राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् जयपुर के पत्र  क्रमांक रास्कूशिप/जय / सामु गति./ समु जागृ.दिव./ दिशा-निर्देश/2020-21/19263 दिनांक 15. 02.2021 द्वारा समुदाय जागृति दिवस सत्र 2020-21 के आयोजन के सम्बन्ध में निम्नानुसार दिशा निर्देश जारी किये गये है –

प्रस्तावना :-

राज्य के सभी राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में विद्यालय प्रबन्धन का दायित्व विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के माता-पिता/अभिभावक की अध्यक्षता में गठित विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी)/विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति (एसडीएमसी) को प्रदान किया गया है। विद्यालय प्रबंधन समिति एवं विद्यालय विकास एवं प्रबंधन समिति एक बैठक अनिवार्य है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार यह बैठकें प्रत्येक माह अमावस्या के दिन आयोजित की जानी है। एसएमसी /एसडीएमसी की प्रत्येक माह आयोजित की जाने वाली बैठकों को उद्देश्यपरक बनाने, सफल संचालन एवं मॉनिटरिंग हेतु वर्ष 2020-21 में विद्यालय विकास प्रबन्धन समिति की 2 बैठकें निर्धारित दिन को आयोजित कर “समुदाय जागृति दिवस” के रूप में मनाये जाने हेतु वार्षिक कार्ययोजना सत्र 2020-21 में 52426 प्राथमिक/उच्च प्राथमिक . 104.852 लाख एवं 14841 माध्यमिक/उच्च माध्यमिक श. 29.682 लाख राशि का प्रावधान किया गया है साथ ही इसी दिन बाल सभा का आयोजन एवं अध्यापक अभिभावक संघ की बैठक का प्रावधान किया गया है। प्रत्येक समुदाय जागृति दिवस निम्न विषयों पर आधारित होंगे :- बाल विवाह, बाल श्रम, महिला सशक्तीकरण, आपदा प्रबंधन, स्वच्छता, शौचालय, पेयजल, मिड डे-मील, ठहराव व उपस्थिति, बालिका शिक्षा, जनसहयोग आदि। बाल सभा एवं अन्य गतिविधियों में अपने बच्चों को भाग लेते हुए देखने हेतु अभिभावक विद्यालय आने के लिए प्रेरित होंगे साथ ही अध्यापक अभिभावक संघ की बैठक में अभिभावक अपने बच्चों की प्रगति के बारे में शिक्षकों से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

आपदा प्रबंधन पर समुदाय को शिक्षित करने का सबसे अच्छा सशक्त माध्यम बच्चों को शिक्षित करना है। इनके माध्यम से अभिभावक और अन्ततः समाज शिक्षित होता है।

समुदाय जागृति दिवस के दिन बाल सभा के समय बच्चों को भूकम्प, आग, बाढ़, बीमारियों, जैसे कोरोना महामारी, सड़क सुरक्षा के नियमो पर छोटे-छोटे बचाव के टिप्स दिये जाए। साथ ही इसी दिन अभिभावकों के साथ विभिन्न आपदाओं एवं इनसे बचाव के उपायों पर चर्चा की जानी चाहिए। विद्यालय में जागरूकता कार्यक्रम जैसे : नुक्कड़ नाटक, पोस्टर, पैन्टिग, स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन कर छात्रों एवं शिक्षकों विभिन्न आपदाओं एवं उनसे बचाव के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।

स्वच्छता :-

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्रत्येक विद्यालय में स्वच्छ पेयजल एवं बालक/ बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक शौचालय एवं मूत्रालय सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए ताकि कोई भी बालिका शौचालय के अभाव में पढ़ाई बीच में ना छोड़े। जल सफाई, हाथ धोने, शौचालय की साफ सफाई स्वच्छता गत व्यवहार परिर्वतन हेतु वांछित जानकारियाँ समुदाय जागृति दिवस के दिन अभिभावक एवं बच्चों को सम्प्रेषित की जानी चाहिए। स्वच्छता सम्बन्धी रोल प्ले, नुक्कड़ नाटक, गीत, वाद विवाद, निबंध लेखन आदि का आयोजन किया जाना चाहिए। जहाँ तक संभव हो विद्यालय में एएनएम को आमंत्रित कर किशोरी बालिकाओं को माहमारी सम्बन्धी स्वच्छता की जानकारी दिलवायी जानी चाहिए। साथ ही जागृति दिवस के दिन विद्यालय की साफ सफाई पर चर्चा हो तथा विद्यालय की स्वच्छता की स्थिति में सुधार करने के लिए एसएमसी /एसडीएमसी की बैठक में कार्ययोजना बनाई जाए ।

वित्तीय एवं व्यय प्रावधान :-

  • प्रति समुदाय जागृति दिवस १. 100 / – रूपये व्यय का प्रावधान किया गया है। अर्थात 2 समुदाय जागृति दिवस के लिए प्रति विद्यालय कुल र. 200/- रूपये का प्रावधान किया गया है।
  • जिला कार्यालय द्वारा निर्धारित बजट राशि सीधे ही विद्यालय प्रबंधन समिति के खाते में जारी की जावेगी।
  •  10 बच्चों को पढ़ने (Reading, writing) के कौशल का एसएमसी/ एसडीएमसी के समक्ष प्रस्तुतीकरण ।
  • कक्षा कार्य, गृह कार्य की समीक्षा।
  •  एसएमसी/एसडीएमसी बैठक में समुदाय के सदस्यों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अभिभावकों द्वारा समुदाय जागृति दिवस के दिन विद्यालय में पेड़ लगाना, साफ सफाई, सौन्दर्यकरण आदि कार्यों में किये गये सहयोग पर चर्चा ।
  •  विद्यालय विकास योजना का निर्माण करना व उसके क्रियान्वयन की प्रगति पर चर्चा करना।
  • विद्यालय विकास में जनसहयोग की प्राप्ति एवं उसके उपयोग पर चर्चा ।
  • निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के प्रावधानों पर चर्चा ।
  • मिड-डे-मील पर चर्चा |

आपदा प्रबंधन :-

  • वर्ष 2004 में तमिलनाडू में कुंभकोणम में लॉर्ड कृष्णा विद्यालय में दोपहर का भोजन बनाने के दौरान लगी आग से लगभग 94 छात्रों की दर्दनाक मृत्यु हुई।
  • वर्ष 2004 में आये सुनामी में हजारों की संख्या में छात्र एवं शिक्षकों को अपनी जाने गवानी पड़ी।
  •  वर्ष 2001 में गुजरात में आये विनाशकारी भूकम्प में 971 छात्रों और 31 शिक्षकों की अकाल मृत्यु हुई, 1051 छात्र गंभीर रूप से घायल हुए जबकि 11761 विद्यालय भवन क्षतिगस्त हुए।
  • वर्ष 1995 में हरियाणा के डबवाली में वार्षिक समारोह के दौरान लगी आग में 425 से अधिक लोगों की जाने गई जिनमें 200 से अधिक छात्र शामिल थे।

उपर्युक्त आपदायें हमें ये सीख देती हैं कि छात्रों और शिक्षकों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिये विद्यालय स्तर पर सुरक्षा उपाय किये जाने की परम आवश्यकता है।

भाग लेने वाले बच्चों को प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार भी दिया जायेगा इन सब गतिविधियों से अभिभावकों की विद्यालय के प्रति अपनत्व की भावना बढ़ेगी साथ ही बच्चों के विद्यालय मे ठहराव भी बढ़ेगा।

समुदाय जागृति दिवस के अन्तर्गत आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम : –

  • समुदाय जागृति दिवस कार्यक्रम निर्धारित दिन को अंतिम चार कालांशों में आयोजित किये जायेंगे।
  • प्रथम दो कालांश- माता-पिता/अभिभावकों एवं एसएमसी / एसडीएमसी सदस्यों की उपस्थिति में बाल सभा आयोजित की जाएगी। इसके अन्तर्गत छात्र-छात्राओं के लिये सांस्कृतिक कार्यक्रम, गायन, भाषण, वाद विवाद, नृत्य, निबन्ध लेखन, श्रुतिलेखन, पत्र वाचन, चित्रकला प्रतियोगिता पैन्टिग प्रतियोगिता, नैतिक प्रवचन आदि का आयोजन किया जायेगा (जो निम्न विषयों से सम्बन्धित होंगे :- बाल विवाह, बाल श्रम, बालिका शिक्षा, मिड-डे-मील, नामांकन-ठहराव, जनसहयोग, महिला सशक्तीकरण, स्वच्छता. आपदा प्रबंधन आदि) विषयो पर चर्चा की जायेगी। इसके अलावा छात्र हित एवं रूचि के अनुसार अन्य गतिविधियां भी आयोजित की जा सकती हैं।
  • अंतिम दो कालांश- एसएमसी की कार्यकारिणी समिति/ एसडीएमसी की बैठक आयोजित की जायेगी। साथ ही अभिभावक-शिक्षक मीटिंग आयोजित की जायेगी जिसमें अभिभावक अपने बच्चों के प्रगति के बारे में शिक्षकों के साथ चर्चा करेंगे।

समुदाय जागृति दिवस पर आयोजित की जाने वाली कार्यकारिणी समिति एसएमसी / एसडीएमसी की बैठक का एजेण्डा निम्नानुसार है :-

  • एसएमसी/एसडीएमसी कार्यकारिणी समिति की पिछली बैठक में लिये गये निर्णयों की अनुपालना पर चर्चा ।
  •  विद्यालय परिक्षेत्र में रहने वाले 6- 14 आयु वर्ग के अनामांकित एवं ड्राप आउट बालक-बालिकाओं को उनकी आयु के अनुरूप कक्षा में प्रवेश की कार्ययोजना (माइक्रो प्लान) बनाना।
  •  विद्यालय में पढ़ रहे बालक-बालिकाओं के शैक्षिक प्रगति की समीक्षा करना :
  • प्रति समुदाय जागृति दिवस राशि 100/- रूपये का व्यय विद्यालय प्रबंधन समिति/ एसडीएमसी द्वारा निम्न प्रकार से किया जायेगा।
  • र.100/- रूपये का उपयोग बच्चों को प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार देने के लिए किया जायेगा।
  1. प्रत्येक समुदाय जागृति दिवस को विद्यालय में सबसे ज्यादा नियमित आने वाले तीन बच्चों को पुरस्कृत किया जायेगा इसी प्रकार –
  2. सर्वाधिक नियमित रूप से विद्यालय आने वाले दो-दो बच्चों को पुरस्कृत किया जायेगा।
  3. पुरस्कृत किये जाने वाले बच्चों का रिकार्ड विद्यालय में रखा जायेगा। प्रत्येक बच्चे को दिया जाने वाला पुरस्कार र 20/- रूपये से कम का नहीं होना चाहिए। पुरस्कार विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा क्रय किये जायेंगे।

दो समुदाय जागृति दिवस कार्यक्रम हेतु निर्धारित कलैण्डर

क्र.सं.माहदिनांकदिन
1फरवरी27.02.2021शनिवार
2मार्च13.03.2021बुधवार

नोट:- फरवरी माह में समुदाय जागृति कार्यक्रम दिनांक 11.02.2021 अमावस्या के स्थान पर दिनांक 27.02.2021 को मनाया जायेगा तथा प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1 से 5) नही खुलने की स्थिति में इस कार्यक्रम का आयोजन प्राथमिक विद्यालयो में नही किया जायेगा।

यदि किसी विशेष कारण से उपरोक्त दिनांक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा सकें तो उसके अगले दिन इसका आयोजन मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी की स्वीकृति लेकर किया जाए। समुदाय जागृति दिवस के दौरान आयोजित की जाने वाली एसएमसी/ एसडीएमसी बैठक का रिकार्ड विद्यालय में अवलोकन के लिए सुरक्षित रखा जाए। परन्तु बाल सभा का रिकार्ड अलग से रजिस्टर में रखा जाए। समुदाय जागृति दिवस कार्यक्रम आयोजन पश्चात प्रतिवेदन एवं निम्न प्रपत्र में सूचना परिषद् को उपलब्ध करानी है।

भामाशाह एवं समुदाय से जनसहयोग प्राप्त कर यथा संभव इस गतिविधि को और अधिक प्रभावी बनाया जाए।

2. व्यय राशि का उपयोगिता प्रमाण-पत्र निर्धारित प्रपत्र में भिजवाया जाना सुनिश्चित करें।

3. राशि का उपयोग योजना के दिशा-निर्देशों, एमएचआरडी की गाईड लाईन एवं लोक उपापन में पारदर्शिता अधिनियम 2012 एवं नियम 2013 एवं वित्तीय नियमों की पूर्ण पालना करते हुये विहित प्रक्रियानुसार किया जाना सुनिश्चित किया जावे।

नोट:-गतिविधि संचालन के दौरान कोविड-19 के सन्दर्भ में चिकित्सा विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा जारी गाईडलाइन तथा राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा समय-समय पर जारी समस्त दिशा-निर्देशो का पूर्णता से पालन किया जाना सुनिश्चित करें।