7. राजनीति तथा चुनाव में भाग लेना-

(1) कोई सरकारी कर्मचारी किसी राजनैतिक दल या किसी (ऐसे) संगठन का सदस्य नहीं बनेगा या अन्य प्रकार से उससे सम्बद्ध नहीं होगा, जो राजनीति में भाग लेता है और न वह किसी राजनैतिक आन्दोलन या गतिविधि में भाग लेगा, न उसकी सहायता के लिए चन्दा देगा और न अन्य किसी प्रकार से मदद करेगा।

(2) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी का यह कर्तव्य होगा कि किसी ऐसे आन्दोलन या गतिविधि में जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विधि द्वारा स्थापित सरकार को उलटने (ध्वंस करने) में लगी हो, उसमें अपने परिवार के किसी सदस्य को भाग लेने, चन्दा देने या अन्य प्रकार से मदद करने से रोकने का भरसक प्रयास करेगा और जहां वह सरकारी कर्मचारी अपने परिवार के किसी सदस्य को ऐसे आन्दोलन या गतिविधि में भाग लेने, चन्दा देने या अन्य प्रकार से मदद करने में असमर्थ हो, तो वह इस प्रकार की सूचना राज्य सरकार को देगा।

(3) यदि कोई ऐसा प्रश्न उठता है कि कोई दल राजनैतिक दल या कोई संगठन राजनीति में भाग लेता है या कोई आन्दोलन या गतिविधि उपनियम (2) के क्षेत्र में आती है या नहीं, तो उस पर सरकार का निर्णय अन्तिम होगा।

(4) किसी विधायिका या स्थानीय प्राधिकारी के चुनाव में एक सरकारी कर्मचारी कोई प्रचार नहीं करेगा और इस संबंध में कोई हस्तक्षेप या अपने प्रभाव का उपयोग नहीं करेगा परन्तु यह है कि-

(i) एक सरकारी कर्मचारी जो ऐसे चुनाव में मत देने के योग्य है अपना मत दे सकेगा, परन्तु जहां वह ऐसा करें वह बात का संकेत नहीं देगा कि वह किसे मत देना चाहता है या मत दिया है।

(ii) एक सरकारी कर्मचारी द्वारा केवल इसलिए इस नियम के प्रावधानों को भंग करना नहीं माना जावेगा कि-उसने तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन या उसके द्वारा विनिर्दिष्ट कर्तव्य पालन में किसी चुनाव के सम्पादन में सहयोग दिया।

8. सरकारी कर्मचारियों द्वारा संघो की सदस्यता स्वीकार करना:-

कोई सरकारी कर्मचारी किसी ऐसे संघ (एसोसिएशन) में भाग नहीं लेगा और न उसका सदस्य बना रहेगा जिस (संघ) के उद्देश्य या गतिविधियां भारत की सार्वभौमिकता एवं एकता के हित के या लोक व्यवस्था या नैतिकता के प्रतिकूल (हानिकारक) हों।

9. (राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम  1971) प्रदर्शन एवं हड़ताले:-

कोई सरकारी कर्मचारी-

(i) किसी ऐसे प्रदर्शन में नहीं जुटेगा और न (उसमें) भाग लेगा जो भारत की सार्वभौमिकता और एकता के हितों, अन्य राज्यों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों, लोक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के विपरीत हो या जिसमें न्यायालयों का अपमान, मानहानि या किसी अपराध को प्रोत्साहन देना अन्तर्हित हो या

(ii) अपनी सेवा या किसी भी राज्य सरकारी कर्मचारी की सेवा से सम्बन्धित किसी मामले के बारे में किसी प्रकार की हड़ताल का सहारा नहीं लेगा और न उसके लिए (किसी को) उकसाएगा।

10. प्रेस या रेडियो से संबंध

(1) सरकार की पूर्व अनुमति के बिना, कोई सरकारी कर्मचारी किसी समाचार पत्र या किसी सावधिक प्रकाशन के पूर्ण या आंशिक स्वामित्व या संचालन या उसके सम्पादन या व्यवस्था में भाग नहीं लेगा ।

(2) कोई सरकारी कर्मचारी-

(क) सरकार की पूर्व अनुमति के बिना किसी रेडियो प्रसारण [या दूरदर्शन कार्यक्रम में भाग नहीं लेगा, या

(ख) अपने नियुक्ति प्राधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त किये बिना किसी समाचार पत्र या सावधिक पत्रिका में कोई लेख या पत्र बिना नाम के या अपने स्वयं के नाम से या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से (प्रकाशनार्थ) प्रेषित नहीं करेगा।

परन्तु यह है कि-ऐसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी, यदि ऐसा प्रसारण “[या दूरदर्शन कार्यक्रम] या ऐसा योगदान शुद्ध साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक प्रकार का हो और उसमें ऐसी कोई सामग्री न हो, जिसे प्रकट करने के लिए उस कर्मचारी को किसी विधि, नियम या विनियम द्वारा मनाकर दिया गया हो।

परन्तु आगे वह भी है कि यदि ऐसा प्रसारण *[या दूरदर्शन कार्यक्रम] या योगदान **[इस तथ्य का ध्यान दिये बिना कि वह सामग्री सरकारी स्त्रोतों की सहायता से तैयार की गयी है या अन्यथा] अन्य से सम्बन्धित सामग्री पर आधारित हुए हो तो उस पर कर्मचारियों द्वारा प्राप्त की जा सकने वाली शुल्क ही प्राप्त करेगा और वह अन्य असरकारी व्यक्ति को ऐसे प्रकरण या योगदान के लिए मिलने वाली अधिक राशि शुल्क के रूप में प्राप्त नहीं करेगा ।

**(Inserted by G.S.R. 82 dated 17-8-2001)

*(जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 )(30)कार्मिक / क- 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।)

11. (राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम  1971) सरकार की आलोचना

कोई सरकारी कर्मचारी, किसी आकाशवाणी प्रसारण में, या अपने स्वयं के नाम से या बिना नाम दिये या उपनाम से या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से प्रकाशित किसी प्रलेख में, या किसी अन्य संवाद में किसी प्रेस को या किसी सार्वजनिक भाषण में, तथ्य या अभिमत का ऐसा कोई कथन (बयान) नहीं देगा-

(i) जिसका केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार की किसी वर्तमान या नवीन नीति या कार्यवाही पर प्रतिकूल आलोचना का प्रभाव पड़ता हो ।

(ii) जो केन्द्रीय सरकार और राज्यों की किसी सरकार के बीच सम्बन्धों में उलझन उत्पन्न करने वाले हों।

(iii) जो केन्द्रीय सरकार और किसी मित्र – विदेश के बीच सम्बन्धों में उलझन उत्पन्न करने वाले हों।

परन्तु यह है कि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने कार्यालय की क्षमता (पदीय स्तर से) या उसे प्रदत कर्तव्य के समुचित पालन में दिये गये कथन या प्रकट किये गये विचारों पर इस नियम में से कुछ भी लागू नहीं होगा।

12. किसी समिति (कमेटी) या अन्य प्राधिकारी के समक्ष ( गवाही) देना

(1) कोई सरकारी कर्मचारी, उप नियम ( 3 ) में वर्णित की सीमा में रहते हुए, अपने नियुक्ति प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना किसी व्यक्ति, समिति या प्राधिकारी द्वारा की जा रही जांच में साक्ष्य नहीं देगा ।

(2) जहां उपनियम (1) के अधीन कोई अनुमति (स्वीकृति) दी गई हो, तो कोई सरकारी कर्मचारी ऐसा साक्ष्य देते समय सरकार या केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य राज्य की सरकार की नीति या किसी अनुमति या किसी अनुमति (स्वीकृति) की आलोचना नहीं करेगा।

(3) इस नियम में से कुछ भी निम्न पर लागू नहीं होगा-

(क) सरकार, संसद या राज्य विधानसभा द्वारा नियुक्त किसी प्राधिकारी के समक्ष किसी जांच में दिये गये साक्ष्य,

(ख) किसी न्यायिक जांच में दिए गए साक्ष्य, या

(ग) सरकार के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी के आदेश द्वारा की जा रही विभागीय जांच में दिये गये साक्ष्य ।

*13. अनाधिकृत रूप से संसूचना देना-

कोई सरकारी कर्मचारी, सरकार के किसी सामान्य या विशेष आदेश के अनुसरण में, सिवाय या उसे सौंपे गये कर्तव्यों के सद्भावनापूर्ण अनुपालन में के सिवाय, किसी ऐसे कर्मचारी या किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई शासकीय दस्तावेज या उसका कोई भाग अथवा सूचना नहीं देगा, जिसे वह ऐसा दस्तावेज या सूचना देने के लिए प्राधिकृत नहीं है । *(12. GSR 55 and 82 dated 17-8-2001)