स्वास्थ्य का अधिकार (Right to Health Bill Rajasthan)

राजस्थान वासियों को मिला स्वास्थ्य का अधिकार (Right to Health Bill Rajasthan)

राजस्थान विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित करने वाला पहला राज्य बन गया, जो राज्य के प्रत्येक निवासी को सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाओं और रोगी विभाग (आईपीडी) सेवाओं का मुफ्त लाभ उठाने का अधिकार देता है।

राजस्थान राज्य के प्रत्येक निवासी को यह अधिकार प्राप्त होगा कि आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं बिना किसी पूर्व भुगतान के प्राप्त होगी साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता आएगी। इससे राज्य सरकार की प्रदेशवासियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता करवाने की प्रतिबद्धता सुनिश्चित होगी।

न केवल सम्पूर्ण भारत में बल्कि एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में इस प्रकार का स्वास्थ्य का अधिकार (Right to Health Bill Rajasthan) अपने नागरिकों को देने वाला राजस्थान पहला राज्य बना है। यह एक प्रकार को प्रगतिशील कानून है जो संविधान के अनुच्छेद 47 में नीति निर्देशक तत्व के अधीन स्वास्थ्य और कल्याण के अधिकार और उनकी पूर्ति और अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के अधिकार की विस्तारित परिभाषा के अनुरूप स्वास्थ्य के अधिकार को सुनिश्चित करता है।

स्वास्थ्य का अधिकार प्रावधान (Provisions of Right to Health bill Rajasthan)-

सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानों में उनमें उपलब्ध हैल्थ केयर लेवल के अनुरूप राज्य के प्रत्येक निवासी को सभी प्रकार की ओपीडी आईपीडी सेवाएं सलाह, दवाइयां, जांच, आपातकालीन परिवहन, प्रक्रिया और सेवाएं आपातकालीन केयर, निःशुल्क प्राप्त करने का अधिकार होगा।

राज्य के निवासियों को चिकित्सा संस्थान एवं डेजिग्नेटेड हैल्थ केयर सेन्टर में निर्धारित नियमानुसार निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने का अधिकार होगा। सड़क दुर्घटना के घायल व्यक्तियों को निर्धारित नियमानुसार निःशुल्क ट्रांसपोर्ट, इलाज एवं बीमा प्राप्त करने का अधिकार होगा।

प्रत्येक निवासी को रोग की प्रकृति, कारण, उसके लिए प्रस्तावित जांच और केयर, उसके उपचार के संभावित परिणामों, उसमें होने वाली संभावित जटिलताओं और उस पर आने वाले संभावित खर्चे के बारे में सुसंगत जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा ।

अपेक्षित फीस या चार्जेज का पूर्व भुगतान किए बिना राज्य के निवासियों को किसी दुघर्टनाजनित आपात स्थिति में राजकीय और डेजिग्नेटेड निजी अस्पताल में आपातकालीन उपचार एवं केयर प्राप्त करने का अधिकार होगा।

आपात स्थिति में एक्सीडेंटल ईमरजेंसी सर्प दंश / जानवर के काटने के कारण ईमरजेंसी और स्टेट हैल्थ ऑथिरिटी द्वारा डिसाइड आपात स्थिति को शामिल किया गया है।

 एक्सीडेंटल ईमरजेंसी से तात्पर्य अनजाने या अप्रत्याशित तरीके से कोई घटना घटित होने के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मौत होने या चोट लगने के जोखिम से है। इसमें सड़क, रेल, जल या वायु दुर्घटना शामिल है।

 ईमरजेंसी केयर से तात्पर्य किसी दुर्घटना या आपराधिक घटना या किसी प्रकार की अन्य आपात स्थिति में घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार सलाह और सहायता देना शामिल है।  ईमरजेंसी प्रसूति केयर भी इसमें शामिल है जिसके अनुसार गर्भावस्था व प्रेगनेंसी की जटिलता से ग्रसित महिला का उपचार करना शामिल है।

प्राथमिक उपचार में किसी दुर्घटना / क्रेश / आपराधिक घटना या किसी अन्य आपात स्थिति में घायल व्यक्ति को दिए जाने वाले निर्धारित उपचार से पूर्व उसकी स्थिति को स्टेबल बनाये रखने के लिए मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े किसी व्यक्ति द्वारा दिए जाने वाले उपचार को शामिल किया गया है।

स्टेबलाइजेशन से तात्पर्य है किसी घायल व्यक्ति को निर्धारित उपचार स्थल तक उसके लिए निर्धारित उपचार के लिए भेजने से पूर्व दिए जाने वाले ऐसे चिकित्सकीय उपचार से है जिससे उसकी स्थिति को स्थिर किया जा सके और उसके लिए निर्धारित इलाज से पूर्व उसको होने वाले किसी नुकसान को रोका जा सके।

किसी घायल व्यक्ति के उपचार के लिए आवश्यक स्थानांतरण और परिवहन भी इसमें शामिल है। यदि कोई चिकित्सा विधिक (मेडिको लीगल) मामला है तो कोई हैल्थ केयर प्रोवाइडर या संस्थान पुलिस अनापत्ति या पुलिस रिपोर्ट प्राप्ति के आधार पर राज्य के निवासी के उपचार में विलम्ब नहीं कर सकता है। आपात स्थिति में उपचार के पश्चात यदि उपचार करवाने वाला व्यक्ति चिकित्सा संस्थान को निर्धारित शुल्क या चार्जेज का भुगतान नहीं करता है तो सरकार द्वारा इसका पुर्नभरण किया जाएगा।

रोगी के रिकॉर्ड जांच रिपोर्टों तथा विस्तृत मदवार बिलों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। हैल्थ केयर देने वाले व्यक्ति का नाम, उसकी प्रोफेशनल स्टेटस और जॉब चार्ट के बारे में जानने का अधिकार होगा।

किसी पुरूष प्रेक्टिशनर द्वारा किसी महिला रोगी के शारीरिक परीक्षण के दौरान अन्य महिला की उपस्थिति का अधिकार होगा। किसी उपचार या निर्धारित जांचों के लिए पूर्व सूचित सहमति देने का अधिकार होगा। किसी अन्य चिकित्सा संस्थान में वैकल्पिक उपचार चयन करने का अधिकार होगा।

धर्म, लिंग, मूलवंश, जाति, आयु, जन्म स्थान के भेदभाव के बिना तथा किसी बीमारी या अवस्था की दशा में राज्य के निवासी को बिना किसी भेदभाव के उपचार प्राप्त करने का अधिकार होगा।

राज्य के निवासी को चिकित्सा संस्थान में उपलब्ध प्रत्येक प्रकार की सेवाओं और सुविधाओं के रेट और चार्जेज जानने का अधिकार होगा। दवा प्राप्त करने या जांच करवाने का स्थान चयन करने का अधिकार होगा।

किसी अन्य चिकित्सक या संस्थान से सेकेण्ड ओपिनियन लेने के लिए जिस चिकित्सा संस्थान में उपचार चल रहा है उससे उपचार रिकॉर्ड और सूचना प्राप्त करने का अधिकार होगा । चिकित्सक की सलाह के विरूद्ध यदि रोगी अस्पताल छोड़ता है तो उससे ट्रीटमेंट समरी प्राप्त करने का अधिकार होगा। इसके अतिरिक्त राज्य के निवासियों के डॉक्टर एवं चिकित्सा संस्थानों के प्रति उत्तरदायित्व एवं कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ ही हैल्थ केयर प्रोवाइडर एवं संस्थानों के अधिकार एवं दायित्व भी निर्धारित किए गए हैं।

राज्य स्तर पर दो तरह के प्राधिकरण गठित किए गए हैं जिसमें स्टेट हैल्थ ऑथिरिटी फॉर लॉजिस्टिक ग्रिवान्सेज, आमजन की समस्या निस्तारण का कार्य करेगी। इसके साथ ही उपचार एवं इस कानून के तहत तकनीकी सलाह हेतु दूसरी ऑथिरिटी स्टेट हैल्थ ऑथिरिटी फॉर ट्रीटमेंट प्रोटोकाल का गठन किया गया है। इस दूसरी ऑथिरिटी में केवल एक सदस्य को छोडकर विशेषज्ञ चिकित्सक ही शामिल हैं।

डिस्ट्रिक्ट हैल्थ ऑथिरिटी का गठन किया गया है जिसमें जिला कलक्टर सहित चिकित्सक सम्मिलित है। शिकायत के निवारण हेतु शिकायत निवारण तंत्र विकसित किया गया है। किसी व्यक्ति को इलाज नहीं मिलने पर या इलाज से संबंधित अन्य शिकायत के लिए उसे 15 दिवस के भीतर उसी चिकित्सा संस्थान के प्रभारी को शिकायत करनी होगी।

यदि संस्था प्रभारी द्वारा 3 दिवस में शिकायत का समाधान नहीं किया जाता है तो वह शिकायत जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण के पास अग्रेषित हो जाएगी जिसे उसको 30 दिवस में निस्तारित करना होगा। यदि यहां शिकायत का समाधान नहीं होता है तो यह प्रकरण स्टेट हैल्थ ऑथिरिटी फॉर लॉजिस्टिक ग्रिवान्सेज के पास अग्रेषित हो जाएगा।