निदेशालय पेंशन एवं पेंशनर्स कल्याण विभाग, राजस्थान, जयपुर पेंशनर्स (नागरिक) अधिकार पत्र

प्रस्तावना

राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है जहाँ सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों के पेंशन प्रकरणों के निस्तारण के लिये पृथक से पेंशन विभाग की स्थापना की गई है। पहले यह कार्य महालेखाकार, राजस्थान द्वारा किया जाता था, किन्तु सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों को सुविधा देने के पुनीत उद्देश्य से 01.12.1979 को पेंशन निदेशालय की स्थापना की गई। कार्य विस्तार एवं सुविधा की दृष्टि से वर्ष 1993-94 में जोधपुर, उदयपुर, वर्ष 1994- 95 में कोटा, बीकानेर वर्ष 1995-96 में अजमेर तथा वर्ष 2014-15 में भरतपुर में क्षेत्रीय कार्यालय खोला गया वर्तमान में पेंशन प्रकरणों का निस्तारण क्षेत्रवार हो रहा है विभागाध्यक्षों व अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के पेंशन प्रकरणों का निस्तारण निदेशालय पेंशन एवं पेंशनर्स कल्याण, राजस्थान, जयपुर कार्यालय द्वारा किया जाता है।

पेंशनर के हितार्थ सामान्य निर्देश

पेंशन विभाग द्वारा निष्पादित किये जाने वाले कार्य सभी आम नागरिकों से संबंधित न होकर केवल पेंशनरों से ही संबंधित हैं। अतः पेंशनर्स के हितों को पर्याप्त संरक्षण उपलब्ध हो, इसके लिये निम्नांकित सामान्य दिशा निर्देश प्रसारित किये हुये हैं:

  1. पेंशनर को सेवानिवृत्ति के 2 वर्ष पूर्व उसकी सेवानिवृत्ति की सूचना मिल जावे ।
  2. सेवानिवृत्ति से 1 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्ति आदेश की प्रति मिल जावे।
  3. सेवानिवृत्ति से 6 माह पूर्व पेंशन प्रकरण तैयार होकर पेंशन विभाग को प्रेषित हो जावे।
  4. सेवानिवृत्ति से 1 माह पूर्व पेंशन भुगतान आदेश एवं ग्रेच्युटी भुगतान आदेश की अधिकृतियाँ जारी हो जावे।
  5. आवेदन बाद समुचित समय में संशोधन अधिकृतियाँ जारी की जावे।

पेंशन विभाग का कार्यक्षेत्र

विभाग द्वारा मुख्यतः निम्नांकित कार्य निष्पादित किये जाते हैं:

  1. राज्य के सेवानिवृत्त अधिकारियों / कर्मचारियों की पेंशन /पारिवारिक पेंशन की मूल एवं संशोधित अधिकृतियाँ जारी करना।
  2. राज्य केडर के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के पेंशन प्रकरणों संबंधी अधिकृतियाँ
  3. स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन एवं नकद राशि अधिकृत करने संबंधी कार्य ।
  4. पुलिस पदक, विशिष्ट और प्रशंसनीय सेवाओं के लिए पेंशन संबंधी कार्य
  5. भूतपूर्व रियासतों के शासकों के हाउस होल्डर्स स्टाफ से संबंधित पेंशन के मामले ।
  6. भूतपूर्व रियासतों के कर्मचारियों के पेंशन प्रकरण।
  7. भूतपूर्व जागीर कर्मचारियों के पेंशन संबंधी कार्य।
  8. राजस्थान लोक सेवा आयोग, निर्वाचन आयोग, राजस्व मंडल, राजस्थान नहर मण्डल, कर बोर्ड आदि के अध्यक्ष एवं सदस्यों के पेंशन संबंधी कार्य।
  9. नगरपालिका/परिषदों, नगर निगम, राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, पंचायत समिति एवं जिला परिषद तथा नगर विकास न्यास के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन संबंधी मामले ।
  10. मृत्यु एवं सेवानिवृत्ति उपादान राशि अधिकृत करना।
  11. उपादान के कालातीत मामलों के पुनर्वैध करना।
  12. पेंशन अंशदान वसूली एवं सत्यापन का कार्य।
  13. सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना ।
  14. जीवनकालीन बकाया/ पेंशन बकाया के भुगतान की स्वीकृति जारी करना।
  15. विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर लम्बे समय से लम्बित पेंशन प्रकरणों के निस्तारण के प्रयास करना।
  16. सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन भुगतान संबंधी समस्याओं का निस्तारण।

पेंशनर के अधिकार / हित

कार्य/ पेंशन परिलाभपेंशन स्वीकृति हेतु जरूरी औपचारिकतायें / प्रपत्रअभियुक्ति  
पेंशन :-  (अ) अधिवार्षिकी पेंशन :- अधिवार्षिकी पेंशन ऐसे सरकारी कर्मचारी को स्वीकृत की जावेगी जो राजस्थान सेवा नियमों के अधीन अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु (वर्तमान में 60 वर्ष) को प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त होता है। परन्तु राजस्थान चिकित्सा सेवा (महाविद्यालय शाखा) के ऐसे चिकित्सा अधिकारियों के बारे में, जो एमबीबीएस डिग्री धारक हैं और राजस्थान चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा के ऐसे अधिकारियों के बारे में जो एमबीबीएस डिग्री धारक हैं, अधिवार्षिकी आयु 62 वर्ष होगी।  1. मूल सेवा पुस्तिका मय सत्यापन पेंशन कुलक
2. सेवानिवृत्ति आदेश (प्रारूप – 6) ।
3. अन्तिम वेतन भुगतान प्रमाण-पत्र ।
4. विभागीय अदेयता प्रमाण-पत्र।
5. वाहन अग्रिम/ भवन निर्माण अग्रिम अदेयता प्रमाण-पत्र।
6. वर्णात्मक नामावली मय संयुक्त फोटो।
7. सेवापुस्तिका के अन्त में पेंशन अवधारण हेतु वरिष्ठ लेखा कर्मी के वेतन नियतन के सही होने का प्रमाण-पत्र। 8. सेवानिवृत्ति से ठीक पहले प्राप्त कर रहे विशेष वेतन (यदि कोई हो) का सेवापुस्तिका में इन्द्राज। इस संबंध में सेवानिवृत्ति के ठीक पहले माह की औसत फलावट कर्मचारी को अधिक लाभप्रद हो, तो ऐसे मामले में लाभ जायेगा । वाली राशि को परिलब्धि माना जायेगा।
9. कर्मचारी की जन्म दिनांक प्रमाणित होनी चाहिये।
10. यदि पेंशनर वर्कचार्ज सेवा में रहा हो व सीपीएफ सदस्य रहा हो, तो नियोक्ता के अंशदान की (मय ब्याज) हस्तान्तरण प्रविष्टि बीमा विभाग से प्राप्त कर भिजवानी होगी।  
1. कार्यालय अध्यक्ष द्वारा पेंशन प्रकरण सेवानिवृत्ति तिथि से 6 माह पूर्व पेंशन विभाग में भिजवाया जाना चाहिये।
2. (i) यदि सरकारी कर्मचारी कम से कम 28 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण करने के पश्चात इन नियमों के प्रावधानों के अनुसार सेवानिवृत्त हो रहा है, तो पेंशन राशि की गणना उसकी सेवानिवृत्ति के ठीक पूर्व प्राप्त किये जा रहे वेतन जिसमें विशेष वेतन भी शामिल है, के पचास प्रतिशत तक के अधिकतम के अध्यधीन रहते हुए की जायेगी।
(ii) यदि सरकारी कर्मचारी 28 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण करने से पहले किन्तु 10 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण करने बाद इन नियमों क प्रावधानानुसार सेवानिवृत्त हो रहा है, तो पेंशन की राशि खण्ड (i) के अधीन स्वीकार्य राशि के अनुपात में होगी, जो किसी भी दशा में 8850/- से कम नहीं होगी।
3. पेंशन के लिये न्यूनतम 10 वर्ष की अर्हकारी सेवा होनी चाहिये। इसके अभाव में केवल सेवा ग्रेच्युटी ही स्वीकार्य है।
4. ऐसे सरकारी कर्मचारी को, जिसने 5 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण कर ली हो तथा जो नियम 54 के अनुसार पेंशन या ग्रेच्युटी के लिये पात्र हो चुका हो, उसे सेवानिवृत्ति होने पर अर्हकारी सेवा की प्रत्येक पूर्ण 6 माह की सेवा के लिये उसकी परिलब्धियों की 1/4 के बराबर (तथा उस दिन देय महंगाई भत्ते सहित) सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी स्वीकार की जायेगी किन्तु यह परिलब्धियों के 16.5 गुना की अधिकतम सीमा के अध्यधीन होगी परन्तु यह राशि रूपये 20.00 लाख से अधिक नहीं होगी।
5. 3 माह के बराबर या अधिक के वर्ष के भिन्नांश को पूर्ण आधे वर्ष के रूप में माना जावेगा।
6. पेंशन के लिये परिलब्धियों से तात्पर्य राजस्थान सेवा नियमों के नियम 7 (24) में यथा परिभाषित वेतन से अभिप्रेत सेवानिवृत्ति/ मृत्यु उपादान के लिये अनुज्ञेय महंगाई भत्ते की रकम को भी परिलब्धि का भाग माना जाता है।  

To be continued……