राजकीय एवं सहायता प्राप्त ( अनुदानित) विद्यालयों में जिनमें प्रारम्भिक स्तर की कक्षाएं (कक्षा 1 से 8 तक) संचालित हैं में “निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009” के प्रावधानानुसार विद्यालय प्रबन्धन समिति का संशोधित संविधान एवं कर्तव्य

सन्दर्भ-राजस्थान सरकार प्रारम्भिक शिक्षा (आयोजना) विभाग का पत्र क्रमांक- प.2(2) शिक्षा-1/2003 दिनांक-21.06.2016

1. समिति का नाम –

इस समिति का नाम विद्यालय प्रबन्धन समिति राजकीय प्राथमिक/ उच्च प्राथमिक/ माध्यमिक/ उच्च माध्यमिक विद्यालय……………………….…………………… होगा।

2. कार्यालय एवं कार्यक्षेत्र –

इस समिति का कार्यालय …………… ………… ………… ……… ………(विद्यालय का पूरा नाम लिखें)………… …… ……… …………….में स्थापित होगा।

3. समिति के उद्देश्य –

समिति के उद्देश्य निम्नानुसार होंगे-

1. विद्यालय के क्रियाकलापों/कार्यकरण को मॉनीटर करना।

2. विद्यालय के विकास के लिए विद्यालय विकास योजना का निर्माण, स्वीकृति एवं विकास कोष बनाना, जिससे विद्यालय के भवन, उपस्कर एवं अन्य शैक्षिक सुविधाओं से सम्बन्धित विकास के कार्य किये जा सकेंगे।

3. सम्बन्धित विद्यालय के लिए एक परिचालन कोष बनाना, जिससे राजकीय सहायता व अन्य माध्यमो से वेतन, आवश्यक परिचालन व मरम्मत व्यय वहन किया जा सके।

4. दानदाताओं से आर्थिक सहायता/दान प्राप्त करना।

5. विद्यालय भवन के विस्तार एवं अन्य सुविधाओं के लिए राज्य सरकार की जन सहभागिता आधारित योजनाओं से संस्था विकास कोष के.योगदान के आधार पर विकास कार्य करवाना तथा इसी के साथ सक्षम सरकार, स्थानीय प्राधिकारी/ संस्थाओं/निकायो अथवा अन्य स्त्रोतों से प्राप्त सहायता/अनुदान के उपयोग पर निगरानी।

6. प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित विभिन्न बाहमय सहायता प्राप्त परियोजनाओं, केन्द्र प्रवर्तित कार्यक्रमों एवं केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से संचालित योजनाओं/कार्यक्रमों यथा सर्व शिक्षा अभियान, आदि के अन्तर्गत विद्यालयों के विकास, भवन निर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव, शिक्षण अधिगम सामग्री, शिक्षण अधिगम उपकरण, विद्यालय फैसिलिटी ग्राण्ट, टीएलएम ग्राण्ट एवं अन्य ग्राण्ट्स आदि अन्य मदों के अन्तर्गत उपलब्ध कराई गई राशियों/प्रावधानों से निर्माण/विकास कार्य करवाना एवं ग्राण्ट्स का राज्य सरकार/सर्व शिक्षा अभियान, अन्य प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार उपयोग सुनिश्चित करना।

7. अन्य उद्देश्य, जिससे संस्था की परिसम्पत्तियों का बेहतर उपयोग एवं संस्था का बेहतर विकास हो सके।

4. साधारण सभा के सदस्य

इस समिति के सदस्य निम्नांकित होंगे-

1. सम्बन्धित विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक विद्यार्थी/बालक के माता-पिता या संरक्षक (माता एवं पिता दोनों के जीवित न होने की स्थिति में संरक्षक)

2. सम्बन्धित विद्यालय का प्रत्येक अध्यापक/प्रबोधक।

3. सम्बन्धित कार्यक्षेत्र में निवास करने वाले जिला प्रमुख/प्रधान/सरपंच/नगर पालिका अध्यक्ष। 4. संबंधित कार्यक्षेत्र में निवास करने वाले समस्त जिला परिषद सदस्य, नगर पालिका पार्षद /पंचायत समिति सदस्य/वार्ड पंच।

5. समिति की कार्यकारिणी समिति में निर्वाचित/मनोनीत शेष सदस्य जो उपरोक्त में शामिल नहीं हो।

5. साधारण सभा –

समिति के उप नियम संख्या 4 में वर्णित समस्त प्रकार के सदस्य मिलकर साधारण सभा का निर्माण करेंगे। समिति की कार्यकारिणी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य सचिव साधारण सभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य सचिव होंगे।

6. सदस्यों का वर्गीकरण –

समिति के सभी सदस्य साधारण सदस्य होंगे।

7. सदस्यों द्वारा चन्दा व शुल्क-

साधारण सभा के सदस्यों द्वारा कोई शुल्क व चन्दा प्रारंभ से अनिवार्य नहीं होगा। सदस्य स्वेच्छा से चन्दा दे सकेगे। समिति की साधारण सभा दो तिहाई बहुमत से वार्षिक सदस्यता शुल्क तय कर सकेगी।

8. सदस्यता की समाप्ति –

साधारण सभा के सदस्यों की सदस्यता निम्न स्थितियों में स्वतः ही समाप्त हो जायेगी।

1. मृत्यु होने पर।

2. त्याग पत्र देने पर।

3. निर्वाचित सदस्यों के निर्वाचित नहीं रहने पर।

4. विद्यार्थी के विद्यालय छोड़ देने पर उसके माता-पिता या संरक्षक की सदस्यता स्वतः समाप्त हो जायेगी

5. पदेन सदस्य के पद पर नहीं रहने पर।

9. साधारण सभा के अधिकार एवं कर्तव्य

1. विद्यालय के परिचालन व्यय मद में आय-व्यय में अन्तर होने पर संरक्षिकों, सामान्य जनता एवं अन्य दानदाताओं से आर्थिक सहायता/दान प्राप्त करने हेतु कार्यकारिणी समिति द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर विचार विमर्श एवं निर्णय।

2. विद्यालय के विकास हेतु आवश्यक विकास राशि के इक्ट्ठा करने पर विचार विमर्श व निर्णय।

3. कार्यकारिणी समिति द्वारा किए गये कार्यों की समीक्षा करना। नोट – साधारण सभा में निर्णय प्रथमतः सर्व सम्मति से व सर्व सम्मति से नहीं होने पर बहगत से लिये जायेगे।

10. साधारण सभा की बैठक –

1. साधारण सभा की वर्ष में प्रत्येक वर्ष जुलाई से मार्च तक तीन बैठके अर्थात तीन माह में एक बैठक अनिवार्य होगी, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर बैठक अध्यक्ष/सदस्य सचिव द्वारा कभी भी बुलाई जा सकती है।

2. साधारण सभा की बैठक का कोरम कम से कम साधारण सभा के सदस्यों की कुल संख्या का 25 प्रतिशत होगा।

3. बैठक की सूचना 4 दिन पूर्व व अत्यावश्यक बैठक की सूचना 2 दिवस पूर्व दिया जाना आवश्यक है।

4. कोरम के अभाव में स्थगित बैठक पुनः 7 दिन पश्चात उसी निर्धारित स्थान व समय पर आयोजित की जायेगी। स्थगित बैठक में कोरम की कोई आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन विचारणीय विषय वही होंगे, जो पूर्व एजेण्डा में थे।

11. समिति की कार्यकारिणी समिति –

समिति के कार्य के सुचारू रूप से चलाने के लिए समिति की एक 16 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति होगी। इसमें से न्यूनतम तीन चौथाई सदस्य माता-पिता या संरक्षको में से होंगे तथा अधिकतम 5 सदस्य पदेन/ मनोनीत अन्य व्यक्ति होंगे। कार्यकारिणी के सदस्यों में 50 प्रतिशत महिलाएं अर्थात कम से कम 8 महिलाएं आवश्यक रूप से होंगी जिसके पदाधिकारी एवं सदस्यों का निर्वाचन/मनोनयन नियम 12 के अनुसार किया जायेगा।

• कार्यकारिणी की समिति में माता-पिता या संरक्षक सदस्यो का निर्वाचन प्रत्येक वर्ष के प्रारंभ में नामांकन प्रक्रिया पूर्ण होने पर 14 अगस्त से पूर्व साधारण सभा द्वारा किया जायेगा।

कार्यकारिणी समिति के अन्य पदाधिकारी निम्न होंगे-

क्र.सं.पदचयन प्रक्रियापूर्णपता
1अध्यक्षसमिति की साधारण सभा द्वारा उसके माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति हेतु निर्वाचित 11 सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा निर्वाचित।   
2उपाध्यक्ष  समिति की साधारण सभा द्वारा उसके माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति हेतु निर्वाचित 11 माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा निर्वाचित। 
3सदस्य (11)  समिति की साधारण सभा द्वारा उसके माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से कार्यकारिणी समिति हेतु निर्वाचित 11 सदस्य, जिनमें से कम से कम 6 महिलाएं, 1 अनुसूचित जाति व 1 अनुसूचित जन जाति से संबंधित हो। 
4पदेन सदस्य (1)ग्राम पंचायत/नगर पालिका के जिस वार्ड में विद्यालय स्थित है, उस वार्ड का वार्ड पंच/पार्षद 
5पदेन सदस्य सचिव (1)  प्रधानाध्यापक/प्रधानाध्यापक के न होने पर वरिष्ठतम अध्यापक प्रबोधक 
6निर्वाचित अध्यापक  विद्यालय के अध्यापकों द्वारा समिति हेतु निर्वाचित एक अन्य महिला अध्यापक/प्रबोधक (यदि उपलब्ध हो) अन्यथा पुरुष अध्यापक/प्रबोधक 
7मनोनीत सदस्य (2)  विद्यालय परिक्षेत्र के विधान सभा सदस्य द्वारा नामित ऐसे दो व्यक्ति (जिसमें कम से कम एक महिला हो तथा एक माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से हो) जो ग्रामीण क्षेत्र हेतु उस राजस्व ग्राम/शहरी क्षेत्र हेतु एस वाई का निवासी हो जिसमें विद्यालय स्थित है अथवा समिति के माता-पिता या संरक्षक सदस्यों दवारा मनोनीत स्थानीय शिक्षा शास्त्री अथवा विद्यालय का बालक। मनोनयन में प्रथम प्राथमिकता विधानसभा सदस्य द्वारा नामित व्यक्तियों को दी जावें, लेकिन मनोनयन से पूर्व विधान सभा सदस्य द्वारा नामित व्यक्तियों की उनसे लिखित मे स्वीकृति लिया जाना आवश्यक होगा। मनोनयन में द्वितीय प्राथमिकता विद्यालय परिक्षेत्र के निवासी राष्ट्रीय/राज्य स्तर पर पुरस्कार प्राप्त शिक्षक को दी जावे।   
  कुल सदस्य16

नोट – कार्यकारिणी समिति में महिला सदस्यों का निर्वाचनामनोनयन इस प्रकार किया जायेगा, जिससे कि समिति में कम से कम 8 महिलाएं आवश्यक रूप से रहें।

12. विदयालय प्रबन्धन समिति की कार्यकारिणी समिति का गठन –

विद्यालय प्रबन्धन समिति की कार्यकारिणी का गठन निम्नलिखित सदस्यों की सहायता से एवं नीचे लिखी विधि से किया जायेगा।

1. राज्य के प्रत्येक राजकीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय में विद्यालय प्रबन्धन समिति का गठन किया जायेगा। प्रत्येक विद्यालय में प्रधानाध्यापक स्थानीय प्राधिकारी विद्यालय प्रबन्धन समिति के गठन के लिए उत्तरदायी होगा।

2. विद्यालय का प्रधानाध्यापक एवं प्रधानाध्यापक के नहीं होने पर विद्यालय का वरिष्ठतम अध्यापक/प्रबोधक समिति का पदेन सदस्य सचिव होगा।

3. समिति की साधारण सभा अपने माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से 11 प्रतिनिधियों का चुनाव कार्यकारिणी समिति के लिए करेगी। इन 11 सदस्यों में से कम से कम 6 महिलाएं, एक अनुसूचित जाति एवं एक अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधि आवश्यक रूप से होगा।

4. ग्राम पंचायत/नगर पालिका/परिषद के जिस वाई में विद्यालय स्थित है, उस वार्ड का निर्वाचित वार्ड पंच/पार्षद समिति का पदेन सदस्य होगा।

5. विद्यालय के अध्यापकों द्वारा निर्वाचित एक अन्य महिला अध्यापक प्रनोधक (यदि उपलब्ध हो) अन्यथा पुरुष अध्यापक /प्रबोधक कार्यकारिणी समिति का सदस्य होगा।

6. समिति के माता-पिता या संरक्षक सदस्यों द्वारा मनोनीत एक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक /स्थानीय शिक्षा शास्त्री अथवा विद्यालय का बालक समिति का सदस्य होगा।

7. समिति में महिला सदस्यों की संख्या इस प्रकार निर्धारित की जायेगी, जिससे कि समिति में कम से कम 8 महिलाएं आवश्यक रूप से रहें।

13. कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों का चुनाव :-

1. कार्यकारिणी समिति अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव कार्यकारिणी समिति हेतु साधारण सभा दवारा निर्वाचित माता-पिता या संरक्षक सदस्यों में से करेगी। यह निर्वाचित अध्यक्ष/उपाध्यक्ष, समिति की साधारण सभा के भी अध्यक्ष/उपाध्यक्ष होंगे।

2. विद्यालय का प्रधानाध्यापक, प्रधानाध्यापक के न होने पर विद्यालय का करिष्ठतम अध्यापक प्रबोधक समिति का पदेन सदस्य सचिव होगा।

3. अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का कार्यकाल दो वर्ष अथवा तब तक रहेगा जब तक कि वह कार्यकारिणी समिति का सदस्य रहे (दोनों में से जो भी कम हो)

14. कार्यकारिणी समिति के पदाधिकारियों के अधिकार व कर्तव्य :-

1. अध्यक्ष के कार्य :

(1) विद्यालय प्रबन्धन समिति की साधारण सभा एवं कार्यकारिणी समिति की सभी बैठको की अध्यक्षता करना।

(2) बराबर मत आने पर निर्णायक मत देना।

(3) बैठके आहत करना।

(4) समिति का प्रतिनिधित्व करना।

(5) संविदा व अन्य दस्तावेजो पर हस्ताक्षर करना।

(6) आय व्यय पर नियंत्रण रखना – कैशियर के माध्यम से लेखे संधारित करना।

(7) समिति द्वारा निर्देशित अन्य सभी कार्य करना।

2. उपाध्यक्ष के कार्य :-

(1) अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के सभी कार्य संपादित करना जैसे कि उप नियमों के नियम 14 (1) मैं लिखे गये है।

(2) कार्यकारिणी समिति द्वारा निर्देशित अन्य समस्त कार्य करना।

3. सदस्य सचिव के कार्य :-

(1) बैठक के कार्य बिन्दु (एजेण्डा) तैयार करना।

(2) बैठक आहूत करने की सूचना जारी करना।

(3) बैठक का कार्यवाही विवरण तैयार करना एवं रिकार्ड रखना एवं साधारण जनता को अवलोकन उपलब्ध कराना।

(4) समिति के वित सम्बन्धी सभी आंकड़े तैयार करना।

(5) अधिकृत मामलो पर समिति की ओर से हस्ताक्षर करना।

(6) उसके विद्यालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी रिकार्ड सम्पत्ति की सुरक्षा हेतु वैधानिक एवं अन्य उत्तरदायित्व, जो भी आवश्यक हो, को निर्वहन करना।

(7) उन सभी मुद्दों की रिपोर्ट तैयार करना जो उसकी जानकारी में है तथा जिन्हें समिति की साधारण सभा/कार्यकारिणी समिति के समक्ष रखा जाना आवश्यक है।

15. कार्यकारिणी समिति का कार्यकाल :-

कार्यकारिणी के मनोनीत/निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष अथवा उस समय तक रहेगा जिस समय तक वे समिति के निर्वाचित/मनोनीत सदस्य रहेगे (उपरोक्त दोनों में से जो भी कम हो)।

16. कार्यकारिणी समिति के कार्य/कृत्य/कर्तव्य :-

कार्यकारिणी समिति के कार्यकृत्य/कर्तव्य परिशिष्ट-1 अनुसार होंगे।

17. कार्यकारिणी समिति की बैठकें –

1. कार्यकारिणी समिति की बैठक प्रत्येक माह अमावस्या के दिन आयोजित की जावेगी और अमावस्या के दिन अवकाश होने पर बैठक अगले कार्य दिवस को की जायेगी। यह बैठक विद्यालय परिसर, चौपाल अथवा किसी सुविधाजनक स्थान पर बुलाई जावे।

2. सदस्य सचिव अध्यक्ष से विचार विमर्श कर समिति की बैठक का समय व स्थान निर्धारित करेगा।

3. सदस्य मचिव कम से कम 4 दिन पूर्व बैठक की लिखित सूचना मय बैठक में विचारार्थ रखे जाने वाले बिन्दुओं की सूची के साथ सभी सदस्यों को भेजेगा। अध्यक्ष की अनुमति से एजेण्डा से अतिरिक्त बिन्दुओं पर भी चर्चा की जा सकेगी।

4. समिति की अत्यावश्यक बैठक कम से कम दो दिन की सूचना पर भी बुलाई जा सकती है।

5. जिला शिक्षा अधिकारी (प्रा.शि.) को किसी भी एक समय समिति की बैठक बुलाने का निर्देश देने का अधिकार होगा, जिसकी अनुपालना अध्यक्ष/सदस्य सचिव द्वारा एक सप्ताह में करना अनिवार्य होगा।

6. समिति की बैठक में निर्णय यथा संभव सर्व सम्मति से व सर्व सम्मति नहीं होने पर निर्णय होगा। बहुमत से होगा ।

7. विद्यालय प्रबन्धन समिति के गठनीसंचालन सम्बन्धी विवादों को निपटाने के लिए ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी एवं ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रकरण रैफर किये जाने पर जिला शिक्षा अधिकारी (प्रा.शि.) उत्तरदायी/अधिकृत होगा तथा जिला शिक्षा अधिकारी (प्रा.शि.) का निर्णय अंतिम होगा।

18. कोरम

कार्यकारिणी समिति के कुल सदस्यों की संख्या के एक तिहाई से अधिक सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक होगी।

19. अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में अपनाई जाने वाली कार्यविधि –

अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों की अनुपस्थिति में समिति का कोई अन्य माता-पिता या संरक्षक सदस्य अध्यक्षता हेतु चुना जावे, जिसे ऐसा करने के लिए बाकी उपस्थित सदस्य चुने।

20. एजेण्डा बिन्दु/मुद्दों पर निर्णय की विधि –

समिति के सम्मुख आने वाले सभी मुद्दा/एजेण्डा बिन्दुओं पर निर्णय सामान्यतया सर्व सम्मति से होगा, परन्तु सर्व सम्मति के अभाव में निर्णय उपस्थित सदस्यो के बहुमत के आधार पर होगा ।

21. वोटिंग की विधि –

1. सभी सदस्यों को वोट करने का समान अधिकार प्राप्त है।

2. वोटिंग हाथ खड़ा कर की जायेगी परन्तु समिति किसी अन्य विधि से भी चुनाव/वोटिंग कर सकती है।

3. बराबर मत आने की स्थिति में बैठक का अध्यक्ष निर्णायक मत देगा।

22. निर्णयों का संधारण –

1. समिति की बैठकों में लिये गये सभी निर्णयों का संधारण सदस्य सचिव द्वारा रजिस्टर में किया जायेगा तथा समिति की कार्यकारिणी की बैठक में पढ़कर सुनाया जाकर सदस्यों के हस्ताक्षर रजिस्टर मैं लिये, जायेगे।

2. साधारण सभा के सभी सदस्यों को सभी निर्णयों का अवलोकन करने हेतु रिकार्ड विद्यालय में उपलब्ध रहेगा।

23. सदस्यता की समाप्ति –

1. पदेन सदस्यों के अतिरिक्त अन्य सदस्यों का अधिकतम कार्यकाल दो वर्ष अथवा संबंधित सदस्यों के कार्यकारिणी समिति का सदस्य रहने तक ही होगा (दोनों में से जो भी पहले हो)

2. निम्न कारणों के आधार पर भी कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की सदस्यता स्वतः ही समाप्त हो जायेगी।

•यदि सदस्य समिति की तीन क्रमिक बैठकों में अनुपस्थित रहे।

• समिति के अन्तर्गत आने वाले किसी मुद्दे से सम्बन्धित भ्रष्टाचार में लिप्त हो।

• किसी भी कारणवश सदस्य की संतान उस विद्यालय का विद्यार्थी ना रहे।

• कानून द्वारा दोषी ठहराया गया हो।

24. रिक्त पदों को भरना –

1. यदि किसी सदस्य का कार्यकाल उसके द्वारा धारित पद रिक्त होने के कारण समाप्त हो जावे तो रिक्त होने वाले पद को समिति द्वारा उप नियमों का पालन करते हुए भरा जायेगा।

2. सदस्यता समापन के कारण रिक्त हुए पद पर निर्वाचित/मनोनीत सदस्य का कार्यकाल उस सदस्य के बचे हुये कार्यकाल जितना ही होना तथा निर्वाचन/मनोनयन उस वर्ग से ही किया जायेगा जिस वर्ग का पद रिक्त हुआ हो।

25. समिति का कोष-

समिति द्वारा विकास कोष व परिचालन कोष अलग-अलग निम्न प्रकार से संचित किये जावेगे-

(1) विकास कोष –

1. राज्य सरकार केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाओं के अन्तर्गत प्राप्त राशि।

2. अभिभावकों व नागरिको से विकास कार्यों हेतु प्राप्त अनुदान/सहायता।

3. अन्य पूंजीगत प्रकृति की आय।

4. सक्षम सरकार स्थानीय प्राधिकारी/संस्था/निकाय अथवा अन्य किसी स्त्रोत से प्राप्त सहायता/अनुदान।

नोट – यदि विकास कोष में योगदान सामग्री के रूप में प्राप्त होता है तो उसके अनुमानित मूल्य का हिसाब भी लेखों में रखा जावेगा तथा सामग्री की स्टॉक एण्ट्री स्टॉक रजिस्टर में की जावेगी।

(2) परिचालन कोष –

1. चन्दा ।

2. अन्य अपूंजीगत प्राप्तियां।

(3) 1. उक्त प्रकार से दोनों कोषों की संचित राशि किसी राष्ट्रीयकृत अथवा सहकारी बैंक में समिति के नाम से खोले गये खाते में रखी जायेगी एवं लेखा जोखा एक ही रोकड बही के माध्यम से संधारित किया जायेगा।

2. अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव के संयुक्त हस्ताक्षरों से बैंक से लेन देन संभव होगा ।

3. विद्यालय प्रबन्धन समिति की बैठकों में प्रत्येक खर्चे एवं आय के बारे में विचार विमर्श किया जाकर आय व व्यय का अनुमोदन किया जाना चाहिए।

26. लाभ पर प्रतिबन्ध

विद्यालय की किसी सम्पति/आय को विद्यालय प्रबन्धन समिति के सदस्य या अन्य किसी व्यक्ति को प्रत्यक्षापरोक्ष रूप से ना तो भुगतान किया जावेगा, ना दिया जावेगा अथवा स्थानान्तरित किया जायेगा।

27. कार्यालय पत्र व्यवहार एवं संविदा –

1. विद्यालय प्रबन्धन समिति का सदस्य सचिव विद्यालय की ओर से समस्त कार्यों के निर्वहन के लिए समिति से पूर्व में अनुमोदन लेकर लिखित इकरारनामे पर हस्ताक्षर करने हेतु अधिकृत होगा।

2. समिति के समस्त कार्यालयी पत्र व्यवहार पर सदस्य सचिव हस्ताक्षर करने हेतु अधिकृत होगा।

28. समिति के गठन सम्बन्धी दिशा निर्देशों में परिवर्तन –

समिति के गठन में आवश्यकतानुसार राज्य सरकार के निर्देशानुसार व राज्य सरकार की पूर्वानुमति से परिवर्तन अथवा संशोधन किया जा सकेगा।

29. समिति का विघटत.

यदि समिति का विघटन आवश्यक हुआ तो समिति की समस्त चल व अचल सम्पति समान उद्देश्य वाली समिति को हस्तान्तरित कर दी जायेगी। विद्यालय प्रबन्धन समिति को विद्यालय की चल व अचल सम्पति को बेचने, रखने तथा अन्यथा खुर्द बुर्द करने का अधिकार नहीं होगा। समस्त सम्पत्तियों का स्वामित्व राज्य सरकार का ही रहेगा।

30. संस्था के लेखे-जोखे का निरीक्षण –

स्थानीय प्राधिकारी, राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार के प्रतिनिधियों को समिति के रिकार्ड का निरीक्षण करने का पूर्ण अधिकार होगा व उनके द्वारा दिये गये सुझावों की पूर्ति की जावेगी।

विद्यालय प्रबन्धन समिति के कार्य/कर्तव्य/कृत्य –

1. विद्यालय के क्रियाकलापों/कार्यकरण को मॉनीटर करना

  • विद्यालय के आस-पडौस में रहने वाली आबादी/जनता को बाल अधिकारों की सामान्य एवं रचनात्मक तरीकों से जानकारी देना तथा साथ ही राज्य सरकार स्थानीय प्राधिकारी, विद्यालय, माता-पिता, अभिभावक एवं संरक्षक के कर्तव्यों की जानकारी देना।
  • समिति विद्यालय में नियुक्त अध्यापकों के विद्यालय में उपस्थित. होने में नियमितता एवं समय पालन, माता-पिता और संरक्षको के साथ नियमित बैठक करना और बालक के बारे में उपस्थिति में नियमितता, शिक्षा ग्रहण करने का साम्य, शिक्षण में की गई प्रगति और किसी अन्य सुसंगत जानकारी . के बारे में अवगत कराना तथा शिक्षक/शिक्षिकाओं द्वारा प्राइवेट ट्यूशन या प्राइवेट क्रिया कलाप नहीं करना, सुनिश्चित करेगी।
  • दस वर्षीय जनसंख्या जनगणना, आपदा (विभीषिका) राहत कर्तव्यों या यथा स्थिति, स्थानीय संस्थाओं/निकायों या राज्य विधान मण्डलों या संसद के निर्वाचनों से सम्बन्धित कर्तव्यों से भिन्न किसी गैर शैक्षणिक प्रयोजनों के लिये शिक्षिको को अभिनियोजित नहीं किये जाने को सुनिश्चित करेगी/मॉनीटरिंग करेंगी।
  • विद्यालय के आस पडौस के 6-14 आयु वर्ग के सभी बालको के विद्यालय में नामांकन तथा उनकी सतत उपस्थिति को सुनिश्चित करेगी।
  • विद्यालय के लिये राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मान एव मानको की पालना पर निगरानी रखेगी।
  • बाल अधिकारों के हनन विशेषकर बालको को भौतिक एवं मानसिक प्रताडना सम्बन्धी प्रकरणों, प्रवेश नहीं दिये जाने, नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध कराने सम्बन्धी प्रावधानों के उल्लंघन सम्बन्धी प्रकरणों को स्थानीय प्राधिकारी के ध्यान में लायेगी।
  • आवश्यकताओं का चिन्हीकरण करते हुए योजना का निर्माण करेगी तथा 6-14 आयु वर्ग के विद्यालय में कभी भी प्रवेश न लेने वाले (नेवर एनरोल्ड) तथा ड्रॉप आउट बालकों के लिए किये गये शिक्षा व्यवस्था संबंधी प्रावधानों की क्रियान्विति पर निगरानी रखेगी।
  • विशेष आवश्यकता वाले एवं अधिगम अक्षम बालको के चिन्हीकरण, उसके विद्यालय में नामांकन, सीखने हेतु सुविधाये उपलब्ध कराने पर निगरानी रखेगी तथा गतिविधियों में उनकी भागीदारी तथा प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करना सुनिश्चित करेगी।
  • विद्यालय में मध्यान्ह भोजन योजना के क्रियान्वयन पर निगरानी रखेगी।
  • विद्यालय की आय एवं व्यय का वार्षिक लेखा तैयार करेगी। विद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों की नियमित समीक्षा कर शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाना।
  • राज्य सरकार/सर्व शिक्षा अभियान अथवा अन्य प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी दिशा निर्देशों की पालना सुनिश्चित करते हुए विद्यालय में भौतिक व्यवस्थायें जैसे – खेल मैदान, बाउण्डरी वॉल, कक्षा कक्ष, सुविधायें, फर्नीचर एवं पीने के पानी आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
  • समय-समय पर विद्यालय के बालको के स्वास्थ्य की जांच करवाना तथा बच्चो के लिए नियमित स्वास्थ्य कैम्पों का आयोजन करवाना।
  • समय-समय पर ड्रॉप आउट दर पर नजर रखना तथा सभी बालकों का विद्यालय मैं नामांकन एवं ठहराव सुनिश्चित करना, इसके लिए नि:शुल्क पाठ्य पुस्तको के वितरण, शिक्षण सामग्री, शालागणवेशं आदि समय पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था करना।
  • अभिभावकों एवं अध्यापको की समय-समय पर संयुक्त बैठक आयोजित करना एवं उन बैठकों में रिपोर्ट कार्ड उपलब्धि स्तर, कक्षा कार्य एवं गृहकार्य आदि के सम्बन्ध में विचार विमर्श करते हुए सुधार हेतु आवश्यक कार्यवाही करना।
  • विद्यालय में आयोजित होने वाले विभिन्न राष्ट्रीय, क्षेत्रीयं पंर्वों, निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण, छात्रवृत्ति वितरण, विद्यालय का सत्र प्रारंभ होने, दीपावली एवं शीतकालीन अवकाश के प्रारंभ एवं पश्चात विद्यालय में आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेना एवं समाज के सभी वर्गों को इन कार्यक्रमों में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करना ।

2. विद्यालय के विकास हेतु विकास योजना तैयार करना और इसकी सिफारिश करता –

  • विद्यालय प्रबन्धन समिति, उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति से तीन माह पूर्व जिसमें उसका प्रथम बार गठन हुआ है एक विद्यालय विकास योजना का निर्माण करेगी।
  • उपरोक्त विद्यालय विकास योजना एक तीन वर्षीय योजना होगी, जो अगले तीन वर्ष की तीन वार्षिक योजनाओं को मिलाकर बनायी जायेगी।
  • विद्यालय विकास योजना में निम्नानुसार विस्तृत जानकारियां शामिल की जायेगी।

(अ) प्रत्येक वर्ष का कक्षावार अनुमानित नामांकन।

(ब) राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मान एवं मानको के आधार पर तीन वर्ष की अवधि के लिये कक्षा 1 से 5 एवं कक्षा 6 से 8 के लिए पृथक-पृथक अतिरिक्त अध्यापकों, विषय अध्यापकों एवं अंशकालीन अध्यापकों की आवश्यकता।

(स) राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मान एवं मानकों के अनुसार तीन वर्ष की अवधि के लिए अतिरिक्त भौतिक संसाधनों एवं उपकरणों की आवश्यकता।

(द) उपरोक्त बिन्दु (ब) व (स) की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु तीन वर्ष की अवधि में वर्षवार अतिरिक्त वित्तीय आवश्यकताये। इन आवश्यकताओं के अन्तर्गत विधेयक की धारा 4 के अन्तर्गत ऐसे बालको, जिन्हें 6 वर्ष से अधिक की आयु होने पर भी विद्यालय में प्रवेश नहीं दिया गया हो अथवा यदि प्रवेश दिया गया हो तो उसने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी नहीं की हो तो उसको उसकी आयु के अनुसार कक्षा में प्रवेश देने पर अन्य बालको के समकक्ष रहने के लिए आवश्यक विशेष प्रशिक्षण सम्बन्धी व्यय, बालको बते नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें, गणवेश उपलब्ध कराने पर होने वाला व्यय तथा विधेयक के प्रावधानों के अन्तर्गत विद्यालय की जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु आवश्यक हो।

  • उपरोक्त आधारों पर तैयार की गई विद्यालय विकास योजना पर विद्यालय प्रबन्धन समिति के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष एवं सदस्य सचिव के हस्ताक्षर होने चाहिए तथा इसे वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पूर्व स्थानीय प्राधिकारी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

3. समुचित सरकार या स्थानीय प्राधिकारी / संस्था /निकाय अथवा किसी अन्य स्रोत से प्राप्त अनदान/ सहायता राशियों के उपयोग को मॉनीटर करना –

  • परिचालन मद में आय व व्यय का जायजा लेना। किसी विशेष मद में आय वांछनीय व्यय से कम होने पर माता-पिता या संरक्षकों से वितीय सहयोग लेने पर विचार कर वितीय सहयोग की राशि के प्रस्ताव साधारण सभा को अनुमोदनार्थ प्रस्तुत करना ।
  • विद्यालय एवं विद्यालय प्रबन्धन समिति के समस्त कोषों एवं सम्पत्तियों का परिवीक्षण करना।
  • विद्यालय एवं समिति के वार्षिक आय व्यय का लेखा जोखा रखना।
  • प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित विभिन्न बाहमय सहायता प्राप्त परियोजनाओं, केन्द्र प्रवर्तित कार्यक्रमों एवं केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग से संचालित योजनाओं/कार्यक्रमों यथा सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत विद्यालयों के विकास, भवन निर्माण, मरम्मत एवं रखरखाव, शिक्षण अधिगम सामग्री, शिक्षण अधिगम उपकरण विद्यालय फैसिलिटी ग्राण्ट, टीएलएम ग्राण्ट एवं अन्य ग्राण्टस आदि अन्य मदों के अन्तर्गत उपलब्ध कराई गई राशियो/प्रावधानों से निर्माण/विकास कार्य करवाना एवं ग्राण्टस का राज्य सरकार/सर्व शिक्षा अभियान, अन्य प्राधिकृत संस्था द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार उपयोग सुनिश्चित करना।

4. ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करना जो विहित किये जाये –

  • विद्यालय प्रबन्धन समिति ऐसे अन्य कार्यो/कृत्यों की पालना करेगी जो सक्षम सरकार द्वारा विहित किये जाये।
  • विद्यालय प्रबन्धन समिति स्वयं के आर्थिक स्त्रोंतो से अपने स्तर पर आवश्यकतानुसार स्थानीय व्यक्तियों/अध्यापकों/सहायकों की सेवाओं हेतु पूर्णतया अस्थायी व्यवस्था कर सकती है लेकिन इसका भार किसी भी स्थिति में राज्य सरकार पर नहीं पड़ना चाहिए।