CCE Songs

CCE Songs- अपनी दुनिया

चैन गैरों की दुनिया में मिलता नहीं
अपनी दुनिया बसाने का वादा करें

आग अपने ही आँगन को झुलसाये है
अब नये घर बनाने का वादा करें

कैद से छूटने की है ख्वाहिश हमें
कैदखाने जलाने का वादा करें

इल्म को गर अमानत समझते हैं हम
इल्म सबको दिलाने का वादा करें

सेहत दौलत जहाँ में है सबसे बड़ी
अपनी सेहत बनाने का वादा करें

जोर कमजोर पर आजमाते सभी
ताकत अपनी बढ़ाने का वादा करें

दूसरों को बनाने में खाक हुये
किस्मत अपनी बनाने का वादा करें

घर घर बँट कर अँधेरे में घुटते रहे
महफिलें अपनी सजाने का वादा करें

रात तारीक है दिन भी तारीक हैं
बन के सूरज चमकने का वादा करें

रह कर खामोश जुल्मों को सहते रहे
अपनी आवाज उठाने का वादा करें

चैन गैरों की दुनिया में मिलता नहीं
अपनी दुनिया बसाने का वादा करें

जिंदगी अपनी सजायेंगे

मिल कर हम नाचेंगे गायेंगे
मिल कर हम खुशियाँ मनायेंगे
जिंदगी अपनी सजायेंगे

चिड़ियों से हम चहक ले आयेंगे
महक हम फूलों से लायेंगे
चहकते महकते जायेंगे

चुस्ती हम शेरनी से लायेंगे
फुर्ती हम हिरनी से लायेंगे
शक्ति हम फिर से बन जायेंगे

मौजों से हम मस्ती ले आयेंगे
पर्वत सी हम हस्ती बनायेंगे
आलम हम खुशियों का लायेंगे

जम के हम चीखें चिल्लायेंगे
जुल्मों को हम जड़ से मिटायेंगे
सोतों को हम जा के जगायेंगे

दायरे हम अपने बढ़ायेंगे
बहुतों को हम समझे समझायेंगे
गीत हम दोस्ती के गायेंगे

मिल कर हम नाचेंगे गायेंगे
मिल कर हम खुशियाँ मनायेंगे
जिंदगी अपनी सजायेंगे

CCE Songs-अब तो मजहब

अब तो मजहब कोई
ऐसा भी चलाया जाये
जिसमें हर इंसान को
इंसा बनाया जाये

आग बहती है यहाँ
गंगा में भी झेलम में भी
कोई बतलाये कहाँ
जा कर नहाया जाये, जिसमें…..

जिसकी खुशबू से महक उठे
पड़ौसी का भी घर
फूल ऐसा अपनी बगिया
में खिलाया जाये, जिसमें…..

तेरे दुःख और दर्द का
मुझ पर भी हो ऐसा असर
तू रहे भूखा तो मुझसे
भी न खाया जाये. जिसमें….

प्यार का हूँ क्यूँ हुआ
ये समझने के लिये
हर अंधेरे को उजाले
में बुलाया जाये. जिसमें ….

जिस्म चाहे दो हों लेकिन
दिल तो अपने एक हैं
तेरा आँसू मेरी पलकों
से उठाया जाये. जिसमें….
• गोपाल दास ‘नीरज’

CCE Songs- हो गयी है पीर

हो गयी है पीर पर्वत सी
पिघलनी चाहिये
इस हिमालय से कोई
गंगा निकलनी चाहिये

मेरे सीने में नहीं तो
तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग
लेकिन आग जलनी चाहिये

सिर्फ हंगामा खड़ा करना
मेरा मकसद नहीं
मेरा मकसद है कि ये
सूरत बदलनी चाहिये

एक चिंगारी कहीं से
ढूँढ लाओ दोस्तों
इस दिये में तेल से
भीगी हुयी बाती तो है
.दुष्यन्त कुमार

CCE Songs- इस नदी की धार में

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो हैं
नाव जर्जर ही सही
लहरों से टकराती तो हैं

एक चिंगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तों
इस दिये में तेल से
भीगी हुयी बाती तो है

एक चादर साँझ ने सारे शहर पर डाल दी
इस अँधेरे की सड़क
उस भोर तक जाती तो है

दुःख नहीं कोई भी अब
उपलब्धियों के नाम पर
और कुछ हो न हो
आकाश सी छाती तो है

निर्वचन मैदान में
लेटी हुयी है जो नदी
पत्थरों से ओट में जा जा के
बतियाती तो है
इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है

. दुष्यन्त कुमार

पंखों में आकाश

पंखों में आकाश समेटे
चले हमारा काफिला
मन में इक विश्वास संजोये
चले हमारा काफिला

नई सोच का नया जोश गर
आ जाये इन बाहों में
नई उमंगे नई रवानी
रम जाये इन श्वासों में
नये स्वप्न की धड़कन ले कर
चले हमारा काफिला
मन में इक विश्वास संजोये
चले हमारा काफिला