मिड डे मील योजना (Mid day meal Scheme) एवं मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के प्रभावी पर्यवेक्षण हेतु मानक संचालन प्रक्रिया Standard operating procedure (SOP)
मिड डे मील योजना (Mid day meal Scheme) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण फ्लेगशिप योजना है जो बच्चों के पोषण स्तर में वृद्धि पिछड़े वर्ग के गरीब बच्चों में शिक्षा के प्रति प्रोत्साहन, नामांकन में वृद्धि, विद्यार्थियों का विद्यालय में ठहराव एवं लिंग, धर्म व जाति आधारित असमानता को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
मध्यान्ह भोजन योजना (Mid day meal Scheme) एवं गुख्यमंत्र गुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना की गुणवत्ता में सुधार, सामग्री के भौतिक सत्यापन, विद्यालय प्रबन्धन समिति को सक्रिय करने, मासिक निरीक्षण के माध्यम से योजना का पर्यवेक्षण किये जाने एवं अधिकतम पारदर्शिता व योजना के प्रचार-प्रसार के सम्बन्ध में निर्देश जारी किये गये हैं। इसी क्रम में योजना के प्रभावी क्रियान्वयन एवं संचालन हेतु निम्नलिखित निर्देश जारी किये जाते हैं। उक्त निर्देशों की जिले में पालना सुनिश्चित की जायेः-
मिड डे मील योजना (Mid day meal Scheme)
भोजन की गुणवत्ता एवं पौष्टिकता:-
मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत (Mid day meal Scheme) राजकीय विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों एवं मदरसों में अध्ययनरत बालवाटिका एवं कक्षा 1 से 8 तक अध्ययनरत विद्यार्थियों को मध्यान्तर में निर्धारित साप्ताहिक मेन्यू के अनुसार पोषणयुक्त गर्म भोजन उपलब्ध कराया जाता है। विद्यार्थियों के पोषण स्तर में वृद्धि हेतु भारत सरकार द्वारा निर्धारित पोषक तत्वों के सम्बन्ध में नापदण्ड निर्धारित किये गये हैं। साप्ताहिक मेन्यू में उपलब्ध कराये जाने वाले भोजन में बाल वाटिका एवं कक्षा 1 से 5 के प्रत्येक विद्यार्थी को दिये जाने वाले पके हुए भोजन के लिए 450 कैलोरी, 12 ग्राम प्रोटीन एवं कक्षा 6 से 8 के लिए 700 कैलोरी. 20 ग्राम प्रोटीन होना आवश्यक है। विद्यार्थियों को पौष्टिक, उच्च गुणवत्तापूर्ण गर्म एवं ताजा भोजन उपलब्ध हो सकें, इसके लिए भोजन की गुणवत्ता, खाद्यान्न के रख-रखाव, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं साफ-सफाई के संबंध में निम्नलिखित निर्देशों की पाना सुनिश्चित की जायेः-
- भोजन की गुणवत्ता एवं पौष्टिकता बनायें रखने के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देश के अनुरूप ही भोजन में खाद्यान्न, दाल, मसाले एवं तेल की निर्धारित मात्रा उपयोग में ली जाये एवं साथ ही इनकी गुणवत्ता (क्वालिटी) का भी विशेष ध्यान रखा जाये।
- खाद्यान्न, दालें, गसाले एवं सब्जियों अच्छी तरह साफ एवं धोकर काम में ली जाये। यदि खाद्यान्न खाने योग्य नहीं है तो उसे किसी भी स्थिति में उपयोग में नहीं लिया जाये।
- उच्च गुणवत्तायुक्त दाल, तेल व मसाले उपयोग में लिया जाये।
- मिड डे मील योजना के अन्तर्गत प्रतिदिन दिये जा रहें मेन्यू में दिशा-निर्देशों के अनुरूप पौष्टिक तत्वों की मात्रा सुनिश्चित किये जाने के लिए यह आवश्यक है कि भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियों अधिक से अधिक उपयोग ली जाये।
- यह सुनिश्चित किया जाये कि मध्याह्न भोजन योजना में दी जाने वाली चपाती अच्छी तरह से पकी हुई हो तथा साथ ही किसी भी परिस्थिति में जली हुई नहीं हो।
- चपाती को और अधिक पौष्टिक एवं स्वादिष्ट बनाने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, बथुआ, लौकी, मैथी, धनिया आदि आटे में मिलाकर मसालों के साथ तैयार की जा सकती है।
- दाल, सब्जी अथवा खिचड़ी की पौष्टिकता बनाये रखने के लिए जहाँ तक सम्भव हो प्रेशर कुकर में ही पकाया जाये।
- ताजा सब्जियों की अनुपलब्धता होनें पर हरी पत्तेदार सब्जियों को सुखाकर व पीसकर, दाल, खिचड़ी, इत्यादि में काम लिया जा सकता है।
- भोजन पकाने के पश्चात उसे ढक कर रखा जाये।
- सप्ताह में एक बार मौसमी फल आवश्यक रूप से दिया जाये। सर्दियों में अमरूद एवं बाकी मौसम में केला आवश्यक रूप से छात्रों को दिया जाये। दोनों ही फल आसानी से छोटी से छोटी जगह पर उपलब्ध हो जाते है।
- विद्यालयों में किचन / न्यूट्रीशन गार्डन तैयार किये जाने चाहिये जिनमें हरी पत्तेदार सब्जियाँ पालक, धनिया, मैथी, मिर्च, टमाटर, नींबू इत्यादि उगाये जा सकते है तथा भोजन बनाने के उपयोग में लिया जा सकता है।
- भारतीय खाद्य निगम द्वारा फोर्टीफाईड चावल उपलब्ध कराया जा रहा है तथा भोजन में डबल फोर्टीफाईड नमक तथा फोर्टीफाईड तेल का उपयोग किया जाये।
- प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों को मिड डे मील परोसने से पहले दो बडे व्यक्तियों द्वारा इसे अनिवार्य रुप से चखा जाये जिसमें एक अभिभावक तथा एक विद्यालय प्रबन्धन समिति का सदस्य हो। इसके लिए अभिभावकों और विद्यालय प्रबन्धन समिति के सदस्यों का रोस्टर तैयार किया जाये और इसका इन्द्राज प्रतिदिन रजिस्टर में किया जाये, ताकि यह सुनिश्चित हो सकें कि पोषाहार को विद्यार्थियों को खिलाने से पहले दो व्यक्तियों द्वारा चख लिया गया है और वह पूर्णतः सुरक्षित है। प्रत्येक विद्यालय में इसके लिये किसी एक अध्यापक को उत्तरदायी बनाया जाये।
- प्रत्येक विद्यालय में ही मिड डे मील के क्रियान्वयन के पूर्ण एवं प्रभावशाली निरीक्षण किये जाये। इन निरीक्षण रिपोटों की जिला कलक्टर की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली बैठक में समीक्षा की जाये और उसके आधार पर पायी गई कमियों एवं समस्याओं का तुरन्त निराकरण किया जाये ।
स्वास्थ्य सुरक्षा एवं साफ-सफाई के संबंध में निर्देश
- भोजन बनाये जाने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाये कि भोजन बनाने एवं भोजन परोराने एवं खाना खाये जाने वाले बर्तन पूरी तरह साफ हो।
- कुक कम हेल्पर्स का सगय-रामय पर मेडिकल चेक-अप आवश्यक रूप से करवाया जाये।
- कुक कम हेल्पर्स को स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी सामान्य बातें जैसे नियमित रूप से नाखून काटना, हाथ धोकर खाना बनाना, स्वच्छ कपड़े पहनना आदि की जानकारी दी जाये।
- छात्र/छात्राओं को भी स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी सामान्य जानकारी जैसे खाना खाने से पूर्व साबुन से हाथ धोना, नियमित नाखून काटना, खाना खाने वाले बर्तनों की साफ-सफाई आदि की जानकारी आवश्यक रूप से दी जाये ।
- डिवर्मिंग (Deworming) के विशेष प्रयास किये जाने चाहिये। शाला स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत वर्ष में 2 बार डिवर्मिंग (Deworming) एवं विटामिन ए की खुराक दी जाये। स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराई जा रही आयरन एवं फोलिक एसिड टेबलेट्स नियमानुसार विद्यार्थियों को दी जाये।
खाद्यान्न का रख-रखाव एवं सुरक्षा के संबंध में निर्देश
- आयुक्तालय द्वारा जिले को आवंटित खाद्यान्न (गेहूं/चावल) का ब्लॉकवार / विद्यालयवार आवंटित मात्रा को सम्बन्धित विद्यालय को जानकारी दी जाये जिससे संस्थाप्रधान को यह जानकारी हो कि आवंटन अनुसार ही परिवहनकर्ता द्वारा खाद्यान्न की आपूर्ति की गई है।
- मध्यान्ह भोजन योजनान्तर्गत (Mid day meal Scheme) खाद्यान्न (गेहूं / चावल) का भारतीय खाद्य निगम के गोदाम से उठाव एवं विद्यालयों तक वितरण जिला रसद अधिकारी द्वारा अधिकृत परिवहनकर्ता किया जाता है। परिवहनकर्ता द्वारा विद्यालय में खाद्यान्न की आपूर्ति उपरान्त संस्थाप्रधान / पोषाहार प्रभारी से पावती रसीद प्राप्त की जाती है। यह सुनिश्चित किया जाये कि खाद्यान्न तोलकर ही प्राप्त किया जाये एवं परिवहनकर्ता से खाद्यान्न प्राप्त कर विद्यालय की स्टॉक पंजिका में इसका इन्द्राज किया जाये। संस्थाप्रधान द्वारा उपलब्ध कराई गई पावती रसीद का मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी से सत्यापन उपरान्त परिवहनकर्ता को परिवहन का भुगतान किया जाये।
- खाद्यान्न का उठाव निर्धारित वैधता अवधि में किया जाये।
- प्रायः यह देखने में आया है कि विद्यालयों में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध होने के बावजूद भी अगली तिमाही के लिए खाद्यान्न की मांग की जाती है। इससे शाला में खाद्यान्न का स्टॉक आवश्यकता से अधिक हो जाता है। कई विद्यालयों में 2 से 3 तिमाही तक का खाद्यान्न स्टॉक में उपलब्ध है। स्टॉक आवश्यकता से अधिक खाद्यान्न इकट्ठा हो जाने के कारण इसके खराब होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं। अतः यह हर परिस्थिति में सुनिश्चित किया जाये की प्रत्येक तिमाही के लिए वर्तमान में उपलब्ध खाद्यान्न एवं अगली तिमाही की मांग को ध्यान में रखते हुये ही खाद्यान्न की मांग की जाये। विद्यालयों में किसी भी स्थिति में एक तिमाही की मांग से अधिक खाद्यान्न स्टॉक में नहीं होना चाहिये।
- खाद्यान्न को एक निश्ििचत ऊचाई (कम से कम 6 इंच) के प्लेटफार्म पर दीवारों से दूर रखा जाये जिससे चूहे एवं अन्य कीड़े-मकोड़ों की समस्या से बचा जा सकें।
- खाद्यान्न रखे जाने वाले कमरे में वेन्टीलेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो जिससे नमी के कारण अनाज के खराब हाने की समस्या से बचा जा सके।
- खाद्यान्न के उचित रख-रखाव हेतु इसे लोहे के बडे ड्रम्स में रखा जा सकता है।
- भारतीय खाद्य निगम की नियमावली के अनुसार खाद्यान्न तीन महीनें तक सुरक्षित रहता है। इसके पश्चात खाद्यान्न में इल्ली या अन्य कीड़ा लगने की सम्भावना रहती है। अतः खाद्यान्न की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें। यदि खाद्यान्न इल्ली या कीड़ा लगने या नमी के कारण खराब हो गया हो तो उसे खाने के काम में नहीं लिया जाये। नये खाद्यान्न को पुराने खाद्यान्न से अलग रखा जाये।
- खाद्यान्न को सुरक्षित रखने के लिए किसी भी स्थिति में पेस्टीसाईड या कीड़े एवं चूहे मारने के लिए काम आने वाला कोई भी रसायनिक पदार्थ उपयोग में नहीं लिया जाये। ऐसा कोई जहरीला या हानिकारक पदार्थ रसोई या खाद्यान्न भण्डारण के आस-पास नहीं रखा जाये।
निरीक्षणः-
- विभाग द्वारा योजनाओं के प्रभावी पर्यवेक्षण हेतु भासिक निरीक्षण के लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं। समस्त जिला स्तरीय एवं उपखण्ड स्तरीय निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप विद्यालयों के प्रभावी एवं सुधारात्मक निरीक्षण किये जाये।
- जिला शिक्षा अधिकारी एवं मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी योजनान्तर्गत पोषाहार एवं दूध वितरण व्यवस्था को सुदृढ करने हेतु यह सुनिश्चित करेंगे कि विद्यार्थियों के नामांकन तथा वास्तविक विद्यार्थियों की संख्या में कहीं कोई अन्तर तो नहीं है साथ ही कार्य-योजना तैयार कर नियमित मासिक लक्ष्यों के अनुरूप औचक निरीक्षण किये जाये ताकि वास्तविक नामांकन की जानकारी प्राप्त हो सके।
- विद्यालय में अध्ययनरत प्रत्येक विद्यार्थियों को शैक्षणिक दिवस को विद्यालय में उपस्थित होने पर गर्म भोजन उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है। यह ध्यान रखा जाये विद्यार्थियों के उपस्थित न होने की स्थिति में महज आंकडों के लिए उन्हें उपस्थित न दर्शाया जाये साथ ही शाला दर्पण पर भी उपस्थिति अंकित करते समय इसका ध्यान रखा जाये।
- विद्यालय निरीक्षण के समय खाद्यान्न के स्टॉक का स्टॉक पंजिका से मिलान, खाद्यान्न एवं पाउडर मिल्क के रख-रखाव, निरीक्षण के दौरान विद्यार्थियों की उपस्थिति पंजिका का भौतिक रूप से मिलान एवं दैनिक स्टॉक पंजिका के संधारण की जांच अवश्य सुनिश्चित की जाये।
- निरीक्षण दिवस को विद्यार्थियों की भौतिक उपस्थिति का गत दो से तीन दिवस से मिलान किया जाये। जिससे विद्यालय में विद्यार्थियों की औसत उपस्थिति का आंकलन किया जा सके।
- यह भी सुनिश्चित किया जाये कि विद्यालयों में वास्तविक उपस्थिति का ही अंकन किया जाये ताकि मध्यान्ह भोजन योजना एवं मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना में किसी प्रकार की अनियमितता की स्थिति उपत्पन्न न हो।
- निरीक्षण के समय विद्यार्थियों के साथ भोजन कर उनसे भोजन एवं दूध की गुणवत्ता के सम्बन्ध में जानकारी ली जावे, यथा सम्भव विद्यालय प्रबन्धन संमिति के सदस्यों से योजना के प्रभावी पर्यवेक्षण हेतु चर्चा की जाये एवं SMC को और प्रभावी किया जाये। निरीक्षणकर्ता द्वारा दोनों योजनाओं में उपलब्ध सागान का भौतिक सत्यापन आवश्यक रूप से कराया जावे।
- यह भी देखने में आया है कि कार्यक्रम का निरीक्षण संबधित अधिकारियों द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार नहीं किया जा रहा है यह एक गम्भीर लापरवाही है। भविष्य में यह सुनिश्चित किया जाये कि प्रत्येक अधिकारी निर्धारित मापदण्डों के अनुसार प्रतिमाह निरीक्षण करें। इन अधिकारियों के द्वारा किये गये निरीक्षण की प्रतिमाह जिला स्तर पर समीक्षा की जाना सुनिश्चित किया जाये। यदि निरीक्षण के दौरान किसी अधिकारी / कर्मचारी की कार्यक्रम के क्रियान्वयन के संबंध में लापरवाही पायी जाती है तो उसके खिलाफ तुरन्त अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये।
- मिड डे मील कार्यक्रम के कियान्वयन के संबंध में प्राप्त शिकायतो का निस्तारण अविलम्ब किया जाये। इसके लिए जिला स्तर पर एक जन अभाव अभियोग निराकरण सैल का गठन किया जा सकता है। प्रतिमाह शिकायतों के निस्तारण की प्रगति की भी समीक्षा की जाये ।
- योजनान्तर्गत जिला एवं ब्लॉक स्तर पर जिला कलक्टर एवं उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में समीक्षा एवं संचालन समिति गठित की हुई है। उक्त समितियों की बैठक प्रतिमाह आयोजित करवाई जाये एवं योजना से सम्बन्धित समस्याओं का निराकरण त्वरित गति से करवाया जाये।
- योजनान्तर्गत संचालित समस्त राजकीय विद्यालयों में मिड डे मील वितरित किये जाने वाले भोजन की जाँच खाद्य सुरक्षा विभाग की प्रयोगशालाओं में समय-समय पर करवाया जाये तथा वितरित किये जाने वाले भोजन की गुणवत्ता एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाना सुनिश्चित किया जाये।
मासिक बैठकः-
मध्यान्ह भोजन योजना के प्रभावी पर्यवेक्षण सुनिश्चित किये जाने के लिये राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समीक्षा एवं संचालन समिति, जिला स्तर पर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय संचालन समिति एवं उपखण्ड स्तर पर उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में उपखण्ड स्तरीय संचालन समिति का गठन किया गया है। जिला स्तरीय एवं उपखण्ड स्तरीय समितियों की भासिक बैठकों का आयोजन कर मध्यान्ह भोजन योजना एवं मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा की जाये।
विद्यालय प्रबन्धन समितिः-
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) पार्ट-2 के बिन्दु संख्या V (1) School Management Committee के अन्तर्गत विद्यालय प्रबन्ध समिति को मिड डे मील योजना के संचालन का दायित्व दिया गया है। विद्यालय प्रबन्ध समिति (SMC) में अधिकांश सदरय स्थानीय निवासी होते हैं तथा विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थी भी सामान्यतः निकटवर्ती क्षेत्र के ही होते हैं। विद्यालय प्रबन्धन समिति के सदस्यों का विद्यार्थियों से जुडाव होने के कारण मिड डे मील योजना का प्रभावी पर्यवेक्षण किया जाना अपेक्षित है।
- प्रत्येक विद्यालय में गठित विद्यालय प्रबन्धन समिति को अधिकाधिक सक्रिय बनाया जाये और यह प्रयास किया जाये कि मिड डे मील के संचालन में उनकी महती भुमिका हो।
- प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों को मिड डे मील एवं पाउडर मिल्क उपलब्ध कराने से पहले दो बड़े व्यक्तियों द्वारा इसे अनिवार्य रूप से चखा जाये जिसमें एक अभिभावक तथा एक विद्यालय प्रबन्धन समिति का सदस्य हो। इसके लिए अभिभावकों और विद्यालय प्रबन्धन समिति के सदस्यों का रोस्टर तैयार किया जाये और इसका इन्द्राज प्रतिदिन रजिस्टर में किया जाये ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पोषाहार एवं दूध विद्यार्थियों को उपलब्ध कराने से पहले दो व्यक्तियों द्वारा चख लिया गया है और वह पूर्णतः सुरक्षित है। प्रत्येक विद्यालय में इसके लिये किसी एक अध्यापक को उत्तरदायी बनाया जाये।
- विद्यालय प्रबन्धन समिति की समय-समय पर बैठक आयोजित की जाये एवं योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक चर्चा कर सुधारात्मक कदम उठाये जाये।
मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना
माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा की गई बजट घोषणा 2022-23 की अनुपालना में मिड डे मील की पौष्टिकता में सुधार हेतु राजकीय विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों एवं मदरसों में कक्षा 1 से 8 में अध्ययनरत विद्यार्थियों को राप्ताह में दो दिवस प्रार्थना सभा के तुरन्त पश्चात पाउडर मिल्क से तैयार दूध उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना का शुभारम्भ माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा दिनांक 29 नवम्बर, 2022 को किया गया है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट भाषण में माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा विद्यार्थियों को सप्ताह में प्रतिदिन दूध उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है। दिनांक 01 जुलाई, 2023 से विद्यार्थियों को सप्ताह में प्रत्येक दिवस (प्रत्येक शैक्षणिक दिवस) को पाउडर मिल्क से तैयार दूध उपलब्ध कराया जायेगा। विद्यालयों तक डोर स्टेप आपूर्ति राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन द्वारा की जा रही है।
मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना का प्रमुख उद्देश्य राजकीय विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों एवं मदरसों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के नामांकन, उपस्थिति में वृद्धि, ड्रॉपआउट को रोकना, मिड डे मील की पौष्टिकता में सुधार एवं पोषण स्तर में वृद्धि व आवश्यक माइक्रो न्यूट्रिएंटस उपलब्ध कराया जाना है।
- योजना के धरातल अर्थात विद्यालय स्तर पर क्रियान्वयन के लिये शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अन्तर्गत विद्यालय प्रबन्धन समिति के दायित्व निर्धारित किये गये हैं। उक्त समिति में स्थानीय जनप्रतिनिधि, विद्यार्थियों के अभिभावक एवं शिक्षक सदस्य हैं। उक्त समिति की देखरेख में विद्यार्थियों को दूध उपलब्ध कराया जायेगा।
- विद्यालय के शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को दूध उपलब्ध कराने से पूर्व स्वयं चखने के उपरान्त वितरण करेंगे एवं इसका रजिस्टर संधारण किया जाना सुनिश्चित करेंगे।
- योजना में पारदर्शिता एवं प्रचार-प्रसार के लिये विद्यार्थियों को उपलब्ध कराये जाने वाले पाउडर मिल्क की मात्रा का अंकन विद्यालय की दीवार पर प्रदर्शित किया जायेगा। समस्त जिला शिक्षा अधिकारी सभी विद्यालयों में पाउडर मिल्क की मात्रा अंकित करवाया जाना सुनिश्चित करेंगे।
- योजना के प्रभावी पर्यवेक्षण हेतु जिला स्तरीय एवं उपखण्ड स्तरीय अधिकारियों से विद्यालयों में पाउडर मिल्क के वितरण एवं स्टॉक का भौतिक सत्यापन के लिये निरीक्षण करवाया जायेगा। जिला कलेक्टर इस सम्बन्ध में कार्ययोजना तैयार कर निरीक्षण एवं भौतिक सत्यापन की समेकित रिपोर्ट आयुक्तालय, मिड डे मील को प्रेषित करेंगे।
- आरसीडीएफ द्वारा विद्यालयों में पाउडर मिल्क की आपूर्ति के समय जिला शिक्षा अधिकारी, मुख्यालय, प्रारम्भिक एवं मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी विद्यालयों में औचक निरीक्षण कर पावती रसीद का स्टॉक से मिलान सुनिश्चित करेंगे।
- समस्त जिला एव उपखण्ड स्तरीय अधिकारी निरीक्षण के दौरान विद्यार्थियों एवं विद्यालय प्रबन्ध समिति के सदस्यों से चर्चा कर फीडबैक प्राप्त करेंगे एवं निरीक्षण प्रपत्र में इसका अंकन सुनिश्चित करेंगे।
- जिला स्तरीय एवं उपखण्ड स्तरीय समितियों की मासिक बैठकों में मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा किया जाना सुनिश्चित करेंगे।
- समस्त जिला कलक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी, मुख्यालय-प्रारम्भिक इस योजना में किसी भी कार्मिक द्वारा गबन अथवा किसी प्रकार से लीकेज करने में दोषी पाये जाने पर सम्बन्धित के विरूद्ध तत्काल एफआईआर दर्ज कराते हुये अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित किया जाना सुनिश्चित करेंगे।
- मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के अन्तर्गत राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड से सम्बन्धित जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ / परिवहनकर्ता द्वारा पाउडर मिल्क की विद्यालयों तक डोर स्टेप आपूर्ति की जाती है। संस्थाप्रधान / पोषाहार प्रभारी द्वारा पाउडर मिल्क प्राप्त कर मिलान करने के उपरान्त पावती रसीद जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ/परिवहनकर्ता को उपलब्ध करायेंगे तथा स्टॉक रजिस्टर में पाउडर मिल्क के स्टॉक का इन्द्राज किया जाना सुनिश्चित करेंगे। संस्था द्वारा उपलब्ध कराई गई पावती रसीद का जिला शिक्षा अधिकारी, मुख्यालय-प्रारम्भिक द्वारा मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकरी से सत्यापन करवाने के उपरान्त जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ को भुगतान सुनिश्चित करेंगे।
- मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के क्रियान्वयन हेतु विभाग द्वारा पत्र संख्या 245 दिनांक 27.06. 2022 द्वारा जारी विस्तृत दिशा-निर्देश एवं समय-समय पर जारी किये गये निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जाये।
पारदर्शिताः-
योजना में पारदर्शिता लाने के लिये साप्ताहिक मैन्यू एवं मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजनान्तर्गत दिये जा रहे दूध की निर्धारित मात्रा, एवं व्यय होने वाली राशि का विद्यालय में सुलभ दर्शनीय दीवार पर स्थाई रूप से निम्नानुसार अंकन करवाया जाना सुनिश्चित करें साथ ही खाद्यान्न का दैनिक स्टॉक भी इन्द्राज किया जाये। जिससे उक्त योजनाओं के संबंध में आमजन को जानकारी होने एवं योजनाओं को पारदर्शी बनाने के साथ-साथ प्रचार-प्रसार भी हो सके।
मध्यान्ह भोजन योजना में प्रति विद्यार्थी प्रतिदिन गेहूं / चावल की मात्रा एवं कुकिंग कन्वर्जन राशि का विवरण-
कुकिंग कन्वर्जन राशि | |
बाल वाटिका से 5वीं तक | 5.45 र प्रतिछात्र प्रति शैक्षणिक दिवस |
कक्षा 6 से 8 तक | 8.17 ₹ प्रतिछात्र प्रति शैक्षणिक दिवस |
खाद्यान्न (गेहूं/चावल) की मात्रा | |
बाल वाटिका से 5वीं तक | 100 ग्राम प्रतिछात्र प्रति शैक्षणिक दिवस |
कक्षा 6 से 8 तक | 150 ग्राम प्रतिछात्र प्रति शैक्षणिक दिवस |
मिड-डे मील योजना का साप्ताहिक मैन्यू :-
क.स. | दिन | भोजन का विवरण |
1 | सोमवार | रोटी-सब्जी एवं दाल |
2 | मंगलवार | चावल एवं दाल अथवा सब्जी |
3 | बुधवार | रोटी-दाल |
4 | गुरुवार | खिचड़ी (दाल, चावल, सब्जी आदि युक्त) |
5 | शुक्रवार | रोटी-दाल |
6 | शनिवार | रोटी-सब्जी एवं दाल |
मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजनान्तर्गत दूध एवं चीनी की मात्रा :-
कक्षा | दूध पाउडर की मात्रा (प्रति विद्यार्थी प्रतिदिन) | चीनी की मात्रा | प्रत्येक विद्यार्थी को उपलब्ध कराये जा रहे दूध की मात्रा |
बाल वाटिका से 5वीं तक | 15 ग्राम | 8.4 ग्राम | 150 मिली. |
8-Jun | 20 ग्राम | 10.2 ग्राम | 200 मिली. |
जिला स्तर पर जिला शिक्षा अधिकारी, मुख्यालय, प्रारम्भिक, मध्यान्ह भोजन योजना एवं मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के प्रभारी अधिकारी होंगे एवं उक्त SOP की पालना के लिए उत्तरदायी होंगे।