धरती धोरां री ओ हो धरती धोरां री
आ तो सुरगा ने शरमावे,
इ पर देव रमण ने आवे
इ रो जस नर नारी गावै धरती धोरां री
ओ हो धरती धोरां री…………………….।
सूरज कण-कण ने चमकावे,
चन्दो इमरत रस वरसावे
तारा निछरावळ कर ज्यावे धरती धोरां री………..।
काळा बादलिया गहरावे,
बिरखता घूघरिया घमकावे
बिजली डरती ओला खावे धरती धोरां री………….।
लुळ-लुळ बाजरियो लहरावे,
मक्की झालो दे र बुलावे।
कुदरत दोन्यु हाथ लुटावे धरती धोरां री……………।
पंछी मधरा-मधरा बोले,
मिसरी मीठे सुर सूं घोले
झीणो बायरियो पंपोले धरती धोरां री……………।
इ रा फल फुलड़ा मन भावन
इ रे धीणो आंगण-आंगण
बाजे सगला सूं बड़ भागण धरती धोरां री……….।
आबू आभे रे परवाणे,
लूणी गंगाजी ही जाणे
उबो जैसलमेर सिवाणे धरती धोरां री……………।