को ध्यान में रखते हुए टिप्पणी करनी है ।

शिक्षक को टिप्पणियों में क्या लिखना चाहिए

  • विद्यार्थी दो अंकों की संख्याओं को लिख पा रहा है ।
  • छात्र अपने कक्षा स्तर की संक्रियाओं को हल कर सकता है।
  • विद्यार्थी सरल शब्द पढ सकता है।
  • विद्यार्थी ने कक्षा स्तर के अनुरूप अपेक्षित स्तर प्राप्त कर लिया है । 
  •  साधारण वाक्य लिख सकता है।
  •  विषय को अच्छी तरह से समझता है, लेकिन अधिक तेजी से काम करने की जरूरत है।
  • होमवर्क असाइनमेंट में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करता है ।
  • थोड़े से पर्यवेक्षण के साथ कार्य पर रहता है।
  • स्वप्रेरित छात्र है।
  • अपने लिखित कार्य में अनावश्यक गति और सटीकता का ध्यान रखता है।
  • शिक्षक की सहायता से अपना कार्य करता है।
  • आवंटित समय में असाइनमेंट पूरा करता है।
  • विवरण पर ध्यान देकर लापरवाह त्रुटियों से बचने का प्रयास करता है।
  • कक्षा के समय का बुद्धिमानी से उपयोग करता है।
  • हिंदी के वर्णमाला के अक्षरों की आकृति और ध्वनि को पहचानने का प्रयास/पहचानता है।
  • भाषा की बारीकियों का ध्यान देते हुए उसे अपनी भाषा में नए शब्द बनाते हैं।
  • उद्देश्य और संदर्भ के अनुसार शब्दों, वाक्यों, विराम चिन्हों का प्रयोग करने का प्रयास करते हैं।
  • पढ़ी गई सामग्री पर चिंतन करते हुए बेहतर समझ के लिए प्रश्न करता हैं ।
  • भाषा की समझ/बारीकियों को लिखित में प्रयोग करने का प्रयास करता हैं ।
  • संख्याओं को जोड़ने-घटाने पर आधारित दैनिक जीवन की समस्याओं को हल करने का प्रयास करता है।
  • बड़ी संख्या से संबंधित समस्याओं को उचित संक्रियाओं के प्रयोग द्वारा हल करता है
  • त्रिभुज, कोण, आयत आदि आकृतियों को देखकर पहचानते/हल करता हैं।
  • जीवों और प्रक्रियाओं के नामांकित चित्र/फ्लो चार्ट बनाता है।
  • डिजाइन बनाने, योजना बनाने, एवं उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने में रचनात्मकता का प्रदर्शन करता है।
  • वैज्ञानिक अन्वेषण की कहानियों पर चर्चा करता है और उसका महत्व समझता है।
  • पृथ्वी को एक विशिष्ट खगोलीय पिंड केरूप में समझने तथा परिचर्चा करता है।
  • विभिन्न प्रकार के भौगोलिक, पर्यावरणीय परिवर्तन की जानकारी रखता है।
  • वायुमंडल के संघटन एवं सरंचना पर आधारित प्रश्नों पर विशेष ध्यान देता है।
  • पर्यावरण संरक्षण/प्रदूषण के कारणो/परिणामों पर चर्चा/विश्लेषण करता है।
  • वन,जंगल, खनिज, मृदा,ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण विषयों की समझ प्राप्त करता है।

नोट— प्रस्तुत टिप्पणियाँ सिर्फ आपके सहयोग के लिए है इनका हूबहू नकल नहीं करें । शिक्षक अपने विद्यार्थियों की शैक्षणिक स्तर के अनुसार परिवर्तन करके टिप्पणी लिखें।