वीणा वादिनि विमल वाणीदे, विद्या दायिनि वन्दन।
जय विद्या दायिनि वन्दन


अरुण लोक से वरुण लहर तक गुंजारित तव वाणी
ब्रह्मा विेष्णु रूद्र इन्द्रदिक, करते सब अभिनन्दन।
जय विद्या दायिनि वन्दन


तेरा भव्य भण्डार भारती, है अद्भुत गतिवारा
ज्यों खर्चे त्यों बढे निरन्तर, है सबका अवलम्बन।
जय विद्या दायिनि वन्दन


नत मस्तक हम माँग रहे, विद्या धन कल्याणी
वरद हस्त रख हम पर जननी रहे न जग में क्रन्दन
जय विद्या दायिनि वन्दन