14. चन्दा प्राप्त करना-

कोई सरकारी कर्मचारी, सरकार या उसके द्वारा विनिर्दिष्ट प्राधिकारी की पूर्व अनुमति (स्वीकृति) या आज्ञा के अतिरिक्त, न तो किसी प्रकार के चन्दे की मांग करेगा, न उसे स्वीकार करेगा या किसी भी उद्देश्य की पूर्ति में रोकड में या वस्तु के रूप में किसी चन्दे ( निधि) या अन्य प्रकार के धनसंग्रह में स्वयं को किसी अन्य प्रकार से सम्बद्ध नहीं करेगा ।

15. उपहार (भेंट)-

(1) इन नियमों में वर्णित प्रावधानों के अतिरिक्त कोई सरकारी कर्मचारी कोई उपहार स्वीकार नहीं करेगा या अपने परिवार के किसी सदस्य को या उसकी ओर से किसी व्यक्ति को कोई उपहार स्वीकार करने की अनुमति नहीं देगा।

(2) ऐसे अवसरों पर, जैसे-विवाह, वर्षगांठ, दाह संस्कार या धार्मिक उत्सवों पर, जब उपहार देना प्रचलित धार्मिक या सामाजिक प्रथा के अनुसार हो, तो एक सरकारी कर्मचारी अपने निकट संबंधियों से उपहार स्वीकार कर सकेगा और यदि उस उपहार का मूल्य (निम्न से) अधिक हो, तो सरकार को इसकी सूचना देगा-

*[(i) किसी राज्य सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में एक हजार रूपये, *( GSR 82 and 55 dated 17-8-2001.)

(ii) किसी अधीनस्थ सेवा के पद या लिपिकवर्गीय सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में पांच सौ रूपये, और

(iii) किसी चतुर्थ श्रेणी सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में दो सौ रूपये।]

(3) ऐसे अवसरो परः जिनका वर्णन (उपरोक्त) उपनियम ( 2) में किया गया है, एक सरकारी कर्मचारी अपने निजी मित्रों से, जो उसके राजकाज से सम्बद्ध नहीं हो, कोई उपहार स्वीकार कर सकेगा, परन्तु (निम्न) मूल्य से अधिक उपहार की सूचना सरकार को भेजेगा।

*(i) किसी राज्य सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में चार सौ रूपये, *(परिपत्र सं. प. 9(50 ) कार्मिक / क- 1 /98 दिनांक 7 जून 2006.)

(ii) किसी अधीनस्थ सेवा के पद या लिपिकवर्गीय सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में दो सौ रूपये, और

(iii) किसी चतुर्थ श्रेणी सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में एक सौ रूपये।

(4)अन्य किसी प्रकरण में कोई सरकारी कर्मचारी उपहार सरकार की अनुमति के बिना स्वीकार नहीं करेगा, यदि उसका मूल्य (निम्न से) अधिक हो:

*[(i) किसी राज्य सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में एक सौ पचास रूपये, *(15. GSR 82 and 55 dated 17-8-2001.)

(ii) किसी अधीनस्थ या लिपिकवर्गीय या चतुर्थ श्रेणी सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में पचास रूपये ]

16. सरकारी कर्मचारियों के सम्मान में सार्वजनिक प्रदर्शन-

नियुक्ति प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना, कोई सरकारी कर्मचारी कोई प्रशंसा पत्र या अभिनन्दन पत्र प्राप्त नहीं करेगा या कोई प्रमाण पत्र स्वीकार नहीं करेगा या अपने सम्मान में या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी के सम्मान में आयोजित किसी सभा या मनोरंजन में भाग नहीं लेगा।

परन्तु यह है कि इस नियम में से कुछ भी (निम्न पर) लागू नहीं होगा-

(i) किसी सरकारी कर्मचारी के स्वयं के या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी के सेवानिवृत या स्थानान्तरित होने या किसी व्यक्ति के द्वारा सरकारी सेवा छोड़ने पर उसके सम्मान में आयोजित कोई विदाई समारोह; या

(ii) सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा आयोजित ऐसे साधारण तथा मितव्ययी आयोजनों को स्वीकार कराना।

17. शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश लेने एवं उपस्थित होने पर प्रतिबन्ध-

कोई सरकारी कर्मचारी जो सेवा में हो, सम्बन्धित विभागाध्यक्ष की पूर्व अनुमति के बिना, किसी शिक्षण संस्थान में किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय की किसी परीक्षा की तैयारी के उद्देश्य से प्रवेश नहीं लेगा, न उपस्थित होगा और न ऐसी परीक्षा में सम्मिलित होगा.

परन्तु यह है कि-

(i) इस नियम का कोई प्रावधान तब लागू नहीं होगा, जब कि कोई सरकारी कर्मचारी राजस्थान सेवा निमयों के अधीन, विद्यालय या कॉलेज के पूरे सत्र के लिए, जिसमें वह ऐसी तैयारी करता है, अपनी बकाया छुट्टी के लिए आवेदन करता है और उसे (ऐसी) छुट्टी स्वीकार कर दी गई हो।

(ii)कोई सरकारी कर्मचारी जो ( 1955 में या इसके पहले) कोई प्रथम खण्ड परीक्षा उत्तीर्ण हो, उसे नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उसके कार्यालय के समय के बाद किसी शिक्षण संस्थान में ऐसी प्रथम खण्ड परीक्षा के बाद की द्वितीय खण्ड (फाइनल) की अन्तिम परीक्षा की तैयारी व प्रवेश लेने व उपस्थित होने की अनुमति दी जा सकेगी ।

(iii) किसी सरकारी कर्मचारी को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय की मैट्रिक परीक्षा या किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय की किसी अन्य परीक्षा की तैयारी के उद्देश्य से किसी शिक्षण संस्थान में कार्यालय समय के बाद उपस्थित होने या परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकेगी ।

(iv) एक अध्यापक या पुस्तकालयध्यक्ष, शिक्षा विभाग के नियमों एवं विनियमों की सीमा में रहते हुए और राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, पुरातत्व विभाग की सेवा के सदस्यों को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उच्चतर मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय की मैट्रिक परीक्षा में किसी उच्चतर परीक्षा या उसके समकक्ष घोषित किसी अन्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकेगी ।

(v) एक तकनीकी अधिकारी को भी, विभागीय नियमों की सीमा में रहते हुए कार्यालय के समय के बाद, किसी उच्च तकनीकी अध्ययन के उद्देश्य से किसी तकनीकी संस्थान में प्रवेश लेने व उपस्थित होने और किसी तकनीकी परीक्षा में बैठने की अनुमति नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा दी जा सकेगी।

18. निजी व्यापार या नियोजन-

कोई सरकारी कर्मचारी, सरकार की पूर्व अनुमति के सिवाय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कोई व्यापार या वाणिज्य या कोई अन्य नियोजन (नौकरी) नहीं करेगाः-

परन्तु यह है कि कोई सरकारी कर्मचारी, बिना स्वीकृति के सामाजिक या धार्मिक प्रकार का कोई अवैतनिक कार्य या साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक प्रकार का सामयिक कार्य कर सकेगा । इस शर्त पर कि- उससे उसके सरकारी कर्तव्य में कोई बाधा न आवे, परन्तु यदि सरकार द्वारा निर्देश दिया जाय तो ऐसा कार्य नहीं करेगा या उसे करना बन्द कर देगा ।

19. विनियोजन और उधार का लेनदेन:

(1) कोई सरकारी कर्मचारी किसी स्टाक, शेयर या अन्य विनियोग मे सट्टा नहीं करेगा।

(2) कोई सरकारी कर्मचारी न तो स्वंय कोई ऐसा विनियोग करेगा या न अपने परिवार के किसी सदस्य को या अपने ओर से किसी व्यक्ति को ऐसा करने की अनुमति देगा, जिससे उसके शासकीय कर्तव्य के पालन में उसे उलझन या प्रभाव में आना पड़े।

(3) यदि कोई प्रश्न उठे कि- कोई कार्य उपनियम (1) या उप नियम ( 2 ) में वर्णित प्रकार का है या नहीं तो इस पर सरकार का निर्णय अन्तिम होगा।

(4)(i) कोई सरकारी कर्मचारी, साधारण व्यापारिक कार्य के दौरान किसी बैंक या प्रतिष्ठित फर्म जो बैंक का कार्य करने के लिए अधिकृत हो, के अतिरिक्त, स्वयं या अपने परिवार के किसी सदस्य द्वारा या उसकी ओर से कार्य करने वाले किसी (प्रतिनिधि) व्यक्ति के द्वारा निम्न कार्य नहीं करेगा-

(क) स्वामी या प्रतिनिधि के रूप में किसी व्यक्ति को या व्यक्ति से रूपये उधार लेना या देना, जो उस सरकारी कर्मचारी के प्राधिकार की स्थानीय सीमाओं में रहता हो या जिसके साथ उसका शासकीय कार्यकलाप हो या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ अन्य किसी प्रकार के वित्तीय-दायित्व के अधीन होना, या

(ख) किसी व्यक्ति को ब्याज पर या किसी प्रकार से रूपयों में या वस्तु के रूप में प्राप्ति के लिए रूपये देनाः

परन्तु यह है कि सरकारी कर्मचारी छोटी राशि का अस्थाई ऋण मय ब्याज के या बिना ब्याज के किसी संबंधी या निजी मित्र को दे सकेगा या उससे प्राप्त कर सकेगा, या किसी सद्भावी व्यापारी के साथ उधार खाता रख सकेगा या अपने निजी नौकरों को अग्रिम वेतन दे सकेगा।

(ii) जब कोई सरकारी कर्मचारी की इस प्रकार के पद पर नियुक्ति या स्थानान्तरण होता हैं, जिससे उपनियम ( 2 ) या उपनियम (4) के किसी उपबन्ध का उल्लंघन होता हो, तो वह तुरन्त निर्दिष्ट प्राधिकारी को उन परिस्थिति की रिपोर्ट देगा और उसके बाद प्राधिकारी द्वारा दी गई ऐसी आज्ञा करेगा।

*(5) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी उसके द्वारा दिए गए या लिए गए प्रत्येक ऋण के बारे में चाहे वह अपने नाम से हो या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम से हो, यदि ऐसे ऋण की राशि 5000 रूपये से अधिक हो, तो नियम 21 के अधीन स्पष्टीकरण (2) में विहित प्राधिकारी को इसकी एक माह के भीतर सूचना देगा। *(16. No. F. 4(Karmik)A-Ili/78 dated 22-3-80.)