इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना Indira Gandhi Matritva Poshan Yojana Rajasthan (IGMPY)

1- प्रस्तावना :-

माननीय मुख्यमंत्री महोदय की वर्ष 2020- 21 की बजट घोषणा की पालना में राज्य के चार जनजातीय जिलों प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर तथा सहरिया बहुल जिला बारां में इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना प्रारंभ की गई है । योजना के क्रियान्वयन से इन जिलों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के प्रावधानों की पालना सुनिश्चित की जा सकेगी।

2- योजना का नाम एवं प्रवर्तन अवधि :-

योजना का नाम इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना Indira Gandhi Matritva Poshan Yojana (IGMPY) होगा। योजना दिनांक 19.11.2020 से प्रारंभ की गई है ।

3- योजना का प्रमुख उद्देश्य व लक्ष्य :-

इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना का प्रमुख उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं और 3 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार लाकर जन्म के समय कम वज़न और दुर्बलता की घटनाओं को कम करना है। इस योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA-2013) के प्रावधानों की पालना के साथ-साथ राजस्थान सरकार की कुपोषण निवारण रणनीति ‘सुपोषित राजस्थान – विजन 2022’ का लक्ष्य पूरा करने के लिए सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन संचार (Social and

Behaviour Change Communication- SBCC) रणनीति को अपनाना भी है। यह योजना महिला एवं बाल विकास विभाग के अन्तर्गत समेकित बाल विकास सेवाएं (ICDS) और चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की स्वास्थ्य प्रणाली का उपयोग करते हुए लागू की जाएगी।

4- योजना का क्षेत्र :-

इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना राज्य के चार जनजातीय जिलों प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर तथा सहरिया बहुल जिला बारां में लागू की जाएगी।

5- योजना का स्वरूप व देय लाभ :-

योजनान्तर्गत दूसरी संतान के जन्म पर लाभार्थियों को निम्नलिखित पांच चरणों में 6,000 रुपये का नकद लाभ दिया जायेगाः

शर्ते और किश्तें-

किश्तशर्तराशि
पहलीगर्भावस्था जांच व पंजीकरण (ANC & Registration) होने पर (अंतिम माहवारी तिथि से 120 दिनों के भीतर पंजीकरण होने पर )1,000  
दूसरीकम से कम 2 प्रसव पूर्व जांचें (ANC) पूरी होने पर (गर्भावस्था के 6 महीने के भीतर)1,000  
तीसरीबच्चे के जन्म पर, (संस्थागत प्रसव (Institutional Delivery) पर)1,000
चौथी  बच्चे के 31/2 माह (105 दिवस) की उम्र तक के सभी नियमित टीके लग जाने व नवजात बच्चे का जन्म पंजीकरण होने पर (टीकाकरण के अंतर्गत बच्चे को BCG, OPV, DPT और हेपेटाइटिस – बी या इसके समकक्ष विकल्प की पहली खुराक मिलने पर)2,000  
पांचवीं  द्वितीय संतान के उपरान्त दम्पती द्वारा संतान उत्पत्ति के 3 माह के भीतर स्थायी परिवार नियोजन साधन अपानाये जाने (PP Sterlisation) अथवा महिला द्वारा कॉपर टी (PPIUCD) लगवाया जाने पर1,000  
 कुल राशि6,000

निर्बन्धन एवं शर्ते :-

I. योजना हेतु ऐसी सभी महिलाओं का पात्र लाभार्थी माना जाएगा-
• जो 01.11.2020 को या उस तारीख के बाद से दूसरी संतान के साथ गर्भवती हैं
• अथवा उस तारीख के बाद दूसरी संतान के लिए प्रथम एएनसी के रूप में पंजीकृत हुई हैं।

II. लाभार्थी की गर्भावस्था की तारीख और चिकित्सा एवं एवं स्वास्थ्य विभाग के ऑनलाइन पोर्टल गर्भावस्था और बाल ट्रैकिंग प्रणाली (PCTS ) में दर्ज उसकी अंतिम माहवारी की तिथि (LMP) से गिनी जाएगी ।

III. जो महिलाएं केंद्र सरकार या राज्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में नियमित रूप से रोजगार में हैं या जो किसी अन्य लागू कानून के तहत इसी तरह का लाभ प्राप्त कर रहीं हैं, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

IV. जहां इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना के तहत पंजीकरण के बाद किसी लाभार्थी के गर्भ गिराने / चिकित्सा से गर्भ- समाप्ति (Medical Termination of Pregnancy-MTP)/मृत शिशु के जन्म की स्थिति होती है, वहाँ वह लाभार्थी भविष्य में गर्भधारण की स्थिति में भी द्वितीय संतान की स्थिति में लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र होगी, भले ही उसे पहले सभी किश्तों का लाभ मिल गया हो।

V. योजना की शर्तों को पूरा करते हुए, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता /आंगनवाड़ी सहायिका / आशा सहयोगिनी / साथिन भी इस योजना के तहत लाभ प्राप्त कर सकती हैं।

VI. कोई भी महिला एक साथ, इंदिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना (IGMPY) और समान शर्तों से जुड़ी प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना ( PMMVY) के किश्तों का लाभ नहीं ले सकती।

नोट:- यदि किसी चरण की पालना लाभार्थी द्वारा नहीं की गई है, तो उस चरण की देय राशि उसे प्रदान नहीं की जाएगी। परन्तु एक चरण के उपरान्त यदि अगले चरण में उसके द्वारा अगले चरण की शर्त पूरी की जाती है, तो उसे उस अगले चरण की राशि प्रदान की जाएगी।

7- योजना के अंतर्गत वित्तीय प्रबंधन :

योजना के अंतर्गत वित्तीय प्रबंधन में लाभार्थी को नकद लाभ हस्तांतरण राशि (Direct Benefit Transfer Cost- DBT) खान विभाग के अधीन राज्य स्तर पर निर्मित राज्य मिनरल फण्ड (SMF) से दी जाएगी । सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन संचार (Social and Behaviour Change Communication- SBCC) रणनीति हेतु भी इस कोष से राशि दी जा सकेगी।

योजना हेतु प्रशासनिक व्यय की राशि व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका को देय कार्य प्रोत्साहन राशि राज्य सरकार द्वारा अन्य मद से दी जाएगी । इस योजना हेतु राशि इंदिरा महिला शक्ति निधि (प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी महिला शक्ति निधि) के अंतर्गत प्राविधित की जा सकेगी।

योजना के संचालन में आवश्यक मानव संसाधन सहयोग हेतु योजना की सहभागी संस्था द्वारा आवश्यक व्यवस्था की जाएगी । योजना के प्रस्ताव के अनुसार सिफ (CIFF) संस्था द्वारा आईपीई ग्लोबल के माध्यम से योजना अवधि में निम्न मानव संसाधन उपलब्ध कराये जायेंगे –

क्र.सं.स्तरमानव संसाधन
1जिला स्तरीयजिला प्रोग्राम मैनेजर (DPM) – 1 जिला सूचना एवं डेटा मैनेजर (DIDM) – 1
2ब्लॉक स्तरीयब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर (BPM) -1
3सैक्टर स्तरीयसमुदायिक समन्वयक – आंगनवाड़ी केन्द्रों के क्लस्टर के लिए  

8- आवेदन/चयन प्रक्रिया एवं योजना का क्रियान्वयन :-

योजना में लाभार्थी के आवेदन / चयन प्रक्रिया ऑनलाईन होगी, जिसके लिए समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय के अंतर्गत एक सॉफ्टवेयर/पोर्टल विकसित किया जाएगा । इस ऑनलाइन व्यवस्था में मूलतः चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के गर्भावस्था, मातृत्व, जन्म एवं टीकाकरण के लिए विद्यमान तंत्र यथा – पीसीटीएस (PCTS) पोर्टल से API द्वारा डाटा इंटीग्रेशन करते हुए ऑनलाइन प्रविष्टि की जायेगी। इसके उपरान्त उसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता या आशा सहयोगिनी से आवश्यकतानुसार डाटा का प्रति-सत्यापन करते हुए चरणबद्ध रूप में निर्धारित राशि के भुगतान की व्यवस्था की जायेगी। लाभार्थी को राशि का भुगतान उसके स्वयं के खाते में किया जायेगा, जिसके लिए निर्धारित पेमेन्ट गेटवे का प्रयोग करते हुए भुगतान तंत्र विकसित किया जाएगा । नामांकित लाभार्थी को सत्यापित करने और कार्यक्रम की निगरानी के लिए समेकित डैशबोर्ड कार्यक्षमता के साथ एक एंड्रॉइड और वेब-आधारित प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) विकसित की जाएगी। यह प्रणाली समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय के अंतर्गत संचालित और प्रबंधित की जाएगी तथा इसे राज्य के स्टेट डाटा सेन्टर पर होस्ट किया जाएगा ।

योजना के समुचित क्रियान्वयन हेतु प्रकिया मार्गदर्शिका बनाई जाएगी, जिसमें प्रक्रिया संबंधी विस्तृत मार्गदर्शिका निर्धारित की जाएगी। योजना में आवेदन की सरलता तथा उनकी कार्ययोजना की बेहतर परिणाम देयता के लिए आमुखीकरण एवं मार्गदर्शन हेतु समुचित प्रशिक्षण दिया जाएगा। योजना के अंतर्गत पंजीकृत लाभार्थी की प्रत्येक MCHN दिवस, VHSN दिवस, पोषण दिवस, पोषाहार वितरण दिवस और ANC विजिट पर काउन्सलिंग की जाएगी, जब तक कि उसका बच्चा तीन साल का हो जाए । काउन्सलिंग के अंतर्गत लाभार्थी को चरणबद्ध रूप में गर्भावस्था, मातृत्व व शिशु के पालन – पोषण संबंधी जानकारी व उचित आहार-विहार का ज्ञान दिया जाएगा । इसी क्रम में गर्भावस्था के दौरान देखभाल पोषण का मातृत्व और शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में महत्त्व समझाने के लिए समुचित सूचना सामग्री, पुस्तिका, कार्ड आदि डिज़ाइन किया जाएगा । योजना में समस्त संबंधित कार्मिकों और मानदेयकर्मियों यथा- आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सहायिका, आशा सहयोगिनी, एएनएम एवं विभिन्न प्रशासनिक अधिकारियों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए योजना के सहभागी पार्टनर द्वारा समुचित सुविधा/सूचना सामग्री विकसित की जाएगी।

9 योजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु पर्यवेक्षण तंत्र :

महिला और बाल विकास विभाग योजना के क्रियान्वयन हेतु प्रशासनिक विभाग होगा । योजना के पर्यवेक्षण, मूल्यांकन व समीक्षा के लिए तीन स्तरीय प्रगति-समीक्षा तंत्र होगा, जिसका स्वरूप व बैठक संबंधी प्रावधान निम्नलिखित तालिका में वर्णित है:

क्र.संस्तरसमिति व बैठक
1राज्य स्तरमुख्य सचिव महोदय की अध्यक्षता में शासन सचिव, महिला एवं बाल विकास तथा प्रमुख शासन सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की अर्धवार्षिक बैठक  
2जिला स्तर  जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में उपनिदेशक, समेकित बाल विकास सेवाएं (DD, ICDS) एवं जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) की त्रैमासिक बैठक
3ब्लॉक स्तरबाल विकास परियोजना अधिकारी, समेकित बाल विकास सेवाएं (CDPO) की अध्यक्षता में ब्लॉक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी | (BCMO) की मासिक बैठक

इसमें आवश्यकतानुसार अन्य समय पर भी बैठक आयोजित की जा सकेगी । शासन सचिव, महिला एवं बाल विकास द्वारा इस संबंध में आवश्यकतानुसार बैठक आयोजित की जाएगी।

योजना की सहभागी संस्था द्वारा योजना के पर्यवेक्षण व मूल्यांकन के लिए आवश्यक तंत्र विकास में सहायोग प्रदान किया जाएगा। इसके लिए परिणाम व तुलनात्मक अध्ययन हेतु सूचना संबंधी समुचित कार्यवाही की जाएगी।

10 अन्य विविध बिन्दु :-

लाभार्थी अपनी शिकायतें राज्य के राजस्थान सम्पर्क पोर्टल के माध्यम से दर्ज कर सकेंगे। पीड़ित लाभार्थी, राजस्थान संपर्क  http://sampark.rajasthan.gov.in/ पर या वैकल्पिक रूप से 181 पर कॉल करके अपना मोबाइल नंबर, नाम, विवरण देते हुए शिकायत दर्ज कर सकेंगे, जिसकी समाधान प्रणाली समाधान प्रणाली के लिए राजस्थान संपर्क के अतिरिक्त भी समुचित ऑनलाईन तंत्र विकसित कर सकेगा ।