राजस्थान सरकार
वित्त विभाग
(नियम अनुभाग)

प. 2 (2) वित्त / नियम / 2021 जयपुर, दिनांक : 12 OCT 2021
अधिसूचना

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक एवं राजस्थान सेवा नियम, 1951 के नियम 21, 21B एवं 21C के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार, राजस्थान राज्य से संबंधित सेवाओं एवं पदों पर नियुक्त तथा अन्य सम्बद्ध व्यक्तियों के सामान्य प्रावधायी निधि के अभिदान के प्रयोजनार्थ निम्नलिखित नियम बनाती है।

1. शीर्षक एवं लागू होने की तिथि – (1) ये नियम राजस्थान राज्य कर्मचारी सामान्य प्रावधायी निधि नियम, 2021 कहलायेंगे।

( 2 ) ये नियम इस अधिसूचना के जारी होने की दिनांक से प्रभावी होगें।

2. परिभाषायें – इन नियमों में, जब तक संदर्भ द्वारा अन्यथा अपेक्षित न हों :

(1)खाता” से अभिप्राय विभाग के पास खाताधारक के उस खाते से है जिसमें विभाग द्वारा उसकी समस्त जमा राशि एवं ब्याज जमा किया जाता है एवं आहरण नामे लिखा जाता है।

(2) “खाताधारक” से अभिप्राय उस अभिदाता से है जिसका इन नियमों के अन्तर्गत खाता संधारित किया जायेगा।

(3) अभिदाता” से अभिप्राय उस कार्मिक से है जिसका अभिदान इन नियमों के अंतर्गत प्राप्त होगा जिसमें अन्य व्यक्ति भी सम्मिलित होंगे जिन्हें राज्य सरकार के सक्षम आदेशों से सम्मिलित किया गया है या सम्मिलित किया जाये।

(4) विभाग” से तात्पर्य राजस्थान सरकार के राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग से है।

(5) निदेशक” से अभिप्राय राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग के निदेशक से है एवं इसमें विभाग में नियुक्त वरिष्ठ अतिरिक्त / अतिरिक्त / संयुक्त / उप एवं सहायक निदेशक सम्मिलित हैं।

(6) “सरकार” से अभिप्राय राजस्थान सरकार से है।

(7) “कार्यालयाध्यक्ष” से अभिप्राय सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियम, 1993 के अन्तर्गत प्रावधित अथवा घोषित कार्यालयाध्यक्ष से है।

(8) “राज्य” से अभिप्राय राजस्थान राज्य से है।

(9) निधि से अभिप्राय सामान्य प्रावधायी निधि से है जिसमें विभाग द्वारा सामान्य प्रावधायी निधि योजना से सम्बंधित समस्त प्राप्तियां एवं भुगतान सम्मिलित है।

(10) “परिवार” से अभिप्राय:

(i) पुरुष अभिदाता” के मामले में पत्नी अथवा पत्नियां, माता-पिता, बच्चे, अवयस्क भाई, अविवाहित बहिनें, मृत पुत्र की विधवा एवं बच्चे और अगर अभिदाता के माता पिता जीवित नहीं है तो दादा-दादी । परन्तु अगर अभिदाता यह सिद्ध कर दे कि उसकी पत्नी न्यायिक रुप से उससे पृथक कर दी गई है या जिस समुदाय से वह सम्बंधित है, उस की रुढिजन्य विधि के अधीन वह भरण पोषण की हकदार नहीं रही है तो वह नियमों के अन्तर्गत परिवार की सदस्य तब तक नहीं मानी जायेगी जब तक कि अभिदाता बाद में निदेशक को इस सम्बंध में सदस्य माने जाने के लिए लिखित में सूचित नहीं कर देता है।

(ii)महिला अभिदाता” के मामले में पति, माता-पिता, बच्चे अवयस्क भाई, अविवाहित बहिनें, मृत पुत्र की विधवा एवं बच्चे और जहा पर माता पिता जीवित नहीं है तो दादा-दादी । परन्तु यदि अभिदाता द्वारा निदेशक को लिखित में अपने पति को परिवार से अपवर्जित करने की इच्छा अभिव्यक्त की जाती है तो पति इन नियमों के संदर्भ में अभिदाता के परिवार का सदस्य तब तक नहीं माना जायेगा जब तक कि अभिदाता बाद में ऐसी सूचना को लिखित में निरस्त नहीं कर दें।

(11) वेतन” से अभिप्राय राजस्थान सेवा नियम 1951 के अन्तर्गत परिभाषित वेतन से

(12) ई-पासबुक / पासबुक” से आशय उस पासबुक से है जो पासबुक के रूप में एसआईपीएफ पोर्टल पर प्रदर्शित होती है। इसमें वर्ष 2012 से पूर्व संधारित “पासबुक” भी सम्मिलित है जो अभिदाता को इन नियमों के अन्तर्गत विभाग / कार्यालयाध्यक्ष द्वारा जारी की गई है एवं सत्यापित की गई है और जो स्कैन्ड प्रति के रूप में एसआईपीएफ पोर्टल पर प्रदर्शित होती है।

(13) सामान्य प्रावधायी निधि योजना” से अभिप्राय इन नियमों में वर्णित सामान्य प्रावधायी निधि योजना से है जिनमें सामान्य प्रावधायी निधि-2004 (जीपीएफ-2004) एवं सामान्य प्रावधायी निधि सैब (जीपीएफ -सैब) भी सम्मिलित है।

( 14 ) सामान्य प्रावधायी निधि- 2004 (जीपीएफ-2004) से अभिप्राय इन नियमों में वर्णित दिनांक 1-1-2004 एवं इसके पश्चात् नियुक्त कर्मचारियों पर लागू सामान्य प्रावधायी निधि के योजना के प्रावधानों से है जब तक कि अन्यथा कोई प्रावधान नहीं किया जाये।

( 15 ) सामान्य प्रावधायी निधि-सैब (जीपीएफ-सैब)” से अभिप्राय राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, स्वायत्तषासी संस्थाए, बोडर्स एवं निगम के नियुक्त कर्मचारियों पर लागू सामान्य प्रावधायी निधि के योजना के प्रावधानों से है जब तक कि अन्यथा कोई प्रावधान नहीं किया जाये।

(16) एसआईपीएफ पोर्टल”:- यह एक विभागीय वेब बेस्ड सॉफ्टवेयर है जिसके माध्यम से सामान्य प्रावधायी निधि योजना के लेखों का संधारण, भुगतान तथा अभिदाता के सम्पूर्ण कार्यों का ऑनलाईन संधारण एवं निस्तारण किया जायेगा।

(17) “भुगतान प्रक्रिया” से अभिप्राय वह प्रक्रिया है जो राज्य सरकार के विभिन्न नियमों, आदेशों, एसआईपीएफ पोर्टल, आईएफएमएस तथा संबंधित अन्य आदेशों / प्रक्रियाओं से निर्धारित की जाये।

3. प्रावधायी निधि योजना में अभिदान (1) सामान्य प्रावधायी निधि योजना में अनिवार्य अभिदान :

(i) 01.01.2004 से पूर्व नियुक्त प्रत्येक कार्मिक जो सरकार में या जिला परिषद या पंचायत समिति या ऐसे विनिर्दिष्ट संस्थानों, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा इस विषयक आदेशों के अन्तर्गत विनिर्दिष्ट किया गया हो, में संस्थाई पद अथवा अस्थाई पद पर, जिसके स्थायी होने की संभावना हो, पर स्थायी रूप से अथवा अस्थाई रूप से नियुक्त हो अथवा अर्द्ध स्थाई / स्थाई वर्कचार्ज कर्मचारी विभाग की प्रावधायी निधि योजना में अनिवार्य रूप से अभिदान करेगा।

(ii) वह अभिदाता जो सेवा निवृति के बाद एक बार में एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए नियुक्त किये गये हो वे भी अभिदान करेंगे।

(2) सामान्य प्रावधायी निधि- 2004 एवं सामान्य प्रावधायी निधि-सैब (जीपीएफ-सैब) के कार्मिक सामान्य प्रावधायी निधि योजना में स्वैच्छिक अभिदान कर सकेंगे। यदि थे कार्मिक स्वैच्छिक अभिदान का विकल्प चुनते हैं तो भविष्य में अनिवार्य अभिदान किया जाना आवश्यक होगा। परन्तु यदि ये कार्मिक स्वैच्छिक अभिदान का विकल्प नहीं चुनते हैं तो राज्य सरकार के आदेशों के अनुरूप जो कटौती की जायेगी वही कटौती की जावेंगी।

4. सेवा निवृति पश्चात् खाताधारक को खाता चालू रखने का विकल्प –

(1) खाताधारक / राजस्थान कैडर के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी / राजस्थान उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को यह विकल्प होगा कि वह सेवानिवृत्ति के पश्चात् प्राप्त सेवानिवृति परिलाभों की राशि तक यथा सेवानिवृत्ति उपादान, पेंशन रूपान्तरण, उपार्जित अवकाश के नकदीकरण, प्रावधायी निधि स्वत्व राशि, बीमा स्वत्व राशि तथा राज्य सरकार द्वारा सक्षम आदेशों से अन्य राशि प्रावधायी निधि खाते में जमा करा सकेंगे। इस जमा राशि एवम् अर्जित ब्याज पर केन्द्र / राज्य सरकार द्वारा निर्धारित कर, यदि कोई हो, के भुगतान का उत्तरदायित्व संबंधित खाताधारक का होगा।

सेवानिवृत्ति के पश्चात् खाता बन्द होने की स्थिति में खाता पुनर्जीवित कर खाता जारी रखा जा सकेगा।

(2) राज्य सरकार द्वारा सक्षम आदेशों से अन्य कार्मिकों / पेंशनर को इस हेतु सम्मिलित किया जा सकेगा।

(3) नियम 4 (1) एवं (2) में उल्लेखित अवधि में खातेदार अपने खाते से आवश्यकतानुसार कुल जमा राशि की सीमा तक आहरित कर सकेगा।

5. नाम निर्देशन. – (1) निधि में सम्मिलित होते समय अभिदाता एक अथवा अधिक व्यक्तियों के पक्ष में एसआईपीएफ पोर्टल पर निर्धारित फील्ड में ऑनलाईन नाम निर्देशन करेगा, जिसे उसके खाते में जमा रकम के संदेय होने से पूर्व या जहां रकम संदेय हो गई हो तो उसके भुगतान होने से पूर्व अभिदाता की मृत्यु होने की दशा में निधि में जमा रकम प्राप्त करने का अधिकार होगा।

परन्तु यदि अभिदाता अवयस्क हो तो उसके वयस्क होने पर ही नाम निर्देशन किया जाना आवश्यक होगा। परन्तु नाम निर्देशन पंजीकृत कराते समय अभिदाता का परिवार होने की स्थिति में वह परिवार के सदस्य / सदस्यों के पक्ष में ही नाम निर्देशन कर सकेगा।

परन्तु यह भी कि निधि में सम्मिलित होने से पूर्व किसी अन्य प्रावधायी निधि में संदाय करने वाले अभिदाता द्वारा उस निधि में पंजीकृत करवाया गया नाम निर्देशन, यदि उस निधि में जमा राशि इस निधि में अन्तरित कर दी गई है, तो इन नियमों को अंतर्गत जब तक वह नया नाम निर्देशन नहीं करता, इन नियमों में किया हुआ माना जायेगा।

अभिदाता द्वारा विवाह पूर्व किसी भी व्यक्ति के पक्ष में किया गया नाम निर्देशन विवाह पश्चात् नया मनोनयन नहीं करने की स्थिति में उसके पत्नि / पति के पक्ष में स्वतः ही किया हुआ समझा जायेगा।

5. नाम निर्देशन. – (1) निधि में सम्मिलित होते समय अभिदाता एक अथवा अधिक व्यक्तियों के पक्ष में एसआईपीएफ पोर्टल पर निर्धारित फील्ड में ऑनलाईन नाम निर्देशन करेगा, जिसे उसके खाते में जमा रकम के संदेय होने से पूर्व या जहां रकम संदेय हो गई हो तो उसके भुगतान होने से पूर्व अभिदाता की मृत्यु होने की दशा में निधि में जमा रकम प्राप्त करने का अधिकार होगा।

परन्तु यदि अभिदाता अवयस्क हो तो उसके वयस्क होने पर ही नाम निर्देशन किया जाना आवश्यक होगा। परन्तु नाम निर्देशन पंजीकृत कराते समय अभिदाता का परिवार होने की स्थिति में वह परिवार के सदस्य / सदस्यों के पक्ष में ही नाम निर्देशन कर सकेगा।

परन्तु यह भी कि निधि में सम्मिलित होने से पूर्व किसी अन्य प्रावधायी निधि में संदाय करने वाले अभिदाता द्वारा उस निधि में पंजीकृत करवाया गया नाम निर्देशन, यदि उस निधि में जमा राशि इस निधि में अन्तरित कर दी गई है, तो इन नियमों को अंतर्गत जब तक वह नया नाम निर्देशन नहीं करता, इन नियमों में किया हुआ माना जायेगा।

अभिदाता द्वारा विवाह पूर्व किसी भी व्यक्ति के पक्ष में किया गया नाम निर्देशन विवाह पश्चात् नया मनोनयन नहीं करने की स्थिति में उसके पत्नि / पति के पक्ष में स्वतः ही किया हुआ समझा जायेगा।

(2) यदि अभिदाता उप नियम (1) के अन्तर्गत एक से अधिक व्यक्तियों का नाम निर्देशित करता है तो मनोनयन में प्रत्येक मनोनीत को प्राप्त होने वाली राशि या उसके भाग को इस प्रकार निर्दिष्ट करेगा कि निधि में किसी भी समय जमा उसकी सम्पूर्ण राशि इसके अन्तर्गत समाहित हो जाये।

(3) अभिदाता किसी भी समय पूर्व में किये गये नाम निर्देशन को निरस्त कर प्रावधानों के अनुरूप ऑनलाईन नया नाम निर्देशन कर सकेगा।

(4) अभिदाता नाग निर्देशन में प्रावधान कर सकता है कि :

(i) किसी विनिर्दिष्ट मनोनयन के संदर्भ में मनोनीत की अभिदाता से पूर्व मृत्यु हो जाने की स्थिति में उस मनोनीत के अधिकार मनोनयन प्रपत्र में निर्दिष्ट किये गए अन्य व्यक्ति / व्यक्तियों को हस्तान्तरित होंगे परन्तु यदि अभिदाता के परिवार में अन्य सदस्य है तो ऐसा मनोनयन परिवार के सदस्य / सदस्यों के लिए ही मान्य होगा। इस खण्ड के अन्तर्गत यदि अभिदाता ऐसा अधिकार एक से अधिक व्यक्तियों को प्रदान करता है तो वह ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त होने वाली राशि / भाग का निर्धारण इस प्रकार करेगा कि पूर्व में मनोनीत को प्राप्त होने वाली सम्पूर्ण राशि / भाग इसके अन्तर्गत समाहित हो जायें।

(ii) मनोनयन में किसी निर्दिष्ट आकस्मिक घटना के घटित होने की स्थिति में मनोनयन अवैध हो जायेगा।

परन्तु मनोनयन पंजीकृत कराते समय यदि अभिदाता के परिवार में केवल एक ही सदस्य है तो वह मनोनयन में प्रावधान करेगा कि खण्ड (i) में वैकल्पिक मनोनीत को प्रदत्त अधिकार परिवार के अन्य सदस्य / सदस्यों के परिवार में शामिल हो जाने पर अमान्य हो जायेंगे।

(5) ऐसे मनोनीत की मृत्यु की दशा में, जिसमें मनोनयन में कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया हो या किसी घटना के घटित होने पर मनोनयन अमान्य हो जाता है, इन नियमों के प्रावधानों के अन्तर्गत पुराना मनोनयन निरस्त करते हुए नया मनोनयन दर्ज करेगा।

(6) अभिदाता द्वारा किये गये मनोनयन एवं निरस्तीकरण ऑनलाइन मनोनयन एवं निरस्तीकरण के प्राप्त होने की तिथि से प्रभावी होगें।

(7)मनोनीत पर खातेदार की हत्या अथवा हत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप होने पर जीपीएफ खाते में जमा राशि का भुगतान न्यायालय का निर्णय होने तक लम्बित रखा जायेगा। न्यायालय का निर्णय होने पर यदि मनोनीत पर हत्या अथवा हत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप सिद्ध होता है तो जीपीएफ खाते में जमा राशि का भुगतान परिवार के अन्य सदस्यों को किया जायेगा। मनोनीत निर्देशिती पर हत्या अथवा हत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप सिद्ध नहीं होता है एवं सरकार आगे अपील में नहीं जाने का निर्णय लेती है तो जीपीएफ खाते में जमा राशि का भुगतान मनोनीत को किया जायेगा।

6. निधि का लेखा एवं इसका अंकेक्षण.– (1) अभिदाताओं से प्राप्त सभी प्राप्तियां सामान्य प्रावधायी निधि में जमा की जायेगी एवं सभी आहरण इस निधि के नामे लिखे जायेंगे।

( 2 ) सरकार प्रति वर्ष वित्तीय वर्ष के आरंभ में निधि के खाते में अवशेष जमा राशि पर एक वर्ष का एवं वर्ष के दौरान शुद्ध प्राप्तियों पर मासिक गुणन के आधार समय-समय पर निर्दिष्ट दर से ब्याज जमा करेगी। प्राप्ति / आहरण जिस तिथि को किया गया है, उसी तिथि के अनुसार ब्याज की गणना की जायेगी जब तक राज्य सरकार के अन्यथा कोई आदेश नहीं हो।

(3) निधि के खाते प्रति वर्ष 30 जून तक बंद किये जायेगें और महालेखाकार, राजस्थान द्वारा अंकेक्षित किये जायेंगे।

7. निधि की प्रशासनिक सूचना.- गत वित्तीय वर्ष के दौरान प्रावधायी निधि योजना की प्रशासनिक एवं कार्य कलापों की रिपोर्ट प्रति वर्ष 30 सितम्बर से पूर्व निदेशक द्वारा सरकार को प्रस्तुत की जायेगी।

8. अभिदाता द्वारा प्रथम जमा –

(1) सामान्य प्रावधायी निधि- 2004 एवं सामान्य प्रावधायी निधि सैब के अन्तर्गत आने वाले कार्मिक स्वैच्छिक अभिदान का विकल्प चुन कर प्रथम कटौती करा सकेंगे।

(2) यदि ये कार्मिक स्वैच्छिक अभिदान का विकल्प चुनते हैं तो भविष्य में अनिवार्य अभिदान किया जाना आवश्यक होगा।

(3) यदि ये कार्मिक स्वैच्छिक अभिदान का विकल्प नहीं चुनते हैं तो राज्य सरकार के आदेशों के अनुरूप जो कटौती की जायेगी वह इन कार्मिकों हेतु प्रथम कटौती होगी।

9. खाता संख्या एवं पास बुक.- (1) एसआईपीएफ पोर्टल के माध्यम से ऑन लाइन चेतन से प्रथम बार राशि कटौति उपरान्त जमा होने पर कर्मचारी को सिस्टम जनरेटेड खाता संख्या आंवटित होगी।

(2) दिनांक 01.04.2012 से पूर्व अभिदाता की जमा राशि का ई-पासबुक में इन्द्राज नहीं होने तक लुप्त कटौतियों के लिये कार्यालयाध्यक्ष / आहरण वितरण अधिकारी द्वारा सत्यापित पासबुक / एसआईपीएफ पोर्टल पर प्रदर्शित स्कैन्ड प्रति को अंतिम साक्ष्य के रूप में माना जायेगा।

(3) दिनांक 01.04.2012 के पश्चात अभिदाता के वेतन से की गई कटौती या कोष में जमा कराई गई राशियों का विवरण एसआईपीएफ पोर्टल के माध्यम से स्वतः ही विभागीय पोर्टल पर प्रदर्शित होगा।

10 खाते में जमा की जाने वाली राशि- (1) राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित दर से इन नियमों के नियम 3 (2) के अतिरिक्त कर्मचारियों द्वारा उनके वेतन से अनिवार्य मासिक अभिदाय किया जायेगा परन्तु निलम्बन की अवधि में अभिदाय की राशि की कटौती नहीं की जायेगी। जहां अभिदाता का वेतन कोष के माध्यम से वेतन बिल से आहरित नहीं किया जाता, वहां अभिदाय की निर्धारित राशि ऑन लाईन प्रक्रिया से जमा करवाई जायेगी

(2) राज्य सरकार द्वारा जमा कराये जाने के लिए आदेशित अन्य कोई राशि |

(3) बीमा परिपक्वता स्वत्व राशि, स्वैच्छिक तौर पर |

(4) उपरोक्त वर्णित राशि एवं अन्य अनिवार्य कटौतियों को कम करने के पश्चात वार्षिक परिलब्धियों में शेष राशि तक स्वैच्छिक तौर पर जमा कराई जा सकेगी।

11. जमा का बंद होना.

(1) अभिदाता की मृत्यु सेवा से त्याग पत्र, पदच्युत कर दिये जाने, हटाये जाने, सेवा निवृति से पूर्व अवकाश पर जाने पर कटौती बन्द हो जायेगी।

(2) अभिदाता की सेवानिवृति से एक माह पूर्व उसकी कटौती बंद हो जायेगी।

12. राशि जमा कराये जाने की प्रक्रिया (1) दिनांक 01.01.2004 के पूर्व नियुक्त कार्मिकों के लिए कार्यालयाध्यक्ष / आहरण वितरण अधिकारी संबंधित अभिदाता के वेतन से निर्धारित दर से मासिक अभिदाय की कटौती किया जाना सुनिश्चित करेंगे। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार के आदेशों से जमा राशि एवं अभिदाता द्वारा स्वयं के विकल्प के अनुसार जमा कराने हेतु प्रस्तावित राशि अभिदाता द्वारा जमा कराई जा सकेगी। यह राशि वर्ष के दौरान उसकी कुल वार्षिक परिलब्धियों में से उपरोक्त वर्णित राशि एवं अन्य अनिवार्य कटौतियों को कम करने के पश्चात शेष राशि की सीमा तक होगी। यह कटौतियां Integrated Financial Management System (IFMS) की निर्धारित प्रकियानुसार जमा कराई जा सकेंगी।

(2) सामान्य प्रावधायी निधि -2004 के अंतर्गत अभिदान करने वाले अंशदाता इस योजना में अभिदान हेतु विकल्प चुनते हैं तो वे कार्यालयध्यक्ष को ऑन लाइन एडवाइज़ प्रस्तुत करेंगे एवं कार्यालयध्यक्ष / आहरण वितरण अधिकारी संबंधित अभिदाता के वेतन से निर्धारित दर से मासिक अभिदाय की कटौती Integrated Financial Management System (IFMS ) की निर्धारित प्रकियानुसार वेतन / चालान से किया जाना सुनिश्चित करेंगे। इसके • अतिरिक्त राज्य सरकार के आदेशों से जमा राशि एवं अभिदाता द्वारा स्वयं के विकल्प के अनुसार जमा कराने हेतु प्रस्तावित राशि अभिदाता द्वारा जमा कराई जा सकेगी। यह राशि वर्ष के दौरान उसकी कुल वार्षिक परिलब्धियों में से उपरोक्त वर्णित राशि एवं अन्य अनिवार्य कटौतियों को कम करने के पश्चात शेष राशि की सीमा तक होगी।

(3) सामान्य प्रावधायी निधि योजना सैब के अंतर्गत अभिदान करने वाले अंशदाता इस योजना में अभिदान हेतु विकल्प चुनते हैं तो वे कार्यालयाध्यक्ष को ऑन लाइन एडवाइज़ प्रस्तुत करेंगे एवं कार्यालयध्यक्ष / आहरण वितरण अधिकारी संबंधित अभिदाता के वेतन से निर्धारित दर से मासिक अभिदाय की गासिक कटौती की जायेगी। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार के आदेशों से जमा राशि एवं अभिदाता द्वारा स्वयं के विकल्प के अनुसार जमा कराने हेतु प्रस्तावित राशि अभिदाता द्वारा जमा कराई जा सकेगी। यह राशि वर्ष के दौरान उसकी कुल वार्षिक परिलब्धियों में से उपरोक्त वर्णित राशि एवं अन्य अनिवार्य कटौतियों को कम करने के पश्चात शेष राशि की सीमा तक होगी।

13. ब्याज.- (1) ब्याज कब जमा किया जाता है –

(i) वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ में प्रारम्भिक शेष पर अप्रैल माह में अभिदाता के खाते में ब्याज जमा किया जायेगा। वित्तीय वर्ष के दौरान की गई जमाओं के लिये जिस माह में राशि जमा की गई है उसकी ब्याज की गणना मासिक गुणन के आधार पर आगामी माह में की जाकर अभिदाता के खाते में ब्याज जमा किया जायेगा। ब्याज की गणना करते समय आहरण को आहरित करने के माह में समायोजित किया जायेगा।

(ii) नियम 11 के प्रावधानों के अनुसार खाते में कटौती होना बंद हो जाने पर विभाग द्वारा भुगतान आदेश जारी करने के पूर्ववर्ती माह तक के ब्याज का भुगतान किया जायेगा।

(2) ब्याज की दर:- ब्याज की दर समय समय पर राज्य सरकार द्वारा जारी आदेशों के अनुसार निर्धारित की जायेगी।

(3) सभी प्रकार की जमा राशि एवं आहरण राशि पर जमा / आहरण माह से ब्याज की गणना की जायेगी। परन्तु इन नियमों के नियम 10(2) के अन्तर्गत राज्य सरकार के आदेशों द्वारा मंहगाई भत्ते की जमा होने योग्य राशि पर ब्याज की गणना मंहगाई भत्ते के आदेश प्रसारित किये जाने के माह से की जायेगी।

14. आहरण- (1) कोई भी अभिदाता वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ पर अपने खाते में जमा राशि का निम्नानुसार आहरण करने का पात्र होगा: (अ) बिना कारण बताये आहरण की स्थिति में :

क्र.स.आहरण प्रतिशतसेवा अवधि
110 प्रतिशत5 वर्ष से 15 वर्ष
230 प्रतिशत15 वर्ष से अधिक किन्तु 25 वर्ष से कम
340 प्रतिशत25 वर्ष से अधिक किन्तु 30 वर्ष से कम
450 प्रतिशत30 वर्ष से अधिक
590 प्रतिशतअभिदाता की अधिवार्षिकी सेवानिवृति से 60 माह अथवा उससे कम होने पर
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(ब) कारण उल्लेखित करने की स्थिति में आहरण:

क्र.स.आहरण प्रतिशतकारण
150 प्रतिशत1. अभिदाता स्वयं या उसके संतान की उच्च शिक्षा हेतु ।
2. वाहन क्रय ।
3. स्थाई उपभोग की वस्तुओं का क्रय
4. अभिदाता, उसके परिवार के सदस्यों या उस पर आश्रित माता-पिता की बीमारी पर व्यय ।
5. अन्य कारण जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर आदेशित किये जावें।
नोट- आहरण की सीमा हेतु वास्तविक व्यय अथवा जमा का 50 प्रतिशत जो भी कम हो तक की सीमा में ही आहरण किया जा सकेगा।
275 प्रतिशत1. भवन निर्माण, भू-खण्ड क्रय, आवास क्रय, फुलेट क्रय, निर्मित या अधिग्रहित भवन या आवास पुनर्निमार्ण, विस्तार, परिवर्धन, भू-खण्ड पर भवन निर्माण

2. अभिदाता की स्वयं या उसके पुत्रों / पुत्रियों की सगाई / विवाह हेतु।
3. अन्य कारण जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर आदेशित किये जावें।
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(2) आहरण हेतु राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग के स्तर पर किसी प्रकार की स्वीकृति एवं कोष कार्यालय स्तर पर जांच अथवा अधिकृति की कोई आवश्यकता नहीं रहेगी। बाधारहित आहरण Direct Benefit Transfer (DBT) / सर्वर सर्टिफिकेट के माध्यम से बैंक खाते में हस्तांतरित किया जा सकेगा।

(3) राज्य सरकार द्वारा समय समय पर आदेश जारी कर खातेदार के सेवाकाल / आयु के अनुसार आहरण की सीमा तथा आहरण के कारणों को संशोधित / पुनर्निर्धारित किया जा सकेगा।

(4) कोई भी अभिदाता अपने खाते से UPI (Unified Payments Interface ) के माध्यम से UPI की मानक शर्तों SOP (Standard Operating Procedures) के अनुसार भी आहरण कर सकेगा।

(5) अभिदाताओं को आहरण स्वीकृति / भुगतान के संबंध में निर्देशक के स्तर पर समय-समय पर यथावश्यक प्रक्रिया निर्धारित की जायेगी।

15. अभिदाता के सेवानिवृत्त अथवा सेवामुक्त होने पर खाता बंद होने की प्रक्रिया

 (1) अभिदाता के खाते में जमा राशि का मय ब्याज भुगतान हो जाने पर अभिदाता का खाता बंद कर दिया जायेगा।

(2) निर्देशक खाता बंद किये जाने वाले वर्ष के दौरान लिये गये आहरण को कम करते हुए अभिदाता के खाते में जमा राशि पर भुगतान करने के पूर्व माह तक के ब्याज सहित जमा राशि का भुगतान करेगा।

(3) दिनांक 1-4-2012 से पूर्व की लुप्त कटौतियों को कार्यालयाध्यक्ष / आहरण वितरण अधिकारी द्वारा प्रमाणित पासबुक में इन्द्राज अथवा GA 55A के माध्यम से अंतिम साक्ष्य माना जाकर पूर्ण किया जायेगा। इस हेतु प्रमाणित पासबुक अथवा GA 55A की स्केन्ड कॉपी ऑन लाईन एसआईपीएफ पोर्टल पर अपलोड की जा सकेगी।

(4) केवल मृत्यु के मामलों को छोड़कर अन्य समस्त मामलों में भुगतान अभिदाता को किया जावेगा। अभिदाता की मृत्यु की स्थिति में भुगतान नियम 16 के अनुरूप किया जायेगा।

(5) अंतिम भुगतान प्राप्त करने हेतु अभिदाता ऑनलाईन क्लेम रिक्वेस्ट के साथ undertaking हेतु निर्धारित चैक बॉक्स में राहमति प्रस्तुत करेगा जिसके अनुसार निधि से अधिक भुगतान होना पाये जाने पर राशि जीपीएफ की तत्समय प्रचलित ब्याज दर सहित एक मुश्त लौटाने हेतु बाध्य होगा।

15. अभिदाता के सेवानिवृत्त अथवा सेवामुक्त होने पर खाता बंद होने की प्रक्रिया

 (1) अभिदाता के खाते में जमा राशि का मय ब्याज भुगतान हो जाने पर अभिदाता का खाता बंद कर दिया जायेगा।

(2) निर्देशक खाता बंद किये जाने वाले वर्ष के दौरान लिये गये आहरण को कम करते हुए अभिदाता के खाते में जमा राशि पर भुगतान करने के पूर्व माह तक के ब्याज सहित जमा राशि का भुगतान करेगा।

(3) दिनांक 1-4-2012 से पूर्व की लुप्त कटौतियों को कार्यालयाध्यक्ष / आहरण वितरण अधिकारी द्वारा प्रमाणित पासबुक में इन्द्राज अथवा GA 55A के माध्यम से अंतिम साक्ष्य माना जाकर पूर्ण किया जायेगा। इस हेतु प्रमाणित पासबुक अथवा GA 55A की स्केन्ड कॉपी ऑन लाईन एसआईपीएफ पोर्टल पर अपलोड की जा सकेगी।

(4) केवल मृत्यु के मामलों को छोड़कर अन्य समस्त मामलों में भुगतान अभिदाता को किया जावेगा। अभिदाता की मृत्यु की स्थिति में भुगतान नियम 16 के अनुरूप किया जायेगा।

(5) अंतिम भुगतान प्राप्त करने हेतु अभिदाता ऑनलाईन क्लेम रिक्वेस्ट के साथ undertaking हेतु निर्धारित चैक बॉक्स में राहमति प्रस्तुत करेगा जिसके अनुसार निधि से अधिक भुगतान होना पाये जाने पर राशि जीपीएफ की तत्समय प्रचलित ब्याज दर सहित एक मुश्त लौटाने हेतु बाध्य होगा।

(2) अभिदाता द्वारा अपने पीछे परिवार न छोड़ने की दशा में :

(i) यदि नियम 5 के या इससे पूर्व प्रवृत्त तदनरूपी नियम के उपबन्धों के अनुसरण में किसी व्यक्ति या किन्हीं व्यक्तियों के पक्ष में अभिदाता द्वारा किया गया नाम निर्देशन अस्तित्व में हो तो निधि में अभिदाता के खाते में जमा रकम या उसका कोई अंश, जो नाम निर्देशन से सम्बंधित है, नाम निर्देशिति या नाम निर्देशितियों को नाम निर्देशन में विनिर्दिष्ट अनुपात में संदेय हो जावेगा।

(ii) अभिदाता के लापता होने पर खातेदार के विभाग द्वारा जारी सेवामुक्ति आदेश अथवा न्यायालय द्वारा मृतक घोषित किये जाने के आदेश प्राप्त होने पर जीपीएफ में जमा राशि का भुगतान किया जायेगा।

(iii) अभिदाता के खाते में जमा रकम के संदेय होने से पूर्व या जहां रकम संदेय हो गई है तो, संदाय होने से पूर्व अभिदाता की मृत्यु हो जाने पर वैध मनोनीत / दावेदार की ओर से प्रमाणिक दस्तावेजों के आधार पर एसआईपीएफ पोर्टल पर ऑनलाईन क्लेम रिक्वेस्ट • सबमिट की जायेगी और जांच उपरान्त पात्र होने पर संबंधित व्यक्ति / व्यक्तियों को दावे का संदाय किया जायेगा।

(iv) अभिदाता की मृत्यु होने पर अंतिम भुगतान हेतु मनोनीत / दावेदार ऑनलाईन क्लेम रिक्वेस्ट के साथ ऑन लाईन undertaking हेतु निर्धारित चैक बॉक्स में सहमति प्रस्तुत करेगा, जिसमें अंतिम भुगतान प्राप्त करने हेतु जिसके अनुसार निधि से अधिक भुगतान होना पाये जाने पर राशि जीपीएफ की तत्समय प्रचलित ब्याज दर सहित एक मुश्त लौटाने हेतु बाध्य होगा।

17. किसी भी न्यायालय द्वारा खाता अधिग्रहित / कुर्क न करना – इन नियमों के अनुसरण में सामान्य प्रावधायी निधि के अन्तर्गत भुगतान योग्य राशि अधिग्रहण और / या किसी डिकी के कियान्वयन के लिये कुर्की से मुक्त है और ऐसी सम्पूर्ण राशि इस तथ्य को नजर अंदाज करते हुए कि सरकारी कर्मचारी की मृत्यु हो जाने के कारण यह किसी अन्य व्यक्ति को देय है, अधिग्रहण से मुक्त रहेगी।

18. प्रबन्धन व्यय. – प्रावधायी निधि योजना के प्रबन्धन के लिए आवश्यक व्यय राशि सरकार द्वारा सरकार में जमा प्रावधायी निधि पर देय ब्याज के अतिरिक्त बजट में प्रावधित की जाकर उपलब्ध कराई जावेगी।

19. अन्तिम भुगतान के मामले मे शक्तियों का प्रत्यायोजन. (1) विभाग के संयुक्त / उप / सहायक निदेशक इन नियमों के नियम 15 एवं 16 के अन्तर्गत अंतिम भुगतान योग्य राशि पर भुगतान आदेश जारी करने के पूर्ववर्ती माह तक ब्याज स्वीकृत करने के लिए अधिकृत होंगे।

(2) इन नियमों के अन्तर्गत किसी व्यक्ति के अभिदाता होने के पात्र न होने की स्थिति में उससे प्राप्त राशि विभाग के संयुक्त / उप / सहायक निदेशक उक्त राशि विभाग में जमा रहने की अवधि के लिए विनिर्दिष्ट की गई दर से ब्याज सहित लौटाने के लिए अधिकृत होंगे।

20. निर्वचन– इन नियमों के निर्वचन के सम्बंध में यदि कोई संदेह उत्पन्न होता है तो राज्य सरकार के वित्त विभाग को निर्णय हेतु भेजे जायेंगे।

21. शिथिलता प्रदान करने की शक्ति जहां राज्य सरकार सन्तुष्ट है कि इन नियमों के क्रियान्वयन से किसी विशेष प्रकरण में अनावश्यक कठिनाई उत्पन्न होने पर, ऐसे प्रकरणों में वह कारणों को लिपिबद्ध करते हुए सम्बंधित नियम में आवश्यक सीमा तक वित्त विभाग की सक्षम सहमति से शिथिलन प्रदान कर सकती है।

22. प्रत्यायोजन की शक्तियां- राज्य सरकार अपने अधीनस्थ किसी भी अधिकारी को इन नियमों के अन्तर्गत नियम 15 एवं 16 के अतिरिक्त आवश्यक शर्तो के अध्यधीन, शक्तियों का प्रत्यायोजन कर सकेगी।

23. निरसन एवं व्यावृत्ति (1) समय समय पर संशोधित राजस्थान राज्य कर्मचारी सामान्य प्रावधायी निधि नियम, 1997, उस तिथि से, जिससे यह नियम प्रभावी होंगे, अप्रभावी हो जायेगे।

(2) इन अप्रभावी नियमों के अन्तर्गत किया गया कोई कार्य इस अप्रभाव को नजर अंदाज करते हुए, यह मानते हुए कि मानों वह इन नियमों के अन्तर्गत किया गया है, प्रभावी रहेगा।

24. कठिनाइयों के निराकरण की शक्तियां– यदि इन नियमों के लागू होने के पश्चात् पूर्व के नियमों के कारण अभिदाता को कोई कठिनाई होती है तो राज्य सरकार में यह शक्तियां होंगी कि वह विशिष्ट आदेश जारी कर इन कठिनाइयों का निराकरण कर सकेगी।

राज्यपाल की आज्ञा से
शासन सचिव, वित्त (बजट)