20. दिवालियापन एवं अभ्यस्त ऋणग्रस्तता ( कर्जदारी) –

1. प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अभ्यस्त कर्जदार बनने की स्थिति को रोकेगा।

2. जब किसी सरकारी कर्मचारी को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है अथवा न्यायालय ऐसा फैसला दे देता है और जब ऐसे सरकारी कर्मचारी के वेतन का यथेष्ट भाग लगातार दो वर्ष से अधिक की अवधि तक कुर्क रहता है अथवा जब उसका वेतन एक ऐसी रकम के लिए कुर्क किया जाता है जो सामान्य परिस्थितियों में दो वर्ष की अवधि में नहीं चुकाया जा सके तो उसको निष्कासित (बर्खास्त) करने के योग्य माना जावेगा।

3. जब ऐसा सरकारी कर्मचारी, सरकार की स्वीकृति से या उसके द्वारा ही निष्कासित किये जाने योग्य और अन्य प्रकार से नहीं, यदि वह दिवालिया घोषित कर दिया गया है, तो ऐसा मामला सरकार को भेजा जाना चाहिये और यदि केवल वेतन का भाग ही कुर्क किया गया है तो उस मामले पर सरकार को प्रतिवेदन (रिपोर्ट) की जावेगी।

4. किसी अन्य सरकारी कर्मचारी के संबंध में ऐसा मामला उसके कार्यालय या विभाग के अध्यक्ष, जिसमें वह नियोजित है, को भेजी जानी चाहिए ।

5. जब किसी अधिकारी के वेतन का कुछ भाग कुर्क कर लिया गया है, तो प्रतिवेदन में यह वर्णित होना चाहिए कि कर्ज का वेतन से क्या अनुपात हैं, उससे सरकारी कर्मचारी की कार्य कुशलता पर क्या प्रभाव पडता हैं, क्या कर्जदार की स्थिति असाध्य हैं, और क्या उस मामले की परिस्थितियों में उसे उसके स्वंय के अथवा किसी अन्य पद पर रखना वांछनीय हैं, जबकि यह मामला प्रकाश में आ गया है।

6. इस नियम के अन्तर्गत प्रत्येक मामले में यह बात सिद्ध करने का भार उस कर्जदार पर होगा कि दिवालियापन अथवा कर्जदारी ऐसी परिस्थितियों का परिणाम हैं, जो कि साधारण चतुरता दिखाने के बाद भी कर्जदार पहले से उन्हें नहीं आंक सका अथवा जिन पर उसका कोई नियन्त्रण नहीं था और यह कर्जदारी उसकी फिजूल खर्ची या अन्य आदतों के कारण नहीं हुई।

21. चल, अचल और बहुमूल्य सम्पति-

(1) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी किसी सेवा या पद पर उसकी नियुक्ति या उसके बाद ऐसे अन्तराल से जो सरकार विनिर्दिष्ट करें, अपनी सम्पति एवं दायित्वों का (निम्न के बारे में) पूरा विवरण सरकार द्वारा प्रपत्र *[क एवं ख] में प्रस्तुत करेगाः

*(17. जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 )(30) कार्मिक / क- 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।)

(क) उसके द्वारा उत्तराधिकार में प्राप्त या उसके स्वयं द्वारा अर्जित या उसके द्वारा पट्टे या बन्धक पर धारित अचल सम्पति, चाहे स्वयं के नाम पर हो या उसके परिवार के किसी सदस्य के नाम पर या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर,

(ख) उसके द्वारा उत्तराधिकार में प्राप्त या इसी प्रकार से उसके द्वारा अर्जित, प्राप्त या धारित शेयर, डिबेन्चर या रोकड मय बैंक डिपोजिट्रस के

(ग) अन्य चल सम्पति जो उसके द्वारा उत्तराधिकार में प्राप्त, या उसके द्वारा अर्जित, प्राप्त या धारित हो।

(घ) उसके द्वारा प्रत्यक्ष में या परोक्ष मे लिए गए ऋण और अन्य देनदारियाँ।

(2) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी, निर्दिष्ट प्राधिकारी के ध्यान में लाए बिना अपने स्वयं के नाम से या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम से कोई अचल सम्पति, पट्टे, बन्धक, खरीद, विक्रय, उपहार या अन्य प्रकार से प्राप्त या विसर्जित नहीं करेगा:

परन्तु यह है कि यदि ऐसा कार्य निम्न प्रकार का हो, तो निर्दिष्ट प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त की जावेगी।

(i)सरकारी कर्मचारी के साथ शासकीय कार्यकलाप से सम्बद्ध व्यक्ति के साथ, या

(ii) किसी नियमित या प्रतिष्ठित व्यवहारी (डीलर) के द्वारा नहीं हो।

*(3) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अपने स्वामित्वाधीन या उसके द्वारा स्वंय अपने नामों या अपने कुटुम्ब के किसी सदस्य के नाम में धारित जंगम संपति से सम्बन्धित प्रत्येक लेन-देन की रिपोर्ट विहित प्राधिकारी को करेगा यदि ऐसी सम्पति का मूल्य ऐसे सरकारी कर्मचारी की दशा में **[दो माह की बेसिक वेतन से अधिक है]

परन्तु विहित प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी प्राप्त की जायेगी यदि ऐसा कोई लेन-देन

(i) ऐस व्यक्ति के साथ है जिसका सरकारी कर्मचारी के साथ शासकीय व्यवहार है, या

(ii) किसी नियमित या प्रतिष्ठित व्यवहारी की मार्फत न होकर अन्यथा किया गया है।

*(G.S.R. 82 & 55, dated 17-8-2001.)

**(Noti. No. F.9(5)(30)DOP(A-3)/2004 dated 5-4-2012.)

(4) सरकारी का निर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय किसी सामान्य या विशेष आदेश द्वारा किसी सरकारी कर्मचारी से, ऐसे आदेश में वर्णित अवधि के भीतर, उसके द्वारा या उसकी ओर से या उसके परिवार के किसी सदस्य द्वारा जैसा कि उस आदेश में वर्णित हो, धारित या प्राप्त ऐसी चल या अचल सम्पति की पूर्ण एवं सम्पूर्ण स्थिति का विवरण मांगा जा सकता है। ऐसे विवरण में यदि सरकार या निर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा चाहा जावे तो, उन साधनों या स्त्रोंतों का विवरण सम्मिलित होगा, जिनसे ऐसे सम्पति प्राप्त की गई।

(5) उपनियम (4) के अतिरिक्त इस नियम के किसी प्रावधान से सरकार, अधीनस्थ, लिपिक और चतुर्थ श्रेणी सेवाओं के सरकारी कर्मचारियों की किसी श्रेणी को इस प्रावधान से मुक्त कर सकती है। ऐसी छूट, येनकेन कार्मिक (क-3) विभाग की सहमति के बिना नहीं दी जावेगी।

22. सरकारी कर्मचारी द्वारा अभ्यावेदन-

कोई सरकारी कर्मचारी सरकार को या किसी अधीनस्थ प्राधिकारी को, समय-समय, पर इस संबंध में सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट ऐसे नियमों, आज्ञाओं या विनियमों के अनुसार के अलावा, कोई अभ्यावेदन प्रस्तुत नहीं करेगा।

23. सरकारी कर्मचारी के कार्य और चरित्र का प्रतिशोध (निराकरण)-

कोई सरकारी कर्मचारी, सरकार की पूर्व अनुमति के अतिरिक्त, किसी शासकीय कार्य जो कि प्रतिकूल आलोचना की विषय सामग्री रहा हो या अपमानजनक प्रकार का आक्रमण हो, के प्रतिशोध (स्पष्टीकरण या निराकरण) के लिए किसी न्यायालय या प्रेस (समाचार-पत्रों) का सहारा नहीं लेगा ।

24. गैर सरकारी या अन्य प्रभाव का प्रयोग-

कोई सरकारी कर्मचारी सरकार के अधीन अपनी सेवा के संबंधी मामलों के बारे में अपने हितों को बढ़ावा देने के लिए किसी उच्च प्राधिकारी पर दबाव डालने के लिए कोई राजनैतिक या अन्य प्रभाव नहीं लायेगा, न लाने की (ऐसी) कोशिश करेगा।

*25. विवाहन के संबंध में निबंधन-(1) कोई सरकारी कर्मचारी किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह नहीं करेगा जिसका कोई पति या पत्नी जीवित है।

(2) कोई सरकारी कर्मचारी, जिसका कोई पति या पत्नी जीवित है, किसी व्यक्ति से विवाह नहीं करेगा।

परन्तु यह कि सरकार किसी सरकारी कर्मचारी को ऐसे किसी विवाह की, जैसा कि उप नियम (1) या उप-नियम (2) में निर्दिष्ट है, अनुज्ञा दे सकेगी, यदि उसका इस बात से समाधान हो जाय कि-

(क) ऐसा विवाह ऐसे सरकारी कर्मचारी और विवाह के अन्य पक्षकार के लिए लागू व्यक्तिगत विधि के अधीन अनुज्ञेय है, और

(ख) ऐसा करने के लिए अन्य आधार है।

(3) कोई सरकारी कर्मचारी जिसका भारतीय राष्ट्रीयता वाले से भिन्न किसी व्यक्ति से विवाह हुआ है या जो उससे विवाह करता है, इस तथ्य को तुरन्त सरकार को संसूचित करेगा।”

*(20. No.F.4(1)DOP/A-III/94 dated 17-8-2001)

*[25. (1) कोई सरकारी कर्मचारी:- (i) न कोई दहेज देगा या लेगा, न दहेज देने या लेने के लिए किसी को उकसाएगा, या (ii) किसी वर या वधू के माता-पिता या संरक्षक से, यथास्थिति, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में कोई दहेज की मांग नहीं करेगा ।* (21. Notification No. E.4(2)Karmik/A-III/76 dated 5-1-77)

*[(2) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी किसी पद पर अपनी नियुक्ति होने पर ग्रहण के समय या, यथास्थिति, अपने विवाह के एक मास के भीतर-भीतर अपने नियंत्रक प्राधिकारी को, अपने पिता, पत्नी और श्वसुर द्वारा हस्ताक्षरित इस प्रभाव की घोषणा प्रस्तुत करेगा कि उसने प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः और किसी भी रूप में दहेज नहीं लिया है। *(22. जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9 (5 ) (30 ) कार्मिक / क- 3 / 2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया ।)

*[25कक-कार्यरत महिलाओं के प्रति लैंगिक- उत्पीड़न का निषेध-

(1)कोई सरकारी कर्मचारी किसी महिला के प्रति उसके कार्यस्थान पर लैंगिक उत्पीड़न के किसी कृत्य में लीन नहीं होगा।

(2)प्रत्येक सरकारी कर्मचारी जो किसी कार्यस्थान का प्रभारी है, उसके ध्यान में लाये जाने पर ऐसे कार्य स्थान पर किसी महिला के लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए उचित कदम उठायेगा। *(G.S.R. 24; No. F.2(59)Karmik/Ka-3/97 dated 14-6-2000.)-

[25ग-लघु कुटुम्ब मानक-Deleted by Notification (24. F.9(5)(30)DOP/A-III/2004/Part dated 11-5-2016)]

*[25घ-बाल विवाह-ऐसा कोई भी सरकारी कर्मचारी, जो किसी भी प्रकार से बाल विवाह में भाग लेता है, उसकी संविदा करता है या बाल विवाह करता है, अनुशासनिक कार्यवाही के लिए दायी होगा। *(25. G.S.R. 38 and 58 No. F.9(5)(25)Karmik/Ka-3/ dated 26-6-2001)